मम्मी की रण्डी सहेली ने माँ को रण्डी बनाया

(Mammi Ki Randi Saheli Ne Maa Ko Randi banaya)

अब मैं एक रंडी की बेटी हूँ.. मैं अपने बारे में बताती हूँ कि मैं कैसे रंडी बनने को तैयार हो रही हूँ..

बात तब की है जब पापा की मौत एक एक्सीडेंट में हो गई थी।
अब मेरे परिवार में तीन लोग हैं। माँ राखी.. जो 39 साल की हैं और मैं पूजा 18 साल की हूँ और एक छोटी बहन रूपा है।

पापा की मौत हो जाने के कारण माँ बहुत उदास रहती थीं और किसी से भी ज्यादा बात नहीं करती थीं। माँ को उस कर्ज़ की चिन्ता भी थी जो पापा के जाने के बाद हम पर चढ़ गया था.. तो और वे और अधिक परेशान रहने लगी थीं।

एक दिन माँ की सहेली रेखा आंटी घर आईं.. तो माँ ने उन्हें पानी पीने के लिए दिया और पूछा- रेखा तू कैसी है?
‘मैं तो ठीक हूँ.. तुम बताओ राखी.. तुम कैसी हो?’

माँ ने कहा- तू तो जानती है कि मेरे पति के जाने के बाद.. मैं लण्ड के बिना तड़प रही हूँ.. और उंगली चलाकर काम चला रही हूँ.. तू बता रेखा.. तेरे पति ने तो तुझे तलाक दे दिया है.. तू अपनी चूत की प्यास कैसे बुझाती है?

‘राखी.. मैं अब वो रेखा नहीं रही.. अब मैं रंडी बन गई हूँ..’
‘क्या बात कर रही है.. रंडी का मतलब जानती है?’
तो रेखा बोली- हाँ मेरी प्यारी बहना जानती हूँ.. कि रंडी लोगों का बिस्तर गर्म करती है। राखी रंडी बनने से मुझे बहुत मज़ा है.. रोज नया लण्ड खाने को मिलता है..

मैंने देखा कि रेखा आंटी देख रही थीं कि माँ का बुरा हाल हो रहा था।
‘रंडी बनने से कई तरह का फायदा है.. तू रण्डी बनेगी?’
तो माँ कहने लगीं- लोग क्या कहेंगे?

‘लोग क्या कहेंगे.. रंडी को रंडी कहेंगे और क्या कहेंगे..’
तो माँ बोलीं- मेरी दो बेटियाँ हैं.. तो क्या करूँ?
‘उनसे सब बता दे.. और परिस्थिति से खुल कर सामना कर..’

तो माँ मान गईं और आंटी कहने लगीं- सुन.. आज से तू रंडी बन गई है.. मैं तुझे राखी रंडी कहूँगी।
माँ हँसने लगीं।

आंटी ने कहा- पता नहीं तू क्या करती है तेरे मम्मे तो बहुत ही छोटे हैं।
आंटी माँ के ब्लाउज के बटन खोलने लगीं। माँ उनका विरोध नहीं कर रही थीं। आंटी ने माँ के ब्लाउज के एक-एक करके सारे बटन खोल दिए और माँ का ब्लाउज निकाल दिया।

फिर आंटी माँ की साड़ी खोलने लगीं और साड़ी खोलने के बाद आंटी कहने लगीं- राखी रंडी.. अब तू देख.. कैसी क़यामत लग रही है।

माँ हँसने लगीं.. फिर आंटी माँ की चूचियाँ मसलने लगीं.. तो माँ के जिस्म में करंट दौड़ गया।
आंटी कहने लगीं- क्या हुआ मेरी रंडी..

तो माँ बोलीं- साली रंडी तू तो रोज नया लण्ड लेकर अपनी आग बुझा लेती है.. पर मेरी तो चूत सुलग रही है।
तो आंटी बोलीं- कल ही ग्राहक भेज दूँ?
माँ कहने लगी- हाँ कल भेज दे..
आंटी कहने लगीं- तू अपनी बुर तो दिखा कैसी है।

माँ ने अपना पेटीकोट उठाया और आंटी माँ की बुर देखने लगीं।
आंटी ने कहा- ठीक है.. रंडी की क्या बुर.. चल फिर भी झांटें साफ़ कर लेना.. अब तू कपड़े पहन ले।

माँ ने कपड़े पहने।
माँ बोलीं- रेखा बता तो तेरा रंडीखाना कहाँ है?

तो आंटी बताने लगीं- अभी हमारा घर ही रंडीखाना है..
‘तो तेरी बेटी कहाँ रहती है?’
रंडी आंटी बोलीं- मैंने उसे भी रंडी बना दिया है..
माँ- सच?

इसी तरह जब माँ और आंटी बातें कर रही थीं.. तो हम दोनों बहनें स्कूल से आ गई थीं।

‘माँ दीदी के पेट में दर्द हो रहा है।’
माँ बोलीं- पूजा, क्या हुआ?

माँ दवा लेकर आईं फिर मेरे पेट का दर्द थोड़ा कम हुआ।
मैं माँ के पास बैठ गई।

रूपा अपने कमरे में चली गई।

माँ और आंटी बातें करने लगीं.. कुछ देर के बाद आंटी चली गईं।

मैं माँ के पास सो रही थी.. मैंने महसूस किया कि मेरी चूत से कुछ निकल रहा है.. तो मैं उठकर देखने लगी तो देखी मेरी चूत से खून निकल रहा है।
मैंने माँ को बताया..
तो माँ कहने लगीं- तेरे महीने आने शुरू हो गए हैं..

वो खुश होने लगीं और उन्होंने कहा- तुम अपनी सलवार उतारो.. मैं देखूं कि मेरी चूत ने कैसी चूत पैदा की है।
माँ ने मेरी चूत देख कर उस पर हाथ फेरते हुए कहा- बेटी अब तू जवान हो गई है.. अब अगर तुझे कोई चोद देगा तो तू माँ बन जाएगी।
‘क्या?’
माँ- हाँ बेटी.. तू माँ बनने लायक हो गई है।
मैंने कहा- माँ कैसे बनूँगी?

माँ ने बताया तो मैं खुश हो गई।

‘कल तू देखना कि मैं कैसे अपनी चूत में लण्ड डलवाती हूँ और हाँ अन्दर मत आना..’

फिर हम माँ-बेटी सो गए।

सुबह रूपा स्कूल चली गई और हम माँ-बेटी बैठे थे कि दरवाजे की घंटी बजी।
माँ ने कहा- वो आदमी आ गया है..

मैं अपने कमरे में चली गई।
माँ ने दरवाजा खोला.. वो आदमी अन्दर आया कुछ बात करने के बाद उसने माँ को गोदी में उठा कर बिस्तर पर चला गया।

चूत चुदाई का खेल शुरू हो गया।

वो माँ के मम्मों को दबा रहा था.. तो माँ के मुँह से आवाजें निकल रही थीं- और ज़ोर से मसल डालो.. इस रंडी के मम्मों को..
वो आदमी जोरों से माँ के मम्मों को मसलने लगा। फिर उसने माँ को नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया।

माँ उसका लण्ड चूसने लगीं और वो माँ के मुँह को चोदने लगा। कुछ देर के बाद उसके लण्ड से पानी निकल गया और माँ का भी पानी निकल गया.. तो दोनों लेट गए।

जब माँ को थोड़ी मस्ती सूझने लगी तो वे उसका लण्ड हिलाने लगीं।
उसका लण्ड सख्त होता चला गया।

फिर दोनों जोश में आ गए। माँ लेट गईं.. माँ की चूत लण्ड लेने के लिए तैयार हो गई थी।
वो आदमी माँ के मम्मों को मसल रहा था.. चूत पर लण्ड रगड़ रहा था।
माँ तो मानो लण्ड लीलने के लिए मरी जा रही थीं।

वे ज़ोर-ज़ोर से आवाजें निकाल रही थीं, माँ उसके हाथ जोड़ रही थीं कि पेल दो.. माँ के बहुत कहने पर वो मान गया।
वो कहने लगा- एक बार में डालूँगा।

माँ राज़ी हो गईं.. तो उसने माँ की चूत के मुँह पर लण्ड रखा और एक झटके में लौड़ा अन्दर कर दिया तो माँ तड़प उठीं।
कुछ दर्द कम हुआ तो वे उछल-उछल कर चूत चुदाने लगीं।

करीब 15 मिनट के बाद दोनों का पानी निकल गया। उन दोनों ने रात भर में चार बार चुदाई की।
मैं ये सब देख रही थी.. तो मेरा पानी निकल गया था।

सुबह माँ चल नहीं पा रही थीं.. फिर आदमी ने माँ को 3000 रूपए दिए और चला गया।
फिर आंटी आ गईं.. मुझे देख कर हैरान हो गईं कि मैं यहाँ पर थी।

आंटी ने माँ से पूछा.. तो माँ ने बताया- डरने की कोई बात नहीं.. मेरी बेटी जवान हो गई है.. कल ही महीना से हुई है अब ये भी रंडी की बेटी है.. तो रंडी ही तो बनेगी।

आंटी सुनकर खुश हो गईं ‘सच मेरी राखी रंडी.. ये भी रंडी बनना चाहती है?

माँ ने ‘हाँ’ कहा.. आंटी ने कहा- कल भेज दूँ क्या..?
पर माँ ने मना कर दिया- अभी अपनी बेटी को पूरा तैयार करना है।

आंटी मान गईं और माँ से अपना हिस्सा लेकर चली गईं।

माँ इस तरह रोज चुदवाती हैं, मैं देखती रहती हूँ। माँ का रेट 3000 रुपए है।

एक दिन माँ को पता चला कि वे पेट से हो गई हैं तो हम सब राजस्थान छोड़ कर कलकत्ता चले गए हैं और वहाँ एक कोठा बना लिया है।
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