मैं फिर से चुदी-2

(Main Fir Se Chudi- Part 2)

मस्तराम 2008-11-05 Comments

कहानी का पिछला भाग: मैं फिर से चुदी-1

मुकेश को मौका मिला और वो मुझ पर चढ़ गया. उसने फिर से 3-4 चांटे मेरे गाल पर मारे और जल्दी से मेरे दोनों बोबों को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें तेजी से चूसने लगा. उसके चूसने का तरीका ऐसा था कि मुझे लगने लगा कि जैसे वो दूध निकाल लेगा. वो बार-बार मेरे चुचूकों को काट रहा था उसकी यह हरकत मुझे बेचैन करने लगी मेरे स्तनाग्र सख्त होने लगे और उसका असर चूत पर भी होने लगा. चूत अब गीली होने लगी थी, मुझे मेरी बेबसी पर तरस आने लगा कि आखिर मेरी चूत इतनी जल्दी हथियार क्या डाल देती है.

अब मुकेश उठा, उसने इधर उधर देखा और एक परदे को जोर से खींच उसकी डोरी निकाल ली, उसने मेरे दोनों हाथ पीछे किये और डोरी से बांध दिए. मुकेश अब खड़ा हुआ उसने अपने कपड़े उतारना शुरू किया. मैंने शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर ली.

थोड़ी देर में मुकेश मेरे सामने आया और बोला- आँखे खोल!

मैंने डर के मारे आँखे खोली तो दंग रह गई, सामने मुकेश का 10 इंच का लौड़ा किसी फन फहराते सांप की तरह लहरा रहा था. यही नहीं उसकी मोटाई को देखकर तो मैं दंग रह गई. उसका लौड़ा जीजू के लौड़े से लम्बा भी था और मोटा भी! लेकिन जहाँ जीजू का लौड़ा गुलाबी था, वहीं इसका लौड़ा बिल्कुल काला!

मुकेश ने अपने लंड को मुझे इस तरह तकते हुए देखा तो वो बोला- चिंता मत कर! इसके सारे उपयोग तेरे पर ही होंगे!
मुकेश ने मेरे बाल पकड़े और अपने लौड़े को बिल्कुल मेरे मुँह पर लाकर बोला- इसको चूस चूतमरवानी!

मैंने गर्दन हिलाकर मना किया तो उसने अपने लंड को जबरन मेरे मुँह में घुसा दिया, मेरा पूरा मुँह उसके लौड़े से भर गया, मैं उसका लौड़ा चूसने लगी.

मुकेश मेरे फ़ूले गालों पर थपकियाँ देता रहा और कहने लगा- तेरी चिकनी जांघों पर मेरी कब से नजर थी बहन की लौड़ी! मैं तो कब से सोच रहा था कि तेरी चूत देखने को मिलेगी, कब अपना लंड उसमें घुसाने का मौका मिलेगा, मेरी छप्पन-छूरी! आज तो तेरी चूत, तेरी गांड, तेरे बोबों के इतने मज़े लूँगा और दूंगा कि तू तो क्या, तेरी अम्मा भी मुकेश को याद करेगी.

मुकेश का लौड़ा चूसते चूसते मेरा हलक सूखने लगा था लेकिन मेरी चूत तरबतर हो गई थी और शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना भर गई थी, मैंने मुकेश से कहा- मेरा हलक सूख रहा है!

मुकेश ने कुछ सोचा और फिर मेरे मुँह को कसकर पकड़ लिया और उसमे पेशाब की धार छोड़ दी.
न चाहते हुए भी मुझे मुकेश के लौड़े से पेशाब को पीना पड़ा.
अब मैंने सोचा कि चुदाई तो होनी ही होनी है! तो फिर मज़े से ही क्यों नहीं करवाऊँ! मैंने मुकेश से कहा- मेरे हाथ खोल दो! तुम जैसा कहोगे, मैं वैसा ही करूँगी!

मुकेश ने मेरी आँखों में देखा, शायद उसने मेरी आँखों के वासना के डोरे पढ़ लिए और उसने मेरे हाथ खोल दिए. मैंने लपक कर मुकेश का लौड़ा लिया और अपने मुँह में भर लिया. मुकेश मेरे बालों से अठखेलियाँ करता रहा और मैं उसका लौड़ा चूसती रही. मुकेश मुझे अनवरत गालियाँ भी दिए जा रहा था- बहन की लौड़ी, रंडी की औलाद, गंडमरी चूस! जोर से चूस! निकाल ले इसका सारा माल और पी जा!

थोड़ी देर में मुकेश ने अपना सारा वीर्य मेरे मुंह में छोड़ दिया, मैं गटागट सारा वीर्य पी गई, मुझे भी मस्ती चढ़ गई थी, मैंने मुकेश से कहा- बहन के लौड़े! अब तू भी तो मेरी चूत का रस निकाल! मुकेश ने मुझे जमीन पर लिटाया और अपनी जीभ मेरी चूत के दोनों होठों पर रख दी. मैं तो निहाल हो गई, मुकेश मेरी चूत को चूसने लगा, मैं मुकेश के सर पर हाथ फिराने लगी.

अब गालियाँ देने की बारी मेरी थी- ओ भाडू की औलाद, तेरी बहन की चूत में इतने लौड़े घुसें कि उसकी चूत में पूरा आगरा समा जाये! तेरी माँ को पूरा देश चोदे! तेरी माँ की चूत में गधे का लंड! तेरी बहनों की चूत में कुत्ते का लौड़ा! गांडू की औलाद, गांडू चूस! चूस इस चूत के रस को!

मुकेश ने अपनी जीभ चूत के पूरे अन्दर तक घुसा दी थी. मुझे एसा लग रहा था कि दुनिया यहीं थम जाये!

मैं अब अपने चूतड़ों को थिरकाने लगी. थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मुकेश सारे पानी को चाट गया जैसे कुत्ता हड्डी को चूसता है.

अब मुकेश ने मुझे उल्टा कर दिया, मैं समझ गई कि अब मेरी गांड का तबला बजने वाला है. मुकेश ने गांड में अंगुली डाली तो मैं चिंहुक उठी, मैंने कहा- भाडू धीरे धीरे कर!

उसने कहा- तू शकल से तो लगती नहीं है कि इतनी बड़ी छिनाल होगी? यह तो बता कि अपनी चूत किस से चुदवाई है?
मैं बोली- मेरे गांडू जीजा से!
वो बोला- अरे तेरी बड़ी बहन नीलम के पति से?
मैंने कहा- ठीक कहा!
मुकेश बोला- उस भाडू को भी कौन सा सील-पाक माल मिला है!
मैंने कहा- क्या मतलब?
उसने कहा- अरे कोई मतलब-वतलब नहीं! तेरी बहन भी तो मेरे ऑटो में ही तो जाती थी, उससे मालूम कर लेना कि मुकेश का लौड़ा कैसा लगा?

ओ हो! दीदी भी शादी से पहले अपनी सील तुड़वा चुकी थी? मैंने मुकेश से कहा- यह कब और कैसे हुआ?
उसने कहा- पहले तू आम खा! अपनी दीदी के पेड़ बाद में गिनना!

मुकेश ने अब अपनी जीभ मेरी गांड में घुसा दी, मुझे बड़ा अजीब सा लगा. मैंने मुकेश से कहा- मेरी गांड से अपनी जीभ निकाल! यह गन्दी जगह है.
मुकेश ने कहा- रानी, हम जिस से प्यार करते हैं, उसकी कोई चीज भी हमें गन्दी नहीं लगती.
मैं उसकी बात सुनकर निहाल हो गई.

मुकेश की जीभ का स्पर्श मेरी गांड को बहुत अच्छा लग रहा था. वो मेरी गांड में जीभ फिरा फिरा कर इस तरह चूस रहा था कि मैं आपको भी सलाह देना पसंद करूँगी कि अपनी गांड में किसी मर्द की जीभ जरूर चटवाना! आपकी गांड मस्त हो जाएगी.

मुकेश जब मेरी गांड को अच्छी तरह से चाट चुका, उसके बाद वो मेरे चूतड़ों को चूसने लगा, कई बार वो अपने दांत भी लगा देता.

मैं इतनी मस्त हो गई कि मैंने मुकेश से कहा- अगर गांड मारनी है तो जल्दी कर!
मुकेश ने कहा- तू घोड़ी बन!

मैं घोड़ी बनी ही थी कि मुकेश ने अपना लौड़ा मेरी गांड के मुँह पर लगा दिया और ठक ठक कर घुसाने लगा. मैं दर्द से तड़प उठी, मैंने कहा- मादरचोद, क्या गांड फाड़ेगा? पहले लौड़े को चिकना तो कर!

लेकिन उसने मेरी एक भी नहीं सुनी और वो अपना लौड़ा मेरी गांड में पेलता रहा. धीरे धीरे उसने पूरा लौड़ा अन्दर कर दिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया. मैं आनन्द के सागर में डूब गई, मुकेश का लौड़ा मेरी गांड के अन्दर था तो उसके दोनों आंड मेरे चूत और चूत के बीच टकरा रहे थे.
मुकेश ने मेरे दोनों बोबों को सहारे के लिए पकड़ रखा था. हर धक्के के साथ छातियाँ खूब मसली जा रही थी.

मुकेश का लौड़ा मुझे गांड में ऐसा लग रहा था जैसे कोई जहाज समुन्दर को फाड़ता हुआ जा रहा हो. आप यह न समझ लेना कि मेरी गांड समुन्दर थी, बल्कि मुकेश का लौड़ा जहाज था.
15 मिनट तक मेरी गांड की मराई के बाद मुकेश के धक्के तेज हो गए, वो हाँफने लगा और बुदबुदाने लगा- मेरी जान, तेरी गांड की खूबसूरती पर मैं कुर्बान!

मुकेश अब हर धक्के के साथ मेरी गांड को भी मसल रहा था, नोच रहा था, चुटकियाँ भर रहा था.

और फिर उसने अपने सारे लंड की मलाई यानि वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया. मेरी गांड में जैसे गरम गरम लावे का सैलाब आ गया हो! मैं जमीन पर गिर गई और मुकेश मेरे ऊपर!

कहानी का अगला भाग: मैं फिर से चुदी-3

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