मस्तानी लौन्डिया-4

(Mastani-Laundia- Part 4)

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नमस्कार दोस्तो, मेरी कहानी को पढ़ कर बहुत लोगों ने मुझे मेल किया और मुझसे निशु के साथ के सेक्स मजे के बारे में और लिखने को कहा। अपने उन सभी पाठकों के लिए मैं उससे आगे की घटना ले कर आया हूँ।

जब सुमित को पता चला कि अनवर ने भी निशु की कमसिन जवानी का मजा लूट लिया है तब उसने भी निशु के साथ सेक्स करने की इच्छा जताई।

सुमित और अनवर निशु के लिए नये नहीं थे और जब से उसने वो ताश का खेल हम लोगों के साथ खेला था तब से ही उसको पता था कि उसको मेरे दोनों दोस्त आज न कल चोदेंगे ही।
साथ ही मैं भी कहता कि तुम परेशान न हो, वो अगर सेक्स करेंगे भी तो हमेशा नहीं एक दो बार ही करेंगे, क्योंकि उनको पता है कि तुम मेरी बहन कम गर्लफ़्रेन्ड ज्यादा हो।

मानसिक रूप से निशु भी अनवर से चुदाने के बाद सुमित से सेक्स करने के लिए तैयार थी।
जब सुमित ने मुझे अपनी इच्छा बताई तो मैंने उसको सीधे निशु से बात करने को कहा।

अगले रविवार को हम तीनों दोस्त जमा थे और निशु चिकेन पका रही थी कि फ़िर सुमित ने यह बात की। तय हुआ कि आज खाने की मेज पर सुमित निशु से बात कर ले।

जैसा तय था, खाने की मेज पर सुमित ने निशु से पूछ लिया कि क्या वो उसके साथ एक बार सेक्स करेगी।

निशु भी मुस्कुरा कर बोली कि वो तो बहुत पहले से ही ये सोच रही है कि इतने दिनों तक आखिर सुमित भैया यह बात कह क्यों नहीं रहे हैं और फ़िर उसने तीन चार दिन बाद की बात कही क्योंकि तब उसके पीरियड्स के दिन शुरु हो गये थे।

अनवर ने ठहाका लगा कर जोर से कहा- ‘के एल पी डी’

और हम सब हंसने लगे। सुमित का चेहरा देखने लायक था। फ़िर वो निशु से बोल पड़ा- ठीक है पर रोकने का मुझे हर्जाना देना होगा।

निशु भी हंसते हुए पूछन लगी- क्या?

और सुमित ने कहा-तुम्हें मुझसे अपनी गाण्ड भी मरवानी होगी!

मुझे पता था कि सुमित साला एक नम्बर का हरामी है और चुदाई के मामले में वो लड़की से पूरा मजा लूटता है।

अब मुझे निशु के जवाब का इंतजार था, उसका जवाब तुरंत आया- नहीं रे बाप, जब आगे घुसवाने में इतना दर्द होता है तब वहाँ करवाने में तो मैं मर जाउँगी!

पर सुमित भी मिन्न्तें करने लगा। जहाँ निशु कहती कि नहीं और सुमित कहता- सिर्फ़ एक बार! इसके बाद वो कभी निशु से सेक्स की मांग नहीं करेगा।

थोड़ी देर बाद जब निशु का सुर बदलने लगा तो मुझे भी लगने लगा कि अब निशु को सेक्स में पूरा पी0एच0डी0 मिल जायेगा।

निशु ने तब कहा था- अभी तक सिर्फ़ मैंने सुना है गाण्ड चोदन के बारे में!

तब अनवर ने भी निशु को चढ़ाया कि वो एक बार यह अनुभव भी ले।

निशु ने तब मुझसे पूछा कि क्या मैंने कभी ऐसा किया है, और मैंने सच कह दिया कि नहीं, पर साथ ही कहा कि सुमित ही ऐसा करता रहता है लड़कियों के साथ, वो इस मामले में अनुभवी है।

अनवर ने अपनी बात कही कि उसने दो-चार बार गांड मारी है और उसको खूब मजा आया, पर सब लड़कियाँ राजी नहीं होती हैं इसलिए बहुत मौका नहीं मिला।

सुमित ने उसको तब आश्वस्त किया कि वह निशु को खूब प्यार से पहले गांड मरवाना सिखाएगा और तब उसकी गाण्ड मारेगा।

निशु भी तब बोली- ठीक है, पर अगर मुझे दर्द हुआ तो आप भी रुक जाएँगे!

और मुझे और अनवर को इसकी गारंटी लेने को कहा। मुझे तो कोइ आपत्ति होनी नहीं थी। मैं खुश था कि चलो अब निशु के साथ मुझे और ज्यादा मजा का मौका मिलेगा। आखिर सुमित से गाण्ड मराने के बाद उसको मुझसे तो मरवाना ही था।

तय हुआ कि सुमित रोज़ शाम को एक घण्टा निशु के साथ बितायेगा और धीरे धीरे उसके डर को एक सप्ताह में खत्म करेगा।

गुरुवार को सुमित का फ़ोन आया कि आज वो शाम आठ बजे आयेगा। उस दिन वो एक डी वी डी लाया जिसमें करीब बीस क्लिप थी, सब में 20-22 साल की लड़कियों को चोदा गया था और गाण्ड भी मारी गई थी। दो क्लिप भारत की भी थी।

चाय पीने के बाद सुमित ने उस फ़िल्म को चला दिया और फ़िर निशु को अपने सोफ़े के सामने टीवी की तरफ़ मुँह करके झुकने को कहा।

निशु सेन्टर टेबल के सहारे झुक गई और फ़िल्म देखने लगी। सुमित ने उसका लम्बा स्कर्ट कमर से ऊपर कर दिया और फ़िर पैन्टी खोल दी।

निशु अब तक बिल्कुल बेशर्म हो गई थी, बोली- आप तो बोले थे कि मुझे पहले सिखाएँगे कि कैसे किया जाता है, फ़िर अभी क्यों?

सुमित हँसा- हाँ मुझे याद है! आज तुमको सिखाउँगा ही, कुछ दिन में जब तुमको अपनी गाण्ड की मांसपेशियाँ खुद ढीला करना आ जायेगा तब पेलूंगा भीतर!

और फ़िर उसने निशु की बुर पर हाथ फ़ेरना शुरु किया। फ़िल्म देखते हुए और बुर को ऐसे मसलवाते हुए निशु भी धीरे धीरे कसमसाने लगी। जब उसकी बूर पनीया गई।

तब सुमित ने उसकी बुर के पानी को ही उसकी गाण्ड के छेद पर लगाया और फ़िर थूक लगा लगा कर निशु की गाण्ड से खेलने लगा। उसका एक हाथ बूर के साथ खेल रहा था और एक हाथ गाण्ड के साथ।

15 मिनट बाद सुमित ने अपनी उँगली निशु की गाण्ड में ठेली। उसकी उँगली के दबाब को महसूस कर निशु पीछे पलटी, पर फ़िर उसको पता था कि क्या होना है सो वापस अपना ध्यान टीवी पे ले गई।

इसी तरह से रोज़ गाण्ड में उँगली करते करते चार दिन बाद रविवार को जब अनवर भी था तब सुमित ने हमें दिखाया कि निशु अब बड़े प्यार से अपना गाण्ड ढीली करके दो ऊँगलियाँ भीतर ले रही थी।

इस चार दिनों में जिस तरह से निशु को तैयार किया जा रहा था, उसमें निशु को खुद मजा आने लगा था। उसे लगता था कि वो एक स्पेशल लड़की है।
मैंने भी जब उसको चोदा या घर में जब मौका मिला उसकी गाण्ड में उँगली जरूर की। उसको अब समझ में आने लगा था कि इस काम का एक अलग मजा है।

मंगल को एक छुट्टी थी, तय हुआ कि उसी दिन दोपहर में निशु की गाण्ड का उदघाटन हो। सुमित ने निशु को पेट साफ़ करने के लिए दवा दी और कहा कि सोमवार की रात वो उसे खा ले और फ़िर मंगल को जब तक उसकी गाण्ड नहीं मारी जाती वो खाली पेट रहे।

मैं और अनवर ऐसे बेचैन हो रहे थे कि जैसे एक बहुत बड़ा कारनामा देखने वाले हो। सच में हमने कभी किसी लड़की को गाण्ड मरवाते नहीं देखा था और वो भी जब वो पहली बार ऐसा करवा रही हो।

हम यह जानते थे कि सुमित अक्सर लड़कियों की गाण्ड मारता है पर हम सबने जब भी साथ-साथ सेक्स किया, सुमित ने लड़की को चोदा ही था।

मुझे अब मंगल का बेसब्री से इंतजार था, क्योंकि मेरे लिए पहला मौका होता जब मैं किसी लड़की को गाण्ड मराते देखता, हालाँकि ब्ल्यू फ़िल्मों में मैंने कई बार देखा था फ़िर भी एकदम सामने किसी लड़की को पहली बार गाण्ड मराते देखना कम किस्मत बात नहीं थी।

मंगल को करीब 11 बजे सुमित आया। अनवर उसके पहले ही आ गया था। हम सबने चाय पी जो निशु ही बनाई।

चाय पीने के बाद सुमित बोला- निशु अब जाओ और अपनी बुर और गाण्ड अच्छे से धो लो, फ़िर मैं भी अपना लण्ड धो कर तुमको एकदम नया मजा देता हूँ!

अब तक निशु भी अपनी गाण्ड में लण्ड का मजा लेने के लिए उत्सुक हो गई थी, बोली- भीतर चलिए न सुमित भैया कमरे में! वही कपड़े खोल कर बाथरुम में धोकर बिस्तर पर आ जाऊँगी!

हम सब अब बेडरुम में आ गए। सुमित ने अपने कपड़े खोले और फ़िर अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बाथरुम की तरफ़ बढ़ गया। निशु ने भी अपना टॉप-स्कर्ट खोल दी और सिर्फ़ पैन्टी में बाथरुम की तरफ़ चल दी।

सुमित अब वापस आ रहा था। उसका लण्ड अब आधा कड़ा हो गया था। उसने जब निशु को पैन्टी पहने देखा तब बोला- अब निशु, पैन्टी भी खोलो ना, अब हम तीनों से क्या शर्म है तुमको!

निशु मुस्कुराई और वहीं खड़े हो कर पैन्टी नीचे करके पैर से फ़ुटबाल को किक करने के स्टाईल में उसको अनवर और मेरी तरफ़ उछाल दिया। अनवर ने उस पैन्टी को कैच किया और उसकी खुशबू लेने लगा।

वो उसको ऐसे करते देख जोर से हँस दी, बोली- आप तीनों को मैं भैया बोलती हूँ, फ़िर भी आप लोग कितने बेशर्म की तरह मेरे लिए करते हैं।

अनवर साला अब कहाँ चुप रहता, बोला- अरे तुमको भी तो हम लोग छोटी बहन समझ कर ही प्यार करते हैं। अगर हम लोग इस जवानी में तुम्हारा ख्याल नहीं करेंगे तब तुम भी जैसे हम कभी कभी रंडी-बाजी करते हैं, किसी ऐरे-गैरे से चुदाने लगी तब बदनामी होगी की नहीं। यही सोच कर हम लोग तुम्हें इतना खुश रखते हैं। अब देखो आज तुम्हारी गांड के लिए हम सब कितने दिन से बेचैन हैं।
सुमित भी हँसते हुए जोड़ दिया- वैसे भी हम लोगों को बहनचोद कहलाने में कोइ परेशानी नहीं है!

और मेरी तरफ़ देख कर आँख मार दी।

‘सही में तुम लोग बहनचोद हो’, कहते हुए निशु बाथरुम में घुस गई।

शेष कहानी अगले भाग में!
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