सुलगते जिस्म

जॉब के चलते हम लोग भोपाल से झांसी चले आये थे. मेरे पति और मैंने किराये का एक मकान देख लिया था. वहां पर मकान मालिक का लड़का मेरी नजरों को भा गया. एक दिन जब मैं घर पर अकेली थी तो मुझसे रहा न गया। मगर क्या उसके मन में भी वही सब कुछ चल रहा था?

सुलगते जिस्म-2

On 2006-04-08 Category: पड़ोसी Tags:

नई जवानी थी … कुछ ही देर में वो फिर से तरोताज़ा था। मेरी चूत को अब उसका लंबा और मोटा लौड़ा चाहिये था। उसके लिये मुझे अधिक इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। मैंने उसे अपनी चूंचियाँ दर्शा कर प्यार से फिर उकसाया। उसका नंगा बदन मुझे बार बार चुभ रहा था … मेरी चूत उसका […]

सुलगते जिस्म-1

On 2006-04-07 Category: पड़ोसी Tags:

झांसी एक एतिहासिक नगर है, वहां के रहने वाले लोग भी बहुत अच्छे हैं … दूसरों की सहायता तहे दिल से करते है। मेरे पति के साथ मैं झांसी आई थी। मेरे पति की नौकरी झांसी से लगभग 10 किलोमीटर दूर बी एच ई एल में थी, हम भोपाल से स्थानान्तरित होकर झांसी आये तो […]

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