एक ही बाग़ के फूल

मेरे घर के पास आये नए किरायेदार की जवान लड़की मुझे पसंद आ गयी. मैं उसकी जवानी का स्वाद चखना चाहता था. उनका हमारे यहाँ आना जाना हो गया था.

एक ही बाग़ के फूल-6

दरवाजे पर छाया की माँ थी, वो अंदर आ गयी और मेरे से लिपट कर चूमने चाटने लगी। मैं घबरा गया कि अंदर उसकी बेटी नंगी पड़ी है. तो मैंने क्या किया?

एक ही बाग़ के फूल-5

बात करते करते मैंने उसकी जांघों पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। चिकनी चिकनी जांघों पे हाथ फेरते हुए मैं कभी कभी अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स में डाल देता।

एक ही बाग़ के फूल-4

"देख, यही लंड तेरी मम्मी के और तेरी बहन के चूत में जायेगा और दोनों सिसकारियां ले ले कर मेरे लंड से चुदेंगी।" ऐसी गन्दी गन्दी बातें करते करते मेरा लंड सख्त हो गया।

एक ही बाग़ के फूल-3

अपने पड़ोस की मां बेटी को मैं पटा चुका था बस चोदना बाक़ी था. एक दिन उनका लड़का मेरे घर आया तो मौक़ा कुछ ऐसा बना कि सेक्स की बात होने लगी. फिर मैंने क्या किया?

एक ही बाग़ के फूल-2

मैं आंटी को नंगी नहाती देखने लगा था खिड़की से. उन्होंने मुझे देख लिया तो क्या सलूक किया मेरे साथ? और उधर उनकी कमसिन बेटी पर मैं अपनी वासना दृष्टि गड़ाए था.

एक ही बाग़ के फूल-1

हमारे घर के सामने एक नए किरायेदार आये. उस परिवार की माँ और बेटी दोनों मस्त माल थी. लेकिन मेरी नजर उनकी कमसिन बेटी पर थी मैं उस पर ट्राई मारने लगा.

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