मकान मालकिन आंटी की कामुकता

(Makaan Malakin Aunty Ki Kamukta)

सतीश पटेल 2015-12-06 Comments

मैं भी राजकोट (गुजरात) का हूँ.. तब मुझे यहाँ पढ़ने के लिये एक कमरे की जरूरत थी। मैं हमारे रिश्तेदार के करीबी दोस्त के यहाँ रहने के लिए गया, उनके यहाँ एक कमरा खाली था।

जब मैं उनके घर पहुँचा तो अंकल.. जिनकी उम्र 50 वर्ष की होगी.. ने दरवाजा खोला। मैं अन्दर गया.. उनसे थोड़ी देर कमरे के विषय में बातचीत की.. इतने में आंटी जिनका नाम सीमा था.. चाय लेकर आईं..

मैं उनको देखता ही रह गया।
क्या दिखती थी.. एटम बम्ब.. जैसा माल.. उनकी फिगर 38-30-38 की होगी और 43 वर्ष थी जरूर.. लेकिन लगती 38 की थीं। उनकी गाण्ड बहुत मदमस्त लग रही थी। जब वो चलती थीं.. तो उनकी गाण्ड पूरी मस्ती से थिरकती थी.. मेरा मन तो करता था कि दौड़ कर उनको पकड़ लूँ और एकदम से उनकी गाण्ड में अपना पूरा लण्ड घुसेड़ दूँ।

खैर.. अंकल से बात तय हो गई.. उनका दो मंज़िला मकान था। ग्राउंड फ्लोर पर वो रहते थे.. और मैं ऊपर के फ्लोर पर जहाँ एक कमरा खाली पड़ा था वहाँ पर रहने लगा।

उनके घर में वो दो ही लोग थे.. उनकी एक बेटी भी थी.. पर उनकी शादी हो चुकी थी। अंकल एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और सुबह 9 बजे निकलते और शाम को 6 बजे वापस आते थे।

थोड़े दिनों के बाद हम घुल-मिल गए और आंटी और अंकल मुझे अपने घर का ही सदस्य समझने लगे थे। मैं भी उनके हर काम में मदद करता था। मुझे बाहर के खाने से थोड़ी दिक्कत हो रही थी.. इसलिए आंटी के मुझे शाम का खाना अपने साथ ही खाने को कह दिया।
अब मैं शाम का खाना उनके पास ही खाने लगा।

जब भी मैं उनके घर में बैठ कर टीवी देखता या खाना खा रहा होता.. तो आंटी की मचलती गाण्ड और मटकते मम्मों को ही घूरता रहता था। आंटी ने भी मुझे कई बार देखते हुए देखा भी था लेकिन कभी कुछ कहा नहीं।
जब भी कभी मैं उनके नाम की मुठ्ठ मारने का मन होता था। तो वहाँ घर के पीछे एक ही बाथरूम था.. मुझे वहीं जाना पड़ता था।

एक दिन में सुबह नहा रहा था। मुझे पूरा नंगे होकर नहाने की आदत है। उन दिन मैं बाथरूम का दरवाजे में कुण्डी लगाना भूल गया था, तभी आंटी कुछ काम से आईं.. और दरवाजे को धक्का देकर खोल दिया।
अन्दर मैं उनके सामने नंगा खड़ा था.. वो मुझे और मेरे लण्ड को घूर रही थीं।
मैंने झपट कर दरवाजा बंद कर दिया।

उन दिन से मेरे प्रति आंटी का बर्ताव कुछ बदल सा गया था। जब मैं नीचे आता.. तो वो मुझे अलग नज़रों से देखतीं.. और नॉटी सी स्माइल दे देतीं लेकिन मुझे कभी हिम्मत नहीं हुई।
एक दिन मैं लौटा.. तो आंटी ने मुझे बताया कि अंकल काम की वजह से देर से आने वाले हैं। मेरे मन में एक ख़याल आया और मैं नहाने के लिए चला गया। मैं आंटी को चोदने का प्लान बनाने लगा.. मेरा लण्ड कड़ा हो गया था। वैसे ही मैं तौलिया लपेट कर जानबूझ कर आंटी के सामने से कमरे में आ गया।

आंटी मेरे पीछे-पीछे आ गईं.. जब वो कमरे में आईं.. तो मैंने अपना तौलिया गिरा दिया और ऐसे दिखाया की तौलिया गलती से निकल गया हो.. वो मेरे खड़े लण्ड को तीखी नज़रों से देखे जा रही थीं और शर्माते हुए भाग गईं।

उन रात में मैं करीब 10 बजे टीवी देख रहा था.. तभी आंटी मेरे पास आकर बैठ गईं और मुझसे पूछने लगीं- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेण्ड है?
मैंने कहा- नहीं..
उन्होंने फिर पूछा- मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?
मैंने कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।

तब वो खिसक कर मेरे और नजदीक आकर बैठ गईं और मेरे लण्ड को पैन्ट के ऊपर से ही सहलाने लगीं.. मेरा लण्ड भी एकदम से कड़ा हो गया।
अब मैं भी आउट ऑफ़ कंट्रोल हो गया और मैंने आंटी को अपनी बाँहों में भर लिया।

मैंने अपने होंठों को उनके होंठों पर रख दिए और बेताबी से किस करने लगा। तभी दरवाजे की घन्टी बजी.. और हम दोनों अलग हो गए।
बाहर अंकल आ गए थे। हम सभी खाना खाने बैठ गए। आंटी मेरी तरफ़ सेक्सी नजरों से देख रही थीं और टेबल के नीचे से मेरे पैर को अपने पैर से सहला रही थीं। मैं डर गया और मैंने अपना पैर पीछे खींच लिया। ख़ाना खाने के बाद हम टीवी देख रहे थे।

करीब 11 बजे मैं और अंकल सोने के लिए चले गए.. लेकिन आंटी अभी टीवी देख रही थीं।
मुझे भी नींद नहीं आ रही थी.. मेरी नज़रों के सामने आंटी घूम रही थीं..

करीब 12 बजे होंगे.. मेरी आँख लगने ही वाली थी.. तभी किसी ने हल्के से मेरा दरवाजा खड़काया.. मैंने झपट कर दरवाजा खोल दिया.. मुझे पूरी उम्मीद थी कि चुदासी आंटी ही होगी।
रवाजा खोला तो देखा कि आंटी ही खड़ी थीं.. वो चूत खुजाते हुए कमरे में अन्दर आईं और मेरे ऊपर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी। वो मेरे कपड़े उतारने लगीं और मुझे किस करने लगीं।

मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और किस करने लगा। उनको भूखे चोदू की तरह चूसते हुए उसी हालत में ही मैंने दरवाजा बंद किया और दोनों हाथों को उनकी गाण्ड के ऊपर फेरने लगा, करीब 5 मिनट तक हम दोनों किस करते रहे।
इसी दरमियान मैं उनकी गाण्ड और मम्मों को खूब दबाया।

मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को एक झटके में ही खींच कर उतार दिए.. फिर ब्रा और पैन्टी को भी उतार फेंका। अब हम दोनों मादरजाद नंगे खड़े थे।
मैंने उन्हें गोद में उठाया और बिस्तर पर ले गया, उनको बिस्तर पर बिठा कर उनकी टांगें फैला कर चूत चाटने लगा।
वो सिसकारियाँ लेने लगी थीं ‘आआअहह.. आह… आआउहह..’

मैं भी जोश में आ गया था, मैंने अपनी जीभ चूत में घुसेड़ दी.. वो एकदम से गर्म हो उठीं.. वो मुझे जीभ निकालने को कह रही थी ‘आह्ह.. आआआअ.. बस करो.. मुझे और प्यार करो.. आह.. अपना लण्ड घुसेड़ दो मेरी चूत में… आह..’ वो चुदास से भर कर बोले जा रही थीं।

अब मैंने अपना लण्ड उनके मुँह में दे दिया, वो उसे चॉकोबार की तरह चूस रही थीं, मैं उनके मम्मों को दबाए जा रहा था।
फिर मैंने उनको झुका कर घोड़ी बनने को कहा.. वो झट से अपनी गाण्ड मेरी तरफ़ करके हाथों को बिस्तर पर रख कर खड़ी हो गई। उनके इस तरह खड़ा होते ही मैंने अपना तैयार लण्ड उनकी लपलप करती गाण्ड में घुसेड़ दिया।

‘आआआ आआआहह… आआआ.. ओहह..’ वो चीखने कर बोलीं- दुख रही है.. ज़रा धीरे डाल.. मेरी गाण्ड फाड़ दोगे क्या?’
मैंने तबियत से उनकी गाण्ड मारने के बाद अपना लण्ड बाहर निकाला और उनकी चूत पर रख दिया और धक्का लगा दिया।
लण्ड अन्दर घुसता चला गया और कुछ ही पलों में लौड़े की जगह चूत में बनते ही मैं आगे-पीछे करने लगा।

बस कुछ ही देर बाद मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया और उनके मम्मों पर अपना माल पोत दिया।
वो भी झड़ गई थीं।

करीब 15 मिनट हम वैसे ही लेटे रहे।
उन्होंने मुझे बताया- जबसे हमारी बेटी हुई थी.. तब से तुम्हारे अंकल का चुदाई से इंटरेस्ट खत्म सा हो गया था। अब तो हमें चुदाई किए कई बरस हो गए.. आज तुमने मेरी प्यास बुझा दी।
मुझे उनके चेहरे पर एक अलग ही तेज दिखाई दे रहा था।
करीब 2 बजे वो मुझे किस करके चली गईं।

इसके बाद जब भी मौका मिलता है.. हम अलग-अलग स्टाइल में चुदाई करते हैं।

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