दोस्त की चुदक्कड़ मम्मी की चुदाई की

(Dost Ki Chudakkad Mammi Ki Chudai Ki)

दीवाना तेरा 2018-11-26 Comments

मम्मी और दादाजी की चुदाई से आगे:

दूसरे दिन नाश्ते की मेज पर मीठानंद बहुत खुश दिख रहे थे. प्रीति भी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी. आज उसने घूंघट नहीं किया था और मीठानंद से बातें भी कर रही थी. गौरव को यह देखकर कुछ अजीब सा लगा. अपना काम निपटाने के बाद गौरव कॉलेज के लिये चला गया.

इधर प्रीति ने अपना सारा काम निपटाया और नहाने के लिये बाथरूम में चली गई. उसने अपने पूरे कपड़े उतारे और शॉवर चालू कर दिया. ठंडे पानी की फुहार उसके शरीर पर पड़ने लगी. नहा धोकर प्रीति सजी संवरी और मीठानंद के रूम की ओर चली गई.

मीठानंद प्रीति को देखकर खुश हुए और उसे अपने सीने से लगा लिया. प्रीति आज बहुत सुंदर दिख रही थी. उसने अपने होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई थी, जिसे देखकर मीठानंद फिदा हो रहे थे. उन्होंने प्रीति के होंठों को अपने होंठों के बीच दबाया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे. उनका लौड़ा उनके पजामे ही खड़ा हो गया.

इधर गौरव पशोपेश में था कि आखिर उसकी मम्मी ने घूंघट क्यों नहीं किया और दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा क्यों रहे थे? उसका मन इन्हीं बातों में उलझा हुआ था. वह वापस अपने घर की ओर मुड़ गया. घर पर गया तो उसने दरवाजा खोला और हॉल में पहुंच गया. कोई नहीं दिखा तो वह दादाजी के कमरे की तरफ बढ़ा. वहां उसे हंसने और सिसकारियों की आवाजें आने लगीं. उसकी धड़कने बढ़ गईं. वह धीरे से दरवाजे तक पहुंचा और की-होल से झांका. झांकते ही उसके दिल की धड़कने इतनी बढ़ गईं कि उसकी आवाज उसे खुद सुनाई देने लगी. उसका शरीर कांपने लगा. उसने देखा कि दादाजी नंगे बिस्तर पर लेटे हैं और उसकी मम्मी अपने नर्म मुलायम लाल होंठों से दादाजी के कड़क लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूस रही हैं. उसका सर चकराने लगा.

जैसे-तैसे गौरव ने खुद को संभाला और मेरे पास यानि बबलू के पास आया. मैंने उससे पूछा- क्या बात है गौरव? आज इतना उदास और परेशान क्यों है?
गौरव- कुछ नहीं यार. बस अजीब सा लग रहा है. मुझे ऐसे लग रहा है, जैसे मैंने लड़कियों को चोदकर काई गलत काम किया है.
मैं चौंका- यह तू क्या बोल रहा है गौरव.. तू तो सेक्स के लिये कुछ भी करने को तैयार हो जाता है? फिर आज क्या बात हो गई कि तुझे अपनी गलती पर पछतावा होने लगा?

गौरव कुछ देर नाटक करता रहा. उसने मेरे साथ सिगरेट पी और शाम को व्हिस्की के पैग भी लगाये. नशा होते ही उसन सारी बातें बता दीं.
मैंने उसे समझाया कि इस तरह टेंशन मत ले यार. यदि तेरी मम्मी ने किसी के साथ सेक्स कर लिया है, तो अब तो तू कुछ नहीं कर सकता है. तेरी मम्मी इतनी सेक्सी हैं कि कोई भी उनके साथ सेक्स करने को तैयार हो जाये.
“हां यार.. पता नहीं भगवान ने मेरी मम्मी को इतनी सेक्सी क्यों बनाया?” गौरव उदासी से बाला.

“अरे यार. तू ये सब बातें छोड़ और हो सके तो तू भी अपनी मम्मी के मजे ले ले.” मैंने उस समझाया.
“क्या बकवास कर रहा है यार? भला अपनी मम्मी को कोई चोद सकता है क्या?” गौरव गुस्से में बोला.
“हां चोद सकता है यदि उसकी मम्मी खुद चुदाने को तैयार हो तो.” मैंने कहा.
“भला मेरी मम्मी मुझसे चुदवाने को क्यों तैयार होंगी?” गौरव जिज्ञासा से बोला.

मैंने उसे अपना प्लान समझाया. वह तैयार हो गया. उधर उसके दादाजी मीठानंद ने गौरव के पापा के आने तक प्रीति की खूब चुदाई की. उनकी चूत जी भरकर मारी. गौरव के पापा आने के दूसरे दिन ही वह गांव चले गए ताकि उनका राज नहीं खुले.

कुछ दिन बाद गौरव के पापा को 5 दिनों के लिये फिर से टूर पर जाना पड़ा. ये बात गौरव ने आकर मुझे बता दी. दिन में गौरव की मम्मी अकेले रहती हैं. मैं उनके घर पर गया. गौरव मेरे पीछे पीछे ही था. मैंने घंटी बजाई तो प्रीति आंटी ने दरवाजा खोला, मुझे देखकर बोली- अरे बबलू तुम.. गौरव तो कॉलेज गया है.
“नहीं, मुझे आपस कुछ काम था आंटी.” मैंने कहा.
“मुझसे..? मुझसे भला क्या काम है बबलू?” प्रीति आंटी चौंकी.
“पहले आप मुझे एक गिलास पानी पिलाइये. फिर मैं बताता हूँ क्या काम है.”

प्रीति आंटी ने मुझ सोफे पर बैठाया और पानी लेने किचन में गईं. मैं उनके पीछे गया और किचन में उन्हें अपनी बांहों में भर लिया. प्रीति आंटी चिल्लाईं- यह क्या बदतमीजी है. कोई मैनर्स हैं या नहीं तुझमें.. आवारा लड़कों की तरह हरकतें कर रहे हो?
मैं धीरे से मुस्कुराकर बोला- मैं आवारा ही सही.. पर आपने तो सारी मर्यादा भुलाकर अपने ससुर के साथ चुदाई का खेल खेला है.

यह सुनना था कि प्रीति आंटी का चेहरा फीका पड़ गया. वह सकपकाकर बोलीं- क्या बकते हो.. होश में तो हो.. तुम अनाप-शनाप बक जा रहे हो.
“मेरे पास सबूत है इसका. आपके और दादाजी के सेक्स के दौरान लिये गए फोटो हैं मेरे पास. कहो तो आपके पति को दिखा दूं.”

मैंने झूठमूठ ही फोटो वाली बात कही, ताकि वह ज्यादा न बोल सकें और मेरी बातों को मानने के लिये मजबूर हो जायें.
“तुम चाहते क्या हो? आखिर तुमने ये सब क्यों किया?” प्रीति आंटी बोलीं.
“तुम्हारी खातिर प्रीति डार्लिंग. तुम्हें कब से चोदना चाहता था और तुमने खुद मुझे वह मौका दे दिया है, बोलो मेरे साथ चुदवाने को तैयार हो या नहीं?” मैंने बेशरमी दिखाते हुए कहा.

आखिर प्रीति आंटी को मजबूरी में झुकना पड़ा और वे मुझसे चुदवाने को तैयार हो गईं. गौरव भी कमरे के बाहर से चुपचाप यह नजारा देख रहा था.

मैंने प्रीति आंटी को अपनी बांहों में भरा और उनके लिपिस्टिक से सने लाल रसीले होंठों को चूसने लगा. मैंने उनके सारे कपड़े खोले और चूत में उंगली डाल दी. शुरू में प्रीति आंटी कुछ असहयोग कर रही थीं. लेकिन गर्म होते ही वह भी साथ देने लगीं. मैंने अपने कपड़े खोले और नंगा हो गया. प्रीति आंटी झुकीं और मेरे लौड़े को अपने मुँह में भरकर चूसने लगीं. उन्होंने जब तक मेरा लौड़ा नहीं छोड़ा जब तक मेरा पानी नहीं निकल गया. वे सारा पानी मजे से चाट गईं.

मैंने बोला- वाह प्रीति आंटी आप तो खूब मस्त चुदक्कड़ हो.
प्रीति धीरे से मुस्कुराईं और मेरे सीने से लगते हुए कहने लगीं- तेरे लंड का रस बड़ा मस्त है.

हम दोनों का गर्म शरीर एक दूसरे से चिपकने लगा. ऐसा लगा जैसे वो मुझमें ही घुस जाएंगी या फिर मैं उनमें समा जाउंगा. मेरा लौड़ा फिर खड़ा हो गया. मैंने प्रीति आंटी को दीवार के सहारे खड़ा किया और उनकी चूत में खड़े-खड़े ही लंड डाल दिया. प्रीति आंटी ने भी शायद पहले खड़े रहकर चुदाई नहीं करवाई थी. उन्हें मजा आने लगा और साथ ही वह गांड उचका उचकाकर मेरा साथ देने लगीं. मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और तेज धक्के लगाने लगा. प्रीति के मुँह से ‘आहहह उहहह…’ की तेज आवाजें निकलने लगीं.

गौरव बाहर खड़ा हमारा चुदाई का खेल देखकर गर्म हो गया था. वह भी चुदाई में शामिल होना चाहता था, इसलिये बीच चुदाई में ही वह सामने आ गया. प्रीति आंटी उसे देखकर एकदम घबरा गईं और उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाल दिया. गौरव को देखकर उनके मुँह से आवाज़ नहीं निकल पाई.
गौरव गुस्से से चिल्लाया- मम्मी मैं सोच भी नहीं सकता.. आप ऐसा करेंगी?
“मुझे माफ कर दे बेटा. यह बबलू मुझे ब्लैकमेल करके यह काम जबरदस्ती करवा रहा है.” प्रीति आंटी ने रोनी सी सूरत बनाते हुए कहा.

मैं यह सुनकर हंसने लगा. प्रीति आंटी समझ नहीं पाईं.
फिर मैं हंसते हुए बोला- अब रहने भी दे गौरव.. जो हुआ सो हुआ. चल तू भी कपड़े उतार दे और चुदाई में शामिल हो जा.
प्रीति आंटी सकपका गईं, लेकिन मैंने पूरी बात बताई तो थोड़े से गुस्से के बाद वह गौरव से भी चुदवाने को तैयार हो गईं. अब हम तीनों नंगे खड़े थे.

प्रीति आंटी ने दूध मसलते हुए पूछा- अब पहले चुदाई कौन करेगा?
मैं बीच में ही बोल पड़ा- आंटी, हम दोनों एक साथ चुदाई करेंगे.
आंटी- दोनों एक साथ चोदने की मेरी बात समझ में नहीं आई?
मैंने उनको समझाया कि मैं पीछे से आपकी गांड मारूंगा और गौरव आगे से आपकी चूत में अपना लंड डालेगा.

यह सुनकर प्रीति आंटी डर गई और कहने लगीं- नहीं, मैंने आज तक अपनी गांड किसी से नहीं मरवाई है. प्लीज ऐसा मत करो. तुम दोनों बारी-बारी से आ जाओ. मैं दोनों को संतुष्ट कर दूंगी.

लेकिन मैं नहीं माना और प्रीति आंटी को मेरी जिद के आगे झुकना पड़ा. गौरव भी एक साथ चुदाई के लिये तैयार हो गया. मैंने गौरव से तेल मंगवाया और ढेर सारा तेल प्रीति आंटी की गांड पर और मेरे लंड पर लगा दिया. अब हम दोनों चुदाई के लिये तैयार थे. मैं पीछे से गांड के छेद पर अपना लंड रगड़ने लगा. प्रीति आंटी कुछ डरी हुई थीं.

रगड़ते-रगड़ते ही मैंने गांड के छेद में लंड का निशाना सैट किया और जोर का धक्का दे दिया. आधा लंड प्रीति आंटी की गांड में चला गया और वह जोर से चीख पड़ीं- आहह … मेरी गांड फट गई कमीने. तुझे समझाया था न कि मत मार मेरी गांड. कितना दर्द हो रहा है. गौरव तू समझा न इसे!

मैंने प्रीति आंटी के दर्द को अनदेखा करते हुए फिर लंड को धक्का दिया. एक दो धक्कों में पूरा लंड अन्दर चला गया. प्रीति आंटी के मुँह से आहह हहहह ओहह की आवाज निकलती रही. मैंने लंड को अन्दर बाहर करना चालू किया तो उनका दर्द कम हुआ. अब उन्हें भी मजा आने लगा.

इधर गौरव ने भी चूत पर निशाना साधा और अपना लौड़ा अपनी मम्मी प्रीति की चूत में डाल दिया. दोनों से एक साथ चुदवाने से प्रीति आंटी जोश में आ गईं और गौरव को अपनी बांहों में जकड़ लिया. गौरव ने भी हाथ बढ़ाये और प्रीति आंटी को अपनी बांहों में भर लिया. इधर मैंने भी प्रीति आंटी की कमर को अपनी बांहों में जकड़ लिया.

हम दोनों ने अपने अपने छेद में धक्के लगाना चालू किये. प्रीति आंटी एक साथ दोनों तरफ चुदाई करने से मस्त हो रही थीं. बहुत देर तक हमारी चुदाई चलती रही. मैंने तेज धक्के लगाते हुए सारा माल आंटी की गांड में ही डाल दिया. उसके बाद गौरव ने भी अपना वीर्य अपनी मॉम की चूत में भर दिया. प्रीति आंटी की गांड और चूत दोनों ही फूल गई थीं. उनसे खड़ा नहीं रहा गया और वे फर्श पर ही लेट गईं.

फिर गौरव और मैंने प्रीति आंटी को उठाया और बाथरूम में ले गए. वहां तीनों चिपक चिपक नहाये और प्रीति आंटी की चूत और गांड को फिर चोदा. उसके बाद गौरव अपनी मॉम प्रीति को जब तब चोदने लगा. मैं भी अक्सर प्रीति आंटी के घर आकर उसकी मस्त चुदाई कर लेता.

तो दोस्तो, आपको यह मां के साथ सेक्स की कहानी कैसी लगी. मेरी ईमेल आईडी पर जरूर बताइए, मेरी ईमेल आईडी है.

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