प्रफुल्ला-3

अरुण 2010-07-04 Comments

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हम बड़े से ड्राइंग रूम में आये, प्रफुल्ला मेरे लिए बारी बारी से पानी, चाय, नाश्ता लाती रही, चेतन भी उसका भरपूर सहयोग कर रहा था, पर मारे उत्तेजना के और आने वाले पलों की कल्पना मात्र से मैं उत्तेजित हो रहा था, मुझसे कुछ भी खाया-पीया ही नहीं जा रहा था।

जैसे तैसे इन सबसे फ्री हुए और चेतन का उतावलापन देखो कि सबसे पहले वो ही बोला- तो… अब चले बेडरूम में? क्या कहते यार अरुण?
मैंने प्रफुल्ला की तरफ देखा और बोला- बोलो भाभी, क्या कहती हो?
और पता है उसने क्या कहा- जल्दी से आओ!
और खुद ही उठ कर चल दी, फिर हम दोनों भी चल दिए।

बेडरूम बहुत ही शांत, ए सी चला हुआ था तो ठण्डा था, डबलबेड भी बड़ा था, पास ही दो सोफे लगे हुए थे मैंने पूरे कमरे का मुआयना किया।
चेतन प्रफुल्ला को कंधे से पकड़ कर मेरे सामने ले आया और बोला- लो संभालो इसे!
प्रफ़ुल्ला चुपचाप मेरे सामने खड़ी हो गई एकदम सावधान की मुद्रा में!

मैंने उसके गाल सलाए जो बहुत गर्म हो रहे थे।
मेरा स्पर्श पाते ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली, मैं उसके गाल सहलाते हुए उसकी गर्दन और वक्ष की गोलाइयों को सहलाते हुए चेतन से बोला- कहाँ से शुरू करूँ दोस्त?
वो सोफे पर जाकर बैठ गया था, वो सिसकारी सी लेते हुए बोला- पहले तो इसका फुल बोडी चेकअप करो, जैसा तुमने अपनी कहानी में लिखा था।
प्रफुल्ला भी बोल पड़ी- हाँ प्लीज़, करो ना!

वो दोनों ही मेरी पहली कहानी से बहुत जबरदस्त प्रभावित दिखाई दे रहे थे।
और मेरा हाल तो पूछो ही मत, एक निहायत ही उत्तेजक यौवना पत्नी मेरे सुपुर्द की जा चुकी थी जिसके साथ मुझे बिना किसी डर के कुछ भी करने की छूट मिल चुकी थी और मेरे अन्दर नई नई उत्तेजक योजना बन रही थी। मैंने दोनों हाथों से उसके गाल सहलाए और कहा प्रफुल्ला- तुम मुझे पूरा सहयोग करोगी?
उसने सिर्फ सर हिला कर सहमति जताई।

अब मैंने वासना के कामुक खेल के शुरुआत करते हुए सबसे पहले उसका साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया, फिर अपने हाथों को उसके बदन से सटा कर उसके अनावृत पेट पर ले गया और नाभि सहलाई। इससे उसकी साँसें तेज़ हो गई, चेतन भी चौकन्ना होकर देख रहा था, मैं अब अपना एक हाथ उसकी साड़ी के अन्दर डाल दिया।

वो चिहुंक उठी, उसे लगा मेरा हाथ उसकी चूत में जा रहा है, लेकिन मुझे इतनी जल्दी सब कुछ नहीं करना था, मैंने तो बस उसकी साड़ी की पलीट्स बाहर निकाल दी। अब उसकी साडी ढीली हो चुकी थी, जिसे मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसके बदन से अलग कर दिया और इकठ्ठा कर के चेतन की तरफ फेंक दिया।

अब प्रफ़ुल्ला ब्लाउज और पेटीकोट में थी, साड़ी हटते ही उसकी कामुक देह का आभास होने लगा था, अब मैंने उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके खुले पल्ले अलग कर के छोड़ दिए उसे पूरा निकाला नहीं।

अब मैं घूम कर उसके पीछे चला गया और उसे कंधे से पकड़ कर उसके पति चेतन के सामने ला खड़ा किया, चेतन को भी यह अच्छा लगा और अब मैंने पीछे से ही उसके ब्लाउज को उसकी बाहों से निकाल दिया और चेतन को दे दिया, फिर उसकी पीठ सहलाते हुए ब्रा के हुक भी खोल दिये।

उसके उरोज इतने उभरे और मोटे मोटे थे कि ब्रा तो खुद ही झटके से उछल कर अलग हो गई जिसे चेतन ने ही निकाल कर अपने पास रख लिया।

मैंने मुस्कुराते हुए उसे जब थैंकयू कहा तो इतने गंभीर माहौल में भी प्रफ़ुल्ला और चेतन दोनों को ही हंसी आ गई और वो यह भूल गई कि उसके वक्ष अनावृत हो चुके हैं।

मेरा हमेशा का नियम है कि मैं जब भी ब्रा में कैद कबूतरों को आज़ाद करता हूँ तो दोनों को अच्छे से सहलाता हूँ, इससे स्त्री को बहुत सुख मिलता है।
कुंवारे लड़के इस बात को नोट कर लेना।

यहाँ भी प्रफ़ुल्ला को बहुत मज़ा आ रहा था जो उसकी आहों से पता चल रहा था।

लेकिन मेरा काम अभी बाकी था, मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोजा, उसकी गाँठ खोली और उसे पूरा चौड़ा कर दिया और फिर एक बार उसे पूरा ऊपर उठा दिया, फिर चेतन को कहा – यार देख, पेटीकोट का एक साथ नीचे पैरों में गिरते हुए देखना बहुत ही सेक्सी होता है। ओ के ? मैं छोड़ रहा हूँ इसे!

वो बेसब्री से बोला- हाँ प्लीज़! मैं देख रहा हूँ!
और मैंने पेटीकोट को नीचे गिर जाने दिया।
वो सरसराता हुआ अपने पीछे चिकनी नंगी जांघें और पिंडलियाँ छोड़ता हुआ पैरों पर जा गिरा।

और दोस्तो, मैं आपको आँखों देखी बता रहा हूँ कि अब प्रफ़ुल्ला 99% नंगी हो चुकी थी। आपको पता है यह बात में क्यों कह रहा हूँ?

क्योंकि ये आजकल की लड़कियाँ इतनी ज्यादा छोटी अंडरवियर पहनती हैं कि बाप रे!

और ये आती भी बहुत महंगी हैं और छुपाती भी कुछ नहीं!

और इसने भी इसी तरह की चड्डी पहन रखी थी जिसमें अगल-बगल और चूतड़ पर तो सिर्फ डोरी ही थी। बस आगे योनि-लबों पर ही जरा सा कपड़ा था, वो भी पारदर्शी और जाली वाला!

खैर यह जो भी था! मैंने उसे खिसकाने के लिए जैसे ही हाथ लगाया कि प्रफ़ुल्ला की शर्म जाग गई वो भाग कर पलंग पर जा छिपी।

सच बताऊँ! मुझे हंसी आ गई कि यार अब इसके शरीर पर बचा ही क्या है!

लेकिन मुझे उसका भागना ना जाने क्यों अच्छा भी लगा, शर्मो हया लड़कियों पर फ़बती है। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

वो बिस्तर पर अपने हाथ पैर सिकोड़ कर पड़ी हुई थी, चेतन ने मुझे भी इशारा किया वहाँ जाने का और खुद भी अपना सोफा पलंग के नज़दीक ले गया।

और मैं तो उसको अब छोड़ना ही नहीं चाहता था, इसलिए उसके पीछे पीछे पलंग पर आ गया, वो अब औन्धी लेट गई थी।

मैं उसके पास गया और उसके बदन को सहलाते हुए उसकी नाम मात्र की डोरी नुमा पैंटी भी खींच कर निकाल दी और अब वो शत-प्रतिशत, पूर्ण नग्नावस्था में पलंग पर पसरी हुई थी।

मेरा चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो रहा था, चेतन की भी हालत ऐसी ही थी।

कुदरत का क्या करिश्मा था कि एक नारी की नग्न काया मर्दों को बेकाबू और उत्तेजित कर देती है।

उसने अपनी बीवी के चूतड़ सहलाते हुए मुझसे पूछा- कैसी है मेरी जानेमन? तुम्हें पसंद आई?
मैंने भी उसके नंगे जिस्म को सहलाया और कहा- शानदार और क़यामत है!
साथ में एक बात और जोड़ दी- लेकिन अभी तो आधी ही देखी है!
चेतन बोला- ओह कोई बात नहीं, लो पूरी देख लो।

कहते हुए उसने उसे सीधा कर दिया और जैसे ही वो सीधी हुई, दोस्तो, आप खुद ही सोच सकते हो कि एक कामुक पुरुष की निगाह नारी के किस अंग पर जायेगी, बिल्कुल सही सोचा, उसकी चूत पर…

और यार क्या बताऊँ! चिकने सपाट पेट और मांसल और गदराई गदराई जांघों के बीच काफी उभरी हुई और एकदम सफाचट, चिकनी चूत मेरे सामने थी।

जो पाठक मेरी पिछली कहानी पढ़ चुके हैं उन्हें तो मालूम ही होगा कि मुझे झांटों वाली चूत पसंद है। लेकिन यार सच कहूँ, इतनी उजली, उभरी, और साफ़ चूत देख कर मेरा तो शरीर काँप गया और पहले से हो कड़क हो रहा लण्ड भी पत्थर जैसा और कठोर हो गया।

और इसके आगे की उत्तेजक घटना इतनी रोमान्चक और विस्तृत है कि उसे इस भाग में समेटना मुश्किल है।
आप लोग मेल करते रहिए।
अरुण
[email protected]

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