भावना और कंचन भाभी की चूत चुदाई -1

(Bhavna Aur Kanchan Bhabhi Ki Chut Chuda- Part 1)

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दोस्तो.. मेरा नाम अजय सिन्हा है.

बात अभी कुछ दिन पहले की है, नवरात्रि शुरू हो चुकी थीं, सोचा था कि पूजा के दिनों में सेक्स नहीं करूँगा.. पर नियति को कुछ और मंजूर था।

जैसा कि मैंने पिछली कहानी में बताया था कि अर्चना भाभी और उसकी एक दोस्त ने मुझसे एक कॉलब्वॉय जैसा काम लेना शुरू कर दिया था।
मुझे अपनी खासियत के बारे में खुद ही नहीं पता था, उन दोनों ने बताया कि तुम्हारा लण्ड बहुत मजबूत है और तुम काफी देर तक चूत चुदाई की फील्ड में टिकते हो।

तो अब मैं सीधे मुद्दे पर आता हूँ। सुनीता को चोद कर जैसे ही घर पहुँचा कि सुनीता का कॉल आ गया- यार आज सच में जन्नत का सुख मिला है.. अच्छा सुनो तुम दो घंटे में फिर से मेरे घर पर आ जाओ..
मैंने कहा- क्या हुआ.. फिर से मन करने लगा क्या?

तो बोली- नहीं यार, हम लोगों का एक ग्रुप है.. इसमें 6 लोग हैं। तो आज सब मेरे घर पे इकठ्ठा हो रही हैं। आ जाओ.. तुम्हारा भी सब से परिचय करवा देती हूँ.. और हाँ अर्चना को भी अपने साथ लेते आना। अभी कोई चुदाई वुदाई नहीं, बस मेल जोल ही होगा।

मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे। फिर अचानक थोड़ा डर भी गया कि यार इतने सारे लोगों के बीच में पता नहीं ये मेरे बारे में क्या बोलेगी.. या कहीं ऐसा न हो कि उन अन्य 4 में से कोई मेरी परिचय की निकल आए।
खैर.. मैंने इस बात को दिमाग से निकाल दिया। अर्चना भाभी को सब बात बता दिया।

अर्चना बोली- हाँ अच्छा है न.. सब से मिल लो। वैसे भी हम लोग किसी से कुछ छुपाते नहीं हैं। इसलिए तुम्हारे बारे में पहले ही सबको अपने ग्रुप में सब कुछ बता दिया है।
खैर.. जब जाने का समय हुआ तो अर्चना भाभी आगे निकलीं.. पीछे से मैं निकल कर साथ हो लिया।

हम लोगों को पहुँचने में थोड़ा सा लेट हो गया था। सुनीता के घर पर बाक़ी की 4 लेडीज आ चुकी थीं। आज उन सबकी छोटी सी पार्टी थी, मैंने देखा कि सब वोडका लेकर बैठी थीं।

हम दोनों के पहुँचते ही बोलने लगीं- तुम लोगों ने आने में देर क्यों कर दी।
मैंने साथ में बैठने से पहले सबसे हाथ मिलाया। फिर कंचन ने एक लार्ज पैग बना कर मुझे भी दिया।
खैर देर हो रही थी.. तो बस हम दोनों ने भी पीना शुरू कर दिया।

अब आइए, सभी से आप सब का परिचय करा दूँ।
नीतू प्रिया- उम्र 38 वर्ष..
आशा किरण- उम्र 37..
भावना टोप्पो- उम्र 40..
कंचन झा- उम्र 40..
सबका फिगर साइज़ बाद में बताऊँगा।

सबका 2-2 पैग हो का कोटा हो चुका था। अधिक इसलिए नहीं पी.. क्योंकि सबको वापस घर भी जाना था।
नीतू बोली- यार सुनीता तुमने सही कहा था कि लौंडा स्मार्ट है।

दोस्तो, क्या बताऊँ.. शर्म के मारे मेरे मुँह से बोल ही नहीं निकल रहा था, वो 6 चुदासी औरतें और मैं अकेला मासूम सा लड़का।

मेरी झिझक को भावना समझ गई, बोली- अरे यार शर्माओ नहीं अजय.. हम भी अर्चना और सुनीता जैसे तुम्हारे दोस्त ही हैं। आगे हम लोग भी अच्छी दोस्ती चाहते हैं।

कुछ देर इधर-उधर की बातें होती रहीं.. मैंने भी जल्दी-जल्दी 2 लार्ज पैग खत्म कर डाले।
अब वोडका का असर भी होने लगा था और डर भी खत्म हो चुका था।
तब तक भावना मेरे बगल में आकर बैठ गई, बोली- केवल दिखते अच्छे हो.. या काम भी अच्छा करते हो।
मैंने कहा- भावना.. ये आप अपनी दोनों सहेलियों से पूछ लो..
‘हाँ.. मुझे मालूम है.. जब मैं आई.. तो सुनीता तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी कि इतना मिला गया कि अब 5 दिन ‘कुछ’ भी करने का मन नहीं करेगा।’
मैंने कहा- ऐसा ही समझो।

तभी भावना ने मेरी जाँघों पर हाथ रख दिया।
अब तक वो सब नशे में आ गई थी। तभी नीतू बोली- भावना.. अकेले नहीं..
सब हँसने लगीं।
मैंने कहा- तो क्या सब साथ क्या मिल कर ही मस्ती करोगी।
सब एक साथ बोलीं- हाँ सब मिल कर तुम्हें नोच लेंगे।
मैंने कहा- तब तो रहने दो.. मैं तो चला।

तभी कंचन बोली- अरे क्यों डरा रहे हो अजय को.. अरे यार ऐसा नहीं है.. हम लोग तो मज़ाक कर रहे थे।
तो अचानक भावना ने मुझे छोटा सा किस कर लिया।
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मैंने बोला- जब किस ही करना है.. तो अच्छे से कर लो।

फिर मैंने उसे पकड़ कर होंठों पर अच्छा सा स्मूच किया। एक हाथ से उसका गाल थामे हुए था.. दूसरे हाथ से उसकी पीठ दबाए हुए था.. जिससे उसकी चूचियां मेरे सीने में दब रही थीं।
उसके 2 मिनट तक होंठों को चूसने के बाद अलग हुआ।
बोली- आह्ह.. चुम्मी में ही मज़ा आ गया।

अब सब कहने लगीं कि मुझे भी करो।
जैसे मैं कोई प्रसाद बांट रहा था।

खैर.. सबको किस करने के बाद एक-दूसरे से फोन नंबर लेने के बाद हम लोग निकल गए।

वापस आने वक्त में अर्चना बहुत मस्ती कर रही थी, बोली- कैसा लगा सबसे मिल के?
मैंने कहा- अच्छा लगा।

वो अपने चूचे मेरे पीठ पर रगड़ रही थी और उसने हाथ आगे करके मेरे लण्ड को पकड़ लिया था, मेरे लौड़े को पैन्ट के ऊपर से ही दबा रही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ..?
बोली- वोडका का असर है.. चुदवाने का मन होने लगा, चलो न अजय… आज और पी कर चुदाई करते हैं।

फिर हमने एक और वोडका की बोतल ले ली.. और घर आ गए।
रात को मैंने जम कर अर्चना को चोदा, दारू के नशे में चुदाई करने में बहुत मज़ा आता है।
सुबह देर से नींद खुली, फटाफट तैयार हुआ और ऑफिस के लिए निकला।

दोपहर 3 बजे भावना का मैसेज आया- हैलो..
मैंने भी ‘हैलो’ किया।
थोड़ी देर बात करने के बात मैंने कहा- काम खत्म करके आपको कॉल करता हूँ।
करीब 5 बजे मैंने उसे कॉल किया.. तो बोली- कब से तुम्हारे कॉल का वेट कर रही थी।
मैंने कहा- आदेश कीजिये.. क्या काम है?
बोली- कुछ नहीं.. जो काम करते हो.. वही काम है।

मैंने कहा- जब कहिये.. तब आ जाता हूँ।
तो वो बोली- देखो कंचन के यहाँ कोई नहीं है.. वो तो अकेली है.. तो मैं भी वहाँ आज रात उसके साथ रुकूँगी, तो तुम वहीं आ जाना।
मैंने पूछा- क्या तुम दोनों साथ में ही..!
‘हाँ तो क्या.. तुम्हें कोई दिक्कत है क्या?’
मैंने कहा- नहीं.. आपको कोई दिक्कत नहीं.. तो मुझे क्यों होगी भला..

तो शाम 8 बजे मिलने का बोल कर मैं घर आ गया।

मैं शाम 7 बजे निकल कर 8 बजने के पहले ही उधर पहुँच गया, गेट कंचन ने ही खोला।
क्या बताऊँ दोस्तों.. आज तो दोनों क़यामत ढा रही थीं, दोनों ने बहुत ही सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी, एक ही डिज़ाइन की.. केवल रंग अलग, वो एक सेक्सी सी 3 पीस वाली ड्रेस थी।

‘आअह्ह्ह दोस्तो.. लौड़ा जाग गया था।’
इस ड्रेस के अन्दर केवल ब्रा-पैंटी थी.. ऊपर से एक झीना सा गाउन, जिसकी पेट पर एक डोरी बंधी थी, साफ़ क्लीवेज दिख रहा था और नीचे जाँघों की झलक किसी को भी पागल कर देने के लिए काफी थी।

दोस्तो, आइए आप सब को भी उन दोनों का फिगर बता दूँ।
कंचन थोड़ी गदराई हुई माल थी.. लगभग 40 के उम्र में भी बहुत टाइट थी, 34 साइज़ के उठे हुए चूचे, कमर भी थोड़ी मोटी थी.. 32 इंच की और गाण्ड की गोलाई 34 इंच की थी.. रंग एकदम गोरा था.. आअह्हहह.. मस्त माल थी, हल्का सा मेकअप किए हुई थी। आँखों पर आई लाइनर लगाया था, चेहरे पर फेस पाउड़र.. मतलब आज पूरी तरह से जान निकाल देने का इरादा था।

भावना के फिगर के बारे में क्या बताऊँ यारो.. हल्का सलोना सांवला सा रंग.. चूचियाँ 32 की कमर 30… पर साली के चूतड़ 36 से ज़्यादा थे, चूतड़ बाहर की ओर निकले हुए थे.. जो उसे और सेक्सी बना रहे थे।

घर पहुँचते ही दोनों बारी-बारी से गले लगीं।
एक मस्त खुश्बू आ रही थी दोनों के बदन से..

थोड़ी देर बात करने के बाद उन्होंने बताया कि आज खाने का प्लान नहीं है.. केवल दारू और चखना ही काफी रहेगा। मेरे लिए व्हिस्की और अपने लिए वोडका लाकर रखी थी। पनीर का अच्छा सा चखना बनाया था।

बस हम सब बैठ कर पीने लगे।
दो पैग पीने के बाद भावना मेरी गोद में आकर बैठ गई.. उन लोगों को नशा अब चढ़ने लगा था।

दोस्तो, यह एक सच्ची घटना है.. मेरे साथ चुदने को व्याकुल इन भाभियों की चुदास कितनी गजब की थी आप खुद ही अंदाज लगा कर मुझे बताइएगा। आपके पत्रों का इन्तजार रहेगा।

कहानी जारी है।
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