आखिर मेरे बेटे का बाप कौन है- 3

(Pati Ke Dost Sex Kahani)

यह कहानी मेरे पति के दोस्त से सेक्स की है. मेरे पति के दो दोस्त मुझपर कामुक नजर रखते थे और अश्लील बातें करते थे. मैंने भी उनके लंड परखने का तय कर लिया.

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, आप सभी को नमस्कार, मैं आपकी अपनी दोस्त और आप सभी लोगों की मुँह बोली बीवी, एक बार फिर अपनी सेक्स कहानी में दिल से स्वागत करती हूँ. साथ ही शुक्रिया भी अदा करना चाहती हूँ कि आपके इतनी ज्यादा तादात में प्यार भरे मेल मिले.

एक बात और … आप लोगों से मुझे इंस्टाग्राम पर बात करके बहुत अच्छी फीलिंग आती है.
आप लोगों में बहुत से लोगों से वीडियो कॉल पर भी बात हुई है.
उनमें कई सारे लोग मुझे नंगी देखने का इच्छा जाहिर करते हैं, तो मैं आप लोगों से माफी मांगती हूं. यह काम मैं नहीं कर सकती हूँ.
हां अगर मुझे लंड की जरूरत पड़ी, तो मैं आप लोगों को जरूर याद करूंगी.

सेक्स कहानी के पिछले भाग
मुझे एक नया लंड मिल गया
में आपने पढ़ा था कि किस तरह से डॉक्टर ने मुझे जांच के बहाने से अन्दर किया और मेरी चूत चोद ली.

मैं तो अभी ज्यादा से ज्यादा लोगों का स्पर्म लेने के मिशन पर थी इसलिए मैंने भी उस डॉक्टर का पूरा साथ दिया.

वो मुझे चोदकर मेरे ऊपर लेट गया था.
फिर मैंने डॉक्टर को उठाते हुए कहा- यार उठो … बहुत देर हो गयी है.

मैंने खुद भी समय देखा, तो दंग रह गयी. हम दोनों को 50 मिनट हो गए थे. जबकि डॉक्टर ने मेरे पति को 40 मिनट का ही बोला था.

फिर डॉक्टर अपनी पैंट उठाते हुए बोला- ठीक है यार … अब तुम जाओ और अपने पति को बुलाकर लाओ. मैं मैनेज करता हूँ.
मैं अपने आपको देखती हुई बोली- अच्छा … ऐसे ही चली जाऊं! मेरे चेहरे की हालत तो देखो … तुमने मेरी हुलिया बिगाड़ दी है. मेरी सारी लिपस्टिक भी खा गए.

डॉक्टर बोला- तो बताओ अब क्या करें?
मैं बोली- तुम जाकर मेरे पति को संभालो. मैं मेकअप करके आती हूँ.

वो चौंकते हुए बोला- मेकअप … यहां कहां से करोगी!
मैं बोली- मैं अपने पर्स में सब कुछ लायी हूं.

डॉक्टर ने अपने आपको ठीक किया और मेरी पैंटी लेकर जाने लगा.
मैं उससे बोली- पैंटी कहां ले जा रहे हो?

वो बोला- अब ये मेरी अमानत है.
मैं बोली- मेरी पैंटी ले रहे हो … तो बदले में मैं भी कुछ मांग सकती हूँ?

डॉक्टर बोला- हां बोलो ना जान क्या चाहिए!
मैं बोली- यार, ग्लिसरीन से चुद कर मजा आ गया.

वो समझ गया और बोला- अच्छा मेरी रानी को ग्लिसरीन चाहिए ताकि वो किसी का भी लंड आराम से ले सके.
मैं हंस कर बोली- बिल्कुल सही समझे.

उसने मुझे 2 डब्बी ग्लिसरीन की देते हुए कहा- लो ये रखो, अब हम दोनों आगे भी मिलते रहेंगे. अगली बार मैं इससे भी अच्छी वाली मंगा कर रखूंगा.
मैं इतराते हुए बोली- अब क्यों मिलना है?

डॉक्टर मेरी गांड दबाते हुए बोला- अभी तो तुम्हारी गांड भी मारनी है ना!
मैं बोली- अच्छा जी … अब साहब की नज़र मेरी गांड पर है.

वो बोला- बिल्कुल मेरी रानी. तुम कहो तो अभी ही मार लूं?
मैं बोली- जी नहीं, मेरे बेचारे पति को बाहर बिठाकर उसकी पत्नी की चूत मार ली और अब गांड पर बुरी नज़र डाल रहे हो. अभी तुम जाओ और मेरे पति को सम्भालो.

वो हंसता हुआ रूम से निकलकर अपने केबिन में चला गया और मेरे पति को अन्दर बुलवा लिया.

मैं बेड से खड़ी हुई और अपनी ब्रा पहनी. पैंटी तो थी नहीं.

उधर मेरे पति डॉक्टर के केबिन में आए.
तो डॉक्टर ने बोला- सॉरी अमित जी … आपको जरा ज्यादा इंतजार करना पड़ा. दरअसल मैं लंच करने चला गया था. इसलिए थोड़ी देर हो गयी.

मैं बगल के कमरे में से डॉक्टर की सब बात सुन रही थी, तो मैंने सोचा कि साले ने क्या बहाना बनाया है.
जब ये बताया तो ये भी बता देता कि लंच में तेरी बीवी की ही चूत खाई है.

तभी अमित की आवाज उसने डॉक्टर से पूछा- मधु कहां है?
डॉक्टर ने बोला- वो अन्दर नर्स के साथ है. कुछ काम बाकी है बस!

इधर मैं फ़्रॉक पहनने लगी, तभी नीचे देखा, तो डॉक्टर का वीर्य मेरी चूत से निकल कर मेरी जांघों के बीच से टपक रहा था. हालांकि ये थोड़ा सा ही था. इसलिए मैंने जानबूझ कर साफ नहीं किया. मैंने फ्रॉक पहनने के बाद अच्छे से मेकअप किया और पहले जैसी बनकर बाहर निकल आयी.

डॉक्टर ने पूछा- तो मधुजी जांच कैसी रही … कोई कमी तो नहीं रही ना?
मैं बोली- जी, सब ठीक था.

डॉक्टर- कुछ प्रॉब्लम है, तो आप बता सकती हो. मैं फिर से जांच कर सकता हूँ.
तभी अमित बोला- हां मधु कुछ भी दिक्कत हो, तो अभी बोल दो.

मैं बोली- नहीं सब ठीक है.

अब डॉक्टर ने हम दोनों से बोला- अब आप जा सकते हैं. कोई दिक्कत हुई तो आप मुझे कॉल भी कर लेना.

अमित ने गेट खोला और बाहर निकल गया.

फिर जैसे ही मैं निकलने लगी. डॉक्टर मेरी पीछे आकर गांड दबा दी और धीरे से बोला- गांड मरवाने कब आओगी?
मैं मुस्कान देती हुई बाहर निकल गयी.

डॉक्टर से चुत चुदवाने के बाद दूसरा खेल किसने किया था, मैं उस घटना पर आती हूँ.

ये सेक्स घटना मेरे पति के दो दोस्त राजेश और प्रशान्त की है जो कि अमित के सबसे अच्छे दोस्तों में से थे.

वो दोनों मेरे घर पर बराबर आते रहते थे. दोनों एकदम गबरू जवान थे. दोनों की फिजिक काफी मस्त थी.
लेकिन मेरे प्रति उन दोनों की नियत खराब थी.

खैर … मेरे मादक जिस्म के लिए तो सबकी नियत खराब थी.

जैसे फ़िल्म इंदू की जवानी में किआरा बोली थी ना कि मेरे भाई और बाप को छोड़कर सारे लोग उसमें झंडा गाड़ने चाहते हैं. मेरी भी हालत वैसी ही थी.

उस फिल्म में तो कम से कम उसका भाई कुछ नहीं करता था.
लेकिन मेरी सेक्स कहानी में तो मेरे भाई ने ही मेरी चुत में सबसे ज्यादा झंडे गाड़े हैं.
इसलिए मुझे अब चुदने की आदत सी हो चुकी थी.

अमित के दोस्त जब भी आते, मुझे बातों से छेड़ते रहते. मैं भी उसका जवाब देती थी.

जब राजेश अमित के साथ आता तो कुछ कम मज़ाक करता था.
पर जब अमित नहीं होता तो पूरा खुलकर मजाक करता था.

मजाक में मैं भी उसका पूरा साथ देती थी.
लेकिन मैंने कभी भी उससे चुदने के बारे में नहीं सोची थी.

उससे ज्यादा मजाक तो सनी से मेरे साथ करता था.

सनी को तो वो दोनों सीधे साला ही बोलते थे. वो दोनों सनी के साथ इतनी गंदी गंदी बातें करते थे कि ना मैं बता नहीं सकती.
सनी भी इसलिए कुछ नहीं बोलता कि वो लोग जितना बोलते थे, सनी उससे बहुत आगे था.

वो हमेशा सनी को बोलते थे कि यार आज घर की दूध की चाय पिला.
कभी बोलते- यार साले साहब, कभी अपनी बहन को बोल ना कि हमें भी आम खिलाएं.
तो कभी बोल देते- तुमने कभी अपनी बहन के आम चूसे हैं.
इस पर दूसरा बोल देता कि आम छोड़ कभी तरबूज ही टेस्ट कर ले.

वो ये सब मेरे सामने ही बोल देते थे.
और मुझे भी उसी समय बोल दिया करते थे कि भाभीजी कभी हमें भी तो अमित बनने का मौका दो.
मैं यह बोलकर टाल देती- अपने भैया को ही बोलो.

वो दोनों कम से कम हफ्ते में एक बार जरूर आ जाते थे.

एक दिन की बात है. सनी की जीएफ उससे मिलने देहरादून आयी.
वो होटल में रुकी. सनी आज शाम जाने वाला था.

यानि आज सनी मेरी जगह अपनी जीएफ की चुदाई करने वाला था.
सनी को ये मौका बहुत कम मिलता था.

मैं उससे बोली- आज तो तुझे नई चूत चोदकर मजा आ जाएगा.
सनी बोला- हां मज़ा तो आएगा. लेकिन तुम्हारे जितना नहीं.

हम लोग ऐसे ही बात करते रहे.
फिर सनी 3 बजे निकल गया.

उसके जाने के बाद मैंने बाथरूम का रुख किया और शॉवर लेकर लाल रंग का हाफ गाउन पहन लिया.
ये एक फ्रॉकनुमा बेबीडॉल किस्म का गाउन था जो मेरे घुटनों से ऊपर तक का था.

मैंने गाउन के अन्दर कुछ भी नहीं पहना था. वैसे भी मैं घर में ब्रा पैंटी कम ही पहनती हूँ.

फिर मैं हॉल में बैठकर टीवी देखने लगी.

तभी किसी ने डोर बेल बजायी.

मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने राजेश और प्रशांत खड़े थे.

मुझे इस रूप में उन्होंने कभी नहीं देखा था.
जिस कारण उनके मुँह खुले के खुले रह गए थे.

गलती मेरी ही थी, जो मैंने बिना देखे दरवाजा खोल दिया था. खैर … अब जो होना था, वो तो हो ही गया था.

मैंने उन दोनों को अन्दर बुलाया और हम तीनों बातें करने लगे.

वो दोनों आज मेरी मचलती जवानी को कुछ ज्यादा ही घूर रहे थे क्योंकि गाउन में उन लोगों ने मुझे पहली बार देखा था और ब्रा न होने की वजह से आज मेरी दोनों चुचियां किसी बड़े पहाड़ की चोटियों की तरह तनी हुई दिख रही थीं.

फिर मैं बोली- आप लोग बैठो, मैं चाय बनाकर लाती हूँ.

मैं जैसे ही जाने लगी तो दोनों मेरी मटकती गांड को घूरते हुए बोले- लगता है आज भाभी को कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही है. इसलिए अन्दर कुछ नहीं पहना है.

मेरे पति के दोस्त हमेशा ही ऐसे कमेंट करते रहते थे … इसलिए मैं नजरअंदाज करके किचन में चली गयी.

तभी राजेश ने कहा- भाभीजी, आज आप घर के दूध से ही चाय बना दो.
मैं कुछ नहीं बोली.

फिर उन दोनों ने पूछा- आज हमारे साले साहब नहीं दिख रहे हैं. कहां गए हैं?
मैंने बोल दिया कि वो अपनी जीएफ से मिलने गया है.

तभी वो बोला- अच्छा मतलब आज साले साहब पूरी रात घुड़सवारी करने वाले हैं.
मैं बोली- पता नहीं.

वो दोनों आपस में बात कर रहे थे कि आज मैदान खाली है, कोशिश करते हैं.

तभी मैं चाय लेकर आ गयी और टेबल पर ट्रे रखते हुए बोली- चाय पीजिये.
मैं भी उन दोनों के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी और एक कप उठा लिया.

उन दोनों ने भी अपना अपना कप उठा लिया और राजेश चाय पीते पीते बोला- भाभी, आज तो आप अपने दूध की चाय पिला ही देतीं.
इस पर दूसरे ने उसकी हां में हां मिला दी.

आज वो दोनों कुछ ज्यादा ही फ्रेंक हो रहे थे क्योंकि आज ये लोग मौका का फायदा उठाना चाहते थे.

तभी मेरे मन में भी शरारत सूझी और मैंने भी सोची कि क्यों ना आज इन दोनों को ही अपना पति बना लूं.
वैसे भी मैं आज सुबह से चुदी नहीं थी. जिसके कारण मेरी चूत में भी थोड़ी थोड़ी खुजली हो रही थी.

इनके लौड़ों से चुद कर इन दोनों का भी सपना साकार कर देती हूँ. बेचारे कब तक मुझे देखकर मुठ मारते रहेंगे.

मुझे भी मेरे बच्चे के लिए अपनी फैंटेसी को पूरा करने के लिए दो दो नए किस्म के स्पर्म मिल जाएंगे.

अब मैं भी बड़ी बेशर्मी से बोली- दूध तो तुम्हारे दोस्त के लिए है. अगर तुम दोनों बोलो … तो अपने मूत की चाय बना दूँ.

मेरा ऐसा जवाब सुनकर उन दोनों के होश उड़ गए.
वे दोनों समझ गए कि आज काम हो सकता है.

फिर वे बोले- भाभीजी चाय बनाने की जरूरत नहीं है. आप बोलो तो सीधा हम फैक्ट्री में मुँह लगाकर ही मूत पी लेंगे.

इस पर मैं इतराते हुए बोली- उस फैक्ट्री की रजिस्ट्री तुम्हारे दोस्त ने करवा रखी है.

इतने में राजेश हंसते हुए बोला- तो क्या हुआ … अमित हमारा पक्का दोस्त है. हम लोग आपस में सब कुछ शेयर करते हैं.
मैं बोली- अच्छा बीवी भी शेयर कर लेते हो क्या … मतलब तुम लोग अपनी बीवी को अमित के साथ शेयर कर लेते होगे.

इतने में प्रशांत बोला- आप जैसी भाभी के लिए हम लोग बीवी तो क्या, अपनी बहन भी शेयर कर सकते हैं.

मैंने सोची कि साले सारे मर्द एक जैसे ही होते हैं. भैन के लौड़े चुत के लिए अपनी मां चुदवाने के लिए भी राजी रहते हैं.
ये लोग चूत चोदने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

मैंने जहां तक देखा है कि भाइयों का पहला टारगेट ही बहन होती है … किसी को मिल जाती है, तो किसी को नहीं.

तभी राजेश बोला- भाभीजी, आज मौका भी है, घर में कोई नहीं है. आज तो अपनी फैक्ट्री के दर्शन करवा दो.

अब मैं तो खुद ही उन दोनों से चुदना चाह रही थी लेकिन मैं ये बात सीधे सीधे तो नहीं बोल सकती थी न!

मैं बोली- किसी और के प्लाट पर तुम लोग अपना घर बनाना चाहते हो. इसमें मेरा क्या फायदा?

इतने में दोनों अपने जगह से उठे और दोनों मेरे दाएं बाएं बैठ गए और दोनों ने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए.
ऐसा उन्होंने आज तक नहीं किया था.

लेकिन दोनों आज मूड में थे इसलिए मैं भी कुछ नहीं बोली.

मेरी खामोशी से दोनों को मेरी चुत चोदने की थोड़ी से आशा दिखी और दोनों एक साथ बोले- आपको क्या चाहिए भाभी जी? आप एक बार बोल कर तो देखो. जो मर्ज़ी वो आप मांग लो.

मैंने सोचा कि इनसे क्या मांगू … कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
फिर मैं बोली- मैं सोचकर बताऊंगी.

मेरे प्यारे प्यारे पतियो, आपको मेरी पति के दोस्त से सेक्स की कहानी में मजा आ रहा है न. अभी तो मैं अपने पति के इन दोनों सांड दोस्तो से चुदने वाली हूँ.
वो पूरी चुदाई की कहानी मैं अगले भाग में लिखूंगी. मेरे साथ बने रहिए और आप अपनी राय मुझे कमेंट्स में बताएं.
इमेल नहीं दी जा रही है.

पति के दोस्त से सेक्स की कहानी का अगला भाग: आखिर मेरे बेटे का बाप कौन है- 4

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