नई भाभी की सुहागरात मेरे साथ-1

(Nai Bhabhi Ki Suhagrat Mere Sath Part-1)

मेरा नाम आदित्य है, मैं 21 साल का जवान लड़का हूं. मैं दिखने में एकदम हीरो जैसा हूँ, हां जरा दुबला पतला हूं, लेकिन लंड 8 इंच का मस्त मोटा है. इससे पहले मैं कई लड़कियों को चोद चुका हूं, पर अन्तर्वासना ये मेरी पहली कहानी है. भाई कमियों को मत निकालना, जो कहना है, मेरी ईमेल आईडी में कह देना.

सेक्स की यह घटना हमारे मकान मालिक के छोटे लड़के की वाइफ यानि मेरी भाभी के साथ हुई थी … और ये सब उनकी शादी के 4 दिन बाद ही हुआ था.

वैसे मैं भाभी के बारे में बता दूँ, भाभी एक मस्त हुस्न की मलिका थीं. उनकी आंखों में अलग ही शरारत थी. उनके बाल रेशम की तरह काले थे और उनका चेहरा बहुत ही गोरा, सोने की तरह चमकदार और उनका पूरा बदन भी वैसा ही था. पतली सी कमर और उनके दूध एकदम गोल गोल, चिकने से मुलायम, परफेक्ट साइज के थे.

वैसे मेरी नजर तो उस दिन से थी, जिस दिन में शादी में भाभी को स्टेज में देखा था. मेरा लंड तो वहीं खड़ा हो गया था. यार बता नहीं सकता मैं, माल तो बहुत होती हैं, पर इतनी गजब की आइटम … उफ़ … साली फुरसत से बनाई गई चीज थीं भाभी. गजब का फिगर था, क्या दूध, क्या गांड … मस्त चिकनी चमेली भाभी को देखकर तो मेरे हिसाब से सबका लंड खड़ा हो गया होगा. एक ऐसा माल जिसे देखकर, जितने बाराती थे, बड़े बूढ़े … साला जिसका खड़ा ना होता हो … उसके लंड को खड़ा कर दे.

फिर मैं तो हूं ही पुराना ठरकी … और वैसे मेहनती भी हूं. सबसे बात भी अच्छे से करता हूं, दिखता भी मस्त हूं. लड़की हो आंटी हो या दोस्त, मुझसे सब लोग खुश रहते हैं और मुझे भी उनकी तारीफ करने से बहुत फायदा मिलता है. मैं पुराना कमीना ठहरा, सो किसी न किसी तरह से फायदा ही उठा लेता हूँ.

ये कहानी शायद बड़ी हो जाए, पर मजा बहुत आएगा. पहले मैं आप सभी को बता दूँ कि हमारा घर के पुनर्निर्माण का काम चल रहा था, तो हम लोग किराए से एक घर में रहते थे. यह मकान तीन फ्लोर का मकान है. पहले फ्लोर में अंकल आंटी, बड़े भैया और भाभी रहते हैं. दूसरे फ्लोर में जहां छोटे भैया का कमरा है, उधर ही नई भाभी भैया के साथ रहती हैं, उनके बाजू में हमारा निवास है, ये भी तीन कमरों का है.

अब भैया की शादी थी, तो हम किराए वाले भी एक फैमिली टाइप ही हो गए थे. हम लोग पहले से ही मिलनसार टाइप के थे. तो अंकल के यहां घुलमिल कर रह रहे थे. उसी हक से शादी के ये काम, वो काम, सब मैं ही देख रहा था.

भैया भी भाई की तरह ही थे. उनका स्वभाव भी अच्छा था. मैं पूरी शादी में भैया के साथ रहा. उन्होंने मुझसे कहा था- तू कहीं नहीं जाएगा आदी … मेरे साथ ही रहियो. तेरी भाभी की सहेलियों के साथ तेरा टांका भिड़ा दूंगा.
मतलब भैया मुझसे खुले थे.

मैंने बोला- भैया, टेंशन न लो, हम खुद भिड़ा लेंगे, आप देखो, कहीं आप भाभी को देखने की जगह, भाभी की सहेलियों या साली को न देखने लगना.
उन्होंने कहा- भाई तू मेरी छोड़ … तेरी भाभी तो ऐसी है कि तू खुद भी भाभी के अलावा किसी को नहीं देखेगा.
मैंने कहा- अच्छा भैया ऐसा है, तो अब तो आपके साथ ही रहूंगा.

मैं शादी में गया और भाभी को जब स्टेज में ला रहे थे, तो मैं भैया के पास भाभी वहीं कुर्सी में बैठा था. अब भाभी को आते देखकर मैं वहीं खड़ा हो गया. शादी में पहली बार भाभी को देखते से ही मेरा लंड खड़ा हो गया. सच में कामदेवी थीं वो. मस्त वाला माल … साला मैंने सोचा ये भैया की किस्मत इतनी अच्छी कैसे हो गई. मन कहने लगा कि मैं इस माल के लिए अपना सब कुछ दे दूँ.

वैसे तो भाभी के आस पास भी तरह तरह के मालों की लाइन लगी थी. मैं भाभी के पीछे था और ढेर सारे मालों के बीच खड़ा था. मेरे जैसे चोदू लड़के का लंड तो उन सभी की मादक सुगंध से ही खड़ा हो गया. मैं उन सबको चोदना चाहता था, पर सबसे पहले भाभी को.

फिर जय माला हुई. भैया और भाभी आमने सामने थे. भैया के पीछे मेरा भाई शौर्य, भाभी के ठीक पीछे मैं था. भाई ने एक पार्टी बम मुझे दिया हुआ था.
बाजू में एक माल ने बोला- अभी दूल्हा माला डाले, तो पार्टी बम मत फोड़ना.
उसने ऐसा कहा तो मैं बोला- क्यों?
वो बोली- बस थोड़ा मजा लेना है.
उसके बाद मैं बोला- ठीक है, ले लो मजे.

फिर भैया जैसे ही भाभी को माला डाल रहे थे, वैसे ही मेरे बाजू खड़ी एक लड़की ने भाभी को पीछे खींच लिया और जैसे ही भाभी पीछे खिंची, तो भाभी और मैं एक दूसरे से टकरा गए. मेरा लंड उनकी गांड से ही सट गया. मेरा संतुलन मेरे हाथ भाभी की कोहनियों को पकड़ कर संभला और मेरे लंड में थोड़ा दर्द भी हुआ. साइड में तना हुआ टाइट जींस पहना हुआ था. भाभी ने एक गहरी निगाह से मुझे देखा, शायद मेरा लंड कुछ ज्यादा ही घुस गया था.

खैर … हंसते हुए सब ठीक हुआ और मैंने पार्टी बम उठाया और साइड में खड़ी लड़की की कोहनियों को पकड़ा, जहां पर मैं खड़ा था … उसे साइड में लाया.

मैं उसको साइड में लाया मतलब भाभी के पीछे लाने में मेरा खड़ा लंड उसको चिपक कर चलते हुए, एकदम उसकी गांड के छेद में हल्का सा सैट हुआ और फिर टच होते मैं साइड हो गया.

मैंने उसको वो पार्टी बम दिया … और कहा- लो तुम इसे फोड़ो.
मैं भैया की तरफ चला गया.
वो माल गजब ही का था. मेरी हालत खराब हो गई थी. लंड साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.

जयमाला के बाद फ़ोटोशूट की बारी थी. उधर फ़ोटोशूट की तैयारी मेरे लंड को मुठ की जरूरत थी.
तब मैंने भैया से बोला- भैया पेट खराब है … और मुझे वहां जाना है … तो कहां जाऊं, बताओ?
भैया झुंझला कर बोले- अरे आदी, तू भी किसी भी टाइम?
मैंने आंखों से विनती सी की.

फिर उन्होंने भाभी को कान में कहा. भाभी ने उस माल को कान में कुछ कहा, उसने मेरी तरफ देखा और हंस कर मेरे को चलने बोला.
भैया बोले- जा वो लेके जाएगी.
मैं उसके साथ चल दिया.

उनके यहां एक कॉमन लेटबॉथ था. अब मैं मोबाइल में अन्तर्वासना सर्च कर ही रहा था और सोच रहा था कि अब एक दो कहानी पढ़कर मुठ मारूंगा.

उतने में वो हंसते हुए बोली- मुझे पता है, क्या सर्च कर रहे हो मोबाइल में?
मैंने चौंकते हुए कहा- कैसे?
वो बोली- शायद तुम्हें भी फील हुआ है, जो मुझे पार्टी बम देते टाइम हुआ था.
मैं बोला- अच्छा जी …
वो बोली- वैसे जो मैं सोच रही हूं, वही करने रहे हो … तो साथ देने अन्दर चल सकती हूं.
मैं बोला- यार तुम अन्दर चल सकती, तो तुमने जो नहीं सोचा होगा, वो भी होगा.
उतने में उसने आजू बाजू देखा और अन्दर चली गई और बोली- जल्दी आओ.

मैं जल्दी से अन्दर घुस गया और उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया.
मैं बोला- तो दो साथ?
तो बोली- पहले शुरू तो करो.

मैं उस पर टूट पड़ा. उसने साड़ी पहनी थी. साड़ी का रंग लाइट ब्लू था. मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे हटाया और उसके ब्लाउज को नीचे सरका दिया दिया. उसकी ब्रा भी नीचे हो गई. मैं बेसबरों की तरह उसके दूध को दबाता रहा.
उतने में उसने कहा- अभी जल्दी से कर लो, उसके बाद फिर कभी आराम से कर लेना.

मैंने भी देर ना करते हुए अपनी पैन्ट को नीचे सरकाया और उसको नीचे फर्श पर लेटा कर उसकी साड़ी को ऊपर सरका कर उसकी पेंटी को नीचे सरका दिया. अब मैं उसके ऊपर लेट कर अपने मुँह से उसके होंठों को किस किया और उसकी चूत में लंड रगड़ने लगा.
उसने बोला- टाइम खोटी मत कर यार पहले डाल दे … जल्दी कर.

मैंने भी देर ना करते हुए उसके मुँह में साड़ी को डाल दिया और उसकी चूत में लंड डालने के लिए झटका मारा. मेरा लंड एक ही बार में आधा चला गया. मैं समझ गया कि चुदा हुआ माल है.
मैं बोला- चुदी चुदाई है … तू कितनों से चुदी है.
उसने साड़ी मुँह से निकाल कर कहा- पहली ही बार है … बस उंगली का कमाल है बेटा, जो तेरा आसानी से चला गया … जल्दी कर पूरा डाल.

मैंने सोचा ‘चुदी है साली, ड्रामा कर रही है.’
बस मैंने बातों ही बातों में उसको एक जोर का झटका मार दिया, तो अब उसकी आंख में आंसू थे. लेकिन साली इस बार बहुत जोर से चीखी थी. मैंने उसको मुँह में कपड़ा डाल दिया और एक हाथ से उसके दूध दबाने लगा. हाथ को उसकी कमर में फिराने लगा और दूध चूसने लगा.

कुछ पल बाद वो शांत हुई और सिसकारियां भरने लगी. मैंने अपने लंड की जगह बनाना शुरू किया, ऊपर नीचे किया और अब धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी और मजे से चोदने लगा. उसकी चूत ने रस छोड़ दिया था तो चूत में पच पच होने लगी थी. बस 5-6 मिनट बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया और उठ कर अपने लंड को पानी डाल कर साफ़ किया.

मैं अपने कपड़े ठीक करके बोला- मैं बाहर जाता हूं.
वो हंस दी.
मैंने कहा- एक बार अच्छे से मौका देना, तुमको तसल्ली से चोदना है … और बड़े प्यार से. तुम भी मेरे अलावा फिर किसी से ना चुदवाओगी तो, तुम्हें इस लंड से प्यार हो जाएगा.
वो फिर से हंस दी.

अब हम दोनों बाहर आ गए.

भाई अब भी फोटोशूट में बिजी थे. मुझे देखा तो मेरे को बुलाया. उनके साथ पिक हुई. फिर मैं रात को चला गया.

सुबह भैया आए तो डांटने लगे कि उधर से क्यों आ गया था?
मैं बोला- अच्छा नहीं लग रहा था.
मैंने ऐसा बोला और सॉरी बोल दिया.

वे बात करने लगे तो मैंने कहा- आज भैया आपकी सुहागरात है, आप तो उसकी तैयारी करो.
भैया बोले- काहे की सुहागरात, साले ले जाएंगे आज शाम को … बहनचोद साले, साला शादी किए ही क्यों थे.

भैया की हालत ना कुत्ते जैसी थी कि हड्डी मिली, पर उठा के रख लिए हो और खा ना सके. उधर रिसेप्शन की तैयारी चल रही थी और शाम को रिसेप्शन के बाद एक बजे करीब भाभी को वापस रस्म बाकी रहती हैं, कुछ उसके लिए ले गए.

मैं भईया से बोला- क्या हुआ भैया?
भैया बोले- ले गए लौड़े लोग … माल को चोदने तो देते लौड़े.
मैंने भईया से कहा- आप कल लेने चले जाना और ले आना.
ऐसा बोल कर मैं चला गया.

अब सुबह पता चला कि भाभी के घर मुझे जाना है, भैया को स्कूल जाना है. बड़े भैया को दुकान में जाकर कई लोगों का हिसाब करना था और सीधी बात ये भी थी कि भैया भाभी के जेठ लगते हैं तो वो एक दूसरे को छू देख भी नहीं सकते थे.

पहले तो मेरे पापा ने बोला- उनको कैसा लगेगा कि फैमिली से कोई नहीं गया और ये जाएगा, तो कैसा लगेगा. नया रिश्ता है. भाभी कल आ जाएगी.
फिर अंकल मेरे से बोले- लंबे सफर में गाड़ी जमती नहीं और ये भाई ही तो है. इतना काम किया है, एक और कर देगा. फिर इसकी शादी में हम हिसाब चुका देंगे.
अंकल ने ऐसा मजाक में बोला और मैंने बात कर ली कि जाना है और भाभी को लाना है.
तो पापा भी बोले- ठीक है, जा ले आ. सब भी हां हां बोले.

मैं भैया के पास गया, भैया को बोला- आप जाओ न भाभी को लेने यार … मेरे ऊपर मामला आ रहा है. आप तो कल कैसे हो रहे थे, रात भर के लिए बेकरार हुआ जा रहे थे.
भैया बोले- भाई चला जा ना … नौकरी का सवाल न होता, तो वहीं चोद कर आता. आज तेरी वजह से सुहागरात हो जाएगी, तेरा नाम हमेशा लूंगा कि मेरे भाई के कारण मेरी सुहागरात हुई थी.
मैंने बोला- ठीक है, पर एक शर्त है. वो पूरी करनी पड़ेगी?
भईया बोले- बोल ना?
मैंने बोला- जो साली मेरे को बॉथरूम ले गई थी, उसका नंबर लगेगा.
भैया बोले- ले लियो, जो लेना हो, पर चले जा भाई … तेरी भाभी से कह दूंगा … वो ही दे देगी.
अंकल बोले- भैया को मस्का लगा रहा है क्या? बेटा वो जा सकता, तो वो रूकता ही नहीं … तू चला जा.

अब मेरे को जाना पड़ा. मैं 11 बजे निकला था. सबको पता है कि मैं बाइक आराम से चलाता हूं, टाइम तो लगेगा ही. और मुझे था कि अब कोई मेहमान जान पहचान वाले तो होंगे नहीं.
इसलिए मैंने भी बोल दिया था कि मैं जाऊंगा और आ जाऊंगा … रुकूंगा नहीं.

लेकिन ये सोच लो दोस्तो … कि उस दिन तो भाभी की चुदाई होना ही था. भईया के साथ नहीं, पर मेरे हाथों उद्घाटन होना था,
मुझे लगा कि ये सब होना ही था. हमारा संभोग ऊपर से लिख कर आया होगा.

सुबह मौसम भी खराब था, तो मैं 3 घंटे में पहुंचा था. अकेला होता हूँ, तो भी आराम से ही चलाता हूं.

उनके घर में आंटी अंकल मतलब भाभी के पापा मम्मी भाभी का भाई था, जो अपने हॉस्टल जा रहा था.
मैं उससे मिला, तो वो बोला- आप यहां रुकिए … मुझे जाना ही पड़ेगा, कल से कॉलेज जाना ही पड़ेगा. पिछले 15 दिन से यहीं था.
उतने में उसकी बस आ गई. वो चला गया.

मैंने भाभी से नमस्ते बोला और अंकल आंटी से सभी से नमस्ते किया. फिर मैंने अंकल आंटी को बोला- भाभी की तैयारी तो होगी ही, तो उनका सामान दे दो … और हमें भी आज्ञा दे दीजिए. मुझे धीरे गाड़ी चलाना पसंद है और मौसम बारिश का बना है.
“हां बेटा, सब तैयार है, बस तुम अन्दर तो चलो … थोड़ा चाय पानी वगैरह पी लो. अभी तो आए हो, खाना वगैरह कुछ ले लो.”

मेरे मना करने पर भी उन्होंने जोर दिया और मुझे जाना पड़ा. अन्दर जाते ही पानी पड़ने लगा. एक घंटे के बाद बारिश कम हुई तो मैंने बोला कि अब निकल जाते हैं.
मौसम खुला था, उन्होंने कहा- थोड़ा देख लो, फिर चले जाना.

उतने में अंकल का कॉल आया-आज मत आना … आज बहुत पानी बरस रहा है, सब रास्ते बन्द हैं.
अब पापा का कॉल आया, तो मैंने आने की जिद की, तो बोले कि कह दिया, चुप रह … सुबह आना.
मैंने बोला- ठीक है … सुबह आ जाऊंगा.

अब रात रुकना पड़ा. वो लोग मेरी सेवा में कोई कसर नहीं कर रहे थे कि इसको कुछ ना लगे. सब कुछ खिलाने पिलाने बोलने में लगे थे.
भाभी भी हर बार मेरे ख्याल रखने में लगी थीं. पर मेरे लिए उनके तेवर तोड़े अलग थे. शायद पता था. क्यों भाई पर उनको देखकर बस चोदने का मन करता था. इसी में टाइम कट रहा था.

अब लंड फिर तैयार था, तो बॉथरूम की तरफ गया और अन्दर चला गया.

भाभी के यहां मेरा लंड जबरदस्त खड़ा हो रहा था. मुझे क्या पता था कि आज भाभी की सील तोड़ने का मौका मेरे लंड के नसीब में ही लिखा था. ये सब कैसे हुआ इसका पूरा किस्सा अगले भाग में आपके सामने होगा. तब तक मुझे ईमेल करके अपने विचार बताएं.

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कहानी का अगला भाग: नई भाभी की सुहागरात मेरे साथ-2

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