मेरे टीचर ने की मेरी पहली चुदाई-3

(Mere Teacher Ne Ki Meri Pahli Chudai- Part 3)

मेरी पहली चुदाई कहानी के पिछले भाग
मेरे टीचर ने की मेरी पहली चुदाई-2
में आपने पढ़ा कि कैसे मैं अपने टीचर के घर गई और हम दोनों ने कैसे चूमा चाटी का मजा लिया.
अब आगे:
>जैसे ही मैं सैंडिल उतारने लगी सर ने रोक दिया, सर ने कहा- सैंडिल के साथ ही ऊपर आ जाओ, इसमें बहुत सेक्सी लगती हो।
मैंने कहा- सर चादर गंदी हो जाएगी!
तो बोले- नई चादर बदल देंगे. वैसे भी मुझे ही चादर धोनी पडे़गी।< मैं ऐसे ही सैंडिल पहनकर ही बैड की बैक से पीठ लगा कर बैठ गई और सर भी ऊपर आकर मेरे साथ बैठ गए। सर ने सफेद रंग की लोअर और काली सफेद धारीदार टी शर्ट पहन रखी थी। मैंने कहा- डार्लिंग इस टी शर्ट में बहुत सेक्सी लगते हो। सर ने कहा- सिर्फ टी शर्ट में ही? लोअर में नहीं क्या? मैंने कहा- लोअर भी अच्छी है लेकिन टी शर्ट बहुत सेक्सी है। सर ने बैठे बैठे ही लोअर निकाल कर फेंक दी और कहा- ये कम सेक्सी लगती थी तो निकाल दी। सर ने नीचे कुछ नहीं पहना था; सर का लंड पूरी तरह से खड़ा तन कर खड़ा था जिसके ऊपर टी शर्ट आ रही थी और लंड ने वहां से कपड़े को उठा रखा था। मैंने सर से कहा- सर टी शर्ट अकेली सेक्सी नहीं लगती! तो सर ने शरारती मुस्कान देकर कहा- बहुत चालू हो यार! और सर ने टी शर्ट भी निकाल कर फेंक दी। अब सर मेरे सामने बिल्कुल नंगे बैठे थे। मैंने हाथ से सर का लंड पकड़ लिया और चमड़ी को पीछे करके लाल टोपे को बाहर निकाल लिया। मैं उस पर धीरे-धीरे उंगली घुमाने लगी। लंड का टोपा बहुत ही चिकना और मुलायम था। तभी सर ने मुझे अपनी गोद में आने को कहा और मैं सर की गोद में आ गई। सर ने मेरे दोनों बूब्ज़ शर्ट के ऊपर से पकड़ लिए और मेरे होंठों पर होंठ रख दिए। सर मेरे बूब्ज़ दबाते हुए मेरे होंठ चूमने लगे और कुछ ही देर में मैं भी गर्म हो गई। मैंने सर के चेहरे को दोनों हाथों में ले लिया और सर के होंठ जोर से चूमने लगी। अब हम बहुत जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे; कभी सर मेरे होंठ को अपने मुंह में खींचकर चूसते और कभी मैं सर के होंठ अपने मुंह में भर कर चूसने लगती। तभी जैसे मैंने मूवी में देखा था, वैसे सर के मुंह में जीभ घुसा कर घुमाने लगी। सर का मुंह एकदम गर्म था। सर मेरी जीभ अपने मुंह में लेकर चूसने लगे और फिर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी। सर मेरे मुंह में जीभ घुमाने लगे और फिर मैं सर की जीभ चूसने लगी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ को और होंठों को ऐसे चूस रहे थे जैसे सारा रस निचोड़ कर पी जाएंगे। सर ने मेरा चेहरा अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर को किया और मेरी गर्दन पर अपने होंठ रखकर चूमने लगे; मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। सर अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरी गर्दन पर घुमाने लगे तो मेरे बदन के एक एक अंग में बिजली सी दौड़ने लगी और मैंने सर के कंधों पर हाथ रख कर जोर पकड़ लिया। अब सर ने पूछा- कैसा लग रहा है शिल्पा? मैं कुछ नहीं बोल पाई, बस नशीली नजरों से सर की आंखों में देखने लगी और सर ने मेरी आंखों में देखते हुए अपनी एक आंख दबा दी। मुझे मालूम नहीं क्या हुआ, मैंने अपनी दोनों बांहें की पीठ पर लपेट दीं और कस कर पकड़ कर सर से चिपक गई। मेरे बूब्ज़ सर की छाती से चिपक गए और मेरे दिल की धड़कन तेज़ गति से चलने लगी। मैं कुछ देर ऐसे ही चिपकी रही. और फिर सर ने मुझे पीछे खींचा; सर ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर शर्ट निकाल थी और फिर मेरी ब्रा की हुक खोलकर ब्रा भी निकाल दी। सर ने मेरे बूब्ज़ को देखा, दबाने लगे और कहा- शिल्पा, तेरे बूब्ज़ भी तेरी बहन की तरह बड़े, टाईट, मुलायम, गोल और मस्त हैं। तू भी अपनी बहन की तरह बहुत मस्त माल है और उस जैसी ही चुदक्कड़ बनेगी। मैं बिल्कुल बेशर्म हो गई थी और कहा- चुदक्कड़ न होती तो यहां चुदने क्यों आती? सर ने कहा- बिंदास भी अपनी बहन की तरह ही हो... तुझे चोदने में बहुत मजा आएगा। मैंने कहा- मना किसने किया है जानेमन, तुम जी जान से चोदो और मैं जी जान से चुदाई करवाने ही आई हूं। सर ने मेरे बूब्ज़ जो़र से पकड़ लिए और मसलने लगे। सर अपने दोनों हाथों से मेरे बूब्ज़ मसलने लगे और फिर मेरे सख्त हो चुके बूब्ज़ के निप्पलों को अपने अंगूठे और उंगली के बीच दबा कर रगड़ने लगे। मैं तो मस्त हुई आसमान की सैर कर रही थी। तभी सर मेरे बूब्ज़ को अपनी छाती पर रगड़ने लगे। मैंने सर के हाथों को पकड़ कर अपनी पीठ पर कर लिया और अपने बूब्ज़ सर की छाती पर दबा कर रगड़ने लगी। सर ने कहा- क्या बात है जानूं... तू तो बिना कहे ही समझ गई कि मुझे क्या चाहिए। मैंने कहा- समझ तो आएगी ही जानेमन, आज से आपकी रखैल जो बन गई हूं। मैंने सर की छाती पर बूब्ज़ रगड़ते हुए अपने होंठ सर की गर्दन पर रख दिए और चूमने लगी। फिर मैं सर की गर्दन को जीभ से चाटते हुए सर की छाती पर अपना मुंह ले आई। मैं सर की छाती को चूमने लगी और सर की छाती के निप्पलों को जीभ से चाटने लगी। जब मैं सर के निप्पलों को जीभ से चाटती तो सर की सांस तेज़ हो जाती। अब मैं सर की छाती के निप्पलों को मुंह में भरकर जोर जोर से चूसने लगी और सर मेरा सर अपनी छाती पर दबाते हुए आहह आहह करने लगे। कुछ देर बाद सर ने मुझे अपनी गोद से उतार कर बैड पर लेटा दिया और मेरी जींस का बटन एवं जिप खोल दी। सर मेरी जींस को उतारने लगे, मैंने गांड थोडी़ ऊपर उठा ली और सर ने मेरी जींस खींच कर मेरी जांघों तक नीचे कर दी। मेरी जींस बहुत टाईट थी तो सर को खींचने में दिक्कत हो रही थी क्योंकि जींस मेरी जांघों में फंसी हुई थी। सर ने कहा- शिल्पा, तेरी जींस तो बहुत टाईट है, तुम इसको निकालती कैसे हो, मुझ से तो उतर ही नहीं रही। मैंने कहा- जानू, जब टाईट जींस नहीं खोली जा रही तो मेरी चूत एवं गांड के छेद तो और भी टाईट हैं वो कैसे खोलोगे? सर ने कहा- तू बहुत चालू है रे... अब बता कैसे निकलेगी? मैंने कहा पहले सैंडिल उतारने पड़ेंगे फिर जींस को ऊपर से पकड़ कर नीचे करते जाना उल्टी होकर निकलेगी। सर ने वैसा ही किया और फिर मेरी पैंटी भी खींच कर निकाल दी। अब मैं और सर बैड पर बिल्कुल नंगे थे। सर मेरे ऊपर झुक गए मेरे बूब्ज़ के निप्पलों को बारी बारी से चाटने लगे। अब सर मेरे बूब्ज़ को मुंह में भर कर चूसने लगे और मैं मस्त होकर आहह आहह करते हुए उनका सिर अपने बूब्ज़ पर दबाने लगी। सर मेरे बूब्ज़ को अपने मुंह में भर कर जोर से चूसने लगे और फिर ऊपर खींच कर छोड़ देते। जैसे ही मेरे बूब्ज़ सर के मुंह से बाहर आते तो बहुत जोर से गप्प गप्प की आवाज आती। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. तभी सर मेरे निप्पलों को चूसने लगे और बीच बीच में दांत से काट लेते। जब सर मेरे निप्पल पर काटते तो मेरे मुंह से चीख निकल जाती और मैं सर के बाल नोच लेती। थोडा़ दर्द तो होता लेकिन मजा कहीं ज्यादा आता। अब सर मेरे चिकने पेट को चूमने लगे और जीभ से चाटने लगे। मैं मस्ती में मचलने लगी और जब सर मेरी नाभि में जीभ घुसा कर घुमाते तो मैं एकदम मस्त हो जाती और मेरी गांड अपने आप उछलने लगती। अब सर मेरी मस्त जांघों को सहलाने और चूमने लगे। सर के होंठों में जादू था, मैं पागल हुए जा रही थी और चूत गीली हो गई थी। तभी सर बैड पर लेट गए और मुझे 69 अवस्था में अपने ऊपर कर लिया। अब मेरी चूत बिल्कुल सर के होंठों के ऊपर थी और सर का लंड मेरे होंठों के पास। मैं सर का लंड पकड़ कर धीरे धीरे हिलाने लगी और सर अपने हाथ से मेरी चूत मसलने लगे। सर ने अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया और मैंने उनका लंड मुंह में ले लिया। सर मेरी चूत में जीभ डालकर चाटने लगे और मैं भी सर का लंड अपने गले के अंदर तक ले कर चूसने लगी। कुछ तो सर के थूक से और कुछ मेरी चूत के रस से मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी ती और सर का लंड भी मेरे चूक से चिकना हो गया था। सर ने जल्दी से मुझे अपने नीचे लेटा लिया और मेरी टांगें खोलकर मेरी टांगों के बीच आ गए। सर के लंड से अभी भी मेरा थूक टपक रहा था; सर ने कहा- अभी लंड और चूत बिल्कुल चिकने हैं, क्या तुम तैयार हो? मैंने हां में सिर हिला दिया और सर ने मेरे होंठों को एक बार चूमा। सर ने मेरी चूत के छेद पर लंड रखकर थोडा़ सा दबा दिया और सर के लंड का टोपा मेरी चूत में घुस गया। मुझे बहुत मजा आया लेकिन तभी सर ने के जोरदार झटका मारा और मेरा सारा मजा हवा हो गया। सर का लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ आधा मेरी चूत में घुस गया और मेरे मुंह से जोर से चीख निकली; मैं दर्द से छटपटाने लगी और सर ने दूसरा झटका मार कर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। मैं दर्द के मारे रोने लगी और सर को लंड बाहर निकालने को कहने लगी। सर ने मेरे आंसू पौंछ कर कहा- अभी सब कुछ ठीक हो जाएगा! और सर कुछ देर मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहे। कुछ देर बाद मेरा दर्द कम दोने लगा और कम होते होते सिर्फ जलन रह गई। थोडी़ ही देर में मैं नॉर्मल हो गई और गांड चल कर चूत में लंड हिलाने लगी। सर को पता चल गया अब मुझे मजा आ रहा है। सर अपनी कमर चला कर धीरे धीरे लंड को चूत के अंदर-बाहर करने लगे। अब लंड आसानी से चलने लगा और मुझे बहुत मजा आने लगा; मैं नीचे से गांड उछालने लगी. लेकिन तभी सर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया। मैंने पूछा- अभी मजा आने लगा था तो लंड निकाल क्यों लिया? सर ने कहा- चूत और लंड से खून साफ करके चुदाई करेंगे। सर ने मुझे अपना लंड दिखाया उस पर खून लगा हुआ था। फिर सर ने कपड़े से अपना लंड और मेरी चूत साफ किए। सर ने मुझे उस जगह से उठा कर दूसरी जगह लेटा दिया और मैंने चादर देखी तो वहां मेरी चूत से निकला हुआ खून लगा हुआ था। अब सर ने एक बार फिर मेरी टांगें खोलकर लंड मेरी चूत में घुसा दिया और इस बार फिर मेरे मुंह से चीख निकली लेकिन इस बार यह चीख मस्ती से भरी हुई थी। सर ऊपर से अपनी कमर चला कर मेरी चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगे और मैं नीचे से गांड उछाल उछाल कर चूत की गहराई में लंड लेने लगी। चूत में लंड अंदर-बाहर होने से चुदाई की थप्प थप्प की आवाज आने लगी जो मुझे बहुत प्यारी लग रही थी। सर का लंड हर झटके के साथ मेरी बच्चेदानी से जाकर टकराता और हर बार मेरे मुंह से मस्ती भरी चीख निकलती। सर नीचे लेट गए और मुझे ऊपर कर लिया। मैं सर के लंड पर चूत टिका कर गांड को धीरे धीरे नीचे धकेलने लगी। कुछ ही पल में सर का लंड मेरी चूत में समा गया। मैं सर की छाती पर हाथ रखकर लंड पर उछलने लगी और सर नीचे से कमर चला कर मेरी चूत चोदने लगे, मेरे बूब्ज़ मी मेरे साथ साथ हवा में उछलने लगे। सर ने मेरे बूब्ज़ को अपने हाथों में पकड़ लिया और नीचे से तेजी से मेरी चूत चोदने लगे। मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं बहुत तेजी और जोर से सर के लंड पर उछलने लगी। कुछ देर बाद सर ने कहा- शिल्पा तेरा गला और चूत तो अब लंड के लिए खुल गए हैं, अब गांड भी खोल लें। मैंने पूछा- क्या गांड से भी खून निकलेगा? तो सर ने कहा- नहीं रे पगली, गांड से खून नहीं निकलेगा। सर ने मुझे घुटने मोड़कर बैड पर बैठा दिया और गांड को ऊपर को कर लिया जिससे मेरी गांड का छेद उभर कर दिखने लगा और शायद थोडा़ खुल भी गया। सर ने पास पड़ी एक डिब्बी उठा ली जिसमें क्रीम थी, सर ने मेरी गांड के छेद पर अच्छे से क्रीम लगा थी और फिर गांड में उंगली डालकर अंदर तक लगा दी। सर ने अपने लंड पर कंडोम लगा लिया और कंडोम के ऊपर क्रीम लगा ली। अब सर ने मेरी कमर को पकड़ कर मेरी गांड के छेद पर लंड लगा कर धीरे धीरे दबाना चालू कर दिया। सर का लंड मेरी गांड की दीवारों को खोलता हुआ अंदर जाने लगा। मुझे लग रहा था जैसे मेरी गांड खुलती जा रही है और हल्का हल्का दर्द हो रहा था। कुछ ही देर में सर का लंड मेरी गांड की गहराई में समा गया। सर ने पूछा- शिल्पा, दर्द तो नहीं हो रहा? तो मैंने कहा- हल्का सा हो रहा है। सर ने कहा- ये भी चला जाएगा! और सर धीरे धीरे मेरी गांड में लंड अंदर-बाहर करने लगे। कुछ ही पलों में दर्द गायब हो गया और मैं अपनी गांड धीरे धीरे उछालने लगी। सर तेजी से मेरी गांड चोदने लगे और मैं भी तेजी से गांड उछाल उछाल कर चुदने लगी। मैंने सर से कहा- अगर मालूम होता कि चुदाई में इतना मजा आता है कब की चुदवा लेती। सर ने मेरी गांड चोदते हुए कहा- अब जितना चाहे चुदवाती रहना अब कभी दर्द नहीं होगा। फिर सर ने मेरी गांड से लंड निकाल लिया और मुझे सैंडिल पहनने को कहा। मैंने सैंडिल पहन लिए और सर ने मुझे पेट के बल दीवार से सटा कर खड़ी कर दिया। सर ने मुझे चूतड़ खोलने को कहा और मैंने अपने हाथ पीछे करके अपने चूतड़ खीच कर फैला दिए। इससे मेरी गांड का छेद दिखाई देने लगा। सर ने पीछे से मेरी गांड में लंड डाल दिया और अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए। सर ने मेरा एक कान अपने मुंह में भर लिया और बूब्ज़ दबाते हुए गांड में झटके मारने लगे। सर तेजी से झटके मारकर मेरी गांड चोदने लगे और मैं भी उतनी तेजी से गांड आगे पीछे करके गांड चुदाई करवाने लगी। सच तो ये है कि मेरी जिंदगी का वो पहला इतना अच्छा और रंगीन दिन था। उस दिन मेरे तीनों छेद लंड लेकर अगली चुदाई को तैयार हुए और मेरे चुदाई के मजे लेने की शुरुआत हुई। सर मुझे जितनी तेजी से चोदते मुझे उतना ही मजा आता। सर ने मेरी गांड से लंड निकाल लिया और अपने लंड से कंडोम भी निकाल दिया। सर ने मुझे बैड के सहारे झुका कर खड़ी कर दिया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। सर मेरी कमर को पकड़ खर मेरी चूत चोदने लगे और मैं भी आगे पीछे गांड उछाल कर चुदाई करवाने लगी। सर बहुत तेजी से मेरी चूत चोदने लगे। कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं ठंडी आहें भरते हुए झड़ने लगी। जितना मजा मुझे आज लंड लेकर झड़ने से आया पहले उंगली से कभी नहीं आया था। सर भी अब झड़ने वाले थे और उन्होंने लंड मेरी चूत से निकाल कर मुझे नीचे घुटनों के बल बैठा दिया। सर ने अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया और मैं मुंह में लंड लेकर चूसने लगी। कुछ ही देर में सर के वीर्य से मेरा मुंह भर गया। जितना वीर्य मैं अंदर ले सकती थी वो मैं पी गई और बाकी बाहर निकल कर मेरी गालों पर फैल गया तथा कुछ होंठों से टपक कर मेरे बूब्ज़ पर गिर गया। सर का लंड मेरे मुंह से बाहर आ चुका था लेकिन अभी भी वीर्य उनके लंड पर लगा हुआ था। मैंने जीभ से चाट कर सर के लंड से सारा वीर्य साफ कर दिया और जो वीर्य मेरी गालों, होंठों एवं बूब्ज़ पर था उसको भी हाथ से साफ कर के चाट लिया। कमरे में एसी चल रहा था लेकिन फिर भी हम पसीने से भीगे हांफ रहे थे। हम दोनों ऐसे ही बैड पर लेट गए। कुछ देर बाद सर ने मुझे उठाया और नई चादर बिछा कर गन्दी चादर धोने चले गए और मैं बाथरूम में जाकर नहा ली। जब मैं नहा कर आई तो सर बैड पर नंगे ही लेटे हुए थे और मैं भी उनके साथ चिपक कर नंगी ही लेट गई। उसके बाद हमनें एक बार फिर से चुदाई की और आंटी के आने से पहले हम कपड़े पहन कर पढ़ाई वाले कमरे में आ गए। आंटी के आने के बाद हम पढ़ाई का नाटक करने लगे। उसके बाद सर मुझे अपने स्कूटर पर मुझे घर छोड़ने आए। जब हम घर पहुंचे तो दीदी बाहर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी। सर ने मुझे गेट के बाहर उतार दिया और दीदी ने सर से कहा- शिल्पा को भी चोद दिया। सर ने उसको सेक्सी मुस्कान देकर कहा- अब किसी दिन तुम दोनों बहनों को एक साथ चोदूंगा। दीदी बोली- उस दिन का इंतजार रहेगा। दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदाई और मेरी पहली कहानी। अगर कोई गलती हो गई हो तो माफी चाहूंगी अगली बार एक और चुदाई की कहानी के साथ मुलाकात होगी. तब तक सबको शिल्पा का नमस्ते। [email protected]

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