तेरे मम्मे तो औरतों जैसे हैं

लेखक : सनी गांडू

मेरी गाड़ी एक बार फिर से पटरी पर आ चुकी है, अपनी कड़ी मेहनत से मैंने कुछ नये बॉय-फ्रेंड बनाये हैं।

किसी का वहाँ का फूला हुआ हिस्सा जब दिखता है, तो कुछ-कुछ होने लगता है। किसी को पेशाब करते हुए उसका लंड देख लेता हूँ तो भी कुछ-कुछ होने लगता। इतना तो किसी लड़की को नहीं होता होगा, जो मेरे साथ होता है।

अगर किसी फिल्म थियटर में भीड़ में टिकट लेते वक़्त पिछले बंदे का लंड गांड पर लग जाए, तो मेरे दिमाग में उसी पल अलग किस्म से ख्याल आने लग जाते हैं।

अब जो मैं अपनी एक नई सच्ची चुदाई जो इन्हीं में से किसी एक तरीके से मेरा आकर्षित होना, इसी की वजह से हुई। पहले दिन तो दाल नहीं गली, फिर यह चीज़ मेरे साथ लगातार दो दिन हुई।

आजकल मैं जालंधर की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहा हूँ, जिसके चलते मैं वहीं किराए पर एक रूम, उसके साथ रसोई, बाथरूम अटैच आदि है। अकेला हूँ इसलिए मेरे लिए बहुत है, कमरा काफी खुला है। अच्छी जगह पर मिल गया और मैं खाना अभी रात को ढाबे पर खाने जाता हूँ। आज ही एक टिफिन वाले से बात की है। काफी हैण्डसम सा लड़का है। वो कहता है साब, आपका घर सबसे लास्ट है। घर जाते-जाते आपका टिफिन देकर जाया करूँगा।

हो सकता है कि आगे चलकर उस टिफिन वाले हैण्डसम के साथ मेरा टांका फिट हो जाए। मुझे वो बहुत अच्छा लगा है।

पहली बार में देख कर फीलिंग आई है, लेकिन उससे पहले जो ताज़ा वाकया दो दिन पहले हुआ। जालंधर में नया-नया हूँ, अभी सैटिंग नहीं हुई थी। लेकिन मुझे निराशा कम ही हाथ लगती है।

जिस ढाबे में मैं खाना खाने जाता हूँ, वहाँ बहुत भीड़ होती है, क्यूंकि उस एरिया में जॉब के चलते कई लोग किराए पर रहते हैं। उस दिन से पहले कोई ऐसा विचार नहीं आया था कि वहाँ से मुझे लंड मिलेगा। मैंने अपना आर्डर पैक करवाने के लिए दिया। काउंटर पर कुहनियाँ टिका कर, थोड़ा झुक के खड़ा था।

कई लोग मेरे पीछे से हाथ आगे ले जाकर पैसे दे रहे थे। कुछ आर्डर दे रहे थे। मैंने निक्कर पहन रखी थी। मैं काउंटर पर पड़े शीशे के नीचे ढाबे का मीनू पढ़ रहा था। उस दिन ज्यादा ही भीड़ थी, मेरे पीछे काफी लोग हैं। तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे ठीक पीछे वाला जो था, वो जब पाँव उठाकर देखता कि उसका आर्डर आया कि नहीं, तो उसका लंड बार-बार मेरी गांड पर लग रहा था।

जैसे वो फिर से पाँव उठा कर देखने लगा, मैंने अपनी गांड पीछे सरका दी। उसे मालूम नहीं चला था कि मैंने खुद ऐसा किया है। अब मैंने दुबारा गांड पीछे धकेली, वो जान गया। मैं खुद उसको उकसा रहा हूँ, लेकिन हरामी ने डरते हुए कुछ नहीं बोला। जबकि मैंने तीन बार गांड उसके ‘पोल एरिया’ पर टिका कर पीछे की, लेकिन मेरा दांव नहीं चल सका।

वो उस जगह से ही हट गया, दूसरी साइड खड़ा हो गया। मैंने उसको देखा, मुस्कुराया लेकिन देखना छोड़ दिया। मेरा ऑफ हो गया। घर लौट खाना खाकर मैं सोने लगा। गांड में खुजली थी मैंने मोमबती रसोई से ली, उसको घुसाकर खुजली मिटाई।

अगली रात मैं उसी समय पर गया, ढाबे वाला मुझे जानने लगा है। रोज़ की तरह वैसे ही खड़ा था। मेरे पीछे एक बंदा था, पक्के रंग का। वो पैसे देने के लिए आगे बढ़ा तो मैंने गांड धकेली, शायद उसको कुछ समझ आई। सीधा खड़ा होकर लंड का दबाव आगे डाला, मुझे भी लगा और गांड को दबाया। उसने लंड को दबाया, दोनों समझ गए।

मैं सीधा होकर खड़ा हुआ, भीड़ में नीचे कोई नहीं देख रहा था मैंने धीरे से उसके लंड पर उँगलियाँ फेरीं। वहाँ तक उंगलियां ही पहुँच पाई थीं कि वो बिलकुल कान के पास आकर बोला- कुछ चाहिए क्या?

मैं बोल नहीं सकता था, उसके आगे था इसलिए उसका जवाब मैंने गांड का दबाव उसके लंड पर डाल कर दे दिया।

“लगता है तुझे यह चाहिए !”

मैंने धीरे से सर ‘हिला’ दिया। इतने में मेरा आर्डर पैक होकर आ गया। लेकिन वो पीछे था मुड़ते-मुड़ते मैंने उसके लंड को सहला दिया, लग रहा था पैंट फाड़ बाहर आएगा। उसका भी आर्डर हुआ। मैं बाहर ही रुका रहा। कुल्फी वाले से कुल्फी ली, वो मुझे देखने लगा। मैंने कुल्फी को मुँह में लेकर निकाला उस पर जुबान फेर दी। थोड़ा आगे पार्क था, अँधेरा था, मैं उसके अंदर गया।

दो मिनट बाद वो आया, बोला- लगता है तुझे कुछ चाहिए !

अब मेरी जुबान आज़ाद थी- तेरा पप्पू चाहिए मुझे।

उसने थैली साइड में रखी, जिप खोल दी और आधा खड़ा लंड मेरे सामने था। मैं वहीं बैठ चूसने लगा, पूरा खड़ा हो गया।

उसके लंड में बहुत जान थी, बोला- यहीं गांड मरवाएगा, मेरा कमरा पास में ही है आज अकेला हूँ, साथी घर गया हुआ है।

उसके रूम में जाकर मैं उसकी बाँहों में था। वो होंठ से मेरे गालों को चूमने लगा। मैं बराबर उसका लंड सहलाता गया। दोनों नंगे हो गए। मेरी टाँगें उठा उसने लंड डालना चाहा। मैंने रोका, निक्कर से कंडोम निकाला।

बोला- वाह, तू इसको साथ रखता है, पक्की रंडी है साली, तेरे मम्मे तो औरतों जैसे हैं। यह किस तरह बन गए !

“तेरी औरत बन जाऊँगी, आज की रात सुहागरात मना ले राजा !”

“बोला सच में तेरी चेस्ट की जगह ब्रेस्ट देख में हैरान हूँ !”

“तो चूम ले, चूस ले, दबा ले, खा जा इनको, चाहे मसल डाल।”

उसने कंडोम चढ़ाया और घोड़ी बना कर घुसा दिया। मुझे बहुत मजा आने लगा।

मैंने कहा- मुझे औरत की तरह अपने नीचे लिटा कर चोद।

वो मेरी बातों से हैरान भी था। टाँगें कन्धों पर रख कर मैंने उसका ‘लुल्ला’ ले लिया। एक-एक राऊंड लगाया।

मैंने कहा- चल अपना कमरा लॉक कर और मेरे रूम में चल।

वहाँ आकर मैंने लड़की वाले कपड़े पहने और हमने सुहागरात मनाई। बहुत मजा आया।

जल्दी अपनी अगली मस्त चुदाई जो इसके बाद हुई है, लिख कर हाज़िर हो जाऊँगा।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top