मेरे सपनों की रानी संग फुल मस्ती

(Desi Girlfriend Ki Xxx Kahani)

देवराज 1 2021-12-17 Comments

देसी गर्लफ्रेंड की Xxx कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की की है. वो अपनी रिश्तेदारी में पढ़ाई के लिए आयी थी. उसके साथ मेरी सेटिंग कैसे हुई?

नमस्कार दोस्तो, मैं देवराज शर्मा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के एक छोटे से ग्राम से हूं. मैं मध्यम वर्गीय परिवार से हूं.
दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद नजदीक के ही शहर में मैं एक प्राइवेट जॉब करने लगा था.

अन्तर्वासना पर मेरी यह पहली सेक्स कहानी है.
वर्ष 2009 में मेरी कहानी शुरू हुई.

सेक्स कहानी की नायिका, मेरे हसीन सपनों की रानी सुमन के साथ मेरा प्रेम शुरू हुआ. उसके साथ मैंने मार्च 2012 तक खूब मजे किए.

अपनी देसी गर्लफ्रेंड की Xxx कहानी को आज मैं आपके सामने बयान कर रहा हूं जो कि एकदम सच्ची घटना पर आधारित है.

उस समय मेरी उम्र 22 वर्ष थी और सुमन की उम्र 19 वर्ष थी. वह 12 वीं क्लास में गणित वर्ग की स्टूडेंट थी.

सुमन का 32-28-34 का फिगर बहुत ही कामुक था. उसकी हाइट 5 फुट 2 इंच की थी.

मैं एक मोहल्ले में एक कमरा किराए पर लेकर रहता था. मेरे पड़ोस में सुमन के पापा का ननिहाल था और वह उसी शहर से पढ़ाई कर रही थी.

सुमन का गांव शहर के नजदीक ही था. वह अक्सर अपने पापा के ननिहाल में स्कूल से आधी छुट्टी या पूरी छुट्टी के बाद रात को रुक जाती थी.

उसके पापा के ननिहाल के घर वालों के साथ मेरी अच्छी बनती थी.
जब भी मुझे टाइम मिलता, मैं वहां सुबह शाम या दिन में चला जाता था.

एक दिन मैंने अपने सपनों की रानी को वहां पर देखा और आंटी से पूछा कि यह कौन है?

आंटी (सुमन के पापा की मामी) ने सुमन से मेरा परिचय करवाया और हमारी हाय हैलो होनी शुरू हो गई.

एक दिन दोपहर को मैं अपने पड़ोस में गया तो वहां सुमन बैठी थी.

ऐसे ही बातों बातों में मैंने उससे कह दिया- अगर आपको कोई काम हो, तो बता देना. आपके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ.

कुछ दिनों बाद ‘ए आई ट्रिपल ई …’ के फार्म के लिए सुमन ने मुझसे कहा- अगर कोई आपका जानकार हो, तो मेरे लिए भी एक फार्म मंगवा देना.

मेरे दो-तीन दोस्त थे, जो उसी वर्ष 12 वीं कर रहे थे, तो उनसे बोल कर मैंने सुमन के लिए एक फार्म मंगवा दिया और पैसे भी मैंने ही दे दिए.
इससे वो बड़ी खुश थी.

ऐसे ही हमारी नॉर्मल दिनचर्या चल रही थी.

मुझे सुमन को लेकर अपने मन में वासना के विचार आने लगे थे.
मैंने सुमन को जिस दिन से देखा था, उसी दिन से उस पर फिदा हो गया था.
मैं मन ही मन उसको चाहने भी लगा था.

फिर एक दिन शाम को मैं कमरे पर से खाना खाने के बाद पड़ोस में चला गया

वहां पर उस रात सुमन भी रुकी हुई थी; वह पढ़ रही थी.

मैं उससे ऐसे ही बात करने लगा. बात करते करते ही वो मुझसे फार्म के लिए धन्यवाद कहने लगी.

मैंने उससे कहा- अरे कितनी बार धन्यवाद कहोगी, हो गया … अगर कोई और भी काम हो तो बता देना. आपके लिए मैं जी जान से हाजिर हूं.
वो मुस्कुरा दी.

ऐसे ही मैं कुछ समय बैठा रहा और मैं अपने रूम पर आकर सो गया.

उसके 2 या 3 दिनों के बाद रात को लगभग 9:00 बजे के पास सुमन का फोन मेरे फोन पर आया और उसने ऐसे ही धीमी धीमी आवाज में बात करना शुरू कर दी.
वो उस समय रजाई के अन्दर से बात कर रही थी.

उसने बोला- मेरे पापा ने आपको क्या पैसे दे दिए?
मैंने कहा- नहीं … कोई बात नहीं, नहीं देंगे, तो भी चलेगा. आपके लिए तो यह तो कुछ भी नहीं है. मैं कुछ भी कर सकता हूं.

ऐसे ही धीरे-धीरे हमारी बात होने लगी.

शायद वह भी मुझे थोड़ा बहुत अन्दर ही अन्दर चाहने भी लगी, यह बात उसने मुझे बाद में बताई थी.

उस रात हमने 3-4 घंटे तक बात की और उसको बोला कि कल दोपहर को तुम मेरे पड़ोस में आना.
तो वह बोली- क्यों?

मैं बोला- मैं आपको एक बार जी भर कर देखना चाहता हूं.
वह बोली- मेरे को तो आप रोज ही देखते हो.

मैं बोला- आज कुछ और बात है. कुछ नजरिया अलग है. हमारी बहुत बातें हुई हैं और मैं एक बात और कह देना चाहता हूँ तुम बुरा मत मानना, आई लव यू सुमन.

जब मैंने उसे आई लव यू बोल दिया तो वो बोली- मगर मैं किसी और से प्यार करती हूँ. हालांकि वह मुझे छोड़ चुका है इसलिए मैं अब किसी और से कोई दोस्ती नहीं करन चाहती हूँ, दिल टूट जाता है.

मैंने उससे इस सम्बन्ध में लेकर काफी बातें की और आखिरी में इस बात को लेकर हम दोनों राजी थे कि हमारी बातें होती रहना चाहिए.

उसके बाद हमारी रोजाना बात होने लगी.

ऐसे ही एक दिन में उनको बातों बातों में बोल दिया- अगर तुम मुझसे प्यार ही नहीं करती हो … तो मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी. आज के बाद मुझे कभी कॉल मत करना.

उसके बाद दो-तीन दिन तक मेरी कोई बात नहीं हुई.

फिर एक दिन रात को उसका फोन आया और वह बोली- आज आपके लिए कुछ खास तोहफा है.

मैंने पूछा- क्या?
उसने भी आई लव यू टू बोल दिया और वो रोने लगी.

मैंने उसे चुप कराया और उसके बाद हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा.

अब हमारी रोज रात को दो तीन चार घंटे बात होने लगी.

एक रात को मैंने उससे बोला- मुझे तुम्हें किस करना है, कल तुम मेरे रूम पर इस बहाने से आ जाना कि कंप्यूटर में कुछ डाक्यूमेंट्स चैक करने हैं.
शायद उसका भी मन था तो वो झट से राजी हो गयी.

हमारा अगले दिन दोपहर की आधी छुट्टी में रूम पर मिलना तय हुआ और सिर्फ किस ही करना है … और कुछ नहीं, ये तय हुआ था.

हमारे मिलन का समय आ ही गया और मेरे सपनों की हसीन रानी मेरे रूम पर आ गई.

मेरे सपनों की रानी के होंठ इतने मस्त हैं कि बस ऐसा लगता है कि उनको चूसता ही रहूं … चूसता ही रहूं.

उस दिन हमने करीब 10 मिनट तक होंठों से होंठों को मिलाया और किस करते रहे.

मैंने अपना वादा निभाया और उसे सिर्फ किस किया.
उसके बाद वह चली गई.

थोड़े समय बाद उसके एग्जाम का समय भी आ गया.

सुमन ने मेरे पड़ोस में अपने पापा के ननिहाल में रहकर ही एग्जाम देने का निर्णय किया.

एक दिन शाम को मैं उधर गया.
सुमन पढ़ाई कर रही थी.

ऐसे ही बातों बातों में आंटी ने बोला कि आज सिलेंडर खत्म हो गया और कल सुबह सुमन का पेपर है, चाय बनाने में समस्या होगी.

मैंने बोला- कोई बात नहीं, यह कितने बजे उठती है, उस टाइम मैं चाय बना कर ला दूंगा.
सुमन ने कहा कि जब छोटू (एक छोटा लड़का, मेरे साथ रहकर पढ़ाई करता था) और आप उठो, उस समय आप जब चाय बनाओ … तब मेरे लिए चाय बना कर ला देना.

मैंने कहा- ठीक है … मैं गेट बजाऊं, तो गेट खोल देना.
उसने ओके कह दिया.

मैंने सुबह 4:00 बजे चाय बनाई तो छोटू को उठाया ही नहीं और सुमन को चाय देने चला गया.

मैंने गेट बजाया तो उसने आकर गेट खोला.
मैं उसको चाय देकर जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ प्यार से देखने लगी.

हम दोनों एक दूसरे से लग गए. करीब 15 मिनट तक होंठों पर आपस में चुम्बन करते रहे.

सच में उस दिन इतना ज्यादा मजा आया कि मत पूछो.

फिर मैंने वापस अपने रूम पर आकर छोटू उठाया और उससे कहा- भाई उठ जा और कुछ पढ़ ले.

अगले दिन सुमन का पेपर नहीं था.
मैंने उससे कहा- आज रात को सभी के सो जाने के बाद गेट खोल देना, मैं आऊंगा या जब तुम ठीक समझो … मुझे फोन करके बुला लेना.
सुमन ने मुस्कुरा कर हामी भर दी.

उसका रात को 11:00 बजे फोन आया.
मैं गया तो उसने गेट खोल दिया.

गेट खोल कर वो वापिस मुड़ गई और बोली- कोई आ रहा है शायद!

ऐसा बोल कर उसने गेट बंद कर दिया.
वह वापस अन्दर चली गई.

मैं अपने रूम पर वापस आ गया. मैं उसको कॉल करता रहा पर उसने मेरा फोन नहीं उठाया.

उसने सुबह 4:00 बजे मुझको फोन किया, तो मैं गुस्से से उससे नाराज हो गया.

वह बोली- नाराज मत हो यार … अब आ जाओ.

मैं सुबह 4:00 बजे फिर से गया और दोनों ने 15 मिनट तक खूब मस्ती की. फिर मैं वापस आ गया.

कुछ दिनों में उसके एग्जाम खत्म हो गए और वह अपने घर चली गई.

उसके बाद में 2010 में मेरी शादी तय हो गई, जून में उसका रिजल्ट आया और वो अच्छे नंबरों से पास हो गई.

उसके बाद उसने उसी शहर में कॉलेज में बीएससी में दाखिला ले लिया.
मैं उससे बोलने लगा- अब मुझे आपसे मिलना है, बहुत दिन हो गए हैं.

लगातार कोशिश करता रहा मैं!
आखिर मेरी मेहनत रंग लाई और उसने एक दिन सुबह 7:00 बजे मुझे फोन किया- अभी आ सकते हो, तो घर पर आ जाओ, घर पर कोई नहीं है. आप 2 घंटे के लिए आ सकते हो.

मैं मोटरसाइकिल लेकर उसके घर पर चला गया.

वहां पर हम दोनों ने अच्छी तरह से किस वगैरह किए और अब मैं उसके कपड़े उतारने लगा.

लेकिन वह बोली- कपड़े मत उतारो, कोई आ गया तो समस्या हो जाएगी.

वह शर्मा भी खूब रही थी. मैं अच्छी तरह से उसके होंठों पर किस करता रहा.

फिर उसके मम्मों को जोर-जोर से दबाया और सलवार का नाड़ा खोल दिया.
इसके बाद मैं सलवार उतारने लगा, तो वो सलवार उतारने दे नहीं रही थी.

मैंने अपनी चैन खोलकर अंडरवियर से अपना लंड बाहर निकाला और उसको दिखाने लगा.
वो लंड देखने लगी, तो मैं उसकी सलवार उतारने लगा.

वह बोली- ऐसे ही ऊपर से थोड़ा नीचे सरका कर लो.

मैंने उसकी सलवार थोड़ी नीचे कर दी और ऊपर मुँह लगाकर उसके होंठों को चूसने लगा. साथ ही मैं नीचे उसकी बुर पर लौड़ा रगड़ने लगा.

लंड ने अपना छेद खुद खोज लिया था. मैंने भी लंड सही जगह पर लगा देखा, तो दबाव बना दिया.

उसकी चुत से पानी निकल रहा था तो चिकनाई हो रही थी.

पहले झटके में ही मेरा आधा लौड़ा उसकी चुत में चला गया.

अचानक हुए इस हमले से उसके चेहरे पर दर्द साफ देखा जा सकता था.
वो अपनी तरफ से खूब जोर लगाकर मुझे ऊपर से दूर धकेलने लगी तो लौड़ा वापिस बाहर निकल गया.

मैंने बोला- अगर करने ही नहीं देना है … तो फिर मुझे बुलाया क्यों?
वह बोली- क्या करूं यार … मुझे दर्द हो रहा है.

मैंने दुबारा से सही जगह पर लौड़ा लगाकर फिर से जोर लगाया. इस बार पूरा लौड़ा चुत के अन्दर चला गया और मुझे चैन पड़ गया.

सुमन की मस्त जवानी, जबरदस्त बोबे और मस्त होंठों को चूसते हुए मैंने सटासट धक्के लगाने शुरू कर दिए और कुछ ही देर में लंड से वीर्य निकल कर उसकी चूत में भर दिया.

उस दिन मैंने इतना ही किया और वापिस आ गया.

उसके पांच दिनों बाद मैं उससे बोलने लगा- यार अब एक दिन संडे को तुम मेरे रूम पर आ जाओ. हम दोनों पूरे दिन मस्ती करेंगे. उस दिन सही से सेक्स का मजा नहीं आया था. यार उस दिन समय भी कम था और साथ में घर पर किसी आने का डर भी लग रहा था. उस कारण से मैं अच्छी तरह से सेक्स कर भी नहीं पाया था.

इस पर वो शुरू शुरू में तो कहती रही कि नहीं मैं नहीं आ सकती, नहीं आ सकती.

मैंने किसी तरह से उसको मनाया और वह संडे को सुबह 10:00 से 10:30 के बीच मेरे कमरे पर आने को राजी हो गई.

बात करते हुए काफी रात हो गई थी तो गुड नाइट बोलकर मैं सो गया और कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.

सुबह 7:00 बजे नींद टूटी तो मेरी महबूबा के आने की खुशी में मैं अलग ही तरह से झूम रहा था.
मैंने अच्छी तरह से रूम की सफाई की और खुशबू वगैरह डाल कर चारपाई पर धुली चादर बिछा कर उसका इंतजार करने लगा.

मुझे अच्छी तरह से याद है कि वह 10:21 पर आई थी.
आते ही उसने गेट खटखटाया … मैंने झट से गेट खोला और उसको रूम के अन्दर आने का इशारा किया.

उससे पहले मैंने अपने मोबाइल पर गाने वाला वीडियो स्टार्ट करके रख दिया था.

बहारो फूल बरसाओ, मेरी महबूबा आई है.
बहारो फूल बरसाओ, मेरी महबूबा आई है.

वह खुशी से चहक उठी और आते ही मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया.

फिर रूम से बाहर निकल कर देखा कि किसी ने उसको अन्दर आते हुए तो नहीं देखा है.

अच्छी तरह से देख कर मैं रूम से बाहर आया और रूम के बाहर ताला लगाकर खिड़की से रूम के अन्दर आ गया.

अन्दर आकर मैंने खिड़की भी बन्द कर दी और फिर से अपनी महबूबा को बांहों में लेकर उसको चूमने लगा.

हम दोनों चारपाई पर लेट कर अच्छी तरह से किस करते हुए मजा लेने लगे.

मैं उसके मम्मों को दबाते हुए उसको एकदम फुल गर्म करने लगा.
वो भी मूड में आई थी तो जल्द ही गर्म हो गई.

मैं उसकी चूत को सलवार के ऊपर से ही रगड़ने लगा और वो मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से ही हाथ से मसलने लगी.

कुछ ही देर में हम दोनों पूरे गर्म हो गए थे.

मैंने देखा कि उससे अब रहा नहीं जा रहा है, तब मैंने उसकी सलवार निकाल दी और अपने कपड़े निकाल दिए.

कंडोम के पैकेट सें कंडोम निकाला और लौड़े पर अच्छी तरह से लगाकर सही पोजीशन में उसके ऊपर आ गया.

मैं सुमन की चूत के ऊपर लंड रगड़ने लगा और निशाना लगाकर अन्दर दबाव बनाने लगा.

लौड़ा अन्दर चला गया, तो वह कसमसाने लगी. उसके चेहरे पर थोड़ा दर्द का भाव स्पष्ट दिखाई दिया.

मैंने उससे कहा- जान थोड़ा सहन करो, फिर मजा ही मजा है.

थोड़ी ही देर में वो मेरा साथ देने लगी.

हम दोनों ने अच्छी तरह से दस मिनट तक मस्त चुदाई की और दोनों साथ में झड़ गए.

चुदाई के बाद उसने कपड़े पहन लिए और मैंने भी लोअर पहन लिया.

उसके बाद मैंने चाय बनाई और हम दोनों ने नाश्ता किया.

कुछ मिनट के बाद दोबारा से मैंने उसको बांहों में भर लिया और फिर से किस करने लगा.
वह भी दोबारा गर्म हो गई और मेरा साथ देने लगी.

फिर मैं उसके कपड़े उतारने लगा और उसने मेरा लोअर भी निकाल दिया.

मैंने कंडोम के पैकेट से एक नया कंडोम निकाला.
तो वह बोली- इस बार बिना कंडोम के चुदाई करते हैं.

मैंने मान लिया और इस बार बगैर कंडोम लगाए ही उसकी अच्छे से चुदाई की.

उसके बाद उस दिन हमने एक बार और चुदाई की.
फिर वो अपने घर चली गई.

उसके बाद ना जाने मैंने अपनी देसी गर्लफ्रेंड की कितनी बार मेरे रूम पर … और उसके घर पर चुदाई की, खूब मजे लिए.

फिर मार्च 2012 में अच्छी सैलरी मिलने के कारण मैं दूसरे शहर में चला गया.
मैं अपनी लैला का शहर छोड़कर दूसरे शहर आ गया.
वह मेरे शहर छोड़ने से बहुत दुखी थी.

एक दिन वो फोन पर बोली- अब तुम्हारे बगैर मेरा मन कैसे लगेगा, तुमने मुझे अकेला छोड़ दिया है. तुम्हारे बगैर जीना ही अच्छा नहीं लगता है.

फिर 29 अप्रैल को हम दोनों ने ही एक परीक्षा का फार्म भरा हुआ था.
ये एग्जाम जयपुर शहर में था.
हम दोनों का एक ही दिन पेपर होने के कारण हम दोनों जयपुर आ गए.

वह अपने पापा के साथ पोलोविक्ट्री पर मेरा इंतजार कर रही थी.

मैं वहां पहुंचा और हमने एक होटल में कमरा ले लिया और चाय नाश्ता किया.
नहाने धोने के बाद हम दोनों पेपर देने चले गए और पेपर देकर वापस आ गए.

फिर शाम को हम दोनों एक ही बस में डबल स्लीपर पर आए.
मैं, उसके पापा और सुमन एक ही डबल स्लीपर में थे.
हमारे दोनों के बीच में उसके पापा सोए थे.

उसको थोड़ी देर में नींद आ गई.

फिर बस में मैंने उसके बोबे दबाए और उसकी चूत को हाथ से सहलाया. बस में पूरी रात हम दोनों जागते रहे पर मजे तो कम ही किए!

सुबह 5:00 बजे बस ने उसके गांव के नजदीक शहर में उतार दिया.
सुमन अपने पापा के साथ अपने घर चली गई.
मैं वहां से अपने शहर आ गया.

उसके बाद हमारी बातें होती रहीं.

इस बीच धीरे-धीरे दूर होने के कारण हमारे बीच दूरियां बढ़ती गईं और वो वहीं लोकल में और किसी लड़के के साथ सैट हो गई, जिसका मुझे बाद में पता चला.
हालांकि उसकी ये सैटिंग ज्यादा दिन तक नहीं चली और उन दोनों की आपस में लड़ाई हो गई.

हमारी अब भी कभी-कभी बातें होती रहती थीं. मैंने उसके घर पर आकर दो बार और उसकी चुदाई की.

उसके बाद उसका रिश्ता तय हो गया और जून 2015 में उसकी शादी होना तय हो गई.

शादी की तारीख तय होने के बाद उसका फोन आया कि मेरी शादी में आपको जरूर आना है.

मैंने उससे कहा- आपके पापा को बोलो कि अगर आप मेरे पास कार्ड देने आते हो, तो मैं आपकी शादी में आऊंगा.

उसकी शादी से 30 दिन पहले सुमन और उसके पापा मेरे शहर में मुझसे मिलने आए.

उस दिन उसके पापा दिन में सो गए और मैं उसको अपने साथ मेरे ऑफिस में ले गया. वहां मैंने उसको अच्छे से किस किया और रगड़ा. फिर हम दोनों रूम पर वापस आ गए.

उसके बाद वे लोग वापस अपने काम से शाम को चले गए.

मैं उसकी शादी में गया. उसकी शादी बड़ी धूमधाम से हुई. फिर धीरे-धीरे हमारी बात कम होती चली गई.

एक दिन मैं उसके घर पर गया, तो वह घर पर अकेली थी. मैंने उसके होंठों की खूब चुसाई की. मगर उसने मुझे ज्यादा कुछ करने नहीं दिया और मैं वापस आ गया.

मैं अब उसको सेक्स के लिए बोलता तो वह मना करती कि अब मुझे मेरे पति के अलावा किसी के साथ नहीं करना है.

धीरे-धीरे हमारी दूरियां बढ़ती गईं और सुमन सरकारी जॉब में लग गई.

उसके बाद उसने मेरे से एकदम बातचीत करना बंद कर दिया.
अब उसने मेरे दोनों नंबर ब्लॉक कर दिए हैं.

मुझे उसकी बहुत याद आती है. उसको मेरी याद आती है या नहीं आती … यह मैं नहीं जानता.
मैं दिल से आज भी उसे उतना ही प्यार करता हूं, उसकी यादों में खोया रहता हूं.

मैंने इस कहानी को इसलिए भी लिखा है कि यदि सुमन इसे पढ़ेगी, तो वो मुझे मेल कर सकती है. मेरे नम्बर अभी भी वही हैं.

दोस्तो, ये मेरी सच्ची सेक्स कहानी है. मेरी देसी गर्लफ्रेंड की Xxx कहानी अच्छी लगी या नहीं? आप मुझे मेल करें.
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