लव की आत्मकथा-3
आपने मेरी कहानी के दो भाग पढ़े। आपके पत्र मुझे मिले, आपका शुक्रगुजार हूँ कि आपने मुझे इतना प्यार दिया। अब हाजिर हूँ अपनी कहानी
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आपने मेरी कहानी के दो भाग पढ़े। आपके पत्र मुझे मिले, आपका शुक्रगुजार हूँ कि आपने मुझे इतना प्यार दिया। अब हाजिर हूँ अपनी कहानी
अब मैंने अपने होंठ उसके होंठ से लगा दिए और उसके होंठों को चूसने लगा। मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह से सटाई तो उसने अपना मुँह खोल दिया। अब वो भी मेरी जीभ चूसने लगी, शायद वो इतनी गर्म हो चुकी थी कि अपने आप को रोक नहीं पाई।
हेलो दोस्तो, अन्तर्वासना के सभी मित्रो को मेरा नमस्कार। यह मेरी पहली और सच्ची कहनी है। मैं नहीं जानता कि मैंने गलत किया या सही,
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