पंजाबन भाभी की सहेली नेहा की चूत मिली-2

(Punjaban Bhabhi Ki saheli Neha Bhabhi Ki Chut Mili- Part 2)

यश हॉटशॉट 2016-08-14 Comments

This story is part of a series:

मैं नेहा भाभी की चुदाई करके यूं ही निढाल लेटा हुआ था, कुछ देर आराम करने के बाद मैंने नेहा से कहा- जान पहला राउंड कैसा लगा?
नेहा ने मेरे होंठों को चूमते हुए हुए कहा- सच में यश बहुत मजा आया।

मैंने कहा- अभी और मजा आना बाकी है मेरी जान.. पर मेरे लिए एक काम करोगी।
नेहा बोली- हाँ हाँ बोलो ना।
मैंने कहा- क्या अभी तुम अपनी वो लाल वाली साड़ी पहन कर आ सकती हो.. जो उस दिन तुमने पार्टी में जाने पर पहनी थी।
‘आज तुम्हें उस लाल साड़ी की याद कैसे आ गई?’

मैंने कहा- सच बताऊँ जान.. उस दिन मैंने बहुत मुश्किल से अपने आपको रोका था। यार तुम उस साड़ी में न.. इतनी सुन्दर और सेक्सी लग रही थीं कि मन तो कर रहा था कि उसी वक्त बिस्तर पर पटक कर तुम्हारी चुदाई कर दूँ.. पर कर नहीं सका.. पर आज मुझे वो ख्वाहिश पूरी करनी है।
नेहा बोली- पर यार इस वक़्त?
मैंने उसको थोड़ी देर तक मनाया.. फिर नेहा ने कहा- ओके ठीक है।

नेहा नीचे गई और मैंने भी अब नारियल का तेल और वैसलीन लाकर बिस्तर पर रख लिया।

नेहा करीब 20 मिनट में ऊपर आई। जैसे ही नेहा साड़ी पहन कर आई.. मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया।
क्या मस्त कयामत लग रही थी नेहा भाभी…

लाल साड़ी में भाभी क़यामत लग रही थी और उसने अपने बाल खुले रखते हुए एक तरफ कर रखे थे।
मुझसे रहा नहीं गया और उसके पास आते ही मैंने भाभी को अपनी बाँहों में ले लिया।

मैंने उसको कस के दबा दिया.. नेहा की प्यारी सी ‘आआह्ह्ह..’ निकल गई।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैं अपने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड पर जोर-जोर से घुमाते हुए उसकी नर्म गोलाई को दबाए जा रहा था।

अब मैंने नेहा के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और नेहा के होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा। साथ ही मैं कभी उसको हल्का सा काट भी लेता.. जिससे वो एकदम से चिहुंक उठती।
मैं एक हाथ उसकी नंगी पीठ को सहला रहा था.. तो दूसरा हाथ अभी भी उसकी गाण्ड को दबा रहा था।

कुछ पलों बाद मैंने नेहा को उठाया और सीधा खड़ा किया.. और उसकी साड़ी को उतार दिया। अब वो लाल ब्लाउज और पेटीकोट में थी।
दोस्तो, भाभी एकदम गोरा माल थी, मैंने नेहा को बिस्तर पर पीठ के बल लेटा दिया।

वो अपनी आँखें बंद किए हुए मेरे एक्शन का इन्तजार कर रही थी। मैंने नेहा की नाभि पर हल्का चुम्बन लेते हुए.. प्यार से उसकी नाभि को सहला रहा था.. इससे नेहा को मजा आने लगा।

मैंने कहा- भाभी जान, मालिश करवानी है?
तो नेहा बोली- हाँ, कर दो।

मैंने उसके ब्लाउज़ और पेटीकोट को भी उतार दिया।

नेहा शर्मा रही थी.. पर शर्म से क्या होना था। नेहा ने अन्दर लाल रंग की ही पैंटी और ब्रा भी पहनी हुई थी।

मैं नेहा के ऊपर ही पेट के बल लेट गया। नेहा की पैंटी से मेरा लंड रगड़ खा रहा था। वाकयी इतनी हॉट भाभी को देख कर मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था।

मैं नेहा की ब्रा के ऊपर से ही उसके एक चूचे को चूसने लगा, फिर भाभी की गर्दन पर जोर-जोर से चुम्बन करने लगा था.. जिससे नेहा गर्म होने लगी।

नेहा के होंठों पर मैं दुबारा से जोर-जोर से पूरे जोश में चुम्बन कर रहा था और भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

फिर जल्दी ही मैंने नेहा की ब्रा और पैंटी को भी उतार दिया, नेहा बिना कपड़ों के मेरे सामने लेटी हुई थी।
मैंने नारियल के तेल को उसके चूचों.. पेट और चूत और टांगों पर डाला, उसकी मालिश करना शुरू कर दिया।

नेहा पीठ के बल आराम से लेटी हुई अपनी मालिश करवा रही थी, मैं नेहा के दोनों चूचों को सहला रहा था। मैं उसके चूचों को कभी प्यार से दबाता.. तो कभी गोल-गोल घुमाता.. जिससे नेहा अब और भी गर्म हो रही थी।

नेहा की प्यारी सी सिसकारी निकलने लगी थीं, कुछ ही पलों में उसकी सिसकारियाँ कमरे का माहौल कामोत्तेजक बना रही थीं ‘उम्म्ह्ह.. आह्ह..’

फिर मैं नेहा की नाभि और पूरे पेट की मालिश करने लगा। नेहा को अब ज्यादा मजा आ रहा था.. पर मुझे नेहा के होश उड़ाना बाकी था।

मैंने उसके होश उड़ाने का जो तरीका सोचा था.. वो था नेहा की प्यारी-प्यारी चूत की मालिश करना।

इसलिए मैं नेहा की टांगों पर मालिश करने लगा और जब मैं उसकी पूरी टांगों पर मालिश कर रहा था.. तो नेहा मस्ती में आ चुकी थी। उसकी गोरी-गोरी बिना बाल वाली जांघों पर हाथे फेरने से मुझे मेरे लंड पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।

फिर जल्दी ही मैं नेहा की टांगों के बीच में आ गया और हाथ में तेल ले लिया। इसके बाद मैंने जैसे ही उसकी चूत में तेल से सनी एक उंगली डाली.. वैसे ही नेहा के मुँह से ‘आअह्ह्ह’ की आवाज निकल गई।

अब मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना शुरू किया।

नेहा भी ‘ओह्ह्ह.. आआहह..’ कर रही थी.. साथ ही मैंने नेहा की गाण्ड पर भी तेल लगा दिया.. जिससे उसकी गाण्ड थोड़ी गीली हो गई।

अब ऐसे ही मैंने नेहा की गाण्ड में 2 उंगलियाँ डालीं और पूरे जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा।
नेहा को भी अब बहुत मजा आ रहा था और वो जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थीं- ऊऊओह्ह.. यश.. अब और मत तड़पाओ.. डाल दो मेरी चूत में अपना लंड और चोद दो मुझे ऊह्ह्..’

कुछ देर ऐसे ही करने से नेहा की चूत से पानी निकल गया। अब मैंने अपने लंड पर तेल लगा कर नेहा की चूत पर अपना लंड टिकाया और जोर से धक्का मारा।
नेहा की एक तीव्र ‘आह्ह्ह्ह्ह्..’ निकली और मेरा आधे से ज्यादा लंड अब उसकी चूत में था।

फिर मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को नेहा की चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा.. लंड और चूत तो दोनों ही गीले थे.. तो मेरा पूरा लंड नेहा की चूत में सरसराता चला गया।

नेहा जोर से चीख पड़ी ‘उम्म्ह्ह्ह्.. मम्मीईईई..’
मैंने नेहा की चीख को नजरअंदाज करते हुए उसको नीचे दबाए रखा और उसके होंठों को चुम्बन करने लगा।
कुछ देर बाद अब नेहा अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी।

जब मेरे लौड़े को नेहा ने अपनी चूत में एडजस्ट कर लिया तो मैंने जोर-जोर से उसकी चुदाई करनी चालू कर दी।
नेहा की मादक सीत्कारें कमरे में गूँजने लगी थीं ‘उम्मह्ह्ह्ह.. आआहह.. यश ऊऊह्ह्ह., धीरे..’

कुछ देर चोदने के बाद मैंने नेहा की दोनों टाँगें ऊपर उठा दीं और जोर-जोर से नेहा की चूत बजाने लगा।

अब नेहा की सिसकारियाँ बंद हो कर मादक चीखें निकलने लगी थीं।

ऐसे ही कुछ देर नेहा की चुदाई करने के बाद मेरा नेहा भाभी की गाण्ड मारने का मन हुआ। तो मैंने नेहा भाभी को पेट के बल लेटा दिया और तेल लेकर उसकी पीठ पर.. चूतड़ों पर.. खूब तेल लगा दिया और उसकी दम से मालिश की।

कुछ ही देर में मैं उसकी गाण्ड को मसलने लगा।

मैंने भाभी की गाण्ड पर तेल लगा कर अपना लंड एकदम झटके से उसकी गाण्ड में पेल दिया।
वो भी एकदम से चौंक गई और जोर से चीख पड़ी ‘ओई.. माअया.. आह्ह..’
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जबकि अभी बस सुपारा ही अन्दर गया होगा पर दर्द से बिलखने लगी थी ‘ऊऊह.. मुझे नहीं करना.. प्लीज बाहर निकालो.. मैं मर जाऊँगी.. मैं मर जाऊँगी.. ओह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है..’
मैंने कहा- ठीक है.. बाहर निकालता हूँ..

मैंने लंड को निकाला नहीं.. बल्कि कुछ देर उसको प्यार करने के बाद मैं धीरे-धीरे हिलने लगा।

उसकी गाण्ड इतनी कसी थी.. कि मैं ठीक से झटके भी नहीं दे पा रहा था। मेरे लंड में भी जलन सी हो रही थी.. पर फिर सोचा कि अगर मैंने लंड बाहर निकाल लिया.. तो फिर यह गाण्ड कभी नहीं मारने देगी।

इसलिए मैं थोड़ी देर ऐसे ही रहा। वो कुछ शांत हुई.. फिर मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।
वो फिर छटपटाने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी।

वो दर्द के मारे कराहने लगी.. तो मैंने उसके दर्द की परवाह किए बिना एक झटका और मारा और अबकी बार मेरा आधा लंड उसकी गाण्ड में जा चुका था।

अभी साला आधा लंड ही अन्दर गया था और उसके दर्द के मारे प्राण गले में आ गए थे, वो साँस एकदम ऊपर को खींच गई और वो तेज चीखें.. मारने लगी ‘प्लीज यश बाहर निकाल लो.. बहुत दर्द हो रहा है।’

थोड़ी देर बाद मैंने एक और झटका मारा और उसकी एक जोर की आवाज आई- आह हा..हह ह..
उसकी आँखों से आंसू आने लगे।

मैं बिना उसकी परवाह किए नेहा की गाण्ड में लौड़े को हल्के-हल्के से अन्दर-बाहर करने लगा। नेहा अभी भी ‘आहें..’ भर रही थी.. हालांकि उसकी आवाज अब कम हो गई थी.. तो अब मैंने स्पीड थोड़ी बढ़ा दी।

अब मैं उसके दोनों हाथ पकड़ कर जोर-जोर से उसकी गाण्ड में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
अब नेहा की दर्द भरी चीखें सिसकारियों में बदल गईं.. उसे भी मजा आने लगा और वो अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी।

वो बोले जा रही थी- यश और जोर से चोदो मुझे.. और जोर से मारो मेरी गाण्ड ह्ह्ह्आआह.. ह्ह्ह्म्म..

कुछ मिनट नेहा की गाण्ड मारने के बाद नेहा उत्तेजना में दो बार और झड़ गई थी.. पर मेरा पानी निकल ही नहीं रहा था।
मैं भी थोड़ा थकने सा लगा था।

उधर उसकी आवाज तो पूछो मत दोस्तो.. इस बार इतनी जोर-जोर से नेहा की चुदाई की थी कि वो पूरी मस्त हो गई थी।

अब मैंने नेहा को नीचे घोड़ी बना दिया और नेहा की गाण्ड पर लंड को रख दिया। मैं एक ही झटके में पूरा लंड उसकी गाण्ड में डालना चाहता था.. पर अभी भी उसकी गाण्ड थोड़ी टाइट थी इसलिए मेरा आधा लंड ही अन्दर जा पाया।

अब मैंने उसकी गोरी-गोरी गाण्ड पर चपत लगानी शुरू की.. जिससे नेहा उछल पड़ती थी और उसकी ‘आह्ह्ह..’ निकल जाती।
कुछ झापड़ मारने के बाद देखा कि उसकी गोरी गाण्ड लाल हो गई थी।

मैंने नेहा की कमर जोर से पकड़ी और एक और जोर से धक्का लगा दिया।
नेहा फिर एक बार चीख उठी ‘आह्ह.. ओओह.. म्मम्मीईई..’
मगर मैं पूरी मस्ती में था और नेहा की कमर पकड़ कर उसकी धमाधम चुदाई करने लगा था।

पूरा कमरा चुदाई की आवाजों से गूंज रहा था। नेहा लगातार सीत्कार रही थी- आइया.. अह्ह्ह्ह.. ऊऊह्ह..

लम्बी चुदाई के नेहा अब अकड़ने लगी और बोलने लगी- यश, मेरा होने वाला है।
मैंने कहा- पर मैं अपना माल तुम्हारी चूत में डालूँ या गाण्ड में?
नेहा बोली- तुम्हारी जिधर की मर्जी हो सो छोड़ दो।

मैंने नेहा की गाण्ड से लंड निकाला और उसको पेट के बल लेटा दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया और अपना लंड उसकी गाण्ड में डाल दिया।

फिर मैंने कुछ देर और चुदाई की।

अब नेहा दर्द से चिल्लाने लगी थी क्योंकि उसको कुछ जलन सी हो रही थी।

मैंने फुल स्पीड में 15 से 20 धक्के मारे होंगे और नेहा और मैं दोनों साथ में ही झड़ गए, मैंने सारा माल नेहा की गाण्ड में डाल दिया और मैं नेहा के ऊपर ही ढेर हो गया।

हम दोनों इतना थक गए थे कि उठ भी नहीं सकते थे.. सो हम दोनों ऐसे ही निढाल लेटे रहे।

करीब 30 मिनट बाद हम दोनों उठे और फिर दुबारा से मैंने नेहा भाभी की एक बार और पूरी ताकत से चोदा।

अब वो और मैं दोनों ही खड़े होने के लायक ही नहीं रहे थे।

मैंने नेहा भाभी को उस रात 2 बार चोदा.. इस चुदाई में मैंने उसकी चूत.. गाण्ड और मुँह सबको खूब चोदा था और नेहा भी बहुत खुश थी।

तो मेरी प्यारी भाभियों और प्यारी लड़कियों.. स्टोरी कैसी लगी.. जरूर बताइएगा।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top