दोस्त को जन्मदिन का तोहफ़ा-2

(Dost Ko Janmdin Ka Tohfa- Part 2)

नील काम 2016-08-08 Comments

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा.. मेरे दोस्त बृजेश ने मुझसे जन्मदिन के तोहफे के रूप में मुझसे मेरी होने वाली बीवी के साथ एक रात बिताने की इजाजत मांगी और मैंने अपनी बीवी उसको तोहफे के रूप में एक रात के लिए दे दी।

अब आगे..

मैं वैशाली के करीब गया.. एक हाथ में उसका हाथ पकड़ा और दूसरा हाथ उसकी कमर में रख कर बृजेश के पास आया और वैशाली को उसकी जांघों पर बिठा दिया और अपने हाथ से उसका हाथ बृजेश के हाथों में देते हुए कहा- ले तेरी बर्थ-डे का गिफ्ट! आज कुछ ऐसा कर कि जो पूरी जिंदगी तक यादगार रह जाए।

वो दोनों पलंग पर थे.. मैं उनके सामने कुर्सी पर ही बैठ गया।

मुझे सामने बैठा देख बृजेश कुछ हिचकिचाने लगा।
मैंने कहा- अरे यार शर्माओ मत.. मुझे भी आज लाइव पोर्न देखने का बड़ा ही अच्छा मौका मिला है.. मैं यह मौका गंवाना नहीं चाहता। मैं तो यहीं बैठ कर सब कुछ देखूँगा और एन्जॉय करूँगा… इसलिए शरमाओ मत और अपना गिफ्ट खोलो!

फिर बृजेश ने रिबन खोल दिया और गिफ्ट पेपर भी हटा दिया।
काली ब्रा और पैन्टी में वैशाली बहुत सेक्सी लग रही थी।

बृजेश अपने दोनों हाथ वैशाली के पीठ पीछे ले जाकर उसे अपने सीने से लगा कर उसके होंठों को चूमने लगा।
वैशाली भी उसे जोर से कस कर चूमने लगी, दोनों एक-दूसरे के होंठों को चाट रहे थे और चूम रहे थे।

यह देखकर मेरे लण्ड में भी पानी भर आया, मैं निक्कर के ऊपर से ही मेरे लण्ड को सहलाने लगा।

वो उसके गले.. गरदन और छाती के ऊपर भी चूमने लगा था।
वैशाली भी उसे इसी तरह चूम रही थी और चाट रही थी और उसके सीने पर हल्के से अपने दाँतों से काट भी रही थी, उसकी सिसकारियों की आवाजें और भी उत्तेजना जगा रही थीं।

तभी बृजेश वैशाली के स्तनों को दबा कर उसकी ब्रा खोलने लगा.. तो मैंने कहा- अरे खोल मत.. फाड़ दे।

उसने दोनों हाथों से दो स्तनों के बीच में से ब्रा को ज़ोर से खींच कर फाड़ दिया। ब्रा फटते ही उसमें रखी हुई गुलाब की पंखुड़ियाँ बृजेश के निक्कर और जांघ पर गिरीं.. जैसे कि उसके लण्ड पर पुष्पवृष्टि हो रही हो।

बृजेश मस्त हो गया और वो वैशाली के कोमल और गुलाबी स्तनों से खेलने लगा, उन्हें दबाने लगा और चूमने लगा।
वैशाली के स्तनों में भी बहुत उभार आ गया था, उसकी चूचियाँ बड़ी हो गई थीं।
वो उसे कभी मरोड़ता.. तो कभी उसे चूमते हुए उस पर हल्के से काट लेता था जिससे वैशाली की चीख़ निकल जाती थी और उसकी ऐसी ही चीखें मुझे और आनन्दित और उत्तेजित कर रही थीं।

कुछ देर तक यह चलता रहा, फिर बृजेश खड़ा हो गया, उसने वैशाली को ज़मीन पर घुटनों के बल बैठा दिया।
वैशाली समझ गई, उसने पहले अपने हाथों से बृजेश के अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाया और चूमा.. जिससे उसका लण्ड और कड़ा हो गया।

फिर वैशाली ने उसकी निक्कर उतार दी और उसके लण्ड को हाथों में पकड़ कर खेलने लगी।
अब वो उसके लण्ड को दोनों स्तनों के बीच में रख कर सहलाने लगी।

बहुत ही मज़ेदार दृश्य था।

फिर उसने लण्ड को चूमा और उसके ऊपरी सुपारे को चाटने लगी। वो उसके लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने का मज़ा लेने लगी।

धीरे-धीरे बृजेश अपने लण्ड को वैशाली के मुँह में डालने लगा और अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। दोनों को बड़ा ही मज़ा आ रहा था।

अब बृजेश ने अपने हाथों से वैशाली के सर को और बालों को ज़ोर से पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। वो अपना लण्ड उसके मुँह में बहुत अन्दर तक डालने लगा.. इतना अन्दर कि उसका लण्ड वैशाली के गले तक पहुँच रहा था।

वो चिल्ला रही थी और यह उसके मुँह में डाले ही जा रहा था। उसकी चिल्लाहट जितनी ही बढ़ती जा रही थी.. वो उतनी ही तेज़ी से उसके मुँह में अपना लण्ड पेले जा रहा था।

अब बृजेश झड़ने वाला था.. तो उसने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी, वो धक्के पर धक्के दे रहा था।
वैशाली से अब सहा भी नहीं जा रहा था।

आखिर बृजेश ने एक बड़ा ही ज़ोरदार धक्का दिया.. और अपने लण्ड को पूरी तरह से वैशाली के मुँह में डाल दिया और एक फ़व्वारे के साथ उसके मुँह में ही अपना सारा माल छोड़ दिया।

वैशाली सारा माल निगल गई और फिर कुछ देर तक उसके लण्ड को चाटती रही।

बड़ी देर तक यह रोमांचक दृश्य देख कर मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो चुका था.. तो मैंने भी मुठ्ठ मार कर अपने लण्ड को हल्का कर लिया और आगे और भी ज़्यादा मज़ेदार चुदाई देखने के लिए बैठ गया।

एक बार झड़ने के बाद बृजेश वैशाली को पलंग पर लेटा कर उसके पास ही लेट गया।
वो दोनों एक-दूसरे के हाथ पकड़ कर एक-दूसरे के होंठ.. गाल.. गले पर.. कंधों पर और सीने पर चूमते रहे।

मेरा यार वैशाली के स्तनों को सहलाता और दबाता रहा, फिर वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ता गया, उसके पेट और नाभि पर चूमने लगा, उसकी जांघों के बीच अपना मुँह डाल कर चूमने लगा।
फिर वैशाली ने अपने दोनों पैर फैला दिए.. और बृजेश उसकी चूत को चूमने लगा और चाटने लगा।

अब उसने अपनी उंगली वैशाली की चूत में डाली और उसे अन्दर ही अन्दर घुमाने लगा, इससे वैशाली को बड़ा ही मज़ा आ रहा था।
फिर वो धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाने लगा और वैशाली की उत्तेजना भी बढ़ती गई, वो फिर से अपनी जीभ उसकी चूत में डालने लगा। वो और तेज़ होता जाता था और उसकी उत्तेजना और भी तीव्र!

कुछ देर में वैशाली पूरी तरह से गर्म हो कर झड़ गई, उसकी चूत से निकले हुए पानी से गद्दा भी गीला हो गया।
बृजेश कुछ देर तक रुक कर उसकी चूत को सहलाता रहा।

अब बृजेश का लण्ड पूरी तरह से तैयार हो चुका था और वैशाली की चूत भी गर्म और चिकनी हो चुकी थी, वैशाली ने कहा- अब देर मत कर.. और डाल दे अन्दर..
मैंने भी कहा- हाँ.. अब चीर ही दे उसकी चूत को..

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अब बृजेश ने अपने लण्ड से चूत पर ऊपर से ही हल्के-हल्के धक्के देने शुरू किए और अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।

यह दृश्य मुझे जीवन भर यादगार रहेगा क्योंकि इसे देख कर मुझे बहुत ही उत्तेजना और जलन हो रही थी। मेरे पुरुष मन पर यह एक बेहद सख्त आघात था और इसे मेरी विकृति कहें या प्रकृति.. पर यही आघात मुझे और भी कामोत्तेजित कर रहा था।

मैं अपने लण्ड को सहलाते हुए अपनी ही प्रियतमा की चुदाई देखता रहा।

अब बृजेश अपने लण्ड को वैशाली की चूत के अन्दर घुमा कर उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
वैशाली के चेहरे पर सुख और आनन्द की रेखाएँ साफ-साफ़ दिख रही थीं जैसे वो भी इसी तमन्ना में जी रही हो और आज वो दिन आ गया हो।

हम सबकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी… बृजेश अब आक्रामक होता जा रहा था, वो अपनी रफ़्तार और बढ़ा रहा था।
और वैशाली की चीखें भी बढ़ती जा रही थीं, उसका दर्द और मज़ा दोनों ही बढ़ते जा रहे थे।

फिर भी वो बार-बार चिल्ला कर कह रही थी- और तेज़ करो.. और तेज़ करो।

बृजेश भी बड़ी ही आक्रमता से उसकी चूत को चोदे जा रहा था और उसके स्तनों को बड़ी ही बेदर्दी से मसले जा रहा था।

मैं भी मुठ मारने लगा और बोला- अपने पूरे ज़ोर से उसके सारे बदन को कुचल दे।
वैशाली भी बोल उठी- हाँ.. और ज़ोर लगा और मेरे पूरे बदन को अपने भीतर समा लो।

बृजेश ने वैशाली को पलंग पर लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर अपना पूरा बदन उसके बदन पर फैला कर ज़ोर-ज़ोर से कुचलने लगा।

वैशाली ने जैसे उसके लण्ड को कच्चा खाने की ठान रखी हो।
इधर बृजेश भी और ज़ोर लगा कर उसे चोदने लगा।
वैशाली ने कहा- आह्ह.. यूँ ही चालू रखो.. मैं जल्द ही झड़ने वाली हूँ।

बृजेश उसे इसी तरह चोदता गया, कुछ ही देर में वैशाली झड़ गई।
फिर बृजेश ने भी उसकी चूत से लण्ड निकाला और उसके स्तनों पर एक बड़ी ही तेज़ फ़ुहार से अपना वीर्य स्खलित कर दिया।

दोनों ने लंबी साँस लेकर बड़े ही आनन्द और संतोष की चरम आनन्द का अहसास किया।

मैंने भी अपना वीर्य अपने निक्कर के ऊपर स्खलित कर दिया। मुझे भी संतोष मिला। वे दोनों एकदूसरे को अपनी बाँहों में भरकर चूमने और चाटने लगे, एक-दूसरे के बदन को सहलाने लगे।
वे दोनों बड़ी ही संवेदनशील परिस्थिति का अनुभव कर रहे थे।

कुछ देर बाद वो दोनों सामान्य हुए तो मैं उनके पास गया, मैंने वैशाली को चूमा और उसके स्तनों को भी चाटा।
फिर बृजेश को गले लगा कर उसे भी चूम लिया और उसके सीने और गरदन को भी चूम उठा।
फिर उन दोनों को अपने सीने से लगा लिया।
हम तीनों नंगे बदन एक-दूसरे से लिपटे रहे।

सच ही कह रहा हूँ दोस्तो.. वो एक अजब सी ही फीलिंग थी, वो प्यार था.. वासना थी.. या एक बड़ी ही विकृत मनोदशा.. जो भी था.. पर उस रात बहुत ही मज़ा आया और उस दिन से हमारी जिंदगी एक नए ही मोड़ पर आ गई।

उसके बाद हमारे जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव आ गया। मैं इसके आगे की कहानियाँ भी आपके साथ शेयर करूँगा.. पर हमारी सेक्स पार्टनर की अदला-बदली के रास्ते पर ले जाने वाली यह पहली रात की कहानी कैसी लगी.. वो मुझे जरूर बताइएगा।

आप को मेरी कहानी अच्छी या बुरी या जैसी भी लगी हो.. जरूर बताइएगा। आप मुझे अपने विचार इस पते पर भेज सकते हैं।
[email protected]
अब आप से विदा चाहता हूँ..

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