चुदाई देखी दोस्त के मम्मी पापा की

(Chudai Dekhi Dost Ke Mammi Papa Ki)

रितेश लहरी 2017-08-02 Comments

नमस्कार दोस्तो, मैं पिछले आठ सालों से अन्तर्वासना का पाठक हूँ, मैंने बहुत सेक्स कहानी पढ़ी हैं. अब अपनी लाइफ की एक घटना आप से शेयर करना चाहता हूँ.

मैं बचपन से ही हंसमुख स्वभाव का हूँ, कक्षा आठवीं तक मैं बहुत होशियार पर सिम्पल लड़का था उस समय कभी सोचा नहीं था कि मैं बाद में इतना बेशरम हो जाऊंगा. खैर समय समय का पहिया ऐसा ही चलता रहेगा.

आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल चेंज करना पड़ा और जिस स्कूल में गया, वहाँ का वातावरण पिछले स्कूल जैसा नहीं था, क्लास के कुछ लड़के गाली गलौच, लड़ाई झगड़ा करते रहते थे.
चूंकि मैं एक मध्यम परिवार से था तो मज़बूरी में उसी स्कूल में पढ़ना पड़ा था. उस स्कूल में दो लेडी टीचर थी.

क्लास कुछ लड़के दोस्त बने, वो हमेशा क्लास में पीछे ही पीछे वाली सीट में बैठते थे. एक दिन मेरा नया दोस्त मयंक भी पीछे बैठ था, क्लास में आधी छुट्टी हुई, क्लास के बाक़ी लड़के स्कूल के मैदान में खेलने चले गए लेकिन मयंक बैठा रहा.
मैं अपना टिफिन खोल कर लंच करने बैठा ही था कि मयंक से पूछा- लंच नहीं करना?
उसने मना कर दिया.

वो एक किताब लेकर पढ़ रहा था. मैंने सोचा कि मयंक कितना अच्छा लड़का है, समय का सदुपयोग करता है.
मैं उसके पास गया और देखा कि वो कौन सी किताब पढ़ रहा है. देखा तो मेरा दिमाग सन्न रह गया, वो नंगी लड़कियों की तस्वीर की किताब थी.

उसने मुझे देख लिया और बोला- किसी को बताना मत… तू भी देख, मजा आएगा!
मैंने मना कर दिया.
फिर वो बोला- एक बार देख ले, उसके बाद मैं कभी तुझे नहीं बोलूंगा देखने के लिए, एक बार देख ले बस!

मैंने देखी और अजीब सा मन हो गया और मैंने अपने नीचे कुछ महसूस किया. तब मैंने मयंक से पूछा- यह क्यों हुआ?
तब मयंक ने बताया- तू मर्द बन गया है. तुझे मैं सब समझाता हूँ.

फिर क्या था… बस उस दिन से मेरी यौन शिक्षा चालू हो गई. प्रतिदिन आधी छुट्टी में यह काम चालू था. मयंक ने मुझे मुठ मारना सिखा दिया था. वो नई-नई किताबें लाता था और मुझे दिखाता!

तो बस अब क्या था… मुठ बहुत मार चुके थे, एक दिन हिम्मत करके मैं मयंक से बोला- थ्योरी बहुत हो गई. अब प्रक्टिकल करना है. कोई जुगाड़ सेट कर!
मयंक बोला- सब्र कर, सब करेंगे! आज शाम को मेरे घर पर आना, तुझे कुछ दिखाऊंगा!

मैं सायं को करीब पांच बजे उसके घर गया. उसके घर में उसकी मम्मी, एक विधवा बुआ और एक बहन रहती थी. उसके पापा रेलवे में थे जो अधिकतर बाहर ही रहते थे. उसके घर के पीछे एक खाली मैदान था जिसमें कुछ गरीब घर की औरतें लैट्रिन जाने आती थी.

मयंक अपने घर की छत पर ले गया और मुझे उन औरतों के बारे में बताने लगा कि उसका नाम यह है, उसका नाम यह!
करीब तीन चार औरतों का समूह आता था पांच से छः बजे के बीच और हम उन औरतों को लेट्रिन जाते देखते थे. और ऐसे करके मयंक ने मुझे धीरे औरतों के अंगों के बारे में बताना चालू किया.

दोस्तो वो दिन और आज का दिन… आज भी मुझे शादीशुदा औरतें पसंद आती हैं.

दिन बीतते गए, मुठ मारने का सिलसिला चलता रहा, मयंक की संगति ख़राब कर रही थी मुझे लेकिन जवानी का जोश ऐसा ही होता है.
उसने मुझे समझाया- रोज रोज मुठ मत मारा कर, सप्ताह में एक बार वो भी शनिवार को!
उसने कुछ टीवी के चैनल बताएं जिनमें हर शनिवार को रात के 11 बजे एक बाद सेक्सी रेन सांग और मूवीज आती थी.
अब हर शनिवार बस अपना वार अपना हाथ…

लेकिन अब मुझे मुठ मारना अच्छा नहीं लग रहा था. लेकिन क्या करता… कौन था जो मुझे या ऐसा ही समझो मैं किसके साथ अपनी प्यास बुझाऊं?

क्लास में पहला टेस्ट आ गया, मेरे टेस्ट ठीक हुए और क्लास में दूसरा स्थान था और जो लेडी टीचर हमें हिंदी पढ़ाती थी, मुझसे बहुत खुश थी कि मैंने अच्छी पोजीशन हासिल की.
टीचर का नाम नहीं बताऊंगा लेकिन क्या माल थी 5’5″ गोरा रंग… हंसमुख हल्के रंग की साड़ी गहरे रंग की ब्रा… बस इतना काफी था लंड खड़ा करने के लिए…

लेकिन क्या करता… डरता था… बस रात को उनका फिगर होता और मेरा लंड अपने हाथ में!

टेस्ट खत्म होने के बाद सायं को वहीं मयंक के घर गया देखा तो मयंक के पापा उसे डांट रहे हैं.
मैं पंहुचा, अंकल को नमस्ते की, उन्होंने पूछा- तुम्हारे कितने नंबर आए?
मैं बोला- क्लास में दूसरा स्थान आया है.
उन्होंने मयंक को बोला- सीख अपने दोस्त से… अगले टेस्ट में मुझे तेरा स्थान क्लास में 1 से 10 के बीच में चाहिये… वरना तू अपना सोच लेना!
तब मयंक की मम्मी मेरे पास आई और बोली- तुम दोनों साथ में पढ़ लिया करो ताकि अच्छे नंबर ला सको. शनिवार को रात को तुम हमारे यहाँ आ जाया करो और रविवार को मैं तुम दोनों का टेस्ट ले लूंगी और जिस दिन मैं नहीं होऊँगी, तब कुसुम बुआ तुम्हारा टेस्ट ले लेगी.

मैं मन मन सोच रहा था, अब तो शनिवार भी गया, अपने घर की बात अलग है लेकिन दूसरों के घर… वो भी मुठ मारना… भाई गया तू काम से!
मैंने बहाना बनाया, मैं बोला- मेरे मम्मी पापा से पूछना पड़ेगा!
तो फिर मयंक की मम्मी बोली- मैं तेरे माता पिता से बात कर लूंगी.

शनिवार को मयंक की मम्मी और मयंक मेरे घर आए और मेरी मम्मी को मना लिया और मैं उनके साथ चला गया.
मैं रात को मयंक के कमरे में, मयंक के कमरे के साथ उसके मम्मी पापा का कमरा, उसके बाद बुआ और उसकी बहन साथ में एक कमरे में! बीच में लेट्रिन बाथरूम था.

मैंने मयंक को बोला- आज शनिवार है भाई, पूरे छः दिन तक मुठ नहीं मारी और आज तेरे घर पर… कल सुबह टेस्ट… क्या करें?
मयंक बोला- तू टेन्शन मत ले, मेरे पास किताब है, उसे देखेंगे और अपना काम हो जायेगा.

चूंकि मेरी पहली रात थी एक अनजान घर में… तो मुझे नींद नहीं आ रही थी. रात के करीब 12 बजे मयंक सो गया था, मुझे पेशाब करने की इच्छा हुई तो मैं बाथरूम की ओर गया और बाथरूम करके जैसे ही उसकी बुआ के कमरे के आगे से निकला, खिड़की खुली थी और जीरो वाट का बल्ब जल रहा था. उनकी नाइटी घुटनों तक आई हुई थी, क्या लग रही थी…
क्या कहूँ रात का समय था, लंड खड़ा हो गया लेकिन क्या करता… चुपचाप देखा और आगे बढ़ा ही था कि अचानक मयंक की मम्मी अपने कमरे से बाहर आई और पूछा- क्या कर रहो? सोए नहीं अभी तक?
मैं बोला- बाथरूम करने आया था!

आंटी ने नाइटी पहन रखी थी गुलाबी रंग की… बड़े बड़े बूब्स… क्या कहूँ मिस्टर इण्डिया की श्री देवी लग रही थी वो…
क्या करता, चुप चुप चला गया और जाकर मयंक के कमरे बैठा ही था कि कुछ आवाज आई मयंक के मम्मी पापा के कमरे से… तो मैंने धीरे से अपना कमरा खोला, बाहर निकला, उनके कमरे के दरवाजे बंद थे लेकिन खिड़की खुली थी, मैंने उनके कमरे की खिड़की में देखा और दंग रह गया, उसकी मम्मी ने नाइटी उतार दी थी और केवल ब्रा पैंटी में थी और अंकल केवल अंडरवियर में… और बोल रहे थे- बहुत दिन हो गए, इस बार कुछ ट्रिप लम्बा ही था!

उसकी मम्मी भी बोली- हाँ, कुछ जयादा ही लम्बा हो गया!
ऐसे बोल कर अंकल का अंडरवियर उतारा और लंड चूसने लगी.
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बाद में अंकल कभी आंटी के बूब्स, कभी होंठ… करीब पंद्रह मिनट तक यह सिलसिला चला. बाद में अंकल में आंटी की चूत में लंड दे दिया. पांच सात झटके दिए और एक तरफ हो गए.
फिर आंटी उठी और अपने कपड़े पहने और सो गई.

मैं भी मयंक के कमरे में गया और मुठ मार कर सो गया आंटी के नाम की!

सुबह उठा तो देखा, अंकल रेलवे स्टेशन के लिए निकल रहे थे. मैंने उनको नमस्ते की, पैर छुए, बाद में आंटी के पैर छुए और फिर कुसुम बुआ के!
यह देखकर उसकी मम्मी ने पूछा- तुम रोज अपने माता पिता के पैर छूते हो?
मैं बोला- हाँ!

उन्होंने कहा- चल ब्रश कर ले, मैं तेरे लिए चाय बनाती हूँ. नाश्ते के बाद टेस्ट लूंगी हिंदी और इंग्लिश में पांच लेसन का… और मयंक को भी बता देना!
कहानी जारी रहेगी.

कहानी का अगला भाग: दोस्त की मम्मी ने चूत और गांड चोदना सिखाया

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