योनि रस और पेशाब दोनों एक साथ निकल गए -4

(Yoni Ras Aur Peshab Donon Ek Sath Nikal Gaye- Part 4)

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अब तक आपने पढ़ा..
अब आप समझ ही गए होंगे कि चुदास बढ़ चुकी थी। पर संदीप अभी भी उससे मजे ले रहा था। वो अपनी उंगली से ही उसकी योनि को रगड़े जा रहा था जो गीलेपन से बहे जा रही थी।
संदीप ने कहा- भैया मत बोल.. अभी तो सैयां समझ.. खुशी आज तुझे नहीं छोडूंगा.. आज खूब चोदूंगा.. पर पहले बता.. किसके साथ किया था। कोई बॉय-फ्रेंड था क्या?
संदीप ने उसकी एक टाँग पकड़ कर हवा में ऊपर की और छत की तरफ कर दी और दूसरी टाँग को बाईं तरफ चौड़ा दिया।
अब तक खुशी उत्तेजना से पागल हो चुकी थी और अपने नितम्बों को ऊपर-नीचे करके मानो लिंग को अन्दर डलवाने के लिए तड़प रही थी।
अब आगे..

उसकी योनि में से निकल रहा योनि रस बिस्तर की चादर को भी गीला करने लगा था और चादर पर उसका धब्बा भी पड़ गया था। यह सब देख कर संदीप भी पागल हो उठा और वो भी अपना लिंग उसकी योनि में डाल देने के लिए आतुर हो उठा।
उससे पहले उसने अपनी दोनों उंगालियाँ फिर से उसकी योनि में डालीं और बड़ी ही तेज स्पीड से अन्दर-बाहर करते हुए उससे पूछा।
संदीप- खुशी.. जल्दी से बताओ किसके साथ किया था.. बता जल्दी..

उसके इस आकस्मिक हमले से खुशी तिलमिला उठी और उसकी उंगलियों के तेज घर्षण को अपनी योनि में सहन नहीं कर पाई और फिर वो स्पर्श उसे इतनी गुलगुली और उत्तेजना देने लगे कि उसे लगा कि उसका पेशाब निकल जाएगा और वो टूट पड़ी और तुरंत बोली- आह.. आह.. प्लीज स्टॉप प्लीज.. प्लीज..! किया था किया था.. फ्रेंड के साथ..!

खुशी मान गई कि उसने पहले भी सेक्स किया था। संदीप रुक गया.. और उसने आगे पूछा- कौन-कौन से फ्रेंड के साथ..? तुम्हारा बॉय-फ्रेंड था?
खुशी- नहीं.. वो मेरे गाँव का लड़का था। उसके साथ एक बार किया था प्लीज़..

खुशी ने स्वीकार कर लिया था कि उसने पहले भी सेक्स किया था.. पर संदीप को अभी भी लग रहा था कि खुशी कुछ झूठ बोल रही थी। शायद उसने एक से ज्यादा बार किया होगा। संदीप ने उसे बिस्तर के बीचों-बीच किया और अपने लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए खुशी को भेदने की तैयारी करने लगा और साथ ही बोला।
संदीप- कैसे किया था.. कंडोम लगा के.. या वैसे ही?
खुशी- हाँ कंडोम लगा के..

संदीप ने अपने लिंग की खाल को लिंग मुंड से पीछे की तरफ खींचते हुए बोला- पर मेरे पास तो कंडोम नहीं है और रुक मैं सकता नहीं.. तो बिना कंडोम के ही करूँगा.. और तुम प्रेग्नेण्ट हो जाओगी।

संदीप ने उसकी एक टाँग हो अपने कंधे के साथ लगाया हुआ था और दूसरी को चौड़ाया हुआ था और अपने लिंग के अग्र भाग को उसके योनि छिद्र पर रगड़ रहा था और खुशी इतनी व्याकुल हो उठी कि अचानक बोल उठी- प्लीज.. तुम.. सताओ मत प्लीज मेरे पास पिल्स हैं.. बस आप मेरे अन्दर डाल दो..
वो बहुत व्याकुल थी और संदीप उसे और भी व्याकुल कर रहा था।

संदीप- पहले बताओ.. कितनी बार किया था.. नहीं तो ऐसे ही तड़पोगी..
खुशी- आह..आह.. किया था..पाँच-छ बार किया था..प्लीज.. भैया.. डाल दो न तुम..प्लीज़..
खुशी ने फिर से विनती की।

अंत में संदीप ने अपने लिंग को अन्दर की तरफ धकेल दिया और लिंग तुरंत ही अन्दर खिसक गया। उसकी योनि इतनी गीली और चिकनी हो चुकी थी।
संदीप ने उसकी टांगें और फैला दीं और खुशी और कामुकता से साथ ‘आहें’ भरने लगी।

संदीप पूरी तरह से उसके ऊपर झुक गया था और अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए थे और शुरूआत में उसने पाँच-छ गहरे-गहरे धक्के लगाए और बोला- आज मैं तुम्हारी अच्छी तरह से चुदाई करूँगा.. ले..

और इसी के साथ संदीप ने अपनी गति बढ़ा दी। दोनों ही अपनी कमर को हिला-हिला कर चुदाई की एक रिदम बना रहे थे.. जिसके साथ ‘फच्छ.. फच्छ..’ की आवाज आना स्वाभाविक था।
जब-जब संदीप का लिंग उसकी योनि में प्रवेश करता.. वो बोल उठती- आह.. ओह्हम..
संदीप उसकी सिसकारी सुनकर और तेज गति से धक्के मारने लगता।

काफी देर से व्याकुल खुशी अपने को रोक नहीं पा रही थी और उसकी ‘आहें’ बढ़ती जा रही थीं। अनुभवी संदीप समझ गया था कि खुशी का स्खलन होने ही वाला था, वो अभी और करना चाहता था..
पर तभी संदीप को लगा कि उसका भी होने वाला है।
तब संदीप ने खुशी के दोनों घुटने अपनी कमर पर लिपटा लिए और फिर उसकी खुली हुई जांघों के बीच आकर फिर से उसकी योनि में अपने लिंग को अन्दर-बाहर करने लगा।
इस बार उसके धक्कों की गति अत्यधिक तेज थी।

खुशी ने अपनी दोनों टांगें ज्यादा से ज्यादा फैलाईं हुई थीं और संदीप एक मशीन की तरह उसे धक्के मार रहा था।
तब खुशी ने अपने नाखून संदीप की पीठ में गड़ा दिए और उत्तेजना में चिल्ला पड़ी- प्लीज.. स्टॉप… भैया.. रुक जाओ.. मेरा पेशाब निकल जाएगा.. मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी योनि भी अपना रस छोड़ने वाली है..

असल में खुशी स्खलन पर पहुँच रही थी और उसे पेशाब भी लगा था.. वह अपना माल निकालना चाहती थी.. पर उसके लिए जरूरी था कि एक बार संदीप का लिंग उसकी योनि में रुके.. जोकि रुक नहीं रहा था और खुशी अपना स्खलन और पेशाब रोक पाने में असमर्थता महसूस कर रही थी.. जिसकी वजह से उसे गुलगुली और दर्द सा महसूस हो रहा था।

संदीप- खुशी.. साली भैया मत बोल.. और अब उसके पास मत जाना कभी.. जब मन करे.. मेरे पास आना.. बोलो.. आओगी?
खुशी इतनी बेसब्र थी कि तुरंत ही बोल पड़ी- नहीं जाऊँगी.. कभी नहीं.. प्लीज स्टॉप.. प्लीज़ आपके पास ही रहूँगी.. आह्ह.. भैया भी नहीं बोलूँगी.. रुक जाओ प्लीज.. मेरा होने वाला है..

खुशी अब झड़ने के बिल्कुल नजदीक आ चुकी थी.. वो अपनी योनि की आंतरिक दीवारों को भींचना और छोड़ना चाहती थी.. पर संदीप के लिंग के अन्दर और बाहर होने के कारण नहीं कर पा रही थी।
तो संदीप ने अपने को रोका और लिंग को बाहर निकाल लिया.. पर उसकी जांघों को फैला ही रहना दिए।

संदीप के शरीर का सारा खून इस समय उसके लिंग में से प्रवाह कर रहा था और वो चाहता था कि वो अपने लिंग को उसकी योनि की असीम गहराईयों में डाल कर अपना वीर्य निकाल दे.. पर वो अभी उसे ओरगस्म में तड़पता हुया देखना चाह रहा था।

वो एकदम से बुरी तरह से थरथराई और उसका योनि का छिद्र पहले सुकड़ा और फिर एकदम से फैला। खुशी ने अपनी जांघें सिकोड़ने की एक असफल कोशिश भी की.. पर संदीप ने उन्हें चौड़ा कर ही रखा। खुशी ने चादर को अपनी हथेलियों से पकड़ लिया था और असीम आनन्द के मारे उसे अपनी हथेलियों में मसल रही थी।

किसी तरह की लहरें उसके शरीर में उठीं और वो कामुक आनन्द के सागर में डूबती सा महसूस करने लगी।
वो कराह रही थी और चिल्ला रही थी और फिर उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी और अपनी जाघों को संदीप की पकड़ में से छुड़ा ही लिया और फिर एक तरफ करवट लेती हुई अपनी दोनों जांघों को बुरी तरह से भींचने लगी।

उसकी योनि बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी और इसके साथ ही मूत्र छिद्र से उसका पेशाब भी निकल गया।

अब संदीप की बारी थी। खुशी को इतनी बुरी तरह से ओरगस्म पर पहुँचता देख और उसका पेशाब अपने आप निकलता देख वह बुरी तरह उत्तेजित हो चुका था।
वो उसके ऊपर चढ़ गया और उसके चूतड़ों के बीचे की दरार में अपने लिंग को रखकर अपने वीर्यपात के लिए धक्के मारने लगा।

और अगले ही पल उसका वीर्यपात हो गया, संदीप ने अपना गाढ़ा वीर्य उसके चूतड़ों पर निकाल मारा और खुद भी उसकी पीठ पर लेट गया।

दो मिनट बाद दोनों अपने अपने होश में वापस लौटे।
खुशी संदीप के नीचे लेटी हुई थी। उसकी आँखें बंद थीं.. पर उसकी साँसें अभी भी तेज तेज चल रही थीं।
संदीप- खुशी..मजा आया तुम्हें?
खुशी ने अपनी आँखें खोलीं.. पर कुछ बोली नहीं..

संदीप उसके ऊपर से हट गया और खुशी बिना कुछ बोले टॉयलेट में चली गई और वहाँ से लौटकर अपने कपड़े पहनने लगी।
संदीप ने खुशी को कोहनी से पकड़ा और अपनी तरफ घुमाते हुए पूछा- क्यों.. तुम्हें मजा नहीं आया?
खुशी- प्लीज.. लेट मी गो..
खुशी उससे दूर हटते हुए बोली।

संदीप ने उसे पीछे से पकड़ा और उसके स्तनों का मर्दन करते हुए अपने लिंग को उसके चूतड़ों के बीच की दरार में रगड़ने लगा और बोला- कहाँ जाओगी खुशी.. अभी तो कह रही थी कि मेरे पास ही रहोगी..
वो पलटी और थोड़ा सा गुस्से से बोली- नैक्सट टाइम अगर सीधे सीधे तरह से चुदाई करना हो तो बोलना। पर इस तरह जानवरों जैसी चुदाई नहीं..

संदीप- ओहह.. सॉरी.. खुशी.. मैं क्या करता.. तुम्हें नंगी देख कर मैं पागल हो गया था। तुम बहुत ही गरम और सेक्सी हो.. तुम झूठ क्यों बोल रही थीं..
ये बोलते हुए संदीप ने उसे चूमा और खुशी ने भी जवाब में उसे चूमा।
संदीप ने घड़ी में टाइम देखा.. अभी भी 20 मिनट बचे थे और संदीप अभी भी उसे एक बार फिर से बिस्तर पर लाने के मूड में था।
संदीप- चल..एक बार फिर से करते हैं..

संदीप ने उसके हाथों में पकड़े कपड़े छुड़ा लिए और उसे वापस बिस्तर पर ले गया। दोनों ने एक-दूसरे को फिर से चूमा.. और संदीप ने अपना लिंग.. जोकि अभी भी उत्तेजना में ही था.. फिर से उसकी योनि में डाल दिया।
खुशी नीचे लेटी हुई थी और संदीप उसके ऊपर था। इस बार खुशी भी पूरे मन से इस सेक्स का मजा ले रही थी।

इस बार संदीप भी अच्छी तरह से अपने धक्के लगा रहा था। उसकी योनि एकदम कसी हुई थी और जिस तरह से वो अपनी योनि कि आंतरिक दीवारों को उसके लिंग पर भींचती थी और संदीप अपने लिंग को उसकी योनि में रगड़ता हुआ चला रहा था और लिंग की जड़ खुशी की क्लिटोरिस पर रगड़ खा रही थी.. इससे दोनों ही असीम सुख का अनुभव कर रहे थे।

संदीप के हर धक्के के साथ खुशी के चूचे आगे-पीछे हिल जाते थे। खुशी संदीप की आँखों में देख रही थी। ऐसा लग रहा था मानो वो बहुत देर तक इस सेक्स प्रक्रिया को चाहती थी। संदीप ने उससे पूछा- खुशी.. क्या तुम इस रिलेशनशिप को गंभीरता से लेना चाहती हो..
खुशी- नहीं.. मैं सिर्फ चुदाई की मस्ती चाहती हूँ!
संदीप- तुम्हारा मतलब.. बस चुदो और भूल जाओ..
खुशी- हाँ..

इसके बाद संदीप ने फिर से अपनी गति बढ़ाई और जल्दी ही अपना लिंग निकाल कर उसके पेट पर अपना वीर्य निकाल दिया।
कुछ देर बाद ही खुशी संदीप के यहाँ से अपने यहाँ वापस चली गई.. वरना किसी को भी शक हो सकता था।

उधर संदीप अपने कमरे में अपने बिस्तर पर अकेला लेटा हुआ था।
कुछ देर पहले किए गए शारीरिक संबंध के कारण उसका शरीर काफी थक गया था। पर उसके मन में काफी कुछ चल रहा था। वो लेटे-लेटे अपने पुराने दिन याद करने लगा.. जब वो स्कूल जाया करता था और पहली बार उसके शारीरिक संबंध किसी लड़की से बने थे।

मुझे उम्मीद है कि आप सभी को आनन्द आया होगा। आप अपने विचारों को ईमेल के माध्यम से मुझ तक भेज सकते हैं।
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