स्नेहल के कुँवारे बदन की सैर -8

(Snehal Ke Kunvare Badan Ki Sair-8)

ऋतु राज 2015-10-13 Comments

This story is part of a series:

हम दोनों काफी थक चुके थे तो पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गये।
सुबह 7 बजे मेरी आँख खुली तो मेरे बाजू मे स्नेहल अब भी सो रही थी। मैंने जरा गौर से उसे निहारा तो पता चला कि उसकी चूत और गांड दोनों लाल हो चुके थे और चूत तो सूजन की वजह से पावरोटी ही लग रही थी।

मेरे लिए दर्द सहने की उसकी क्षमता को देखकर मैं उसे और पसंद करने लगा था। फिर थोड़ा नीचे झुककर मैंने उसकी चुत को फैलाकर देखा तो अंदर से भी सूजन थी, मेरे हाथ लगाते ही वो अधखुली नींद में भी कराहने लगी।
मैंने धीरे से उसकी चूत पर फूंक मारी तो वो जाग गई और मुझे आलिंगन के लिए अपने हाथ फैलाकर आमंत्रित किया।

मैंने भी उसे जोर से बाहों में जकड़ कर एक चुम्बन किया और फिर ‘I LOVE YOU स्नेहल’ कहा। तो उसने भी ‘I LOVE YOU TOO’ कहा और फिर से उसने मुझे अपने बाहुपाश में ले लिया।
तभी उसके मुंह से कराहने की आवाज सुनकर मैंने उसे कहा- ज्यादा दर्द हो रहा है क्या जान? सॉरी यार, मैंने तुम्हें कल ही मालिश के लिए कहा था लेकिन कर नहीं पाया।
तो उसने हल्के से मुझे मारकर कहा- अगर दुबारा कभी तुम मुझसे सॉरी और थैंक यू की भाषा में बात करोगे तो मैं तुमसे कभी बात ही नहीं करूंगी।

‘ठीक है बाबा, चलो तुम अभी हिले बिना चुपचाप लेटी रहो, मैं अभी तुम्हारी मालिश कर देता हूँ और फिर देखना तुम्हारा दर्द कैसे गायब हो जाएगा।’ और उसे एक चुम्बन दे दिया।
वो लेटी हुई बहुत ही सेक्सी लग रही थी, मन तो कर रहा था कि उसे अभी कच्चा ही चबा जाऊं लेकिन उसकी हालत देखकर मैंने अपने आप को संभालकर उसकी अच्छे से मालिश करने की सोची।

मैंने सबसे पहले तो उसके खुले हुए बालों को एक जगह करके बांध दिया, थोड़ा तेल अपने हाथों में लेकर मैंने उसके हाथों की मालिश करना शुरू कर दी, उँगलियों की तरफ से धीरे धीरे मालिश करते हुए मेरे हाथ ऊपर की ओर जा रहे थे।
सच में उसके बदन में बहुत ही अधिक दर्द हो रहा था।
दोनों हाथों की मालिश हो जाने के बाद मैंने थोड़ा तेल उसके दोनों कन्धों पर डाला और फिर कन्धों की मालिश करनी चालू की।
अब मेरे दोनों हाथ उसके दोनों कन्धो पर थे, जैसे ही मैं कन्धो पर थोड़े भी अधिक जोर से दबाता तो उसके मुँह से कराह निकल जाती थी।
फिर मैं उसके कन्धों के बाद आराम से नीचे की ओर आने लगा, मेरे हाथ उसके स्तनों पर पहुँचते ही उसने मेरे हाथों को पकड़ लिया और कहने लगी- अब ऐसा वैसा कुछ मत करना प्लीज!
‘नहीं डार्लिंग, तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं करूँगा लेकिन इनमें भी तो दर्द हो रहा होगा ना, देखो तो ये भी कैसे लाल हुए पड़े हैं। इसीलिए मैं इनकी भी मालिश कर रहा था जिससे तुम्हारा दर्द कम हो और तुम्हें थोड़ी राहत मिले।’

मैं उसके दोनों बूब्स पर थोड़ा थोड़ा तेल डालकर उन्हें धीरे धीरे सहलाने लगा, उसके स्तनों की अच्छे से मालिश करने के बाद आराम के साथ हल्के से उसके पेट पर नाभि के आसपास हाथ फिराने लगा। फिर थोड़ा तेल उसकी नाभि में पेट पर और योनि के थोड़ा सा उपर भी डाल दिया।
अब मैं एक हाथ से उसके पेट की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ से उसकी योनि के ऊपर के भाग की जहाँ उसकी भूरे रंग की झांटें थी वहाँ तेल को अच्छे से मलने लगा।

थोड़ी देर ऐसे ही मालिश करने के बाद मैंने अपनी एक ऊँगली को उसकी नाभि के आसपास घुमाकर नाभि में प्रवेश करा दिया और नाभि को अच्छे से चमकाने का काम करने लगा।
उसका पूरा बदन तेल लगा हुआ रहने से चमक रहा था जिसे देखकर मेरा लौड़ा आसमान की ऊँचाइयों को छूने के लिए बेताब हुए जा रहा था।

फिर मैंने उसका एक पैर उठाकर अपने कंधे पर रखा और हाथ में तेल लेकर उसकी पोटरियों की अच्छे से मालिश करने लगा। मालिश की वजह से अब उसे थोड़ी राहत मिल रही थी जो उसके चेहरे से साफ साफ दिखाई दे रही थी। फिर उसके दूसरे पैर की भी इसी तरह मालिश कर दी और अब उसके पैरों को फैलाकर मैं बीच में आ गया।
उसकी जांघों पर तेल डाला और योनि की पंखुड़ियों को अपने हाथ से अलग करके ठीक चूत के अंदर 2-3 तेल की बूँदें डाल दी जिससे वो सिहर उठी।
अब मैं उसकी जांघों को मसल रहा था, घुटनों से लेकर उपर की ओर जाते जाते और फिर नीचे की ओर आने में उसकी चूत को अपनी ऊँगली से छेड़ देता।
मेरी इस हरकत को देखकर वो भी मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगी और वो भी इसे एन्जॉय करने लगी थी।

फिर मैं जांघों के एकदम ऊपरी भाग जहाँ कमर और जांघें जुड़ी हुई होती है वहाँ सहलाने लगा। अब मैं चूत को टच किये बिना ही उसके इर्द गिर्द सहला रहा था। जिसकी वजह से उसकी चूत भी अब पानी छोड़ने लगी थी।
फिर धीरे से मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत में प्रवेश करा दिया जिससे उसकी आह निकल गई।

उस ऊँगली को मैंने उसकी चूत के अंदर के सारे कोनों से घुमाकर मिला दिया और फिर जब स्नेहल ने अपनी कमर हिलानी शुरू की तब मैंने अपनी दूसरी ऊँगली भी अंदर घुसा दी और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा।

अब मैं उसकी बगल में आ चुका था और एक हाथ से उसकी चूत में ऊँगली कर रहा था और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ कर उसे किस करने लगा।
थोड़ी देर ऐसे ही उसे ऊँगली से चोदने के बाद मैंने अपने मुँह को उसकी चूत के पास ले जाकर उनको छुआ दिया।

और फिर शुरू हुआ एक अनोखा नजारा… मैं जोर जोर से ऊँगली को अंदर बाहर कर रहा था और अपनी जीभ से उसके क्लाइटोरिस से भी छेड़छाड़ करने लगा जिससे वो बहुत जल्द ही अपना पानी छोड़कर निढाल हो गई और उसकी चूत से निकलती आखिरी बूंद तक मैं उसे चाटता रहा।
वो अब निढाल पड़ी हुई थी तो मैंने उसकी कमर में हाथ डालके उसे पेट के बल कर दिया।
इस स्थिति में उसकी उभरी हुई गांड और भी उभरकर मेरे सामने थी। उसकी गांड को देखकर ऐसा लगने लगा कि बिना कुछ किये ही मेरा लंड माल छोड़ देगा।
कसम से इतनी उभरी हुई गांड और उस पर जगह जगह बने लाल निशान कहर ढा रहे थे।
मैं खुद को उसके चूतड़ों की चुम्मियाँ लेने से बचा नहीं पाया और उसकी गांड को चूमने लगा।

मेरी जीभ उसके चूतड़ों पर लगते ही उसके चूतड़ एकदम से वाइब्रेट हुए। फिर मैंने उसकी पीठ और उभरी हुई गांड पर तेल डाला। फिर मैंने उसके पीठ से उसकी मालिश चालू की और आराम से नीचे की ओर आने लगा।
बीच बीच में मैं उसे उसकी गर्दन पर भी चूम लेता तो कभी होंठों से होंठ मिलाता।
उसकी गांड की मालिश करते हुए मैंने एक साथ दो उँगलियों को छेद के अंदर घुसेड़ दिया और जितना फ़ैल सकता है उतना फैलाकर अंदर तेल डाल दिया।

अब उसके चेहरे के अलावा उसके पूरे शरीर में ऐसा कोई अंग बचा नहीं था जहाँ तेल लगा हुआ न हो, उसके हर एक अंग की मैंने अच्छे से मालिश कर दी थी, अब वो कुछ रिलैक्स फील कर रही थी।
लेकिन मेरे लंड महाराज का तो बहुत बुरा हाल था, ये चाहते थे कि मैं इन्हें मेरी स्नेहल रानी की छोटी रानी में घुसेड़ कर इनका अच्छे से मिलाप करवाऊँ।

फिर मैंने स्नेहल की गांड में ऊँगली डालकर अंदर बाहर करना चालू किया और दूसरे हाथ से उसकी चूत में भी दो उँगलियाँ घुसाई।
अब मैं अपने दोनों हाथों से उसकी चूत और गांड दोनों को एकसाथ चोद रहा था और उसके मुंह से मादक सिसकारियों के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था।
स्नेहल भी बिना कुछ बोले यह सब एन्जॉय करने लगी थी।

फिर मैंने अपनी उँगलियाँ निकाल ली और स्नेहल को अपनी बाँहों में लेकर चूमने लगा।
अब मुझसे ज्यादा देर रुके नहीं जा रहा था तो मैंने पीछे से ही अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसके चूचों को अपनी हथेलियों में जकड़ लिया।
अब मैं उसे एकदम मस्त होकर चोद रहा था तो वो मुझसे भी ज्यादा मस्ती में मुझसे चुदवा रही थी।

फिर मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी झांटों को सहलाने लगा और अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। उसकी झांटें तेल की वजह से बहुत ही सुलझी हुई लग रही थी और उन्हें सहलाते सहलाते मैं और स्नेहल दोनों इस चुदाई का पूरा आनन्द ले रहे थे।

तभी स्नेहल का बदन अकड़ने लगा जिससे मेरे लंड को अधिक घर्षण सहना पडा और उसके साथ मैंने भी जोर के धक्के के साथ ही उसके अंदर ही माल छोड़ दिया और दोनों ही झड़ गये।
फिर मैंने उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर उसके सर पर एक चुम्बन किया और बाद में उसकी दोनों पलकों पर और अंत में एक लम्बा होंठों का किस जिससे प्यार और बढ़ जाता है।
और फिर हम बातें करते करते कब सो गये पता ही नहीं चला।

यहाँ मैं अपने पाठकों से अनुरोध करना चाहूँगा कि वे भी ऐसी छोटी छोटी चीजें आजमा कर देखें, इनसे दोनों के बीच जो प्यार है वो और भी मजबूत होता है। जैसे कि सेक्स होने बाद भी एक दूसरों के प्रति प्रेम दर्शाने के लिए कुछ भी जैसे सर पर किस या फिर उसके बालों को सहलाना ऐसा कुछ।
फिर देखिये आपकी सेक्स लाइफ़ पहले से बेहतर बन जायेगी।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताइयेगा.. आप मुझे अपनी प्रतिक्रिया यहाँ भेज सकते हैं।
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