रैगिंग ने रंडी बना दिया-33

(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 33)

पिंकी सेन 2017-09-28 Comments

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अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि सुमन ने टीना के सोये हुए भाई का लंड चूसा और उसके लंड का रस सुमन के मुँह में चला गया।
अब आगे..

सुमन को बड़ा अजीब लगा.. कुछ रस तो उसके गले में सीधा चला गया था, जो उसे निगलना पड़ा बाकी उसके मुँह में था वो भाग कर वॉशरूम गई.. मुँह हाथ सब अच्छे से साफ किया। इधर टीना उसको देखकर बस हँसे जा रही थी।

सुमन- छी दीदी, ये क्या हो गया.. मॉंटी ने तो पानी छोड़ दिया.. कुछ मुझे पीना पड़ गया.. उउउ उउउ उल्टी जैसा लग रहा है।
टीना- अरे अरे पागल.. अमृत को वेस्ट कर दिया, ये रस किसी-किसी को ही नसीब होता है। तू ज़्यादा सोच मत, यहाँ बैठ आराम से और बता असली लंड चूस कर मज़ा आया ना?

सुमन ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिला दिया और टीना से लिपट गई।

टीना- क्या बात है मेरी जान.. चल ठीक से बता ना यार.. कैसा लगा मेरे भाई का लंड और उसका रस?
सुमन- सच बताऊं दीदी डिल्डो और असली लंड में बहुत फ़र्क है। इसको पकड़ने का और चूसने का मज़ा ही अलग है।
टीना- पागल असली और नकली में फ़र्क नहीं होगा.. क्या तू भी ना!
सुमन- हाँ दीदी.. सही कहा आपने.. सच में बहुत मज़ा आ रहा था मगर लास्ट मौके पे आपके भाई ने सब गड़बड़ कर दी।
टीना- अरे गड़बड़ कैसी? तूने उसके लंड की इतनी मस्त चुसाई की थी कि अच्छे-अच्छे लंड पानी फेंक दें, फिर ये तो अभी छोटा है।
सुमन- दीदी उसमें अजीब सी गंध थी और स्वाद भी कितना अजीब था, शुरू में तो वो ठीक सा लगा.. मगर जब गाढ़ा सफेद रस आया तो उससे मुझे घिन सी आ गई।
टीना- अरे शुरू में अजीब लगता है मगर बाद में उसे चाटने के लिए दिल बेताब हो जाता है.. तुझे पूरा चाटना चाहिए था।
सुमन- नहीं दीदी जो अन्दर गया वही बहुत है.. कुछ भी कहो लंड चूसने का मज़ा अलग था.. काश मॉंटी पानी ना फेंकता और मैं उसके लंड को चूसती रहती।
सुमन- अरे इस छोटे से लंड से क्या होता है.. किसी मर्द का लंड चूस.. फिर देखा कैसा मज़ा आता है।
सुमन- नहीं दीदी वो मुझसे नहीं होगा। ये तो सोया था तब हिम्मत हो गई, मगर किसी और का.. ना बाबा कहीं उसने मेरे साथ कुछ कर दिया तो मैं तो मर ही जाऊंगी।
टीना- अरे कोई ज़बरदस्ती कुछ नहीं करता। तुम एक बार ट्राइ तो करो, डर लगे तो मत करना.. सिंपल है।
सुमन- दीदी, प्लीज़ अभी जाने दो ना ये सब..!

टीना समझ गई इस पर ज़्यादा ज़ोर देना ठीक नहीं। फिर उसकी नज़र मॉंटी पर गई।

टीना- अरे सुमन तूने मॉंटी की कैप्री ठीक नहीं की.. उसका लौड़ा तो बाहर ही निकला पड़ा है। दोबारा चूसने का इरादा है क्या?
सुमन- सॉरी दीदी भूल गई.. वैसे आप बुरा ना मानो तो एक बार और चूस लूँ?
टीना- मैं क्यों बुरा मानने लगी मगर अबकी बार उसका पानी पीना होगा समझी.. तभी तुझे रस का स्वाद समझ आएगा।
सुमन- नहीं दीदी वो बहुत अजीब है.. और ऐसे अचानक पानी आता है तो अजीब लगता है। हाँ अगर पता हो पानी आएगा.. तब मैं उसको हाथ पे ले लूँगी फिर सोचूँगी कि टेस्ट करूँ या नहीं लेकिन ऐसा होगा कैसे?
टीना- बहुत आसान है.. तू चूसती रह जब अचानक लंड की गर्मी बढ़ जाए उसमें एक्सट्रा तनाव महसूस होने लगे तो समझ जाना कि बस उसका रस निकलने वाला है।
सुमन- हाँ दीदी.. उस टाइम ऐसा हुआ था।
टीना- गुड यानि तूने महसूस किया था। चल अबकी बार दोबारा ट्राइ कर.. मैं देखती हूँ तू कैसे करती है?
सुमन- ओके दीदी.. अभी लो आपको दिखाती हूँ।
टीना- अरे रुक अभी तो निकला है उसका पानी.. थोड़ा वेट कर फिर निकालना.. ऐसे फ़ौरन थोड़े ही वो खड़ा हो जाएगा।
सुमन- क्यों दीदी ऐसा क्यों होता है.. इसमें टाइम क्यों लगता है?

टीना ने उसको विस्तार से सब समझाया कि आदमी को गर्म होने में टाइम लगता है.. कोई जल्दी तो कोई ज़्यादा टाइम लेता है।

सुमन- अब समझी उस स्टोरी में भी ऐसा ही कुछ लिखा था।
टीना- हाँ सही समझी.. चल उसको अभी भूल जा, मैं चाय बना कर लाती हूँ.. फिर आराम से तेरे साथ बातें करूँगी।
सुमन- मैं भी आपके साथ चलती हूँ।

दोस्तो यहाँ ब्रेक ज़रूरी था। बेचारे मॉंटी को मरवाओगे क्या.. चलो उधर आपके लिए दूसरा गर्म सीन भी तैयार है।

दोपहर को तो संजय सो गया था मगर पूजा की नादान जवानी उसे रात को कहाँ सोने देने वाली थी।

सबके सो जाने के बाद कमरे में वो दोनों बैठे हुए थे।

पूजा- मामू अभी तो आपके सर में दर्द नहीं है ना?
संजय- नहीं मेरी जान.. सर तो ठीक है मगर इस लंड का क्या करूँ.. इसमें बड़ा दर्द हो रहा है?
पूजा- मैं हूँ ना.. आपका चूस कर सारा रस निकाल दूँगी तो दर्द अपने आप चला जाएगा।
संजय- नहीं पगली.. सिर्फ़ चूसने से कुछ नहीं होता.. इसे ठंडा होने के लिए चुत चाहिए.. ये उसी को चोद कर ही ठंडा होगा।
पूजा- अरे तो मेरे पास है ना.. उसके अन्दर डाल दो और ठंडा कर लो।
संजय- तू अभी छोटी है.. तेरी चुत में इसे डालूँगा तो तेरी चुत फट जाएगी।
पूजा- हा हा हा मामू ये कोई कपड़ा है क्या जो फट जाएगी.. आप भी ना हा हा हा..

‘अब तुझे कैसे समझाऊं पगली.. एक काम कर.. अपने पूरे कपड़े निकाल, आज तुझे समझा ही देता हूँ कि चुत की चुदाई क्या होती है। साला ऐसे तो तुझे देख-देख कर लंड की हालत खराब होती रहेगी। अब कुछ ना कुछ तो जुगाड़ लगाना ही पड़ेगा।’

पूजा तो ख़ुशी-ख़ुशी नंगी हो गई। उसको तो बस मज़ा चाहिए था चुदना क्या होता है.. उसको नहीं पता था। इधर संजय भी नंगा हो गया और पूजा को बिस्तर पे लिटा कर उस पर पागल कुत्ते की तरह टूट पड़ा।

कभी उसकी छोटी चूचियों को दबाता.. कभी चूसता.. वो पूजा के मुलायम होंठ ऐसे चूसने लगा जैसे आज सारा रस निचोड़ देगा।

जब पूजा एकदम गर्म हो गई.. तब संजय ने अपनी ज़ुबान से उसकी चुत को चाटा।

पूजा- आह मामू उफ़ आप बहुत अच्छे हो आह ऐसे ही चाटो.. उई और तेज करो.. अह..

आज संजय का इरादा कुछ और था। वो चुत चाट कर पूजा का पानी नहीं निकालने वाला था। जब पूजा की चुत रिसने लगी.. तो उसने चाटना बंद कर दिया और उसके पैरों को मोड़ कर उसके पास बैठ गया।

पूजा- उफ़ मामू क्या हुआ.. मज़ा आ रहा था और चाटो ना प्लीज़ आह..
संजय- रुक मेरी जान अब चुत को चटवाती ही रहेगी.. तो चुदेगी कब? आज तुझे चुदाई सीखनी है तो चुपचाप लेटी रह और मेरे लंड का कमाल देख आज तुझे नया मज़ा देता हूँ।

संजय ने अपनी उंगली को मुँह में लेके गीला किया, फिर उसको पूजा की चुत पे घुमाने लगा और धीरे-धीरे उंगली को चुत में घुसेड़ने लगा।

पूजा- आह मामू दर्द होता है उफ़ आह…
संजय- तुझे ज़्यादा मज़ा लेना है ना तो इतना सा दर्द नहीं सह सकती.. अभी उंगली से तू ऐसे कर रही है.. तो सोच मेरा लौड़ा कैसे अन्दर ले पाएगी तू.. हाँ बोल?
पूजा- सॉरी मामू आप करो.. मैं बर्दाश्त कर लूँगी.. अब कुछ नहीं कहूँगी।

संजय ने फिर अपना काम शुरू कर दिया वो धीरे-धीरे दो इंच तक उंगली को चुत में घुसेड़ने में कामयाब हो गया। अब कुँवारी चुत.. फिर पूजा थी भी छोटी.. उसको दर्द होना लाजमी था। मगर वो बड़ी बहादुर लड़की थी, अपने दाँत को भींच कर दर्द सहन कर गई।

थोड़ी देर संजय एक उंगली को ही आगे-पीछे करता रहा और पूजा की चुत को चोदता रहा। जब उसको लगा पूजा अब मज़े ले रही है.. तो उसने फिर अपनी दो उंगलियों को गीला किया और चुत में घुसाने लगा।

अबकी बार पूजा को ज़्यादा दर्द हुआ उसने चादर कसके पकड़ ली मगर कोई आवाज़ मुँह से नहीं निकाली। बड़ी मुश्किल से संजय ने दो उंगली अन्दर घुसाईं.. अब पहले की तरह वो वैसे ही उसको चोदने लगा। पूजा दर्द के मारे अपना सर कभी इधर घुमाती कभी उधर करती।

ऐसे ही 5 मिनट तक संजय उसको चोदता रहा। अब पूजा को दर्द के साथ मज़ा आने लगा था वो कमर को हिलाने लगी थी।

संजय समझ गया कि इसको मज़ा आने लगा है वो ज़ोर-ज़ोर से उंगली आगे-पीछे करने लगा। मगर उसने पूरा ख्याल रखा कि ज़्यादा आगे उंगली ना जाए वरना पूजा की सील उंगली से ही टूट जाएगी।

पूजा- आ आह मामू उफ़ आह ये तो आअज्ज और ज़्यादा आ मज़ा आ रहा है, उई मामू करो आह ज़ोर से करो..

संजय ने सोचा ऐसे तो इसका पानी निकल जाएगा.. अभी ये फुल जोश में है, लौड़ा घुसा देना चाहिए। बस यही सोच कर उसने उंगली बाहर निकाल ली और लंड पर अच्छे से थूक लगा कर उसको चुत के छेद पर सैट कर दिया।

पूजा- आह जल्दी करो ना.. मज़ा आ रहा था.. उफ़ आ आप अब आ लंड घुसाओगे क्या.. आह आराम से मामू आपका बहुत मोटा है।
संजय- चुप.. अब चुदवाने की खुजली है तो थोड़ा दर्द भी सह ले।

संजय ने लंड को हाथ से पकड़ कर चुत में दबाना शुरू किया.. पूजा की आँख में डर साफ दिखाई दे रहा था। संजय ने थोड़ा ज़ोर लगाया तो चुत की दीवारों को फैलाकर सुपारा अन्दर घुस गया और पूजा के बर्दाश्त का बाँध भी टूट गया, उसके मुँह से एक दमदार चीख निकल गई।

पूजा- उह अहह..

एक झटके में संजय ने लौड़ा बाहर निकाल लिया और पूजा के मुँह पर हाथ रख दिया।

संजय- पागल है क्या.. ऐसे क्यों चिल्लाई.. नीचे कोई सुन लेगा तो पता है क्या होगा?

पूजा ने संजय का हाथ हटाया और सॉरी कहा।

संजय- सॉरी कहने से क्या होगा.. अच्छा हुआ टाइम पर मैंने लौड़ा निकाल दिया।
पूजा- मामू बहुत ज़्यादा दर्द हुआ था.. मेरी चीख अपने आप निकल गई।
संजय- ऐसे तो ये लौड़ा मैं तेरी चुत में कभी नहीं पेल पाऊंगा।
पूजा- मामू ये बहुत मोटा है.. ऐसे अन्दर नहीं जाएगा।

संजय- देख दुनिया का सबसे ज़्यादा मज़ा इसी में है, ये पूरा अन्दर जाएगा और तुझे मज़ा देगा समझी।
पूजा- हाँ मामू पता है जब उंगली से इतना मज़ा आ रहा था तो इससे और भी ज़्यादा मज़ा आएगा मगर ये जाएगा कैसे?
संजय- जाएगा मेरी जान और कल ही ये तेरी चुत में जाएगा।
पूजा- वो कैसे मामू, बताओ मुझे भी।

मेरे प्यारे साथियों आप मुझे मेरी इस सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.. पर आपसे एक इल्तिजा है कि आप मर्यादित भाषा में ही कमेंट्स करें क्योंकि मैं एक सेक्स स्टोरी की लेखिका हूँ, बस इस बात का ख्याल करते हुए ही सेक्स स्टोरी का आनन्द लें और कमेंट्स करें।

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कहानी जारी है।

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