मेरी बीवी का जवाब नहीं -1

(Meri Biwi Ka Jwab Nahi -1)

This story is part of a series:

दोस्तो, आज मैं आपको अपनी खुशकिस्मती की कहानी सुनाने जा रहा हूँ। कहानी सुनके आप सब के दिल जल जाएंगे। बहुतों की तो गांड भी जल जाएगी।
मगर फिर भी सुनो।
कहानी बिलकुल सच्ची है, बस पात्रों के नाम और स्थान बदल दिये गए हैं। यार सबकी प्राइवेसी होती है तो नाम और स्थान के चक्कर में मत पड़ो, बस कहानी का मज़ा लो।

मेरा नाम सुनील है, 38 साल का हृष्ट पुष्ट व्यक्ति हूँ, 33 साल की पत्नी है, नाम है सविता!
15 साल की खुशगवार ज़िंदगी में सविता ने मुझे दो सुंदर बच्चों का तोहफा दिया है। मैंने भी अपनी तरफ से उसे प्यार करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी।

मगर हर इंसान के अंदर एक शैतान छुपा बैठा होता है। आदमी अपनी शादीशुदा ज़िंदगी से कितना भी संतुष्ट क्यों न हो, अंदर बाहर तांक झांक करता ही रहता है।
तो ऐसे ही मुझे भी थोड़ा बहुत इधर उधर झाँकने की आदत थी, तो सविता ने मुझसे कहा- मुझे पता है आप मेरे सिवा और औरतों में भी रुचि रखते हो, पर मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि आप मुझसे झूठ बोल कर मुझे धोखा देकर किसी और औरत के साथ संबंध बनाओ। अगर आप का दिल करता है तो मुझे बताइये मैंने आप के लिए उस औरत या लड़की जो भी, उसे मना लूँगी।

जानते हो दोस्तो, आप यकीन नहीं करोगे, अपनी बीवी के अलावा मैंने अपनी साली और अपनी एक पड़ोसन के साथ सेक्स किया है। साली के साथ सेक्स पत्नी की जानकारी में और रिंकू के साथ तो मैंने अपनी पत्नी के सामने सेक्स किया है।
तभी तो मैं कहता हूँ कि मेरी बीवी का जवाब नहीं और ऐसी बीवी तो बहुत किस्मत वालों को मिलती है, जो खुद भी आपकी सेवा में हाजिर हो और औरों को आपकी सेवा में ले आए।

फिलहाल आप मेरा और रिंकू का किस्सा सुनिए!
रिंकू हमारे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की थी, देखने में अच्छी ख़ासी थी, कभी कभी मैं उसे चोरी से ताड़ लेता था, मन में उसे चोदने के सपने पालता था।
छुट्टी के ऐसे ही एक दिन बैठे बैठे मैं अपनी पड़ोसन रिंकू को देख रहा था कि ऊपर से बीवी आ गई।

मैं थोड़ा सकपका गया।
‘क्या देख रहे थे?’ सविता ने पूछा।
मैंने झूठ ही कह दिया- कुछ नहीं, बस वैसे ही मौसम देख रहा था।
‘मौसम देख रहे थे या रिंकू को देख कर मौसम बना रहे थे?’ सविता बोली।
‘अरे यार तुम बात को क्या से क्या बना देती हो?’ मैं थोड़ा नकली गुस्से से बोला, जबकि बात उसने सच कही थी।

‘एक बात बताओ, मान लो अगर रिंकू तुम्हारे साथ बिस्तर में आने को मान जाए तो क्या करोगे?’ उसने पूछा।
मेरी तो बांछें खिल गईं मगर थोड़ा नाटक सा करके बोला- अरे रहने दो, मुझे तुम ही काफी हो।
मगर सविता ने फिर पूछा- सच बताओ, मैं गुस्सा नहीं करूंगी।

मैंने बोल ही दिया- यार मज़ा आ जाए ज़िंदगी का, मैं तो कब से उसे पटाने की कोशिश कर रहा हूँ।
सविता बोली- अगर मैं आपके लिए रिंकू को पटा दूँ तो?
‘मगर वो मान जाएगी?’ मैंने पूछा।
‘उसकी चिंता आप मत करो!’ सविता ने जवाब दिया।
‘और उसके बदले में तुम्हें क्या चाहिए?’ मैंने पूछा।

सच कहूँ तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं सविता कह ना दे कि मुझे भी फलां मर्द से सेक्स करने की आज़ादी चाहिए।
मगर सविता ने कहा- मुझे सिर्फ आप का प्यार चाहिए, ढेर सारा प्यारा, आप जो भी करो, मगर मेरे सामने करो, चाहे बाज़ार से कॉल गर्ल ले आओ, मगर उसके साथ सेक्स मेरे सामने करो, मुझसे छुप कर मुझसे चोरी कुछ भी न करो।

मेरे लिए तो यह खुशी की बात थी तो मैंने सविता को मेरे लिए रिंकू को पटाने के इजाज़त दे दी।
कुछ दिनों बाद ही सविता ने मुझे बताया कि उसने रिंकू से बात कर ली है और वो मान भी गई है।

मैं तो उसी दिन से अपने लंड को रोज़ तेल लगा कर मालिश करने लगा।

फिर एक दिन रिंकू हमारे घर आई, वो मेरी पत्नी के साथ बैठ कर बातें कर रही थी, मैं पास से सिर्फ नमस्ते करके गुज़र गया।
थोड़ी देर बाद सविता मेरे पास आई और बोली- सुनो, रिंकू पूछ रही है, उससे कब करना है, आज वो फ्री है, अगर चाहो तो आज कर सकते हो।

मेरा लंड तो यह बात सुन कर ही मचल गया, फिर भी मैंने थोड़ा न नुकर का बहाना सा करते हुये हाँ कह दी।
मगर हमने प्रोग्राम यह बनाया कि हम पहले बाथरूम में एक साथ नहायेंगे, उसके बाद बेडरूम में आएंगे।
मैं बाथरूम में चला गया और मैं और सविता दोनों बाथरूम में जाकर कपड़े उतारने लगे। मैंने अपने बदन पे सिर्फ चड्डी रखी और सविता ने सिर्फ ब्रा और पेंटी।

पहले तो मैंने सविता से प्यार किया, बाथरूम में उसके अधनंगे बदन को खूब सहलाया, दबाया, चूमा चाटा। सविता ने भी मेरी छाती, कंधे और अगल बगल में खूब चूमा चाटा।
जब हम दोनों पूरी तरह चार्ज हो गए तो मैंने रिंकू को बाथरूम में लाने को कहा।

सविता गई और रिंकू को जो हमारे बेडरूम में बैठा आई थी, बुला कर बाथरूम में ले आई।

चड्डी में मेरा लंड तो पहले से ही टाईट हो रखा था, जब रिंकू अंदर आई और मुझे सिर्फ चड्डी में तने हुये लंड के साथ देखा तो शर्मा गई और सर नीचे करके मुस्कुराने लगी।
सविता उसे मेरे बिल्कुल पास ले आई, मैंने दोनों को बाहों में भर लिया और दोनों को बारी बारी चूमा, ताकि सविता को इस बात का ऐतराज न हो के पराई को देख कर मैं घरवाली को भूल गया।

एक दो मिनट की चूमा चाटी के बाद मैंने रिंकू के स्तनों को दबा कर देखा, कुँवारी कली के कुँवारे स्तन सच में बहुत सॉलिड थे।
बस फिर तो मैंने खुद ही उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये, कमीज़, अंडरशर्ट, सलवार, ब्रा और पेंटी। उसे नंगी करने के बाद मैंने सविता के ब्रा और पेंटी भी उतार दिये और सविता ने मेरी चड्डी।

पूरी तरह से नंगे होने के बाद मैंने रिंकू को फिर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके बदन पे यहाँ वहाँ हर जगह चूमने और अपनी जीभ से चाटने लगा।
रिंकू ने शायद काफी दिनो से शेव नहीं करी थी, इसी वजह से उसकी झांट काफी बढ़ी हुई थी।
सविता मेरे पीछे खड़ी मेरी पीठ पर हल्के हल्के हाथ फेर रही थी जिससे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

मैंने फव्वारा चला दिया, पानी की बूंदें हम तीनों को भिगोने लगी। मैं रिंकू के छोटे छोटे गोल और गोरे गोरे स्तनों के निप्पल से टपकने वाली पानी की बूंदों को उसके निप्पल बारी बारी से अपने मुँह में लेकर पी रहा था।

मैंने रिंकू को कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके होंठों और उसके चेहरे को चूमने लगा, मेरा तना हुआ लंड रिंकू के पेट में छेद करने वाला हो रखा था।
सविता ने भी मुझे पीछे से बाहों में जकड़ लिया, शायद हमारा प्रेम मिलन देख कर उसकी भी काम भावनाएँ जाग उठी थी।

कुछ देर ऐसे ही बाथरूम में मस्ती करने के बाद अब मेरा मन सिर्फ रिंकू की चुदाई करने को हो रहा था।
मैंने रिंकू से पूछा- बेडरूम में चलें?
वो मुस्कुरा दी।
मैंने फुव्वारा बंद किया।
बाथरूम से बाहर आ कर तौलिये से सविता ने हम दोनों का और अपना बदन भी पोंछा।
बदन सुखा कर मैं आगे बढ़ गया।

मैं जाकर बेड के बीचों बीच पर पीठ टिका कर बैठ गया।
सविता मेरे साथ आकर बैठ गई- अरे रिंकू, इधर आओ!
कहकर उसने रिंकू को को पास बुलाया।
रिंकू मेरी दूसरी बगल आ कर बैठ गई।

मैंने अपनी पत्नी की तरफ देखा तो उसने मुझे इशारे से रिंकू की तरफ देखने को कहा। मैंने रिंकू की तरफ देखा, वो हल्के से मुस्कुरा दी।
मैंने अपनी एक बाजू उसके पीछे से घूमा कर उसे अपने आगोश में ले लिया, उसने अपना सर झुका लिया तो मैंने अपने दूसरे हाथ से उसका सर ऊपर उठाया और उसके होंठ अपनी तरफ किए, मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिये।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जब मैं उसके होंठ चूस रहा था, अपने एक हाथ से मैंने उसके बूब्स दबा कर देखे।
रिंकू पूरी तैयारी और मर्ज़ी से आई थी तो वो पूरा सहयोग कर रही थी।
मैंने अपना दूसरा हाथ घूमा कर सविता के पीछे से उसे भी अपनी आगोश में ले लिया।
अब मैंने सविता की तरफ मुँह घुमाया और उसके होंठों को चूमा। अब मेरे एक हाथ में सहेली रिंकू का स्तन था तो दूसरे हाथ में बीवी सविता का स्तन था। मैं दोनों स्तनों को दबा कर कुदरत की इस अनमोल मेहरबानी का लुत्फ ले रहा था, कभी इसको चूम तो कभी उसको चूम और दोनों औरतें मुझे अपना पूरा साथ दे रही थी।

दो दो औरतों के स्तन दबाने से मेरा तो लंड ऐसे तना हुआ था जैसे नाग अपना फन उठा लेता है। सविता ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और रिंकू को पास बुलाया।
दोनों मेरे लंड के आस पास बैठ गईं और पहले सविता ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और उसे चूसा। यह स्वाद मुझे पहले भी बहुत बार मिला था मगर किसी और औरत के सामने लंड चुसवाना अपने आप में एक नया स्वाद है।

थोड़ा सा चूसने के बाद सविता ने मेरा लंड रिंकू की तरफ कर दिया, रिंकू ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। वो जब मेरा लंड चूस रही थी, मैंने उसकी झांट के गुच्छों में अपनी उँगलियाँ घुमाई, उसको शायद गुदगुदी हुई, वो हल्के से हँस कर पीछे को हो गई।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया, उसके पूरे गाल को अपने मुँह में लेकर चूसा और अंदर ही अंदर अपनी जीभ से उसका सारा गाल चाट गया, पहले एक फिर दूसरा।

मेरे चाटने से उसको बहुत गुदगुदी हो रही थी, जिसकी वजह से वो बहुत मचल रही थी।
मैंने उसे कस के अपनी बाहों में पकड़ा और उसका एक स्तन पहले अपने हाथ में पकड़ के ज़ोर से मसला और फिर उसका निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
क्या मज़ा आ रहा था मुझे! एक औरत मेरा लंड चूस रही थी और दूसरी औरत के मैं स्तन चूस रहा था।

थोड़ी देर ऐसे ही खेलने के बाद मैंने रिंकू को लेटा दिया, सविता के सर पे हाथ फेर कर उसको लंड छोड़ने को कहा।
जब सविता ने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला तो वो सविता के थूक से भीगा पड़ा था। मैंने अपना तना हुआ लंड रिंकू की चूत पे रखा और एक बार सविता की तरफ देखा, मैं उसके चेहरे के भाव पढ़ना चाहता था, मगर वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और मैंने अपना लंड आगे को धकेल दिया।
मेरे इस धक्के से मेरा लंड एक बार में ही आधे के करीब रिंकू की चूत में घुस गया क्योंकि वो पहले भी बहुत बार चुदी हुई थी और वैसे भी उसकी चूत पानी से सरोबार हो रखी थी।

दूसरा धक्का मैंने थोड़ा और ज़ोर से लगाया और अपना पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया।
एक बार तो रिंकू की आँखें बाहर निकल आईं, मैंने शायद जोश में ज़्यादा ही ज़ोर से अंदर धकेल दिया था।

मैंने उसे सॉरी कहा और थोड़ा आराम से सेक्स करने लगा।
रिंकू बेड पे लेटी थी, मैं बैठ कर उसके साथ सेक्स कर रहा था और उसकी ही बगल में मेरी पत्नी सविता लेटी हुई थी।
मैं बेशक रिंकू को चोद रहा था, पर मन में सोच रहा था कि रिंकू को मुझसे चुदवा कर सविता को क्या मिल रहा था।

मैंने अपने एक हाथ की उंगली सविता की चूत में डाल दी, वो भी पानी से भीगी पड़ी थी, उसने भी अपनी टांग उठा कर मेरी पूरी उंगली अपनी चूत में ले ली।
मैंने उसका बड़ा सा स्तन अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और मन ही मन में भगवान को धन्यवाद दिया कि बहुत से लोग इस चीज़ के लिए तरसते हैं कि उनकी बीवी इतनी सहयोगी हो, मगर मुझे तो जैसे जन्नत का खज़ाना मिल गया हो।

सविता ने मेरा मुँह अपने स्तन से हटाया और मेरे होंठों को अपने होंठो में ले लिया।
जब मैंने अपने होंठ उसके होंठों में दे दिये तो उसने मेरे होंठ पर काट लिया।

‘उफ़्फ़’ काटने के दर्द में भी कितना मज़ा था।
एक लंबी किस के बाद सविता ने मेरा मुँह रिंकू के मुँह से लगा दिया।

मैं उसके होंठ चूमता रहा और उसको चोदता रहा। 5-6 मिंट रिंकू को चोदने के बाद मैंने सविता को पकड़ लिया और मैंने उसकी टांगें सीधी कर के अपना लंड उसकी चूत पे रखना चाहा तो वो बोली- मुझसे तो रोज़ करते हो, आज उसका मज़ा ले लो, कल नहीं आएगी।
मुझे उसकी बात ठीक लगी, मैंने फिर से अपना लंड रिंकू की चूत में डाल दिया।
मेरी बीवी बड़ी हसरत से मुझे देख रही थी, जैसे उसे कोई असीम सुख मिल रहा हो। मगर असली आनन्द तो मुझे मिल रहा था, शादी के इतने सालों के बाद एक कुँवारी लड़की जो चोदने को मिल रही थी और खास बात यह कि मेरी बीवी को कोई ऐतराज नहीं था।

जैसे जैसे मेरा स्खलन नजदीक आ रहा था, मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था, मैं और ज़ोर से धक्के लगाने लगा और ‘आह’ मेरे लंड से मेरा काम रस निकला और मैंने झट से अपना लंड रिंकू की चूत से बाहर निकाल लिया।
लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकली जो रिंकू की झांट, पेट, छाती और उसके मुँह तक जा पहुँची।
रिंकू ने मुँह घुमा लिया मगर सविता, जो हमे देख कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी, काम वेग में आकर रिंकू के बदन पे गिरे मेरे वीर्य को चाटने लगी।
वो पहले भी मेरा वीर्य पी चुकी थी, सो कोई नई बात नहीं थी।
मैं रिंकू की बगल में लेट गया।
रिंकू को चाटने के बाद सविता ने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगी।
अभी मेरी सांस तेज़ चल रही थी और सविता मेरे लंड से निकालने वाली वीर्य की आखरी बूंद तक पी गई।
मैं निढाल हो कर पड़ा था, सविता मेरे ऊपर लेट गई, मैं जानता था कि उसे भी अब लंड चाहिए, मगर मैं तो अभी झड़ा था।
मैंने सविता से कहा- थोड़ी देर रुक जान, तेरी भी तसल्ली करवाता हूँ।

वो बोली- मेरी तसल्ली की चिंता मत करो, पहले अपनी तसल्ली करो, मैं यहीं हूँ, कहीं भागी नहीं जा रही!
कितनी देर हम लेते आपस में बातें करते रहे।

करीब घंटे भर बाद मैंने एक बार और रिंकू को चोदा, इस बार चुदाई, काफी लंबी चली।
रिंकू भी पसीना पसीना हो गई मैं भी। करीब दो घंटे तक हम तीनों नंगे रहे और एक दूसरे को छेड़ते रहे।
वो दिन मेरी ज़िंदगी का यादगार दिन था।

उसके बाद काफी अरसा गुज़र गया, एक दिन मैंने फिर अपनी बीवी से कहा- यार रिंकू जैसा मज़ा दोबारा नहीं दिलवाया तुमने?
वो बोली- फिर से बाहर वाली की लेने की इच्छा हो रही है तुम्हारी?
मैंने हाँ कह दिया तो बोली- स्मिता (मेरी छोटी कुँवारी साली) से करोगे?
‘उफ़्फ़ क्या ज़ालिम जवानी है स्मिता की!’ मेरे मन ने कहा।
मैंने उठ कर सविता का मुँह चूम लिया- भगवान तुम्हारे जैसी बीवी सब को दे, जवाब नहीं तुम्हारा!
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top