मौसम की करवट-7

(Mausam Ki Karvat- Part 7)

विकास जैन 2017-01-15 Comments

अब तक आपने पढ़ा..

तनु के यकायक गिर जाने से उसके कोमल-कोमल स्तनों का स्पर्श मेरे हाथों पर हुआ, मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई।

अब आगे..

मैं तो ठीक ही था लेकिन उसके पैर में चोट आ गई थी। उसने खड़े होने की कोशिश की.. लेकिन नहीं हो पा रही थी।

मैंने उससे कहा- अपना हाथ मेरे कंधे पर डालो.. मैं तुम्हें बेडरूम में लेकर जाता हूँ। उसने अपना हाथ मेरे गले में डाल दिया और मैं उसे सहारा देते हुए लेकर जाने लगा। उसके स्लीवलेस टॉप और मेरे पतले से टी-शर्ट के वजह से हमारा शरीर रगड़ रहा था। एकदम से मेरी नजर उसके स्तनों पर गई। टॉप में से उसके स्तन पहले ही ठीक-ठाक लग रहे थे लेकिन अब मेरी हाइट उससे ज्यादा होने के कारण मुझे उसके लगभग पूरे चूचे दिख रहे थे। बस जितने स्तन उसकी ब्रा के कैद में थे.. सिर्फ वो ही मुझसे छुपे हुए थे।

अब मुझे लगा कि मुझसे रहा नहीं जाएगा। मैं उसे बेडरूम ले आया था, उसे सहारा देते हुए बिठाया, उसके पैर में काफी दर्द था।

मैंने उसे कहा- मूव है तो दो.. मैं लगा देता हूँ।
वो बोली- नहीं.. रहने दो, ठीक हो जाएगा।
मैं बोला- अरे पागल मत बनो, ठंडी के दिन है.. सुबह तक दर्द बढ़ भी सकता है।
उसने मेरे जोर देने पर कहा- वहाँ उस ड्रावर में मूव रखी है।

मैंने मूव निकाली और उसके पैर पर लगाने लगा। वो मुझे गौर से देख रही थी.. मेरा भी ध्यान सिर्फ उसे दवाई लगाने में था। मैं अपने सच्चे मन से उसे दवाई लगा रहा था।

तभी वो बोली- विक्की, तुम कितने अच्छे हो यार..
मैं बोला- मतलब..? दवाई लगाई, इसमें ज्यादा कुछ अच्छा नहीं है।
वो बोली- मैं दवाई की बात नहीं कर रही हूँ, दो दिन से मैं सिर्फ तुम्हारे साथ हूँ.. तुमने मुझे एक बार भी अमन की याद नहीं आने दी.. अभी भी तुम मेरे साथ हो, मेरी इतनी केयर कर रहे हो, जब कि ये तुम्हारा काम नहीं है।
मैं बोला- अरे ऐसा कुछ मत सोचो, मुझे तुम अच्छी लगती हो इसलिए केयर कर रहा हूँ।

पता नहीं मैं ये कैसे बोल गया.. ये सब इतना स्वाभाविक तरीके से निकाला मैं भी नहीं जानता।

वो बोली- सच में.. तुम मुझे पसंद करते हो..?
अब बोल तो दिया ही था.. शब्द निकल गए थे.. वापस ले ही नहीं सकता था।
मैं बोला- हाँ..
वो बोली- मेरी तरफ देख कर बोलो।
मैंने उसकी आँखों में देखा- हाँ.. तुम्हें पसंद करता हूँ..

उसके और मेरे चहरे के बीच ज्यादा दूरी नहीं थी.. हाँ दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखने लगे। शायद वो मेरी आंखों में प्यार ढूंढ रही थी और मैं उसकी आँखों में अपना प्यार। कब हमारे होंठ आपस में जुड़ गए.. पता ही नहीं चला, हमारी आंखें बंद थीं। मैं उसे अपने पूरे दिल से चूम रहा था। वो भी मेरा साथ दे रही थी। उसके मधुर होंठ मुझे पागल बना रहे थे। अब मेरा रुकना मुश्किल था।

उस लंबे चुम्बन के बाद धीरे से मैंने अपने होंठ अलग किए, ऐसा लग रहा था कि वो नहीं रुकना चाहती है, मेरे दिल में उसका चेहरा देखने की लालसा पैदा हो गई थी। जैसे ही मैंने अपने होंठ हटाए.. उसने अपनी आंखें खोल लीं। मैंने उसे देखा तो अब वो शर्मा रही थी।

उसने अपना चेहरा घुमा लिया। मैं उसके कान के करीब गया।

मेरे मुँह से फिर एक स्वाभाविक वाक्य निकल पड़ा- आई लव यू..

मैं फिर से उसे कान पर किस करने लगा। अब उसने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया।

शायद ये मेरे ‘आई लव यू..’ का जवाब था। फिर एक लंबा किस चलने लगा।

अब मैंने उसे किस करते-करते नीचे लेटा दिया और उसे पास बेड पर लेट गया। किस अभी भी चल रहा था। मैंने उसे बाहों में ले लिया। उसने भी मुझे अपनी पूरी ताकत के साथ पकड़ रखा था, मानो अब मुझे जाने नहीं देगी।

पांच मिनट बाद हमारी पकड़ ढीली हुई, मैंने होंठ हटाए और अब मैं उसकी तरफ गौर से देख रहा था।

उसने मेरी तरफ नजरें घुमाईं और मेरी बांहों में छुप गई। फिर मैंने उसे थोड़ा दूर किया और उसके चहरे को देखने लगा। वो मेरी तरफ देखने लगी थी। हम एक-दूसरे से नजरों से बातें कर रहे थे। उसकी नजर जैसे मुझे बुला रही थी।

तभी उसने कुछ ऐसा किया कि मैं एक पल के लिए हैरान हो गया। उसने मेरा हाथ पकड़ा, धीरे-धीरे वो अपनी आँखें बंद करते हुए मेरा हाथ अपने स्तन पर ले गई। मेरे लिए ये अब एक मौन इशारा था कि अब हम हर हद को पर करने वाले थे।

मैंने उसका स्तन अपने हाथ में लिया, उसे प्यार से दबाने लगा। मेरा मन जैसे सातवें आसमान पर था। मैंने उसके गले पर किस करना चालू कर दिया।

वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां फेरने लगी। मैं उसे किस करते-करते उसके स्तनों को दबाने लगा था। अब मेरे दोनों हाथ अपनी हरकत में आ गए थे।

मैंने अपना दायां हाथ उसके टॉप के अन्दर डाल दिया, फिर मैं उसके ब्रा के ऊपर से ही स्तन सहलाने लगा था। मेरा दूसरा हाथ उसकी पीठ पर चला गया। वहाँ मैंने उसे टॉप के अन्दर डाल दिया, उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया। अब मेरे हाथ में उसके बड़े-बड़े स्तन बिना किसी आवरण के थे।

मैं उसके निप्पलों को मींजने लगा.. जिससे तनु पागल हो गई थी। वो बस मुझे अपने तरफ खींच रही थी। मैंने उसका टॉप निकाल दिया।

हुक खुला होने के कारण ब्रा भी निकल पड़ी थी। अब उस अप्सरा के स्तन मेरे सामने थे.. पूरे मस्त आकार में एकदम गोल तने हुए थे.. मानो उनको ब्रा की जरुरत ही न हो।

मेरे सब्र का बांध अब टूट चुका था। मैं उसके गले से किस करते हुए नीचे चला गया। धीरे-धीरे उसके बाएं स्तन पर मैंने जैसे ही अपने होंठ रखे.. वो एकदम से

सिसक उठी। मैंने आगे बढ़ते हुए उसके निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। शायद उसने अपने होंठ आपस में दबा लिए थे।

मैंने उसके एक स्तन को अपने हाथ से सहलाना चालू कर दिया और दूसरे का निप्पल चूसने लगा। अब मेरा हाथ उसकी शॉर्ट्स की तरफ बढ़ा।

मैंने उसका शॉर्ट्स नीचे कर दिया, उसने नीचे पिंक पैंटी पहनी हुई थी। मैंने उसमें हाथ डाल दिया।

मेरी उंगलियां अब उस अप्सरा की योनि को टटोल रही थीं। मैंने उसकी योनि को जैसे ही स्पर्श किया.. उसका शरीर कांपने लगा।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी योनि में डाल दी और उसे उकसाने लगा। उसकी योनि पहले से ही गीली थी.. मगर मेरी उंगलियां अब अपना जादू दिखा रही थीं।

उसकी योनि अब और गीली हो गई। अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया। फिर मेरा शॉर्ट्स भी निकाल दिया। अब और कुछ बचा नहीं था।

उसका हाथ सीधा मेरे लिंग पर आ गया था। उसने मेरा लिंग थाम लिया और धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी।

मैं अब उसका इशारा समझ गया था.. मैंने उसे सीधा लिटाया और उसके दोनों पैर फैला दिए। अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपना लिंग उसकी योनि मुख पर लगाया और उसे बिना उसके अन्दर डाले.. बस ऊपर से योनि की फांकों में रगड़ रहा था।

अब तनु से रहा नहीं गया उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और खुद नीचे से ऊपर की ओर जोर लगाते हुए मेरे लिंग को अन्दर ले लिया।

चिकनाई के कारण मेरा आधा लिंग अन्दर घुसता चला गया था। उसे काफी दर्द हो रहा था, लेकिन वो रुकना नहीं चाहती थी।

मैंने भी अभी उसकी तड़प देखते हुए अपना बचा हुआ लिंग उसकी योनि में उतार दिया। मुझे स्वर्ग सा आनन्द आ रहा था। लंबे अरसे बाद इस लिंग को योनि चखने को मिली थी। वहीं तनु के चहरे पर दर्द साफ़ दिख रहा था.. लेकिन ये दर्द सिर्फ कुछ देर के लिए था। अगले 2 मिनट में वो अपनी कमर चलाने लग गई।

मैंने भी अब धक्के लगाने शुरू कर दिए थे, उसने हमारे पास पड़ा कम्बल हम दोनों के ऊपर ले लिया। अब हम दोनों एक कम्बल में एक-दूसरे के साथ सम्भोग का मजा ले रहे थे। अब मैं उसे उसके होंठों पर किस करते-करते आराम-आराम से अपना लिंग अन्दर-बाहर कर रहा था।

हम दोनों को कोई जल्दी नहीं थी। हम बस अपने वक़्त को अच्छे से गुजारना चाहते थे। काफी देर ऐसे ही प्रणय करके अब मैंने नीचे जाना ठीक समझा।

अब मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया था, वो मेरे ऊपर आकर आराम से मेरा लिंग अन्दर-बाहर कर रही थी। वो मेरे ऊपर बैठ गई, उसके बैठने से कम्बल उसके जिस्म से नीचे गिर गया। वो अप्सरा अब मेरे सामने मेरे ऊपर मानो सैर कर रही थी। जैसे-जैसे वो उछलती उसके सेक्सी स्तन जो कि अपने पूरे गोल आकार में थिरक रहे थे।

उसके मदमस्त स्तन उछलते और बहुत ही ज्यादा कामुक दृश्य बना रहे थे। अब उसने अपनी गति तेज कर दी और वो जोर-जोर से मेरे लिंग पर उछलने लगी। उसके चहरे के मादक हाव-भाव और स्तनों के मिले-जुले कामरस से भरे इस दृश्य से अब मेरा बाँध टूटते वाला था। उसने अपनी गति और तेज कर दी। अब वो भी चरम पर आ पहुँची थी।

पांच-छह झटकों के बाद वो मेरे सीने पर गिर कर इठ गई.. मैंने उसे झट से नीचे ले लिया और अपनी पूरी ताकत के साथ उसके अन्दर अपने लिंग को पहुँचाने लगा। दो-चार झटकों में अब मेरा भी वीर्य निकल पड़ा। पिचकारियां सीधी उसकी गर्भाशय में गई होंगी। ऐसा चरम सुख मुझे कभी नहीं मिला था। मैं उसके पास लेट गया और उसे बांहों में ले लिया। हम दोनों बहुत थक गए थे और अब कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।

ये कहानी आगे भी जारी रहेगी। आप सब पाठकों को ये भाग कैसा लगा.. वो जरूर बताइएगा। आपके मेल का इंतज़ार रहेगा।

धन्यवाद।
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