मैं फिर से चुदी-1

(Main Fir Se Chudi- Part 1)

मस्तराम 2008-11-04 Comments

हाय मैं मुक्ता! गत कहानी
जीजू के साथ मस्त साली
में मैंने आपको अपने जीजू विपुल से अपनी धमाकेदार चुदाई के बारे में बताया था. जीजू तो मेरी चूत की सील तोड़कर चले गए थे लेकिन उसके बाद मेरी क्या हालत हुई वो मैं आपको बताती हूँ.

जब तक किसी लड़की की चुदाई नहीं होती, तब तक तो कोई बात नहीं, लेकिन लौड़ा खाने के बाद तो चूत हमेशा चाहती है कि कोई न कोई लौड़ा हमेशा उसमें घुसा रहे.

जीजू के जाने के बाद मैं हर मर्द को उसी नजरिये से देखने लगी, 18 साल का लोंडा हो या 50 साल का बुढ्ढा, मेरी निगाहें हमेशा उसकी कमर के नीचे होती, निगाहें तलाशती रहती कि इसका लौड़ा कैसा होगा, कितना लम्बा या मोटा होगा और अगर यह मेरी चूत में होता तो कैसा लगता.

घर में अगर आस पड़ोस के छोटे बच्चे आ जाते तो मैं उनकी छोटी सी लूली सहलाने लगती, उसको कभी जोर से दबा देती तो बच्चा रोने लगता. भगवन से दुआ करती- हे भगवन! इसका लंड जल्दी से बड़ा कर दे ताकि मैं अपनी चूत की ज्वाला शांत कर सकूँ!

थोड़े दिनों में तो यह हाल हो गया कि मैं जब भी किसी मर्द को देखती तो काफी देर तक उसके लंड की जगह तकती रहती, मुझे लगने लगता कि मेरे देखने से इसका लौड़ा तन रहा है.

हालत जब बेकाबू होने लगे तो मैं अपने घर में ही राह देखने लगी. जीजी, मैं और हमसे छोटा हमारा भाई अभिषेक दोस्तों की तरह रहे थे. जीजी की शादी के बाद अभिषेक भी अपनी दुनिया में मस्त हो गया था. अभिषेक के घर से जाने के बाद में ही उसके कमरे की सफाई करती.

एक दिन जब मैं उसके कमरे की सफाई कर रही थी तो पलंग के नीचे मुझे उसके सफ़ेद रंग का जांघिया दिखा. मैंने उसको उठाया, न जाने मुझे क्या सूझी कि मैं जांघिए में वो जगह देखने लगी जहाँ लण्ड छुपा होता है. मुझे उस जगह कुछ दाग-धब्बे से नज़र आये. मैंने जांघिए को अपने नाकसे सूँघा. मैं क्या बताऊँ आपको! उस खुशबू को सूंघते ही मैं तो मस्त हो गई, मेरा रोम-रोम उत्तेजना से भर गया, चूत गीली-गीली सी लगने लगी. मैंने एक हाथ से जांघिये को सूंघना जारी रखा और दूसरे हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी. दस मिनट तक ऐसा करने के बाद मुझे लगा कि मेरी चूत से कुछ निकल रहा है. मैंने एक बार जोर से चूत को रगड़ लगाई और मुझे लगा कि मेरी चूत से कोई द्रव निकला और मैं शांत हो गई.

मुझे मजा आ गया!

अब तो मुझे रोज की राह मिल गई अभिषेक के जाने के बाद मैं उसके कमरे में जाती, उसका कोई सा भी जांघिया लेती, उसे सूंघती, उत्तजित हो जाती, चूत को सहलाती-मसलती और स्खलित हो जाती.

एक परिवर्तन मुझमें और आ गया था, पहले मुझमें अपने शरीर को लेकर काफी संकोच था, मैं अपने शरीर को काफी छुपा कर रखती थी लेकिन जीजू से चुदाई के बाद मेरे मन में यह लगने लगा कि ज्यादा से ज्यादा लोंडे मेरे शरीर को देखें, इसलिए मैंने अपने पहनावे में भी बदलाव कर दिया. अब मैं एसे कपड़े ज्यादा पहन कर निकलने लगी जिसमें मेरे शरीर का एक एक उभार दिख सके.

भाई का जांघिया सूंघने से मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि मुझे लगने लगा कि अगर मेरी चूत को जल्दी ही कोई लौड़ा नहीं मिला तो मैं जाने क्या कर बैठूंगी.

अचानक एक दिन ऐसा हादसा हो गया जो मैंने सोचा भी नहीं था. मैं अपनी 8 सहेलियों के साथ एक ऑटो में सदर से स्कूल जाया करती थी. ऑटो ड्राईवर का नाम मुकेश था और उसकी उम्र 25 साल के लगभग होगी. वैसे तो मुकेश रोजाना हमें हमारे घर से लेता और स्कूल छोड़ता. मेरा घर सबसे पहले था इसलिए वो मुझे सबसे पहले लेता और स्कूल से आने के बाद छोड़ता भी सबसे बाद.

मुझे लगभग 20 मिनट उसके साथ अकेले ऑटो में बैठना होता था.

उस दिन जैसे ही मुकेश ने मुझे घर के बाहर उतारा तो मैंने उसे अपना बैग ऑटो के पीछे से उतार कर देने को कहा. मुकेश ने मुझे बैग तो दिया लेकिन इस तरीके से कि जब तक में बैग संभालूं वो मेरे दोनों बोबों को पकड़ चुका था. मुझे एकदम करंट सा लगा. यह तो सही है कि मैं चुदने को बेताब थी लेकिन इतनी भी नहीं कि एक ऑटो ड्राईवर ही मेरे से छेड़खानी की सोचने लगे.

मैंने एक चांटा उसके गाल पर रसीद किया और घर में भागकर चली आई.

घर आकर जब मैं संयत हुई तो मुझे महसूस हुआ कि मेरे दोनों बोबे बुरी तरह दुःख रहे हैं. मुकेश ने थोड़ी देर में ही उन्हें इतनी बेदर्दी से मसला था कि वो ढीले पड़ गए थे. मैंने तसल्ली से मुकेश के बारे में सोचा. वो एकदम काला लेकिन कसे हुआ बदन का मालिक था. ऑटो चलते समय भी वो किसी के ऑटो के एकदम सामने आ जाने पर माँ-बहन की गालियाँ दिया करता था.

अगले दिन मुकेश ने मुझसे निगाहे नहीं मिलाई लेकिन मैंने देख लिया था की वो पीछे देखने वाले शीशे से बार बार मुझे घूर रहा है.

उस दिन पापा ने मुझसे कहा कि वो दिन में मम्मी के साथ शोपिंग पर जायेंगे और अभिषेक भी देर से आएगा इसलिए घर पर 2-3 घंटे मुझे अकेले रहना पड़ेगा.
मैंने कहा- ठीक है, मैं रह लूंगी.

मेरे मन में तो यह चल रहा था कि आज घर पर कोई नहीं होगा तो मजा रहेगा. मैं सारे कपड़े उतार कर नंगी रहूंगी, भाई का जांघिया लूंगी, उसे अपनी चूत पर मसलूँगी और जमकर मस्ती करुँगी.

लेकिन उस दिन जो हुआ वो मेरी कल्पना से भी बाहर था. घर से कुछ दूर पहले ही मुकेश का ऑटो ख़राब हो गया.

मैंने मुकेश से कहा- जल्दी करो, आज घर पर कोई नहीं है और मुझे 2-3 घंटे घर पर अकेले रहना है, मुझे जल्दी से घर भिजवाने की व्यवस्था करो.

मुकेश ने एक ऑटो रोक मुझे बैठा दिया. मैं उस ऑटो में बैठ कर घर आ गई. घर आते ही मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगी हो गई. घर में आप अकेले हों और बिल्कुल नंगे हों तो मजा ही कुछ और होता है.

मैंने शीशे में अपने आपको निहारा, हाय! क्या प्यारे प्यारे स्तन हैं मेरे! पतली कमर, चूत कमसिन सी, जिस पर रोयेदार बाल! घूमी तो दोनों चूतड़ क़यामत ढाते हुए!

मैंने अपनी छोटी अंगुली चूत में घुसाना शुरू की तो चूत एकदम पनिया गई. मैं धीरे धीरे अंगुली चूत में करने लगी और गति बढ़ाने लगी. मेरे आनन्द की कोई सीमा नहीं रही.

अचानक दर्वाज़े की घण्टी बजी तो मेरी तन्द्रा टूटी.मैंने जल्दी से निकर और टीशर्ट पहनी और दरवाजे पर आकर कहा- कौन है?

बाहर से आवाज़ आई- बेबी, मैं मुकेश! आपका टिफिन ऑटो में रह गया था, वो देने आया हूँ.

मैंने दरवाजा खोला ही था कि मुकेश तेजी से अन्दर आया और उसने दरवाजा बंद कर लिया. मेरी समझ में कुछ आता इससे पहले मुकेश मेरे ऊपर झपटा और मुझे अपनी बाहों में ले लिया, वो कहने लगा- मादरचोदनी! तूने मेरे को चांटा मारा था? तुझे बताता हूँ इसका नतीजा!

मुकेश तेजी से टीशर्ट के ऊपर से मेरे बोबों को मसलने लगा और कहने लगा- मुझे पता है कि तू 2-3 घंटे घर में अकेली है. आज तो मैं तेरा वो हाल करूँगा कि तू आगे से किसी को चांटा मारने से पहले सौ बार सोचेगी.

मैं समझ गई कि आज फिर से मेरी चूत का बाजा बजने वाला है लेकिन बाजा यह मुकेश बजाएगा, यह बात मेरे गले नहीं उतर रही थी. मैंने मुकेश का विरोध करने का फ़ैसला किया.

मैंने मुकेश से अपने बोबों को छुड़ाने की कोशिश की और उसके हाथ पर काट खाया. मुकेश तिलमिला उठा उसने मेरे गाल पर कस कर दो चांटे मारे और मेरे दोनों हाथ कसकर पकड़ लिए. उसने मुझे सीधा किया और अपने दोनों होठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें बेदर्दी से चूसने लगा.
मैं बेबस हो गई.

मुकेश अब तेजी से मेरे होंठों को तो चूस ही रहा था साथ ही वो दोनों चूचों को भी कसकर दबा रहा था. मुकेश के काले-काले होठ मेरे पतले-पतले गुलाबी होंठों का जमकर रस-स्वादन कर रहे थे.

मुकेश ने मेरी चूचियों को मसलते मसलते एकदम टीशर्ट को खींच दिया जिससे टीशर्ट फट गई और मेरे दोनों स्तन आज़ाद हो गए. अब तो मुकेश के हाथो में मेरे दोनों बोबे आ गए वो उनको और जोर से मसलने लगा और बीच बीच में मेरे चुचूकों को नोचने लगा.

मैं छटपटाने लगी. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ. अब मुकेश पर वासना का भूत तेजी से सर चढ़ कर बोलने लगा और उसने मेरी निक्कर भी खींच दिया. अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.

चूत को देखते ही तो मुकेश पर और वहशीपन छा गया, वो कहने लगा- आज रांड तेरा वो हाल करूँगा कि तू और तेरी चूत रोजाना मुझ जैसे का लौड़ा मांगेगी.

शेष कहानी अगले भाग में यहाँ है: मैं फिर से चुदी-2

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