कमसिन कुंवारी यौवना की बुर की चुदाई स्टोरी-1

(Kamsin Kunvari Yauvna Ki Bur Ki Chudai Story- Part 1)

This story is part of a series:

मेरा नाम किशोर है, मैं मुम्बई से हूँ, मेरी उम्र 50 साल कद, 5.11 एथेलेटिक बॉडी… मैंने घर में ही जिम बना रखा है, करीब 2 घंटे मैं रोज़ जिम में समय व्यतीत करता हूँ, मैं कई मल्टी नेशनल कंपनी का सलाहकार हूँ और ज्यादातर मैं घर से ही काम करता हूँ.
मेरा घर नई मुम्बई खारघर में 3 बैडरूम का एक फ्लैट है जो 11th फ्लोर पर है.

मेरे एक बेटा है, जो बैंगलोर में है, मुम्बई में मैं अकेला रहता हूँ तो मेरी दिनचर्या बहुत ही अस्त व्यस्त है, मैं एक तलाकशुदा मर्द हूँ मेरी पत्नी करीब 15 साल से मेरे से अलग रहती है.

मेरी बालकोनी से बाहर का नज़ारा बहुत प्यारा है सामने ढेर सारे पहाड़ है जहाँ सुबह की सूरज की किरणों के साथ बैठना अत्यंत सुखकारी लगता है.

यह तो था मेरे व्यक्तिगत परिचय… अब सेक्स लाइफ:

मेरी सेक्स लाइफ ठीक सी है, कुछ फीमेल्स हैं जिनके साथ मेरे रेगुलर सेक्स रिलेशन हैं और सब 30 से 40 के बीच की है, ये सब मेरी महिला मित्र है… कुछ चैट फ्रेंड हैं जो अपने सेक्सुअल लाइफ से संतुष्ट नहीं हैं… तो वो मेरे साथ सेक्स रिलेशन में हैं और सन्तुष्ट भी हैं.

सेक्सयुअली मैं बहुत फिट हूँ, मेरा लंड भी करीब 6.5 इंच का है और मोटा भी है.

मैं राहुल श्रीवास्तव मुंबई से एक बार फिर मैं आपके सामने हूँ एक नई कहानी के साथ… यह कहानी एक शख्स ने मेरे से शेयर की थी जिसको मैं अन्तर्वासना के पाठकों की रूचि के हिसाब से शब्दों में ढाल के आपके सामने लाया हूँ, यदि आप नए पाठक है तो आप ऊपर मेरे नाम पर क्लिक करके या यहीं पर क्लिक करके मेरी सभी कहानियों को पढ़ सकते हैं.

आप सभी का मेरी कहानियों को और मुझे दिए गए प्यार का शुक्रिया, आशा है यह कहानी भी आप सबको पसंद आएगी. अपने विचार मेरे से इमेल पर आप शेयर कर सकते है जिसका मुझे इंतज़ार होगा.

अब बात आती है मेरी इस कहानी की

यह कहानी किशोर और एक 21 साल की नवयौवना के बीच की है जो अंत में आपस में सेक्स करते हैं, वो कुंवारी थी, एक आकर्षक व्यक्तित्व की मालकिन थी, नाम था अंजलि-
अंजलि मेरे से एक फ्लैट छोड़ कर रहती है, साथ में उसके माता पिता हैं जो किसी विदेशी कंपनी में काम करते हैं, ज्यादातर दिन में बाहर ही रहते हैं, वो दिन भर घर में अकेली रहती है.

अंजलि एक भरपूर शरीर की मालकिन है, रंग साफ, चुची करीब 32B, पतली कमर, वज़न करीब 55 kg है.

उसके घर में एक बुजुर्ग महिला भी है जो उसकी नौकरानी है और उसके खाने पीने का ख्याल रखती है.

उस परिवार से मेरे सम्बन्ध बहुत अच्छे हैं, अक्सर मैं और उसके पिता बैठ कर ड्रिंक्स लेते हैं, उनकी पत्नी भी हम लोगों का अक्सर साथ देती है, अंजलि अक्सर दिन में मेरे घर आ जाया करती है, और हम दोनों गेम्स, मूवी वगैरह साथ देखा करते हैं हम दोनों के पास एक दूसरे के घर की चाभियां भी हैं.
जैसा कि आपको मालूम होगा कि मुम्बई में ज्यादातर डोर ऑटो लॉक होते है इसी वजह से हम दोनों एक दूसरे की चाभी अपनी पास रखते हैं. अंजलि और मेरे बीच ऐसा कुछ नहीं था, उसको मेरा साथ बहुत पसंद था क्योंकि मैं उसकी साथ बहुत दोस्ताना व्यवहार करता हूँ, कभी कभी मैं उसके उम्र के युवा की तरह भी व्यवहार करता हूँ जो अंजलि को अच्छा लगता है, अक्सर वो कहती- आप बहुत फिट हो, बिल्कुल मेरे दोस्तों की तरह लगते हो!

एक बार अंजलि के माता पिता को एक साथ ऑफिस के काम से करीब एक हफ़्ते के लिए आउट स्टेशन जाना पड़ा तो उन्होंने मेरे से अंजलि का ख्याल रखने को कहा, अभी भी मेरे दिल में सेक्स जैसी भावना अंजलि के लिए नहीं थी.

अगले ही दिन अंजलि की माँ को फ़ोन आया कि अंजलि को उसकी एक सहेली की बर्थडे पार्टी में जाना है तो प्लीज आप उसको छोड़ आना और ले भी आना!
पार्टी मुम्बई के एक प्रतिष्ठित सितारा होटल में थी, मैं और अंजलि शाम को ही निकल गए, ट्रैफिक को ध्यान में रह कर अंजलि ने उस दिन सिंगल ड्रेस पहनी थी ब्लैक रंग की जो मुश्किल से उसकी जांघों को ढक पा रही थी.

पता नहीं क्यों… उस दिन पहली बार मुझे उसकी भरी भरी जांघों को देख कर कुछ हुआ… दूध सी सफ़ेद जांघें और चिकनी भी, सॉफ्ट सी… पहली बार मेरे दिल में उसको कपड़ों के बिना देखने का मन हुआ.

खैर हम लोग समय से पहुँच गए, मैं उसके दोस्तों से मिला और फिर मैंने अंजलि से कहा- मैं पास में ही अपनी एक दोस्त के यहाँ हूँ, तुम जब फ्री हो जाओ तो मुझे कॉल कर देना!
कह कर मैं वहां से निकल गया.

मैंने एक खास दोस्त को फ़ोन करके सारी बात बताई तो वो बोला- मैं तो मुम्बई से बाहर हूँ, तुम चाहो तो मेरे बगल के घर से चाभी लेकर वहां ड्रिंक्स वगैरह करते हुए टाइम पास कर सकते हो! चूंकि मुझे चार से पांच घंटे गुजारने थे तो मैंने उसका ऑफर स्वीकार कर लिया और उसके घर चला गया और रिलैक्स होकर टीवी देखते हुए ड्रिंक्स लेनी शुरू कर दी.

करीब एक घंटे के बाद अंजलि का फ़ोन आया- आप आ जाओ, मुझे वापस चलना है!
मैंने पूछा भी- इतनी जल्दी? क्या हुआ?
पर अंजलि ने कहा- कुछ नहीं, बस आप आ जाओ और मुझे ले चलो!

मुझे लगा कुछ गड़बड़ है तो मैं तुरंत वहां से निकल कर होटल पहुंचा तो देखा कि अंजलि बाहर ही लॉबी में मेरा इंतज़ार कर रही थी और अपसेट भी लग रही थी, वो चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गई और मैंने गाड़ी चला दी.

मैं- क्या हुआ अंजलि?
अंजलि- कुछ नहीं, आप बस यहाँ से निकलो!
मैं- घर चले?
अंजलि- नहीं, कहीं और चलते हैं.
मैं- कहाँ?
अंजलि- कहीं भी, अभी मेरा घर जाने का मन नहीं है!
मैं- ओके!
कह कर अपने दोस्त के घर की तरफ चल पड़ा.

हम दोनों फ्लैट में पहुँच कर रिलैक्स हो गए, मैं बालकोनी में जा कर बैठ गया क्योंकि वहां से वर्सोवा बीच का समुन्दर अच्छा दिखता था. रात के अँधेरे में लहरों का शोर मधुर संगीत से कम नहीं लगता…
थोड़ी ही देर में अंजलि भी फ्रेश होकर मेरे पास आ कर बैठ गई, अब उसका मूड मुझे कुछ ठीक लगा, शायद अपने आप को सेफ महसूस कर रही थी.

मैं- क्या हुआ अंजलि?
अंजलि- कुछ नहीं
मैं- कुछ तो हुआ है, तुम मेरे से शेयर कर सकती हो और विश्वास करो यह बात मेरे और तुम्हारे बीच में ही रहेगी, एक अच्छे दोस्त की तरह!

पर अंजलि शांत रही.. ऐसा लगा कि कुछ कश्मकश में है.

मैं- कुछ लोगी जूस आदि?
अंजलि- आप क्या ले रहे हो? वो ही मुझे दे दो!

मैं चुपचाप उठा और वोदका का स्माल गिलास जूस में बना कर दे दिया.

काफी देर तक हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई.
फिर अचानक:

अंजलि- आप ये बताओ, लड़के ऐसा क्यों करते हैं?
मैं- कैसा क्या करते हैं?
अंजलि- किसी भी अकेली लड़की को देख कर उसकी साथ बदतमीज़ी!
मैं- क्या किसी ने तुम्हारे साथ कुछ किया?

अंजलि- हाँ एक लड़का था मेरी सहेली का फ्रेंड… उसने डांस फ्लोर पर मेरे को टच किया!
मैं- क्या टच किया?
अंजलि- अरे मेरी बॉडी को और क्या… आप समझो ना!
मैं- तुमने मुझे वहां क्यों नहीं बताया?
अंजलि- अरे… मैंने उसको कान के नीचे दो थप्पड़ लगाए और जम कर बेइज्जती की… उसकी आप टेशन मत लो, मैं अपना ख्याल खुद रख सकती हूँ, ऐसे लड़कों से तो रोज़ ही पाला पड़ता है पर मेरा पार्टी का मूड ख़राब कर दिया और फ्रेंड की पार्टी भी, कितनी मुश्किल से ऐसा मौका मिला था कि माँ पापा यहाँ नहीं हैं और मैं खुल कर एन्जॉय कर सकती थी… पर सब गड़बड़ हो गया!

मैं- क्यों माँ पापा नहीं हैं पर मैं तो हूँ ना!
अंजलि- अरे आप से डर नहीं लगता, आप तो दोस्त जैसे हो!
मैं- अच्छा क्या एन्जॉय करना था?
अंजलि- कुछ भी डांस… ड्रिंक…
मैं- वो तो तुम अभी भी कर सकती हो, ड्रिंक तुम्हारे हाथ में है और डांस के लिए म्यूजिक भी है.

अंजलि- आपके साथ?
मैं- हाँ, मैं तो तुम्हारा दोस्त हूँ ना?
अंजलि- हम्म… वो तो है, आप मेरे आजकल के दोस्तों से कहीं बेहतर हो!

मैं अंदर गया और म्यूजिक सिस्टम पर गाने लगा दिए और कमरे की रोशनी भी डिम कर दी. अंजलि भी अंदर आ गई, वो म्यूजिक में थिरकने लगी, मैं काउच पर बैठा उसको नाचते देख रहा था. अंजलि मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और मेरे को इशारे से बुलाया और डांस के लिए बोला.

मैं भी गिलास रख कर उसकी पास जा कर थिरकने लगा.
अचानक उसने म्यूजिक चेंज करके सॉफ्ट सा सांग लगा दिया… पहली बार मुझे लगा ‘यार कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाय…’

अंजलि मेरे पास आकर मेरे हाथों को लेकर बॉल डांस करने लगी… मैं भरसक कोशिश कर रहा था कि उसकी बॉडी से दूर रहूँ पर दोनों के बीच का फासला कम होता जा रहा था.
धीरे धीरे उसका बदन मेरे बदन से टच करने लगा मेरे हाथ अब उसकी कमर पर आ चुके थे… न चाहते हुए भी उसकी चुची को अपनी सीने पर महसूस करने लगा… सॉफ्ट सा टच!

फिर उसने मुझसे अलग होकर अपना पूरा गिलास एक सांस में खत्म करके दूसरा गिलास तैयार किया और फिर एक बड़ा सा सिप लेकर मेरे पास आ गई और फिर से हम दोनों उसी स्थिति में आ कर नाचने लगे.
उसकी गर्म सांसों को मैं अपनी गर्दन में महसूस कर रहा था.

मेरे लंड ने भी सर उठाना शुरू कर दिया था, जिस्म में अचानक रक्त का संचार बढ़ गया था..
फिर भी मैं नार्मल रहने की कोशिश कर रहा था कि अंजलि को ऐसा न लगे कि मैं कोई फ़ायदा उठा रहा हूँ, पर अंजलि के मन में क्या था… यह तो मैं भी नहीं समझ पा रहा था.

वोदका का असर… दो गर्म जिस्म, दो विपरीत लिंग का आकर्षण की आने वाले तूफान का सन्देश दे रहे थे…

मैं भी मदहोशी के आलम में न जाने कब उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा… अंजलि की सांसें तेज हो गई… सांसों की गर्मी मुझे पिंघलाने लगी… मेरे हाथ उसकी ब्रा के स्ट्रेप को फील करने लगे… मेरा दूसरा हाथ धीरे धीरे कमर से होते हुए गुदाज चूतड़ को सहलाने लगे… पैंटी के रगड़ ने मेरा लंड पूरी तरह अकड़ा दिया था.

अंजलि मेरे और पास आ गई… इतनी पास कि मेरा जिस्म उसकी उन्नत चुची को अपने सीने में दबोचे हुआ था, शायद अंजलि भी वोदका के और माहौल के असर में थी.. और एक हाथ से मेरे बालों को सहला रही थी.

पर मैं आगे बढ़ना नहीं चाहता था… बहुत छोटी थी वो!
और मेरे दोस्त की बेटी थी थी.

यह ठीक है कि हम दोनों में कोई रिश्ता नहीं था फिर भी… दिमाग ना कह रहा था…

मैंने दूर होने की कोशिश की पर अंजलि ने कस कर मुझे अपनी पास कर लिया, उसने अपने आपको पलट कर अपनी पीठ मेरे सीने से चिपका दी मेरे हाथ उसके पेट पर थे… हम इसी पोजीशन में डांस कर रहे थे, मेरा लंड पूरे आकार में उसकी गांड से चिपका था. जितना मैं पीछे होता, उतना वो और पीछे आकर मेरे लंड से सट जाती…

मुझे मालूम था कि अंजलि कुंवारी है और वो नशे में है… क्योंकि वो अब तीसरा पैग पी रही थी… मैं उसका फ़ायदा ना उठा सकूँ, मैं उससे दूर होकर काउच पर बैठ कर सिप लेने लगा.

अंजलि- क्या यार, आप बैठ क्यों गए? कितना अच्छा डांस करते हो आप!

मैं- अंजलि, बहुत हो गया, अब हमको घर चलना चाहिये!

अंजलि- नहीं हम सुबह घर जायेंगे… क्योंकि हम ड्राइविंग नहीं कर सकते, पुलिस पकड़ सकती है.

मैं- नहीं, हम टैक्सी लेकर जाएंगे… अपनी गाड़ी कल मंगवा लेंगे.

अंजलि- यार, मूड अब ऑफ मत करो… जल्दी से पिज़्ज़ा आर्डर करो और मेरे साथ डांस करो!

मैंने अंजलि को ऐसा कभी नहीं देखा था, अंजलि आज मेरे से बिल्कुल अलग व्यवहार कर रही थी दोस्तों के जैसा!
मैंने पिज़्ज़ा आर्डर किया.

तभी… अंजलि माँ का फोन आया, मैंने बता दिया कि अंजलि अभी पार्टी में है और मैं भी एक फ्रेंड की फैमिली के साथ हूँ, अगर देर हो गई तो हम यही रुक जाएंगे और सुबह वापस जाएंगे.
उसकी माँ ने बोला कि उसकी सर्वेंट के गांव में मक़ान गिर गया है, वो 3-4 दिन के लिए गांव चली गई है, एमरजेंसी में!

खैर अब मैं बेफिक्र था कि हम दोनों को कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा.

अंजलि ने हम दोनों का गिलास बनाया, मैंने जैसे ही सिप किया, तुरंत पता लग गया कि कितना स्ट्रांग पेग था.

हम दोनों फिर से डांस फ्लोर पे थे, इस बार मैं ज्यादा फ्री था, दिमाग पर दिल छा चुका था, सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो चुकी थी, सिर्फ याद था कि मैं एक मर्द हूँ और वो एक कमसिन लड़की!

अंजलि को कस कर मैंने अपने से चिपका लिया और डांस करने लगे… मेरे हाथ उसके शरीर के भूगोल को नाप रहे थे. अंजलि भी मेरे से चिपक रही थी, कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि उसको मेरा स्पर्श पसंद नहीं आ रहा है, मेरा लंड उसके त्रिभुज में फंस सा गया था, डांस के हर स्टेप पर मेरे लंड और चूत का मिलन हो रहा था.

अंजलि की सांसें एक बार फिर गर्म हो गई थी… मुँह से हल्की हल्की सिसकारियों की आवाज़ आने लगी थी उम्मनम्म्म… म्म…
वो मेरे से चिपकने लगी थी, मेरे हाथ उसकी चूतड़ की गोलाई नाप रहे थे, दबा रहे थे कि मैंने उसके होंठों को अपनी गर्दन पे पाया… वो हल्की हल्की मेरी गर्दन पे अपने गीले होंठों से रगड़ रही थी.

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मेरा मन भी बेकाबू हो गया… फिर भी दिमाग ने एक बार मुझे अलर्ट किया कि ये गलत है.

मैंने अंजलि को अपनी से अलग किया और उसकी आँखों में देखा… अंजलि भरपूर निगाहों से देख कर मेरी शर्ट का बटन खोलने लगी… अब कहने सुनने को कुछ भी बाकी नहीं था, फिर भी…

मैं- तुमको पता है न तुम क्या कर रही हो?
अंजलि- हाँ, मुझे आप का साथ बहुत पसंद है… और आप भी…
मैं- सोच लो फिर से एक बार…

अबकी बार अंजलि ने मेरी गर्दन में हाथ डाल के मुझे खींच कर मेरे होटों पर अपने गर्म होंठ रख दिए, मेरे सारे सवाल वहीं ख़त्म हो गए… उसको होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया.. वो भी मेरा साथ देने लगी।
कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ अंजलि के मुँह में डाल दी और वो होंठों से उसे चूसने लगी।
मैं सातवें आसमान पर था…

अंजलि मेरे पंजों पर ख़ड़ी होकर मेरे होंठों को चूम रही थी… मैं एक हाथ से उसकी गोल चुची दबा रहा था जो उत्त्तेजना के कारण और भी सख्त हो गई थी।
मैंने अंजलि को बाँहों में भर लिया, उसके होंठों पर गर्म गर्म चुम्बन लेने लगा.
बहुत दिन बाद किसी कमसिन के होंठ पी रहा था. मेरा लंड तो पूरा बेक़रार हो चुका था

अंजलि के होंठ पीते पीते दोनों गर्म हो गए. मैंने अंजलि की आँखों में बस झाँका और मुझे जवाब मिल गया. क्योंकि वो भी बस वही चाहती सारी बातें बस आँखों आँखों में ही हो जाती हैं.
मैं समझ गया कि अंजलि भी चुदने को अपने मन से तैयार थी.
मैंने उसके भरे बदन को बाहों में भर लिया और हर जगह चूमने लगा. उसके कंधे को, उसकी पीठ पर मेरा हाथ गया. फिर उसकी कमर पर और फिर मेरा हाथ गया. भरे भरे गोल हिप्स को छूते ही मेरे दिल ने कहा किशोर साले ऐसा माल फिर नहीं मिलेगा… मौके का फायदा उठाओ और इस कच्ची कली को चोद लो… वरना कल किसने देखा है… कल को अंजलि का इरादा बदल गया तो!

अंजलि भी मेरा सर को सहलाने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे को लिप किस करते जा रहे थे तभी अंजलि बोली- आअहह… आपके के किस करने का स्टाइल बहुत प्यारा है, बहुत अच्छा लग रहा है आआहह आहह अह्ह्ह।

अंजलि के क्या रसीले होंठ थे… जी कर रहा था कि खा जाऊँ… क्या गुलाबी होंठ थे!

मेरे हाथ उसके कपड़ों के अंदर चले गए… उसका मखमल सा रेशमी बदन छूते ही मैं पागल हो गया, मैंने उसको गोद में उठाया और बैडरूम में आ गया, बेड पर खड़ा करके उसके कपड़ों को उतार दिया.
अंजलि सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.

साथ ही मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार कर सिर्फ जॉकी में आकर उसको बाँहों में भर कर बेड पर गिर सा गया.
अंजलि की सांसें तेज़ हो चुकी थी, उसके हाथ मेरे चूतड़ को जोर से दबा का अपनी तरफ खींच रहे थे… जैसे वो मेरे में समां जाना चाहती थी.

मैंने भी देर न करते हुए उसकी ब्रा को खोल कर एक तरफ फेंक दिया और उसकी चुची को मुँह में भर लिया.

‘आआऐई ईईई ईई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह्ह… ऊऊह ऊओफ्ह्ह…’ की आवाज़ से कमरा गूंजने लगा.
मैं शिद्दत से उसकी चुची चूस रहा था, दूसरे हाथ से उसकी दूसरे गोले को बेरहमी से मसल रहा था. कभी निप्पल दो उंगली से मसल देता तो अंजलि चीख पड़ती- किशोर अंकल… धीरे से प्यार से करिये!

‘अह्ह्ह… ह्ह… उईई… ईईई माआआ… माआआ…’ मैं तो पागल सा हो उठा था क्योंकि बहुत अरसे के बाद इतनी कमसिन से लड़की मेरे लंड के नीचे आई थी. वरना ज्यादातर तो चुदी चुदाई शादीशुदा महिलायें ही मेरे नसीब में थी…
अंजलि कमसिन थी, कुंवारी थी… यह सोच कर ही मेरा लंड बावला हो चुका था.
अब बस लंड को तो चूत चाहिए थी!

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