कमसिन कली को प्यार से कुचला -2

(Kamsin Kali Ko Pyar Se Kuchla- Part 2)

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अब तक आपने पढ़ा..

नीलम ने मुझसे पूछा- आज आप क्या करने वाले हो?
तो मैंने उससे कहा- आज तेरी आराम चुदाई होगी।
‘मतलब?’
‘मतलब की आज तेरी सील टूटेगी.. तो तेरी आराम चुदाई है.. कल तुझे घनघोर चुदाई कैसे होती है.. वो दिखाऊँगा। आज तुम आराम से लेट कर चुदो।

नीलम पहले तो शरमाई.. उसने अपना चेहरा मेरी छाती में छुपाया। उसके दोनों थनों के निप्पल मेरी छाती में चुभ रहे थे। दोनों चूचुक चुदाई के ख्याल से इतने टाइट हो गए थे कि मेरी छाती में चुभ रहे थे।

अब आगे..

मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया.. धीरे-धीरे चुभलाते हुए मैं उसकी चूत की फाँकों में उंगली घुसाने लगा.. तो वो अपनी जांघें सिमटाने लगी। मैंने उसकी जांघों को फैलाया.. फिर उन जांघों के बीच बैठकर अपना चेहरा उसकी चूत के पास ले गया। वो बड़े आश्चर्य से मेरे काम को देख रही थी।

‘क्या कर रहे हो?’
‘जानू.. अब मैं तुम्हारे आनन्द द्वार की फांक चुसूँगा।
‘उई.. ये क्या चूसने लायक चीज है?’
‘मेरी भोली गुड़िया रानी.. अब मेरे जीभ का कमाल देखना.. कैसे तुम खुद मुझसे कहती हो.. मुझे चोदो..’

पहले मैंने उसकी चूत दाने को अपनी नाक से रगड़ा। वो सिसियाई.. उसने आँखें बंद खोल कीं.. फिर मेरी तरफ देखकर एक स्माइल दी।
‘मस्त.. बहुत मस्त लग रहा है जी..’
‘अच्छा.. अभी तो शुरूआत है.. आगे-आगे देखो.. होता है क्या..’

मैंने अपनी जीभ का अगला भाग उसके छेद के ऊपर घुमाया, वो फिर सिसियाई.. अपना चेहरा इधर से उधर किया। मैं जानता था.. धीरे-धीरे वो पनियाएगी भी।
मैंने उसके छेद में अपनी जीभ का अगला भाग डाला।

‘हाय.. क्या करते हो..? मत करो न ऐसा!’
मैंने पूछा- नहीं करूँ?
‘नहीं नहीं.. एक बार और..’
फिर एक बार और..
फिर एक बार और..
‘ऐसे ही करते रहो..’

‘रानी.. अगर सारा वक्त ये ही करता रहा तो तुम्हारी चूत की सील कैसे टूटेगी..’

मैंने धीरे-धीरे उसके ऊपर आना शुरू किया, अपनी जीभ से उसकी नाभि के आजू-बाजू चाटना शुरू किया, फिर दोनों निप्पल के पास चाटते हुए उसके मम्मों की गोलाई पर दाँतों से जरा सा काटा.. वो फिर सिसियाई।
मैंने ऊपर देखा उसका चेहरा आनन्द से भरा था- हाय क्या करते हो.. कितना अच्छा लग रहा है।

अचानक मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत के छेद के आस-पास घुमाया।
वो सीत्कार उठी।
अब खेल की शुरूआत थी.. मैंने उसकी जांघें दूर की.. उसकी जांघों के बीच बैठा.. और अपना लंड उसकी चूत के छेद पर जमाया।

पहला धक्का मैंने बड़े आराम से मारा। मेरे लंड का पूरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुसा था। लेकिन मैंने सील टूटने नहीं दी। क्योंकि मैं थोड़ा और जोर से धक्का देता.. तो नीलू चिल्ला उठती इसलिए बड़े आराम-आराम से मैंने उसकी चूत के अन्दर प्रवेश करना शुरू कर दिया।

अनाड़ी चोदने वाला और खिलाड़ी चोदू में ये ही फर्क होता है दोस्तो.. लड़की को किस तरह पहली बार चोदा जाता है.. ये एक अनुभवी.. बड़ी अच्छे तरह से कर सकता है। ये तय करना कि कब चोदें.. ये किसी अनाड़ी के बस की बात नहीं है। सभी चूतों के चाहने वाले अनुभवी.. मेरे इस वक्तव्य से सहमत जरूर होंगे।

मैंने उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूत में लंड घुसाना शुरू किया। एक बार ऐसा हुआ कि मैंने जरा जोर से धक्का मारा.. तो उसकी चूतसे खून की कुछ बूँदें टपकीं, मैं समझ गया कि सील टूटी है.. अब ये बार-बार चुदाने मेरे पास ही आएगी।
फिर भी मैंने कोई जल्दी नहीं की.. मैंने आराम-आराम से उसकी चूत के अन्दर लंड का प्रवेश शुरू रखा। थोड़ी देर बाद.. जब वो खुद नीचे से गांड उचकाने लगी.. तो मैं समझ गया कि अब ये गरमी खा रही है।

फिर मैंने चुदाई की राजधानी एक्सप्रेस शुरू कर दी, उसके पैर अपने कन्धों पर लेकर मैंने जो झटके मारे.. तो वह त्राहि-त्राहि कर उठी। ‘स्स्स्स स्स्स्स हाँ.. मस्त.. फाड़ दो साली को.. बहुत दिन से अनचुदी थी साली.. ऐसा मजा आता है.. ये पता होता.. तो मैं तुमसे कब की चुदवा लेती जानू.. क्या बात है.. मेरे राजा.. तुम्हारा लंड अन्दर क्या आकार बढ़ा रहा है?’
‘क्यों ऐसे क्यों सोच रही हो..?’
‘अन्दर धीरे-धीरे बड़ा होता महसूस हो रहा है मुझे।’

मुझे हँसी छूट गई.. ये तो बिलकुल अनाड़ी थी.. या फिर ‘ऐसी हूँ..’ ये बता रही थी।
उस दिन मैंने उसकी सीलतोड़ चुदाई की।

शाम को ड्यूटी जाने के बहाने वो फिर मेरे घर आई, अब मुझे उसे लगातार दो घंटे चोदना था, मैंने विगोरा 100 की एक गोली ली, मेरा लंड करीब-करीब लकड़ी हो गया था, अब उसको घनघोर चुदाई का मजा देना था।

वो बेडरूम में आई, आते ही उसने अपने कपड़े उतारने शुरू किए, पहले उसने अपनी सलवार उतार कर एक तरफ फेंकी.. फिर अपनी कमीज उतारकर एक तरफ डाली.. स्लिप उतार कर कमरे में डाल दी.. अपनी ब्रा मेरे बदन पर फेंकी.. अपनी निक्कर उतार कर मेरे चेहरे पर डाली।
उसकी निक्कर से उसकी चूत के रस एवं उसके मूत की मिली-जुली महक आ रही थी।
मैं उस खुशबू से बौरा गया।

जैसे ही वो मेरे पास आई.. तो मैंने उसके दोनों मम्मे दबाते हुए उसकी चूत पर से हथेली फिराना शुरू किया। हाय.. क्या मस्त चूत थी। सवेरे मैंने इसी चूत की सील तोड़ी थी.. ये मेरी चूत थी, अब इसे मुझे घनघोर चोदना था।

वो खड़ी थी। मैं अपना चेहरा उसकी चूत के पास ले गया.. वो सीत्कार उठी। मेरे होंठ जैसे उसकी चूत के दाने पर घिसे.. उसने मेरे चेहरे को अपनी चूत के ऊपर दबाया।

आह्ह.. क्या महक थी। काश यह मेरी शादी-शुदा औरत होती.. तो हर वक्त इसको नंगी ही रखता.. जब चाहे तब चोदता.. जब चाहे तब गांड में पेलता।
लेकिन आज पहला दिन था, गांड एकदम मारूंगा तो यह भाग जाएगी इसलिए गांड मारने का प्रोग्राम एक दिन स्थगित कर दिया।

लेकिन कल के ‘जानवर चुदाई’ के प्रोग्राम में मुझे इसकी गांड जरूर मारना है.. यह मैंने तय कर लिया था, आज तो उसको घनघोर चुदाई का प्रोग्राम दिखाना था।

उसको पूरी नंगी करके मैंने डबलबेड पर लिटाया, वो मेरी तरफ देख ही रही थी, मेरा साढ़े पांच इन्च का लंड जैसे रॉड की तरह कड़ा होकर.. उसकी चूत के दीदार के लिए आंदोलित था, ऊपर-नीचे करते हुए नीलम की चूत को उसने सलामी दी।
उसे देखकर नीलम बड़ी खुश हुई।
‘मैं इसे चूसूँ..?’ उसने पूछा।
मैंने अपना लंड उसके चेहरे के सामने किया.. उसने अपने होंठों से मेरे सुपारे को फिर मुँह में लिया।
आह्ह.. क्या चूसती थी वो.. आनन्द आ रहा था मुझे..
उसके बाल पकड़ कर मैंने अपना लंड उसके मुँह में अन्दर घुसाया- ले चूस.. पूरी लम्बाई अन्दर ले साली चुदक्कड़..

मेरी गालियाँ सुनकर वो तनिक कोप से मुझे देख रही थी।
‘गाली क्यों देते हो?’
‘अरे मुझे बता.. तू मेरे सामने किस लिए पड़ी है?’
‘तुमसे चुदने के लिए!’
‘तुमको चोद कौन रहा है?’
‘तुम..’
‘फिर तुम मेरी कौन हुई?’
‘क्या?’
‘हाँ कौन?’
‘तुमसे चुदने वाली..’
‘बराबर.. यानि.. मेरी चुदक्कड़..’

उसने मुस्कुराते हुए अपने होंठ सिकोड़े और मेरे लंड को पूरा मुँह के अन्दर भर लिया। उसने जो पूरी लम्बाई का मेरा लंड अन्दर लिया.. तो पहली बार उसे खांसी आई।
‘पूरा नहीं जाता..’
‘जाएगा.. एक-दो दिन में तू पूरा मुँह में लेकर चूसेगी रानी..’
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फिर उसने मेरा लंड होंठों में पकड़ कर चूसना शुरू किया। जिन्दगी में अगर कोई लड़की पूरे मन से आपका लंड चूसे.. तो उसका आभार कैसे मानते हैं? उसी तरह मैंने भी नीलम के दोनों दूध भरे मम्मों को दबाकर उसे शुकिया कहा।

अब उसे लिटाकर उसकी चूत का बाजा बजाना शुरू करना था।
आधा घंटा मैंने उसके साथ फोरप्ले किया.. अब वक्त था चुदाई का..

मैंने उसकी चूत में उंगली डालकर वो पनियाई या नहीं.. ये देखा। उसकी चूत पानी से भरी थी.. ये ही सही वक्त था.. उसकी चूत को लेने का।
साला लंड भी आतुर था.. मैंने आव देखा न ताव.. पहला झटका मारा, वो सिसियाई.. लेकिन उसके चेहरे पर दर्द के कोई निशान नहीं थे।
‘क्यों जानेमन.. कैसा लगा.. जोर का झटका..’ मैंने पूछा.. तो वो सिर्फ हँस दी।
उसने कहा- अब तुम कितने भी झटके मारो.. कितना भी करो.. कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने कहा- मैं वैसलीन लगाकर आई हूँ।
‘साली नमकीन पानी पीने का इरादा था.. उसे तूने खत्म कर दिया ना.. अब तेरे को वो दुनिया दिखाऊँगा कि तू त्राहि-त्राहि करेगी..’

उसकी चूत में मैंने लंड इस तरह डाला कि वो चिल्ला उठी- हाय क्या करते हो?
‘तूने वैसलीन को लगाया ना चूत में.. अब मेरे झटकों को बर्दाश्त कर..’

काफी देर तक उसे मस्त चोदा.. आखिर में दोबारा झड़कर.. थक कर.. उसने मुझसे कहा- जानू.. मेरी इच्छा पूरी हुई.. मैंने कोई वैसलीन नहीं लगाई थी, मेरी चूत परपरा रही थी.. सच्ची क्या घमासान चोदा तुमने.. कि हर कामना को तुमने पूरा कर दिया.. लव यू राजा।

उसने मेरे रस भरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, थोड़ी देर में फिर लंड ने सलामी देना शुरू किया, अबकी बार मुझे उसको घोड़ी बनाकर डॉगी-स्टाइल में चोदना था.. तो मैंने उसे कुतिया बनाया। फिर उसकी चूत पर अपनी जीभ से चाटते हुए मैंने उसे फिर गरम करना शुरू किया।

मैंने उसकी चूत के छेद में अपनी जीभ जैसे ही डाली.. उसने अपने कूल्हे पीछे को किए।
उसके गोरे-गोरे कूल्हों पर चपत मारते हुए मैंने उसको आगे को किया। फिर जो मैंने उसकी घनघोर चुदाई की.. उसकी तारीफ में उसने उसका चूतरस मुझे मेरे मुँह पर बैठकर पिलाया।

मेरी किस्मत में एक ऐसी लड़की थी.. जो मुझसे ही चुदना चाहती थी।
यह मेरी किस्मत थी.. या उसका उतावलापन आज तक मुझे यह समझ नहीं आया.. लेकिन यह भी सच है कि अगर मेरी शादी नहीं हुई होती.. तो मैं इसी लड़की से जरूर शादी करता।

आपके विचारों से मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है.. अपने ईमेल मुझ तक जरूर भेजिएगा।
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