मैं कैसे बन गई चुदक्कड़-1

(Mai Kaise Ban Gayi Chudakkad- Part 1)

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरा नाम कोमल है. मेरी उम्र अभी 24 साल की है, मैं सूरत की रहने वाली हूँ, मेरा फिगर साइज 34-30-36 है.
मैं कई दिनों से अपनी कहानी बताना चाह रही थी पर किसी वजह से कहानी लिखने का समय नहीं मिल पा रहा था मगर अब मैं नियमित रूप से कहानी भेजा करुँगी. मैं जो भी कहानी यहाँ पर भेजूँगी अपनी ही जिंदगी की भेजूँगी … हमेशा बिल्कुल सच्ची घटना!

आज आपको पहले मैं अपने बारे में बता दूँ, मैं बहुत एक सामान्य परिवार से हूँ. मेरे घर पर मेरी माँ और एक छोटी बहन है। पिता जी कुछ साल पहले गुजर गए तो घर की जिम्मेदारी माँ और मुझ पर आ गई. मेरी माँ स्कूल में टीचर है उनकी जॉब से हमारा घर बस किसी तरह से चल रहा था।

19 साल की उम्र में मैंने अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ली और कुछ काम की तलाश करने लगी पर मुझे मन का काम नहीं मिल पा रहा था.

पर एक दिन मेरी किस्मत बदल गई, एक शाम को 8 बजे मैं घर जाने के लिए बस स्टॉप पर खड़ी थी, पर कुछ साधन मिल नहीं रहा था. तभी एक कार आकर मेरे बगल में रुकी और कार में सवार आदमी ने मुझसे पूछा- कहीं जाओगी क्या आप?
मैंने ना में अपना सर हिला दिया.
पर उसने बोला- डरो नहीं मुझसे, रात होने को है, अगर कहीं जाना है तो बता दो, नहीं तो कोई बात नहीं!

मैं सोचने लगी कि बात तो सही है कि रात होने वाली है. अब पता नहीं कुछ साधन मिलता भी है या नहीं.
तो मैं बोली- गाँधीनगर जाना है.
वो बोला- मैं वहीं से होकर गुजरूँगा चाहो, तो चल सकती हो.
मैंने ओके कह दी.

उस आदमी की उम्र लगभग 45-50 के बीच रही होगी, मैं पीछे वाली सीट पर बैठ गई.
कुछ दूर जाने के बाद ही उसने मुझसे पूछा- क्या करती हो?
मैं बोली- अभी कुछ नहीं कर रही, अभी बस हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की है।

हम दोनों ऐसे ही बात करते रहे. उसको इतना तो पता चल गया था कि मैं काम की तलाश कर रही हूँ पर उसने कुछ बोला नहीं.
ऐसे ही मेरा घर आ गया और मैं गाड़ी रोकने को बोली. गाड़ी रुकने पर मैं उतर गई और थैंक्स बोली.

उसने मुझे रुकने को कहा और मुझे अपना कार्ड दिया, बोला- अगर काम की जरूरत हो तो मेरे ऑफिस में कुछ जगह खाली हैं, अगर चाहो तो एक बार आकर देख लेना.
मैंने कार्ड लिया और थैंक्स बोल के घर चल दी.

पहले तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया पर रात में सोते वक्त उस आदमी की याद आई, मैंने तुरंत उठकर अपने पर्स से कार्ड निकाला, देखा तो किसी सॉफ्टवेयर कंपनी का लग रहा था. मैंने वहां जाने की सोची. मगर अगले दिन रविवार था तो सोमवार को जाने का तय कर लिया.

सोमवार को मैं जल्दी उठकर तैयार हुई और ऑटो लेकर वहां पहुंच गई. वहां जाकर देखा तो बहुत ही बड़ा और शानदार ऑफिस था.
मैंने वहीं बैठी एक महिला के पास जाकर कार्ड दिखाया तो उसने मुझे 1 नंबर रूम में जाने को कहा.

मैंने रूम के दरवाजे पे जाकर अंदर आने की अनुमति ली अंदर जाते ही देखी तो सामने वही आदमी था। उसने मुझे देखते ही कहा- अरे तुम … आओ आओ बैठो.
मैं बैठ गई उसने कहा- जरूर तुम काम के लिए यहाँ आई होगी?
मैं बोली- जी!
उसने मेरे सभी कागज चेक किये और कहा- मुझे एक सेक्रेटरी की जरूरत है. अगर तुम ये काम कर सको तो तुम्हें काम मिल सकता है. घबराने की जरूरत नहीं है, तुम धीरे धीरे सीख जाओगी.
मैं तुरंत हां बोल दी.

तो उन्होंने कहा- शुरु में तुमको 15 हजार मिलेंगे. बाद में तुम्हारे काम के ऊपर है कि कितना बढ़ाना है.
मैंने ओके बोल दी.
वो बोले- कल से ही आ जाओ!
मैं खुश होकर बोली- जी जरूर!

और फिर मैं घर आ गई, घर में भी सब लोग बहुत खुश थे.
अगले दिन से ही मैं काम पर जाने लगी.
पर मुझे तनिक भी अंदाज़ा नहीं था कि यहाँ से मेरी जिंदगी ही पूरी बदलने वाली थी.

वक्त बीतता गया और 6 महीने कब गुजर गए, पता नहीं चला. अब मैं बॉस का सब काम सीख चुकी थी और पूरी मेहनत से काम करती थी.
कुछ दिनों बाद मुझे कुछ ऐसा पता चला कि मुझे विश्वास ही नहीं हुआ. मुझे पता लगा कि पहले भी कई लड़कियाँ यहाँ काम कर चुकी हैं मगर ज्यादा दिन कोई टिक नहीं सकी.

ऑफिस के कुछ लोगों से पता लगा कि मेरे बॉस कुछ रंगीले टाइप के हैं. पर मेरे साथ अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं था तो विश्वास नहीं हुआ. मैं अपना काम करती रही.

जुलाई का महीना चल रहा था. एक दिन रविवार छुट्टी थी मगर बॉस ने कहा- कुछ काम है ऑफिस में तो तुमको आना होगा.
उस दिन मैं घर से ऑफिस की यूनीफॉर्म सफ़ेद रंग की शर्ट और नीले रंग की पैन्ट पहन के निकली तो बाहर बहुत तेज़ बारिश हो रही थी.
मैंने ऑटो लिया और चल दी.

अचानक ऑटो में पानी के कारण कुछ खराबी आ गई, बहुत कोशिश के बाद भी ऑटो स्टार्ट नहीं हुई. मेरा ऑफिस वहां से बस कुछ दूर ही बचा था तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं पैदल ही चली जाऊँ.
और मैं जल्दी जल्दी जाने लगी.

मगर बारिश इतनी तेज़ थी कि वहां पहुंचते पहुंचते मैं भीग चुकी थी.

मैं अंदर गई तो बॉस मुझे देख कर बोले- अरे तुम तो पूरी भीग गई. कैसी लड़की हो? कुछ देर रुक जाती कहीं!
मुझे भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँँ? यहाँ तो कोई कपड़े भी नहीं थे मेरे पास.

उस दिन मेरे और बॉस के अलावा और कोई भी ऑफिस में नहीं था.
बॉस ने मुझे एक टॉवल दिया और सर पौंछने को कहा. मैं सर पौंछने लगी.

कुछ देर बाद अचानक मेरी नजर बॉस पे पड़ी तो वो मेरे सीने को घूरे जा रहे थे. तब मैंने देखा कि मेरी सफ़ेद शर्ट गीली होने से मेरी पूरी ब्रा और दूध दिख रहे थे. मैंने तुरंत टॉवल से अपने जिस्म को ढक लिया.
बॉस ने कहा- जाओ अंदर वाले रूम में जाकर कपड़े सुखा लो.
और मैं रूम में चली गई. वहां पंखा चालू किया और अपने कपड़े उतार के टॉवल लपेट ली. मैं उस वक्त पूरी तरह से नंगी थी. अपने गीले कपड़ों को मैंने फैला दिया ताकि कुछ सूख जायें.

मैं वैसे ही टेबल पर बैठ गई.
अचानक दरवाजे पे आवाज हुई, मैं बोली- जी सर?
बाहर बॉस थे, वो बोले- अंदर एक फाइल है, वो चाहिए.
मैंने डरते डरते दरवाजा खोला. बॉस मुझे बहुत वासना भारी निगाह से देख रहे थे और मैं सर झुका के खड़ी थी.

वो अंदर आये और मेरे कपड़ों को देखा, फिर फाइल देखने लगे और फाइल लेकर चले गए.
वो मेरे कपड़े देख कर इतना तो जान चुके थे कि मैं पूरी नंगी हूँ क्योकि मेरी ब्रा और चड्डी वहीं सूख रही थी.

कुछ देर बाद बॉस की आवाज आई- क्या कर रही हो? काम भी तो करना है. मैं अकेला क्या क्या करूँ यहाँ?
तो मैं बोली- मैं कैसे आऊँ … कपड़े अभी गीले हैं.
वो बोले- तो क्या हुआ … टॉवल लपेटे ही आ जाओ. यहाँ कौन है तुमको देखने वाला!

मैं डरते डरते वहां गई. बॉस सोफे में बैठे हुए लेपटाप में काम कर रहे थे. मुझे बोले- जल्दी यहाँ आकर बैठो और इस फाइल में जो लिखा है, उसको बताओ, मैं सब जल्दी से इसमें लोड कर दूँ.

मैं उनकी बगल में डरती हुई बैठ गई और फाइल को अपनी गोद में रख के उनको सब बताने लगी.

बॉस तिरछी नज़र से मेरे गोरी चिकनी जांघों को देख रहे थे, मुझे बहुत शर्म आ रही थी. मैं बार बार टॉवल को ठीक करती जा रही थी कि कहीं अचानक टॉवल खुल न जाये.

तभी मेरी नजर बॉस की पैन्ट पर गई, वहाँ उनका लड़ बिल्कुल टाईट था क्योंकि मुझे उभार नजर आ रहा था. मैंने कभी चुदाई नहीं की थी मगर इतना तो सब पता ही था मुझे!

उसी समय बॉस ने अपनी टांग मेरे टांग से सटा दी, मैं बिल्कुल सन्न् रह गई मगर कुछ नहीं बोली. मेरे कुछ ना कहने का फायदा लेकर वो और मुझसे सट कर बैठ गए. अब मुझे बहुत बुरा लग रहा था. मगर पता नहीं क्यों मेरे अंदर कुछ अज़ीब सा हो रहा था, बॉस की मंशा जानकर मेरी चूत में कुछ गीला गीला महसूस हो रहा था.

करीब बीस मिनट बाद बॉस ने लेपटाप बंद किया और बोले- आज तो कोई है नहीं, जाओ तुम ही चाय बना लाओ.
मैं उठी और बाहर किचन में जाकर चाय बनाने लगी.

चाय बना कर जब मैं लौटी तो बॉस वहां नहीं थे. मुझे कुछ अज़ीब लगा. टेबल पर चाय रख कर मैं अंदर वाले रूम में गयी, देखा तो बॉस वहां मेरे कपड़े देख रहे थे.
मैंने गौर से देखा तो उनके हाथ में मेरी चड्डी थी.

मैं तुरंत वापस आ गई और डर कर सोफे में बैठ कर बॉस को आवाज लगाई- सर चाय बन गयी है.
वो तुरंत आ गए और मेरी बगल में बैठ गए.

इस घटना से मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. मैंने डरते डरते बॉस को चाय दी. हम दोनों चाय पीने लगे.

उन्होंने अचानक कहा- कोमल, तुम बहुत सुन्दर हो!
मैं कुछ नहीं बोली, बस थोड़ा मुस्कुरा दी.

उन्होंने चाय पीकर कप टेबल पर रखा और अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया. मैंने तुरंत उनका हाथ हटा दिया.
तो वो बोले- क्या हुआ?
मैं शांत थी, वो मेरे और करीब आ गए, मुझे अलग सा महसूस हो रहा था.

उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ते हुए कहा- कोमल, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ.
मैं बोली- जी सर, कहिये क्या बात है?
वो बोले- क्या तुम अपनी इस जॉब से खुश हो?
तो मैंने हां में सर हिला दिया.

वो बोले- अगर तुम्हारी नौकरी पक्की कर दी जाये तो कैसा रहेगा?
मैं बोली- ये तो आपके ऊपर है सर, मैं क्या कह सकती हूँ.

तो वो कहने लगे- मेरे ऊपर नहीं … ये तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या चाहती हो, पक्की नौकरी या टाइम पास नौकरी?
मैं बोली- वो कैसे?
वो मेरा हाथ दबाते हुए बोले- अगर जैसा मैं कहूँ, तुम वैसा करने को राजी हो जाओ तो कल से ही तुम्हारी नौकरी यहाँ पर पक्की समझो.

मैं सब कुछ समझ रही थी मगर फिर भी पूछ लिया- क्या करना होगा मुझे सर?
तो वो बिना किसी शर्म के बोले- तुमको मेरे साथ सेक्स करना होगा.

मैंने तुरंत अपना हाथ उनसे छुटा लिया और बोली- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ सर! ये सब मैं नहीं कर सकती. वैसे भी आप और मुझमें उम्र का काफी फर्क है. आप ऐसा सोच कैसे सकते हैं.
वो बोले- ये सब उम्र की बात मैं नहीं मानता. और मेरी एक बात समझ लो कोमल … अगर जिंदगी में आगे बढ़ना है तो कहीं ना कहीं तो समझौता करना ही होगा. मैं तुमको जोर जबरदस्ती से नहीं कह रहा हूँ, जो भी होगा तुम्हारी और मेरी मर्जी से होगा. और हां … इस बात का कभी किसी को पता तक नहीं चलने दूँगा मैं. और तुमको हर तरह से हेल्प भी करूँगा. तुम और तुम्हारा परिवार एक अच्छी जिंदगी जी सकते हो. सोच लो!

इतना कह कर वे उठे और बोले- मैं बाहर से एक सिगरेट पीकर आता हूँ. अगर तुमको मेरी बात मंजूर है तो रुकना … नहीं तो कपड़े पहन के चली जाना, मैं बुरा नहीं मानूँगा. जैसा अभी तक चल रहा है, सब वैसा ही चलता रहेगा.
और वो इतना कह कर चले गए।

मैं अकेली बैठी सोच रही थी कि क्या करूँ? मन में आया कि चली जाऊँ और मैं उठ के कपड़ों के पास गई.

तभी मेरे मन में आया कि अगर मैंने बॉस की बात नहीं मानी तो वे कुछ दिनों में मुझे नौकरी से निकाल देंगे. तो पता नहीं फिर नौकरी मिलती है या नहीं? और घर की हालत भी ठीक नहीं है. छोटी बहन की पढ़ाई को भी देखना है. अगर मैं बॉस की बात मान लेती हूँ तो घर और अच्छे से चल सकता है. और कभी न कभी किसी के साथ तो सेक्स करना ही है. रब मैंने फैसला कर लिया कि मैं अपने आप को बॉस को सौम्प दूँगी.

और मैं वापस आकर सोफे में बैठ गई.

कुछ देर में बॉस आये, आते ही मुझे देख कर उनके चेहरे पे एक मुस्कान आ गई, वो बोले- तुम गई नहीं, मतलब तुम तैयार हो?
मैं उनकी तरफ देख कर बोली- हां! पर आपको पहले मेरी नौकरी पक्की करनी होगी.
वो बोले- हां बिल्कुल … कल ही!

दोस्तो, आगे क्या हुआ मेरी जवानी के साथ … वो मैं अपनी कहानी के अगले भाग में बताऊँगी.
तो आप लोगों को क्या लगा? क्या मैंने सही फैसला लिया? या मैंने गलती की?
आप अपनी राय मुझे जरूर बताना।
[email protected]

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