गर्लफ्रेंड के घमंड को तोड़ा

(Girlfriend Ke Ghamand Ko Toda)

हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम सोनू है, वैसे तो मैं झारखंड से हूँ मगर अभी मुम्बई में रह रहा हूँ,
मैं अन्तर्वासना का फैन 4 साल से हूँ और मैंने लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं पर मेरी कहानी लिखने का मौका आज मिला और यह मेरी सच्ची और मेरी पहली चुदाई की कहानी है.

अब मैं मेरी कहानी पे आता हूं, यह लगभग 7 साल पहले की बात है जब मैंने नया मोबाइल लिया था, मेरे किसी दोस्त ने मुझे एक लड़की का नम्बर दिया जिसका नाम था स्नेहा!
तो मैंने उससे अपने दोस्त की पहचान से बात करना शुरु किया और बाद में हमारी अच्छी पहचान हो गई.

जब मैं उससे पहली बार मिला तो उसे देखता ही रह गया, गेहुँआ रंग, चेहरे से ज्यादा सुंदर तो नहीं लेकिन फिगर ऐसा कि जैसे सिर्फ चुदने के लिए बनी हो, 36 के बूब्स, 30 की कमर और 34 के चूतड़; जब वो चलती तो ऐसे लगता कि अभी इसे पटक कर चोद दूँ. उसके मुहल्ले के सारे लड़के उसके दीवाने थे मगर वो अपने मुहल्ले में किसी को भाव नहीं देती थी.

वो लड़की ऐसी थी, जब उसे मेरी जरूरत पड़ी तब मुझे हमेशा मुझे याद करती और काम होने के बाद भाव भी नहीं देती, कितने लड़कों के साथ फ़ोन पर टाइम पास करना उसकी आदत थी. वो मेरे साथ भी वही कर रही थी मगर मैं उसे प्यार करने लगा था. जब मैंने उसे मेरे प्यार का इज़हार किया तो उसने भी हाँ कहा… लेकिन सब कुछ पहले ही जैसा था.

फिर एक दिन मैंने उसके नज़दीक जाने की कोशिश की तो उसने मुझे बहुत उल्टा सीधा बोला और मेरी बहुत बेइज्जती की.
और कुछ दिनों के बाद मुझे पता चला कि यह लड़की ऐसे ही लड़कों के साथ टाइम पास करती है.
तो मैं बहुत दुखी हुआ.

लेकिन मैंने सोच लिया कि एक दिन ऐसा आएगा कि ये खुद मेरे पास आएगी.
और तब से मैं इस कोशिश में लग गया.

हर दिन फ़ोन पे बात होती और फिर फ़ोन रखने से पहले फ़ोन पे किस करती.
ऐसे ही मैंने एक दिन कहा- हमेशा ऐसा ही होगा या सामने से भी किस होगा?
तो उसने फिर से मना कर दिया.

लेकिन मैं तो था ही ऐसा कि मुझे विश्वास था मुझे खुद पर बहुत!

सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, फिर मुझे उसने दीवाली पे मिलने के लिए बुलाया तो मैं गया और फिर थोड़ी देर बात करने के बाद उसने जाने के लिए बोला, मैंने निकल कर उसे फ़ोन किया और कहा- यार दीवाली पे बुलाया और मुंह मीठा कराये बिना भेज दिया?
तो वो बोली- कल लाकर रखूंगी मिठाई… आ जाना!
मैंने कहा- अभी का क्या करूँ?
तो बोली- अभी कौन सी मिठाई?
तो मैंने कहा- तुम्हारे मुंह से ही मुंह मीठा कर दो.

उसने मुझे कहा वापस आने के लिए!
और मैं गया और फिर उसने मुझे किस करने दिया. मैंने पहली बार किसी लड़की को किस किया था, पर मेरे मन में तो यही था कि जब तक ये खुद से मेरे सामने गिड़गिड़ायेगी नहीं तब तक इसे नहीं चोदने वाला!
तो उस वक्त मैं उसे सिर्फ किस कर के आ गया.

अब ऐसा हमेशा होने लगा, जब भी हम मिलते तो किस करते, ऐसे ही किस करते समय मैंने मेरा हाथ उसके सीने पे रखा और दबा दिया. सच में वो अहसास… उफ्फ… उसके बड़े बड़े बूब्स, मज़ा आ गया.
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया तो मैंने हाथ हटा लिया.

जब मैंने उसे फ़ोन किया तो उसने कहा- आज तुम बहुत आगे बढ़ गए थे.
तो मैं अनजान बनते हुए ऐसे कहा- मैं कुछ समझा नहीं?
तो उसने कहा- तुम्हारा हाथ कहाँ था आज?
मैंने कहा- कहीं नहीं… क्यों क्या हुआ?
तो उसने कहा- तुम्हारा हाथ आज मेरे सीने पे था.
मैंने कहा- शायद गलती से हुआ होगा, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा न?
तो वो बोली- नहीं!

फिर मैं जब उससे दोबारा मिला तो हमेशा के जैसे उसे किस किया और फिर उसके बूब्स की तरफ उंगली करके उससे पूछा- मेरा हाथ उस दिन यहाँ पे था ना?
तो वो बोली- हाँ!
तो मैंने उसे कहा- सच बताना… उस दिन अच्छा लगा या बुरा?
उसने कुछ नहीं कहा, पर मेरे ज़ोर देने पे बताया कि बहुत मज़ा आया था.
फिर उस दिन हम दोनों किस किया, मैंने उसके बूब्स खूब दबाये और फिर वहाँ से चला आया.

अब मैं मेरे मकसद में एक कदम आगे निकला था, अब जब भी मैं उससे मिलता तो उसके बूब्स दबाता और किस करता, उसकी सिसकारियां सुन कर तो मुझ ऐसा लगता था कि अभी इसे चोद दूँ मगर मुझे कुछ जल्दी नहीं थी.

ऐसा करते हुए लगभग दो महीने बीत गए थे, अब हमारा रोज़ का था कि फ़ोन पे सेक्स की बातें करना और मैं ऐसे ही उसे धीरे धीरे गर्म कर रहा था.

फिर एक दिन उसे किस करते समय मैंने मेरा हाथ उसकी पेंटी के अन्दर डाल दिया, ऐसा लग रहा था कि किसी तवे पे हाथ रख दिया.
उसने मेरा हाथ निकालने की कोशिश की पर नाकाम रही, और मैंने उसके चूत के दाने को रगड़ दिया, और फिर थोड़ी देर बाद अपने घर चला आया.

मैंने अपने घर आने के समय एक कंडोम का पैकेट खरीद कर रख लिया.

दो दिन बाद उसने मुझे फिर से मिलने के लिए बुलाया और कहा- कुछ ले कर आना!
उसके कहने का मतलब था ‘कंडोम…’ मगर खुल कर नहीं कहा उसने.
तो मैं एक चॉकलेट लेकर गया और उसे चॉकलेट दे दिया.

उसने गुस्से से चोकोलेट फेंक दिया और कहा- मैंने ये नहीं लाने को कहा था.
मैंने फिर पूछा- ये नहीं तो क्या लाने को कहा था तुमने?
तो फिर भी नहीं बोली कुछ!

फिर मैं उसे उसकी छत पे ले गया और वहाँ पे उसे किस किया, उसके बूब्स दबाये और फिर उसकी चूत में उंगली किया, मगर पानी निकलने से पहले हाथ हटा लिया और फिर वापस मेरे घर चला आया.

उसने मुझे फिर अगले दिन फोन कर के आने को कहा तो मैंने कहा- यार आज तो नहीं आ सकता, मुझे कुछ जरूरी काम है.
तो वो बोली- कुछ भी हो जाये, आज आना ही पड़ेगा तुमको, वरना मैं मर जाऊँगी, पता नहीं क्या हो रहा है मुझे ऐसा!
मैं बोला- ठीक है, आज शाम को आता हूं.

मुझे पूरा विश्वास था कि आज वो दिन आ गया जिसके लिए मैंने कब से इन्तजार किया था.

शाम को मुझे स्नेह का कॉल आया और उसने सामने से कहा- कंडोम लेकर आना!
तो मैंने फिर अनजान बन कर पूछा- क्यों? उसका क्या करना है?
तो वो बोली- बस लेकर आओ!

मैं जब शाम को उसके घर गया तो वो पहले से चुदने के लिए तैयार थी, उसने सिर्फ एक नाइटी डाली थी और अंदर कुछ भी नही, मैं उसे उसके घर की छत पर ले गया, वहाँ थोड़ा अंधेरा था, मैंने उसे कोने में ले जा कर किस करना चालू किया और फिर उसके नाइटी के अंदर हाथ डाल के उसके बूब्स दबाने लगा.
वो सिसकारी अभी भी याद आये तो मेरा लन्ड खड़ा हो जाता है.

दस मिनट तक ऐसे किस करने और उसके बूब्स दबाने के बाद मैंने मेरा हाथ उसके पैंटी के अंदर डाल दिया और आगे पीछे करने लगा जिससे वो और गर्म हो चुकी थी. अब उसने भी मेरा लन्ड मेरे पेंट के ऊपर से दबाना शुरु कर दिया जिसके कारण लन्ड पूरा टाइट हो गया था.

अब मैं उसकी चुत उसकी नाइटी के ऊपर से ही चाटने लगा जिससे उसके बदन में बिजली सी दौड़ गई.
फिर उसने कहा- सोनू, प्लीज़ कुछ करो, वरना मैं मर जाऊँगी.
तो मैंने पूछा- क्या करूँ?

उसे बोलने को शर्म आ रही थी, मगर मुझे तो उसे गिड़गिड़ाते हुए सुनना था तो मैं बोला- क्या हुआ बोलो न? क्या करूँ?
उसने कहा- कंडोम निकालो और चोदो मुझे!

उस समय मुझे इससे लग रहा था तब कि जो भी चाहिए था मुझे सब मिल गया, मैंने उसे फिर से पूछा- सोच लो, एक बार मैंने अपना बाहर निकाला तो फिर पीछे नहीं हटने वाला!
तो वो बोली- आज चाहे जो हो जाये, मगर प्लीज़ मुझे चोदो!
फिर मैंने मेरे कपड़े निकले और उसकी नाइटी ऊपर की और उसे दीवार से लगा कर खड़ा किया और अंदर डालने की कोशिश की मगर फिसल गया. मैंने दोबारा कोशिश की और फिर से फिसल गया.

अब स्नेहा रोने लगी थी और कह रही थी- मुझे दर्द हो रहा है सोनू, आज छोड़ दो, फिर कभी कर लेना!
मगर मुझे पता था कि आज अगर छोड़ दिया तो दोबारा कभी मौका नहीं मिलने वाला मुझे… तो मैंने फिर उसे ज़मीन पे लेटने के लिए कहा और उसके ऊपर आ कर फिर अच्छे से अपना लन्ड सेट किया और जोर लगाया.

मुझे ऐसा लगा कि ये बहुत जोर से चिल्लाने वाली है तो मैंने उसके लिप लॉक कर दिए थे, अब तक मेरा आधा लन्ड अंदर जा चुका था और वो रो रही थी, तो थोड़ा टाइम रुका और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा.
जब वो थोड़ी नार्मल हुई तो और एक झटके के साथ पूरा लन्ड उसकी चुत में उतार दिया, उसकी चीख अंदर ही रह गई और वो रोने लगी, उसकी चुत से खून आ रहा था तो मैं थोड़ा देर रुक गया, और जब वो नार्मल हुई तो फिर अपना लन्ड अंदर बाहर करने लगा.

थोड़ी देर के बाद वो भी मेरा साथ दे रही थी, फिर मैं लेट गया और उसे अपने ऊपर लिया, चुदाई करने लगा. थोड़ी देर की चुदाई के बाद वो झड़ गई पर मेरा नहीं हुआ था क्योकि मैं उससे मिलने को आते समय मुठ मार कर आया था.

फिर हमने अलग अलग पोजीशन में आकर चुदाई की, और दोनों साथ में झड़ गए.

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी!
बाद में मैंने उसकी गांड भी मारी और उसे मेरा लन्ड भी चुसाया, और उसकी सहेलियों को भी चोदा. जो फिर कभी लिखूंगा, कुछ गलती हुई तो माफी चाहता हूँ।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top