गाँव की कमसिन कली को फूल बनाया

(Gaon Ki Kamsin Kali Ko Phool Banaya)

महेश दुबे 2020-02-29 Comments

दोस्तो, मैं महेश दुबे, मेरी उम्र 31 साल है. मैं गोरखपुर (उ.प्र.) का रहने वाला हूँ और पिछले 7 -8 सालों से दिल्ली में रह रहा हूँ।

आपने मेरी पिछली कहानी में मेरी ममेरी बहन और मेरी जबरदस्त चुदाई
के बारे में पढ़ा. उम्मीद है मेरी सेक्स कहानी पढ़ कर आपने अपने लंड और औरतों ने अपनी चूत का पानी भी जम के निकाला होगा.

मैं फिर से हाजिर हूँ अपनी नयी लेटेस्ट सेक्स कहानी लेकर. अब मैं आपका ज्यादा समय ना लेते हुआ सीधा अपनी नयी आपबीती पर आता हूँ.
दोस्तो, जैसा आप सब को पता है कि मेरी जॉब दिल्ली में है. और मैं यहाँ अकेला रहता हूँ.

मैं इस बार गर्मी में घर नहीं जा पाया ज्यादा काम की वजह से तो मेरी माता जी दिल्ली घूमने 15 दिन के लिए आ गयी. और उनके साथ मेरे घर के पड़ोस में रहने वाली रेनू नाम की 19 साल की लड़की भी आ गयी क्योंकि वो मेरी माता जी की गांव में बड़ी सेवा करती है तो माता जी उसको भी दिल्ली घुमाने के लिए साथ ले आयी.
हालांकि जब माता जी आयी तो मैंने रेनू के ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

हम सब अगले दिन दिल्ली घूमने गए. तब जब मैंने रेनू को जीन्स और टॉप में देखा तो उसका जवान जिस्म देख के मैं काफी एक्साइट हुआ. क्योंकि उसके टॉप में उसकी चूचियाँ काफी खूबसूरत और मोहक दिख रही थी. और जीन्स में उसकी गांड की शेप मतलब चूतड़ साफ दिख रहे थे.

फिर मैं घूमने के दौरान उसका काफी ख्याल रखने लगा. इससे वो भी मेरे इरादों को अच्छे से समझ रही थी. लेकिन साथ में माता जी के होने की वजह से मैं खुल के रेनू से बात नहीं कर पा रहा था.

लेकिन मुझे दिन भर साथ रहने के बाद यह तो पता चल गया था कि रेनू का भी वही हाल है जो मेरा हाल है. मतलब वो भी मुझे सेक्स की प्यासी लग रही थी.

फिर रास्ते में हम तीनों ने खाना खाया और तब हम सब घर पे पहुंच गए. ज्यादा थके होने की वजह से माता जी जल्दी बेडरूम में सोने चली गयी.

अब मैं और रेनू अकेले बैठ के टीवी देखने लगे. और हम दोनों गांव की लड़के लड़कियों की बात करने लगे.
रेनू ने मुझे कई लोगों के बारे में बताया. तब मैंने उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा. तो वह शर्मा के कहने लगी कि उसका कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं है.
जब उसने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो मैंने उससे झूठ बोल दिया कि मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

मैंने तब उससे बोला- क्यों न हम एक दूसरे के फ्रेंड बन जायें?
इस पर पहले तो वो शर्मा गयी लेकिन बाद में मान गयी. लेकिन उसने मुझसे प्रॉमिस लिया कि गांव में हम दोनों कू फ्रेंडशिप के बारे में किसी को भी पता न चले.
तब मैंने रेनू का हाथ पकड़ा और उसके हाथों को चूम लिया.

अब वो कमसिन जवान लड़की शर्मा रही थी लेकिन मैं रुका नहीं और धीरे धीरे उसकी चूचियों की ओर अपना हाथ बढ़ाया और कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ दबाने लगा.

पहले तो उसने मेरा हाथ पकड़ के रोक दिया. लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था. मैंने अपने हाथ उसकी चूचियों पर से नहीं हटाए. और मैं लगातार धीरे धीरे उसकी चूचियाँ दबा रहा था, सहला रहा था, मजा ले रहा था.

अब मैंने उसे किस करना शुरू किया. मैं उसके होंठों को भी चूस रहा था. अब वो भी गर्म होने लगी. मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लोअर के ऊपर से ही अपने लंड पर रख दिया.
पहले तो उसने अपना हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन मैंने हटाने नहीं दिया. मैंने उसे लंड सहलाने को कहा पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया.

लेकिन थोड़ी देर बाद जब मैंने अपना एक हाथ उसकी लोअर के अंदर डाला तो वो कामुकता से कांप गयी और उसकी सांसें काफी तेज हो गयी और वह सिसकारियां भरने लगी.
और अब तो वह मेरा लंड लोअर के ऊपर से ही मसलने लगी.

फिर यह देख कर मैंने अपना लोअर नीचे कर दिया. अब मेरा लंड कूद कर बाहर आ गया. वो मेरा लंड देख कर शर्मा गयी पर अब वो सीधा मेरा लंड पकड़ के मसल रही थी.

मैंने उसका टॉप ऊपर किया और उसकी खूबसूरत चूचियों के निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. और एक हाथ से मैं उसकी नाजुक चूत को मसलने लगा.
अब उसका और मेरा दोनों का बुरा हाल था. लेकिन हम घर में माता जी के होते हुए चुदाई नहीं कर सकते थे.

जब हमने देखा कि मेरी माता जी गहरी नींद में हैं तो हमने सोचा कि क्यों न बेसमेंट पार्किंग में चला जाये. क्योंकि कि वहाँ अँधेरा रहता है और कोई डिस्टर्बेंस भी नहीं है.

फिर हम जल्दी से गाड़ी में आ गए. मैंने आगे वाली सीट पूरी आगे कर दी और हम पीछे वाली सीट पे आ गए.

वहां बिलकुल अँधेरा था तो हमें देखने वाला कोई नहीं था क्योंकि अब रात के बारह बजे के आस पास का समय था.

अब मैंने सीट पे लिटा के रेनू के सारे कपड़े उतार दिए. वो बिना कपड़ों के काफी खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी. अब मुझसे और रेनू से रुका नहीं जा रहा था तो मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए. और मैंने पहले उसकी चूचियों को खूब चूसा.

जब वह काफी गरम हो गयी तो मैं सरक कर नीचे आ गया और उसकी जांघें चौड़ी करके उसकी चूत चाटने लगा. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और पूरी गीली थी. मैंने उसकी चूत चाट के और चूस के लाल कर दी. वो भी अपने कूल्हे उठा उठा कर सिसकारियां भर भर के चूत चटायी का मजा ले रही थी.

अब मुझसे भी नहीं रुका जा रहा था तो मैंने उसे अपना लंड चूसने के लिए कहा. हालांकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो मेरा लंड चूसने को राजी हो जायेगी पर वह मान गयी और उसने मेरा लंड मुझ के अंदर ले लिया और चूर चूस के पूरा गीला कर दिया.

और फिर मैं उसके नंगे बदन के ऊपर आ गया और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के ऊपर रख कर रगड़ने लगा. फिर मैंने टिका के एक हल्का झटका मारा. लेकिन मेरा लंड उसकी चूत पर से फिसला गया.
तब मुझे पता चला कि रेनू सच बोल रही थी क्योंकि वह अभी कमसिन कली थी, उसकी चूत बिनचुदी थी, सीलबंद थी. मैं इस गाँव की छोरी को कली से मैं फूल बनाने जा रहा था.

अब इस बार मैंने अपने लंड और उसकी चूत पे ढेर सारा थूक लगाया और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख कर उसकी होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा.
और एकाएक एक जोर का झटका दिया जिससे मेरा 7″ का लंड आधा उसकी चूत में घुस गया.

उसने खूब चिल्लाने की कोशिश की लेकिन उसका मुँह मेरी मुँह से लॉक होने की वजह से उसकी चीख की आवाज मुँह में ही दबी रह गयी. उसके दर्द के कारण मैं थोड़ी देर रुका और जब वह थोड़ा शांत हुई तो मैंने उसकी चूत में थोड़ा थोड़ा लैंड अंदर बाहर करना शुरू किया. जब से ठीक लगा तो मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा.

कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. वो अब खूब मजे से चुदवा रही थी और मेरा साथ दे रही थी. मैंने उसे खूब जम के चोदा जिसमें मुझे और उसे खूब मजा आया.

और करीब बीस मिनट के बाद मैं उस ग्रामीण कन्या को स्पीड में चोदते हुए उसकी चूत में ही झड़ गया. और वो भी शांत हो गयी मेरी साथ! शायद उसे भी पूर्ण चुदाई सुख की अनुभूति हो चुकी थी.
लेकिन मैंने अपना लंड उसकी चूत से नहीं निकाला.

और थोड़ी देर बाद जब मेरा लंड पुनः जागृत हुआ तो मैंने घोड़ी बना कर कार में ही उसको जबरदस्त तरीके से चोदा और उसकी चूत में दुबारा लंड झाड़ दिया.

अब वह और मैं दोनों थक चुके थे तो खूब किस करके हम अपने फ्लैट पे आ गए.

आकर देखा तो मेरी माता जी वैसे ही गहरी नींद में सो रही थी.

उसके बाद रेनू मेरी पास 15 दिन रही. और मैंने जब भी मौका मिला उसकी दिन रात चुदाई की.

फिर वो चली गयी मेरी माता जी के साथ अपने घर.

अब हमने दीपावली में मिलने का प्रोग्राम बनाया है. मैं उसे फिर जम के चोदूंगा. लेकिन उसे अभी बहुत मिस कर रहा हूँ क्योंकि वो सच में काफी मजेदार माल है. गाँव की लड़की का जिस्म काफी गठा हुआ होता है.

तो मित्रो, आप सब को मेरी यह आपबीती, गाँव की छोरी की कुंवारी चूत की चुदाई की कहानी पसंद आयी या नहीं? तो मुझे मेल करें. मुझे इंतजार रहेगा.
आप कहानी के नीचे कमेंट्स करके भी अपने विचार जाहिर कर सकते हैं.
धन्यवाद.
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