गाँव की देसी लड़की की मस्त चुदाई

(Gaon Ki Desi Ladki Ki Mast Chudai)

दोस्तो, मेरी पिछली दो कहानियों
साले की टीनऐज बेटी की मस्त चुदाई
क्लासफेलो लड़की की सील तोड़ कर चुदाई
को आपने बहुत ही पसंद किया. आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।

दोस्तो मैंने बहुत ही लड़कियों के साथ सेक्स किया। किसी के साथ जोर जबरजस्ती नहीं किया।

आप लोगों से अनुरोध है कि कहानी में शामिल लड़कियों के फोटो न मांगें क्योंकि वो उनकी प्राइवेट लाइफ है। उनकी शादी के बाद मैं उनसे कोई सम्पर्क नहीं रखता।
धन्यवाद।

अब आते हैं कहानी पर!

ऐसे तो मैं लखनऊ में रहता हूं। पर मेरा घर बिहार के सिवान जिले में है। मेरी शादी भी हो चुकी है। पर कोई लड़की दोस्ती करना चाहती है तो मैं उसका दिल नहीं तोड़ता। दोस्ती उसकी शादी तक रखता हूं। फिर वो अपने रास्ते मैं अपने रास्ते।

एक बार गर्मियों की छुट्टी में मैं घर गया तो गांव में एक लड़की पसंद आ गई। फिर मैं उससे दोस्ती के तिकड़म लगाने लगा। इत्तफ़ाक़ से मुझे एक मौका मिल ही गया।

मैं अपनी बाइक से सुबह बाजार जा रहा था कि मेरे सामने से स्कूल जा रही एक लड़की अचानक पैर मुड़ जाने से गिर पड़ी और उसके पैर में मोच आ गई। वह उठ नहीं पा रही थी।
यह देख कर मैं उसकी मदद करने को जा पहुँचा। जब मैं उसके पास गया तो देखा कि वह वही लड़की है जिसे देख कर मेरा दिल धड़कने लगता है।

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो उसने बताया कि उसके पैर में मोच आ गई है।
मैंने कहा- घर जाओगी या फिर दवा लेने?
तो उसने कहा- घर ही जाऊँगी. पैसे तो है नहीं कि दवा लूंगी।
मैंने कहा- ठीक है, चलो मैं छोड़ देता हूं।

उसे बाइक पर बैठा कर मैंने डॉक्टर के पास जा कर दवा दिलवाई फिर उसके घर की तरफ चल पड़ा।
फिर मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम प्रतिमा बताया। वह इंटर की स्टूडेंट थी और मेरे घर के नजदीक ही रहती है।

मैंने उसे घर छोड़ दिया।

अब उसका परिचय तो मिल ही चुका था। वह भी मुझे जानती थी। फिर दो दिन तक उसको नहीं देखा मैंने। तीसरे दिन फिर वह स्कूल जाते मुझे मिल गई।
मैं उसके पास से गुजरते हुए आगे बढ़ गया.

तभी उसने मुझे आवाज़ लगाई।
मैं रुका वह पास आते हुए बोली- आप तो दो दिन में ही भूल गए?
“क्यों?” मैंने पूछा।
“आप देख कर भी मुझे रुके नहीं?”
“मैंने सोचा कि बोलने से आप बुरा न मान जायें?”

“क्यों?”
“लड़कियों का क्या भरोसा?”
“ऐसा क्यों?”
“लड़कियों से दोस्ती करने से पहले उनको जानना जरूरी होता है।” मैंने कहा।
“अच्छा? अब जान गए?” उसने पूछा.
“अभी कहाँ?” मैंने कहा.

उसके कुछ कहने से पहले मैंने कहा- बैठो गाड़ी पर पहले … रास्ते में बात करना ठीक नहीं। बात तो चलते चलते भी हो सकती है।
“ठीक है.” वह बोली और गाड़ी पर बैठ गई।
मैं उसे लेकर आगे बढ़ गया।

“काफी पियोगी?” मैंने पूछा।
“पी लेंगे.” उसने हामी भर ली.

मैं उसे लेकर एक रेस्टोरेंट गया, हम दोनों ने काफी पी।

फिर मैंने उससे पूछा- मैं दो महीने के लिए आया हूँ. मेरा कोई दोस्त नहीं यहां. मुझसे दोस्ती करोगी?
“क्यों नहीं?” उसने भी तपाक से बोला.
फिर हम दोनों ने दोस्ती का हाथ मिलाया।

कहा छोड़ दूँ तुम्हें?”
“आज कोचिंग की छुट्टी. दोस्ती के नाम पर चलो कहीं घूमने चलते हैं.”
“पर तुम्हारे घर वाले?”
“उन्हें छोड़ो, तीन घंटे मेरे हैं। उसके बाद ही कोई पूछेगा।” उसने कहा.

“अच्छा? तो बोलो फिर किधर चलें?”
“चलो उस पहाड़ी मंदिर पर चलो।”
“ओके.” मैंने उसे कहा।
फिर हम चल पड़े।

लोग कहते हैं कि जमाना बदल रहा है लड़कियाँ लड़कों से आगे निकल रही हैं. यह बात किसी हद तक ठीक ही है। लड़कियाँ सेक्स के मामले में भी आगे हैं। इस कहानी को पढ़ें … समझ में आ जायेगा।

हाँ तो हम दोनों पहाड़ी मंदिर पहुँच गए और घूमने लगे इधर उधर की बातें करते हुए!
अचानक उसने पूछा- कोई गर्ल फ्रेंड है या नहीं?
“देखो प्रतिमा, तुमने बात ऐसी पूछी कि जवाब देना ही पड़ेगा. मेरी एक गर्लफ्रेंड है पर मैं प्यार शादी के झंझट नहीं पालता। दोस्ती करता हूं अगर इरादा हो तो सेक्स भी करता हूँ. पर बिना किसी को कोई वादा किये! जब तक अगले की इच्छा हो।”
“ये तो और भी ठीक है, बड़े बड़े वादे करने वाले मुझे भी पसंद नहीं। हकीकत को जीना चाहिए न कि सपनों में!” प्रतिमा ने कहा।

“एक बात पूछूँ?” मैंने कहा.
“पूछो।”
“बुरा तो नहीं मानोगी?”
“नहीं यार।”

“क्या तुमने सेक्स किया है?”
“हाँ एक बार!”
“कब?”
“कुछ महीने पहले ही …”
“जबरदस्ती?”
“नहीं … पर तब मैं इसके बारे में ज्यादा जानती नहीं थी।” उसने कहा।
“दिल टूटा है क्या?”
“नहीं यार … जब किसी को चाहा ही नहीं तो दिल कैसे टूटेगा? बस उसने चुदास जगा दी, फिर पलट कर नहीं आया।”
“कौन था वो?”
“मेरे भैया का साला।”

मैं कुछ देर चुप रहा, फिर पूछा- मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
“क्यों?”
“मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ.”
“तो करो … किसने रोका है?”

उसके इतना कहते ही मैंने उसे खींच कर अपने सीने से लगा लिया। उसकी मस्त गुन्दाज चूचियाँ मेरे सीने में चुभने लगी. मेरा लंड एकदम से झटके से खड़ा हो गया। इसका अहसास उसे भी तुरंत हो गया. उसने अपना वक्ष भी जोर से मेरी छाती से चिपका लिया।

मैंने एक हाथ से उसके सर को, दूसरे हाथ से उसकी कमर को मजबूती से पकड़ कर उसके होंठों से अपने होंठों को चिपका दिया।
वह कसमसा कर और जोर से चिपक गई।

कई मिनटों तक मैं उसके होंठो को चूसता रहा, वह भी खुल कर साथ दे रही थी। उसने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल दी नर्म-नर्म, गर्म गर्म, मैं तो जलने लगा।

लगभग पांच मिनट तक हम दोनों चुम्बन का मजा दोनों लेते रहे। फिर अलग हो गए.

वह मेरा हाथ पकड़ कर अंदर झाड़ियों में ले गई जहाँ ऊपर से तो झाड़ियां दिखती थी पर अंदर एकदम साफ जगह बनी हुई थी।
सबसे अच्छी बात यह थी कि बाहर से कोई हमें देख भी नहीं सकता था। झाड़ियों में अंदर नर्म घास भी लगी हुई थी।

हम दोनों वहीं बैठ गए. वो मेरी जांघ पर अपना सर रख कर लेट गई और मेरी आँखों में झांकने लगी। उसकी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे। वह कुछ कह नहीं पा रही थी पर मैं सब समझ रहा था।

मैं उसके चेहरे पर झुका और उसके होंठों को पुनः चूसने लगा. उसने पीछे से मेरे सर को अपने होंठों पर दबा दिया।
कुछ देर तक उसके होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से उसके बदन को सहलाने लगा। धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी उठी हुई चूचियों पर पहुँच गए. मैं उसे दबाने-सहलाने लगा. जैसे जैसे मैं उसे सहलाता, गया वह गर्म होती गई।

मेरे हाथ उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसके कपड़ों के अंदर पहुँच गए. धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उसकी चूत तक पहुँचा दिया. उसकी गर्म चूत आग फेंक रही थी। उसके अंदर की आग पानी बन कर उसके मस्त चूत से निकलना शुरू हो गया था।

मैंने उसका सर अपनी जांघ से हटा कर जमीन पर रख दिया और उसकी गर्दन, चूची को चूमने लगा.
बदले में उसने भी मेरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया।

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, उसकी कुर्ती को ऊपर कर दिया। उसने काली ब्रा पहनी हुई थी। ब्रा को चूचियों पर से हटाते हुए मैं उन्हें सहलाने लगा. वह गर्म सांस छोड़ रही थी।

फिर मैं उसकी एक चूची को मुंह में भर कर पीने लगा. साथ ही मैं एक हाथ उसकी सलवार और पैंटी के अंदर डाल कर चूत को दबा रहा था।

अचानक उसने पलटा मार कर मुझे नीचे कर दिया और मेरे होंठ, गर्दन, पेट को चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर के बाद उसने मेरी जीन्स खोल, अंदर हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।
मेरे मुंह से आनंद भरी आह निकल गई।

थोड़ी झुक कर मेरे टनटनाये लंड को उसने अपने मुख में भर लिया और चूसने लगी। मुझे बहुत आनंद मिल रहा था।

दस मिनट चूसते रहने के बाद मुंह लगा कि मैं झर जाऊँगा, मैंने उसे झटके से अपने नीचे किया, उसके सलवार पैटी को उसके शरीर से अलग किया और अपने होंठ उसकी मस्त चूत पर रख दिये। उसने भी अपनी चूत मेरे मुंह पर दबा दी। मैं उसकी मस्त चूत को चूसने लगा।

वह आह उह कर रही थी। उसकी चूत पानी फेंकने लगी।

जब उससे नहीं रहा गया तो उसने कहा- जानू अब डाल दो न … अब नहीं रहा जाता!
“क्या हुआ?” मैंने पूछा.
“मेरा बदन जल रहा है. इसे ठंडा करो!”
“कैसे?”
“चोद दो मुझे!” उसने कहा।
“पर कैसे?” मैं उससे सब सुनना चाहता था।

“अपना सामान डाल दो!”
“कैसा सामान?”
“अपना लंड.”
“कहाँ डाल दूँ?”
“मेरी चूत में!”
“फिर?”

“अबे बहनचोद … चोद दे मुझे!” उसने गुस्से में कहा।
“रुक रंडी … मैं तेरी गर्मी झाड़ता हूँ।”

मैं उठा, अपनी जीन्स और अंडरवीयर उतार कर उसकी दोनों टांगों को कंधे पर रख कर अपने लण्ड को उसके चूत की छेद में फंसा दिया. फिर उसे दोहरा कर उसके कंधों को मजबूती से पकड़ कर एक जोर का झटका मारा. मेरा लंड उसकी देसी चूत को चीरता हुआ आधा अंदर घुस गया।
“ओ ओ ओ मां मर गयी!” वह चिल्ला उठी.

मैंने जल्दी से उसका मुंह बंद किया और लगे हाथ एक और धक्का मार दिया। उसकी चूत को चीरता हुआ लंड जड़ तक घुस गया।
वह कसमसाती हुई तड़पने लगी। उसकी आंखों में आंसू भर गए.

मैंने उसे चूमते हुए उसके आंसू पौंछते हुए कहा- दर्द हो रहा है क्या? लंड निकाल लूं?
उसने जल्दी से मेरी कमर पकड़ कर अपनी ओर खींच कर ‘ना’ में सर को हिलाया।

मैंने उसे बांहों में अच्छे से समेट कर चोदना शुरू किया. दो मिनट में ही उसकी चूत का दर्द गायब हो गया, वह कमर उछाल कर चुदवाने लगी।
मैं भी जोर जोर से चोदने लगा. हम दोनों चुदाई में व्यस्त हो गए।

जितनी जोर से मैं लंड पेलता, उतनी ही तेजी से वो चूत में लंड को जगह देती. लगभग चौथाई घण्टा वह चुदती रही और मैं चोदता रहा.
अचानक वह मुझसे जोर से चिपक कर चूत को सिकोड़ने लगी. तभी अचानक मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया।

हम दोनों एक दूसरे को बांहों में समेटे पड़े रहे।

थोड़ी देर बाद जब मैं उठने लगा तो उसने मुझे बांहों में भर कर लिया और चूमने लगी- आज तुमने मुझे जो मज़ा दिया है उसे मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी। आज से मैं तुम्हारी हूँ। दिन रात जब भी तुम्हारा मन करे मुझे चोदने का, केवल इशारा करना, मेरी चूत हमेशा तैयार मिलेगी।

हम दोनों उठ कर बैठ गए नंगे ही। वह मेरी जांघ पर सर रख कर लेट गई।
मैंने कहा- अब चलो!
तो उसने कहा- नहीं, अभी एक बार और चुदवाऊंगी।

उसने मेरे ढीले पड़े लंड को पुनः मुख में ले लिया और चूसने लगी। कुछ सेकेंड में ही उसके शरीर की गर्मी पाकर लंड कड़ा हो कर तन गया। उसकी देसी चूत से मेरी चुदाई का माल रिस रहा था. मैंने उसकी पैंटी से उसके बहती चूत को पौंछा।

उसकी चूचियों को सहलाते हुए मैंने पूछा- अभी चुदाई से पेट नहीं भरा?
“नहीं, मेरा बस चले तो तुम्हारे लंड को मैं चूत के अंदर ही रखूं।”
“तो चलो, शुरू करते हैं.”

उसे मैंने घोड़ी बनने को कहा, उसकी चूत पर पीछे से लंड रख कर जोर का धक्का मारा. मेरा पूरा लंड एक बार में चूत में घुस गया. वह संभल नहीं पाई. जमीन पर गिर गई।

मैंने उसे उठाया और चोदने लगा. अब मैं आराम से चोद रहा था. वह भी मस्ती में चूतड़ आगे पीछे करके चुदवा रही थी.

फिर वो मुझे चोदने लगी. फिर मैं उसे अपने नीचे लेकर आराम से चोदने लगा. हम दोनों सेक्स के मज़े ले रहे थे।

इस बार की चुदाई आधे घंटे तक हुई।

चोदते चोदते मैंने उससे पूछा- प्रतिमा रानी, बताओ तो किसने तुम्हारी चूत का सील तोड़ा?
“नाम मत लो मादरचोद का … बदनाम भी कर दिया और फिर कभी आया ही नहीं।”
“कौन था वो?”
“मेरे भैया का साला अरविंद!”
“कैसे मौका मिला उसे?”

वो बताने लगी- गलती मेरी ही थी। उस रात भैया भाभी चुदाई कर रहे थे मैं रोज उनकी चुदाई देखती थी। देखते देखते मेरा भी मन करने लगा।
उस दिन अरविन्द आये हुए थे। वो भी मेरी तक में ही रहते थे।
जब मैं चुदाई देख रही थी वो भी जाने कब से मेरे पीछे खड़े थे मुझे पता तब चला जब उन्होंने मुंह पीछे से पकड़ लिया।

वो मुझे अपने कमरे में ले गए। मैं मना करती रही उन्होंने भैया से बताने की धमकी दे कर मेरे कपड़े उतार दिए और लंड में थूक लगा कर चूत में पेल दिया। बहुत दर्द हुआ पर उसे मेरे दर्द से क्या? वह चोदने लगे मेरा दर्द जाता रहा मुझे भी मजा आने लगा था. तभी वो झर गए उनका लंड सिकुड़ कर छोटा हो गया।
मैंने उन्हें पकड़ लिया कि ‘और चोदो।’
‘नहीं मेरा झड़ गया है.’ और वो एक तरफ हो कर सो गए।

मुझे बहुत गुस्सा आया. मैंने बहुत गालियाँ दी उसे। तब से अभी तक मैं चूत में लंड लेने को तरस रही थी। लेकिन किसी को इतनी जल्दी चूत देना समझ में नहीं आया। आपको सच बताऊँ तो उस दिन पैर में मोच आना बहाना था. मैंने जब से आपको देखा था, तभी से चाहने लगी थी।

तब से उसके शादी तक मैंने उसे चोदा उसने भी हमेशा खुल कर मुझसे चुदवाया।

देसी लड़की की चूत चुदाई की कहानी कैसी लगी? मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top