गाँव की नासमझ छोरी की मदमस्त चुदाई -1

(Ganv Ki Nasamjh Chhori Ki Madmast Chudai- Part 1)

सुदीप्ता 2015-12-17 Comments

This story is part of a series:

मैं एक 40 साल का मर्द हूँ, एक सरकारी संस्था में कार्यरत हूँ। मेरी शादी भी हो गई है, बीवी गाँव में रहती है, मैं एक शहर में एक किराए के मकान में रहता हूँ।
गाँव से ही मेरी बीवी ने एक कमसिन अल्हड़ सी लड़की को काम करने के लिए भेज दिया था.. उसका नाम बिल्लो है।
बिल्लो मुझे चाचा कह कर बुलाती है, वो जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी है तब भी वो फ़्राक ही पहनती है.. वो एकदम दूध सी गोरी.. और लंबी भी है।
वो दिन भर काम करती है और पढ़ाई भी करती है, रात में मेरे बिस्तर के बगल में अपना बिस्तर लगा कर सोती है।

ठंड के दिनों में मैंने उसको एक अलग रज़ाई दे दी थी।
इधर कुछ दिनों से ठंड काफी बढ़ गई थी। एक रात ठंड बढ़ जाने से बिल्लो ने कहा- आज ठंड बहुत है.. मुझे आपके साथ सोना है।
चाचा- ठीक है।
बिल्लो मेरे साथ बिस्तर पर आ गई। ठंड के कारण बिल्लो मुझसे लिपट गई.. तो मैंने अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर रख दिए और बिल्लो को अपनी छाती से चिपका लिया।

मैं उसके बदन को सहलाने लगा तो बिल्लो भी मेरे छाती को अपने कोमल हाथों से प्यार करने लगी।
कुछ देर के बाद मैं उसके गालों को चूमने लगा.. तो वो भी मुझे चूमने लगी।

बिल्लो- चाचा अच्छा लग रहा है ना?
चाचा- तुम्हें मजा आ रहा है?
बिल्लो- हाँ.. आपके साथ सोने में मजा आ रहा है।

चाचा- तब आओ.. मुझसे और चिपक जाओ !
और बिल्लो का बदन मुझसे चिपक गया.. तो मेरे शरीर में एक लहर दौड़ गई। मैंने उसे अपने सीने में भींच लिया और धीरे-धीरे उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया।

बिल्लो भी अपना एक पैर मेरे पैर पर चढ़ा दिया.. तो मेरे लण्ड में सुरसुरी होने लगी.. और मैं बिल्लो को ज़ोरों से चिपटा कर उसके सारे बदन को चूमने लगा।

मैंने कामातुर होते हुए उसकी छोटी-छोटी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया और उसके कोमल शरीर को भी गरम करना शुरू कर दिया।
बिल्लो- अब गर्मी भी लग रही है और गुदगुदी भी लग रही है.. चाचा मुझे कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही है।
चाचा- ज्यादा गर्मी लग रही है.. तो फ्रॉक को उतार दो।
बिल्लो- ठीक है.. आप ही उतार दीजिए..

मैंने उसकी फ्रॉक को उतार दिया.. तो मेरी नजर उसकी समीज में उभरी हीन छोटी-छोटी चूचियों पर पड़ी।
मैं उसे ज़ोर से चूमने लगा और बिल्लो भी होंठों को चूमने लगी..
मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है?
बिल्लो बोली- मजा आ रहा है। ऐसा ही करते रहिए।

उसने अब धीरे से मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी एक चूची पर रख दिया।
तब मैंने पूछा- इसे भी सहलाऊँ क्या?
बिल्लो चुदासी सी बोली- हाँ चाचा.. मेरा शरीर पता नहीं कैसा महसूस कर रहा है.. आप चूस रहे हैं तो मुझे लगता है कि मेरी इसको (चूची) को दबाने से और मजा आएगा।
चाचा- एक ही चूची को दबाऊँ कि दोनों चूचियों को?
बिल्लो ने खुलते हुए कहा- दोनों को दबाइए ना.. लेकिन धीरे-धीरे..

मैंने बिल्लो को चित कर लिटा दिया और उसकी दोनों चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा। उसका चेहरा का रंग धीरे-धीरे बदलने लगा और उसने खुद ब खुद अपने पैरों को भी फैला दिया।

कुछ देर उसके चीकू दबाने के बाद मैंने अपना हाथ हटा लिया तो बिल्लो ने पूछा- क्यों चाचा थक गए क्या?
मैंने कहा- नहीं रे.. थका नहीं हूँ.. मुझे भी गर्मी लग रही है।
बिल्लो- तो आपके भी कपड़े उतार दूँ क्या?
चाचा- हाँ.. उतार दे..

और बिल्लो ने खड़ी होकर मेरी गंजी उतार दी और अब मैं सिर्फ लुंगी में रह गया।
फिर मैं बिल्लो की एक चूची को चूसने लगा तो बिल्लो सिसिया कर बोली- आह्ह.. चाचा.. धीरे से चूसिए ना.. आपके दाँत गड़ते हैं।

चूचियों को चुसाते-चुसाते बिल्लो को और भी मजा आ रहा था। तब मैंने बिल्लो का एक हाथ पकड़ कर अपनी लुंगी को खोलने को कहा.. तो बिल्लो पूछ बैठी- क्यों चाचा आपको हमको से भी ज्यादा गर्मी लग रही है?
मैंने चालाकी से कहा- तुम्हें भी गर्मी लग रही है.. तो बोलो ना?

बिल्लो- मुझे न जाने कैसा सा लग रहा है.. चूचियों को चुसवाने से मजा आ रहा है और बदन भी अच्छा महसूस कर रहा है।
चाचा- कैसा महसूस कर रहा है?
बिल्लो- मैं बता नहीं सकती?
चाचा- तो आओ.. मैं तुम्हारी समीज उतार देता हूँ।

अब मैंने बिल्लो की समीज को भी उतार दिया.. तो वह सिर्फ चड्डी पहने हुए ही रह गई।
इसी बीच बिल्लो ने भी मेरी लुंगी उतार दी, मेरा खड़ा लण्ड को देख कर बिल्लो बोली- आपका नूनी कितना लंबा है?
मैंने समझाया- इसे नूनी नहीं कहते.. इसे लण्ड कहते हैं।

मेरा लण्ड तो फनफना रहा था.. तो बिल्लो उसे देख कर बोली- आपका लण्ड कैसी हरकत सी कर रहा है?
चाचा- जैसा चूचियों को दबाने और चूसने से तुम्हें लग रहा है.. वैसा ही मुझे भी लग रहा है।
बिल्लो- तो हम इसको पकड़ें क्या?
चाचा- इसमें भी पूछने की बात है क्या..

और बिल्लो अपने कोमल हाथों से मेरा लण्ड पकड़ कर दबाने लगी। मैंने भी बिल्लो की दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसना चालू कर दीं।

कुछ देर के बाद भी बिल्लो का बदन छटपटाने लगा, मैंने धीरे से उसके पैंटी को पकड़ कर उसे उतारना शुरू कर दिया तो बिल्लो बोली- चाचा मुझे अजीब सा लग रहा है।
चाचा- कैसा अजीब सा लग रहा है?
बिल्लो- मेरे यहाँ कैसा लग रहा है और मेरा एक हाथ पकड़ कर उसने अपनी बुर के पास सटा दिया।
चाचा- यहाँ पर अजीब सा लग रहा है?
बिल्लो- हाँ..

मैं अपनी एक उंगली उस अल्हड़ जवानी की अनचुदी बुर पर रगड़ने लगा। उसकी बुर से धीरे-धीरे रस आ रहा था।
मैंने पूछा- तुम्हारी बुर से थोड़ा थोड़ा कामरस बाहर आ रहा है।
बिल्लो- यह कामरस क्या होता है?
चाचा- जब बुर को प्यास लगती है ना.. तब कामरस निकालता है।
बिल्लो- ओह्ह.. इसी लिए मेरे बदन को ऐसा लग रहा है।

चाचा- हाँ बिल्लो.. अब जब तक बुर की प्यास नहीं मिटाओगी तब तक ऐसा ही लगता रहेगा और तुम छटपटाते रहोगी।
बिल्लो- इसकी प्यास कैसा बुझती है?
मैंने लण्ड की तरफ इशारा किया और कहा- तुम जिसे पकड़े हुए हो ना.. यही इसका प्यास बुझाता है।
बिल्लो ने लण्ड को देखकर मुझसे पूछा- इसी लण्ड से बुर की प्यास बुझती है?

चाचा- हाँ.. लेकिन उसके पहले लण्ड को भी तैयार करना पड़ता है।
बिल्लो- बुर की प्यास बुझाने के लिए.. लण्ड को कैसे तैयार किया जाता है? बताओ तो मैं भी आपका लण्ड तैयार कर देती हूँ।
चाचा- जैसे तुम्हारी चूचियों को मैंने जिस तरह से चूसा है.. उसी तरह से जब तुम लण्ड को चूसोगी.. तो लण्ड बुर की प्यास बुझाने को तैयार हो जाएगा।
बिल्लो- ये बात है.. तो लाओ चाचा अपना लण्ड.. इसको मैं भी चूस देती हूँ।

और बिल्लो मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर धीरे-धीरे चूसने लगी.. तो लण्ड भी अपना आकार लेने लगा और बिल्लो का मुँह भी भर गया।
बिल्लो बोली- चाचा आपका लण्ड तो चूसने से और भी बड़ा और मोटा हो जा रहा है।
चाचा- लण्ड बड़ा और मोटा होने पर ही बुर की प्यास बुझती है।
बिल्लो- तब और नहीं चूसूंगी.. क्योंकि बस इतना बड़ा और मोटा लण्ड ही मेरी बुर की प्यास बुझा सकती है और ज्यादा बड़ा नहीं..
‘ठीक है..’
बिल्लो- चाचा अब मेरी बुर की भी प्यास बुझा दो ना.. मुझसे सहा नहीं जा रहा है।

मैंने बिल्लो को चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर फिर से उसकी दोनों चूचियों की चूसने लगा। इस तरह से बिल्लो को मजा आ रहा था।
कुछ देर के बाद मैंने पूछा- क्या तुम्हारी बुर प्यास बुझवाने को तैयार है.. तो बोलो।
बिल्लो- चूचियों को चूसने से तो और ज़ोर से बुर के अन्दर प्यास लग रही है.. जल्दी से इसका प्यास बुझाओ और देरी बर्दाश्त नहीं हो रही है.. बस अब तो ऐसा लग रहा है कि बुर के अन्दर कुछ घुसना चाहिए।
मैंने कहा- पहले मुझे देखने दो तुम्हारी बुर को.. ये इतना क्यों मचल रही है।
बिल्लो- लो चाचा.. जल्दी से देखो ना।

तब मैं अपना मुँह बिल्लो की बुर के पास ले गया और जीभ से उसकी बुर को चाटने लगा।
बिल्लो ने मेरा सिर पकड़ लिया और बाल पकड़ कर दबाने लगी।

मैंने भी अपनी जीभ को बिल्लो की कोरी बुर के छेद में घुसा दिया.. तो वह ‘सी.. सी..’ करने लगी.. मैं समझ गया कि अब बिल्लो चुदने के लिए तैयार हो गई है।

दोस्तो, इस कच्ची कली की चूत चुदाई ने मुझे इतना अधिक कामुक कर दिया था कि मैं खुद को उसे हर तरह से रौंदने से रोक न सका। प्रकृति ने सम्भोग की क्रिया को इतना अधिक रुचिकर बनाया है कि कभी मैं सोचता हूँ कि यदि इसमें इतना अधिक रस न होता तो शायद इंसान बच्चे पैदा करने में बिल्कुल भी रूचि न लेता और यही सोच कर की सम्भोग एक नैसर्गिक आनन्द है.. मैं बिल्लो की चूत के चीथड़े उड़ाने को आतुर हो उठा.. आपके ईमेल की प्रतीक्षा में..

कहानी जारी है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top