पड़ोसन भाभी की जवान बेटियाँ- 5

(Fresh Chut Ka Sex Maza)

राजेश 784 2020-09-10 Comments

This story is part of a series:

फ्रेश चुत का सेक्स मजा लेते हुए मैंने अगली रात दोबारा भाभी की छोटी बेटी को चोदा. इस बार उसे भी पूरा मजा आया अपनी नयी नवेली चूत को चुदवाने में.

सुबह नाश्ता करके मैं यूनिवर्सिटी चला गया दोपहर बाद जब मैं आया तो खाना खाकर अपने कमरे में लेट गया.

लगभग 3:00 बजे के करीब भाभी मेरे कमरे में आई और बेड पर मेरे साथ बैठ कर बोली- राज क्या हाल है?
मैं- आप सुनाओ, कुछ ढीली सी लग रही हो, तबियत कैसी है?
भाभी- बस … वही, नीचे लाल झंडी आई हुई है, उसी वजह से तीन चार दिन परेशानी रहती है.
मैंने पूछा- मैं कुछ दबा दूँ, सिर या पैर?
भाभी- बस तुम्हारी इन्हीं बातों पर तो मैं फिदा हो जाती हूँ.

मैं बोला- लेट जाओ?
भाभी- कोई आ जायेगा, परसों मैं ठीक हो जाऊंगी फिर तुम रात को नीचे ही सो जाना.
भाभी- तुम अब रेस्ट कर लो, मैं जाती हूँ.

चूंकि रात को मैंने फ्रेश चुत का सेक्स मजा लेने के लिए बिन्दू के साथ जागना था, अतः भाभी के जाने के बाद मैं सो गया और सायं करीब 6 बजे उठा और थोड़ा टहलने मार्किट की ओर चला गया.

रात को खाना खाते वक्त नेहा भी कुछ परेशान सी लगी. उसने बताया कि तबियत ठीक नहीं है, रात को बच्चे ने सोने नहीं दिया, इसलिए कुछ सिर दर्द लग रहा है, सुबह तक ठीक हो जायेगा.
मैंने सोचा चलो, अब निश्चिंत होकर बिन्दू की चुदाई करता हूँ.

खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया.
10 बजे के लगभग मैं बिन्दू के कमरे में गया तो वह पढ़ रही थी. मैंने बिन्दू को इशारा किया तो उसने मुझे इशारे से बताया कि वह आ रही है.

लगभग आधा घंटे बाद बिन्दू मेरे कमरे में आई. मैं ऊपर से नंगा था और नीचे केवल लोअर पहन रखा था. लोअर में मेरा लण्ड खड़ा था.
बिन्दू ने मेरे कहने के मुताबिक स्कर्ट और टॉप पहन रखा था. स्कर्ट के नीचे वह नंगी थी.

मैंने आते ही बिन्दू को बांहों में उठा लिया. मैंने पूछा- आज पढ़ाई में मन लगा?
बिन्दू- हाँ, आपके सामने पढ़ ही तो रही थी, पहले मन भटकता था, लेकिन अब नहीं भटकता.

मैं खड़े खड़े बिन्दू के शरीर को मसलता और रगड़ता रहा. वह उत्तेजित हो गई.
मैंने पूछा- करना है?
बिन्दू- आपकी मर्जी है.

मैं बेड पर लेट गया और बिन्दू को अपने ऊपर लिटा लिया. बिन्दू की चूत मेरे लण्ड पर टिकी थी.

मैंने बिन्दू की कमर और उसके नर्म, बड़े बड़े गोरे चूतड़ों पर हाथ फिराना शुरू किया. मैंने बिन्दू के दोनों कपड़े निकाल कर बिल्कुल नंगी कर लिया।

बिन्दू को मैंने आगे से अपने ऊपर उठने को कहा. मैंने उसकी एक चूची को अपने मुंह में ले लिया और उसको पीने लगा.
कभी एक कभी दूसरी चूची को पीता रहा.

मैंने बिन्दू से पूछा- कैसा लग रहा है?
बिन्दू बोली- बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करते रहो.

बहुत देर तक मैं बिन्दू के अंगों से खेलता और मसलता रहा तो बीच बीच में बिन्दू अपनी चूत को मेरे लण्ड पर जोर से रगड़ देती थी.

अभी तक मैंने बिन्दू को कई मजे नहीं दिए थे इस इरादे से मैंने उसे अपने ऊपर से उतार कर बेड पर लिटाया और उसकी चूत की तरफ जाकर उसकी जांघों को चौड़ा किया और उसकी चूत पर अपना मुंह रख दिया.
जैसे ही मेरी जीभ बिन्दू की चूत के क्लीटोरियस से टच हुई बिन्दू आ … आ … आ … करने लगी. बहुत देर तक मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से तरह तरह से चूसता, चाटता रहा और कुछ ही देर में बिन्दू मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.

मैंने बिन्दू की चूत पर थोड़ी सी लिक्विड वैसलीन लगाई और उसकी जांघों के बीच में बैठकर लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा.

रगड़ते रगड़ते जैसे ही मेरा सुपारा बिन्दू की चूत के छेद पर आया बिन्दू ने नीचे से अपने चूतड़ों को लण्ड अंदर लेने के लिए ऊपर की ओर एक झटका दिया.

मैं उसकी बेताबी समझ चुका था. मैंने धीरे धीरे लण्ड को अंदर डालना शुरू किया और मेरी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा कि अबकी बार जहां लंड जाकर अटकता था उस जगह पर जोर लगाने से लंड अंदर चला गया और पहली बार मैंने पूरा लण्ड जड़ तक बिन्दू की चूत में ठोक दिया.

बिन्दू ने गहरी सांस ली और अपने दोनों हाथों को मेरी कमर पर जकड़ लिया. हम दोनों की जांघें आपस में चिपक गई थी. मेरी जांघों का दबाव और घर्षण उसे अपनी चूत पर महसूस हो रहा था जिससे वह बहुत उत्तेजित हो गई थी.

दरअसल पहले दिन चुदाई के बाद बिन्दू की चूत की मांसपेशियां थोड़ी ढीली हो गई थीं और चूत ने लण्ड को जगह दे दी.
मेरे लिए काम आसान हो गया था और अब मैं बिन्दू की जोर शोर से चुदाई करने वाला था. पहले दिन तो केवल चूत की शील तोड़ने के लिए ही केवल लण्ड घुसेड़ा था.

मैंने बिन्दू को चोदना शुरू किया तो बिन्दू की सिसकारियां निकलने लगी.
बिन्दू से मैंने पूछा- कैसा लग रहा है?
तो बिन्दू बोली- करते रहो, बहुत अच्छा लग रहा है, इसमें तो बहुत मज़ा आता है.

मैं बिन्दू की चुचियों पर काटने के निशान बनाने लगा. बिन्दू के होंठों को चूस चूस कर मैंने एकदम मोटा कर दिया था. अब बिन्दू खुलकर चुदवा रही थी.

मैंने बिन्दू के घुटनों को मोड़ा जिससे उसकी पकौड़ा सी चूत उभर कर ऊपर उठ आई थी. मैंने पूछा- अब हर रोज चुदवाओगी या नहीं?
बिन्दू- जब मर्जी कर लेना. बिन्दू की सेक्सी बातों से मुझमें और भी जोश आ गया और मैंने बिन्दू की ताबड़ तोड़ चुदाई शुरू कर दी.

लड़की इतने चाव से और अच्छी तरह से चुदवा रही थी मानों उसे कई महीनों से प्रैक्टिस हो?

जैसे ही लण्ड की ठोक अंदर लगती, बिन्दू आई … आई … करने लगती.
बहुत देर तक मैं बिन्दू को चोदता रहा और बिन्दू आह … आई … ईईईई ईईई … ईईई बहुत अच्छा लग रहा है आदि बोलती रही.

कुछ ही देर बाद बिन्दू ने मुझे जोर से पकड़ कर अपनी और भींचा और एकदम आ … आ … ई … ई.. ईईई ईईई आह्ह ह्ह्ह ओ … राज … आ … ईईईईए … सश्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह बहुत … मजा … आ … रहा … है. ईईईई ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह्ह मेरी चूत … आह भींच दो मेरे मम्मे … आह … सी … आह … मारो … और ज़ोर से मारो … फाड़ दो मेरी चूत … अपना पानी छोड़ दो मेरी चूत में अहह … आह्ह करते हुए झड़ गई.

बिन्दू पहली बार झड़ी थी, उसे नहीं मालूम था कि झड़ने में इतना मजा आता है. मैंने भी अपने धक्के तेज कर दिए और उसी वक्त मेरे लण्ड ने बिन्दू की चूत में अपने वीर्य की पिचकारियां मारनी शुरू कर दी.

लगभग 10- 12 पिचकारियों के बाद मैं भी शांत होकर उसके ऊपर लेट गया. उसकी कोरी चूत मेरे लण्ड का रस पीने लगी और मेरा लण्ड भी उसकी जवानी के रस को सोखता रहा. हम दोनों ही एकदम संतुष्ट थे.

कुछ देर बाद मैंने लण्ड को बाहर निकाला तो बिल्दु की चूत से वीर्य बाहर आकर उसकी गांड को भिगोते हुए बेड पर टपकने लगा. कुछ देर बाद बिन्दू उठी तो वीर्य उसके पटों पर से होता हुआ उसके घुटनों तक निकल गया.

बिन्दू ने अपनी चूत पर हाथ लगाया तो उसका हाथ गीला हो गया. वह अपनी टांगों को चौड़ा करके रखती हुई चल कर बाथरूम गई.
मैं जाते हुए बिन्दू की भारी और जवान गांड को देखता रहा. बिन्दू का शरीर बहुत ही सेक्सी था.

बिन्दू नंगी ही बाथरूम से बाहर आई. रात के 11.00 बज गए थे. बिन्दू के गदराए शरीर को मैंने खड़े होकर एक बार फिर बांहों में भर लिया. मैंने बिन्दू को पीछे से पकड़कर लण्ड को उसके चूतड़ों में लगाया और बिन्दू से पूछा- कैसा लगा?
बिन्दू- बहुत अच्छा था … आपको मजा आया?
मैं- हाँ बहुत मजा आया, तुम बड़े प्यार से चुदी हो.

अब मैं बिन्दू के दोनों मम्मों को मसलने लगा. मैंने बिन्दू के पेट के निचले हिस्से और चूत पर हाथ फिराना शुरू किया.
बिन्दू- कितनी बार कर सकते हैं?
मैं- क्या बात है?
बिन्दू- फिर दिल करने लगा है!
मैं- जितना मर्जी कर लो. इसपर कोई खर्चा थोड़े आता है.

मैंने बिन्दू से कहा- देखो बिन्दू! हम एक ही घर में रहते हैं, इसका यह फायदा है कि हम जब चाहें सेक्स कर सकते हैं, किसी को पता भी नहीं लगता और बदनामी का भी डर नहीं है. हाँ यदि तुम किसी बाहर वाले से दोस्ती करोगी तो वह तुम्हारे घर के चक्कर लगाएगा, इससे तुम्हारी बदनामी होगी और तुम जब चाहो मिल भी नहीं सकती.
बिन्दू बोली- आप निश्चिंत रहो, मैंने किसी से बात नहीं करनी है. आप मुझे यह मज़ा देते रहो.

मैंने इतना सुनते ही बिन्दू को अपनी बांहों में उठा लिया और उसकी चूत के नीचे लण्ड लगा लिया. कुछ देर अपने लण्ड पर लटकाने के बाद मैंने बिन्दू को बैड के किनारे पर रखा और नीचे खड़े हो कर उसकी टांगों को अपने कंधों पर रखा और उसकी फूली हुई चूत के छेद पर लण्ड का सुपारा रखा.

बिन्दू ने मजे में अपनी आँखें बंद कर ली और मेरे झटके का इंतजार करने लगी.

मैंने एक ही झटके में सारा लण्ड अंदर डाल दिया. बिन्दू सिसक कर रह गई. लण्ड बिन्दू की चिकनी चूत में अंदर बाहर जाने लगा. बिन्दू की मस्ती इतनी बढ़ चुकी थी कि उसकी चूत का रस उसकी गांड के छेद पर हर झटके पर थोड़ा थोड़ा निकल कर बाहर आ रहा था.

मैं बिन्दू की दोनों चुचियों को पकड़ कर मसलने लगा.

बिन्दू के मुँह से तरह तरह की सिसकारियां निकलने लगी. हालाँकि बिन्दू तीसरी बार ही चुद रही थी लेकिन वह इस तरह से आंखें बंद करके और अपने निचले होंठों को दांतों से काट रही थी मानों उसे चुदने का बहुत तजुर्बा हो.

उसकी सांसें और नथुने बहुत तेजी से चल रहे थे. उसने अपनी चूत को लण्ड पर मारना शुरू कर दिया था.

मैंने बिन्दू को घोड़ी बनने को कहा तो बिन्दू फट से तैयार हो गई और उसने अपने बड़े और गोरे गोल चूतड़ों को मेरे सामने कर दिया. मैंने बिन्दू की रस से चिकनी हुई चूत के छेद पर लण्ड लगाया और उसकी जांघों को पकड़ कर लण्ड अंदर कर दिया.

बिन्दू ने कुछ कसमसाहट के बाद पूरा लौड़ा चूत में ले लिया. मैंने पूरा लौड़ा सुपारे तक निकाल निकाल कर अंदर डालना शुरू किया. मैंने बिन्दू की दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और चोदते हुए उन्हें मसलने लगा.

मेरी दोनों जांघें बिन्दू के चूतड़ों पर पट पट की आवाज से बज रही थी. लौड़ा बिन्दू के आधे पेट तक घुसा हुआ था जो बार बार उसकी बच्चेदानी को छू रहा था.

कुछ देर बाद मैंने स्पीड बढ़ाई और बिन्दू ने अपना सिर इधर उधर मारना शुरू कर दिया. बिन्दू साथ ही सेक्स मजा लेती हुई आ … आ … आ … आ … ई ई ई … आ … आ … ईईईईई ओई … ओई … करती हुई झड़ गई और मेरे नीचे से निकलने की कोशिश करने लगी.
लेकिन मैंने बिन्दू को उसकी जांघों से जकड़े रखा और ताबड़तोड़ शॉट मारता रहा.

उसने अपनी छाती बेड पर टिका ली लेकिन मैं उसे पीछे से चोदता रहा. बिन्दू की गांड और सारा पिछवाड़ा चुदाई के रस से चिकना हो गया था.
मैंने भी सारा ध्यान चुदाई पर केंद्रित कर 10 15 शॉट लगाए और अपने लण्ड से वीर्य की गर्म गर्म पिचकारियाँ मारते हुए अंदर तक बिन्दू की गहराइयों को लबा लब भर दिया और बिन्दू को बेड पर धकाते हुए लण्ड डाले डाले उसकी कमर के ऊपर पसर गया.

बिन्दू मेरे नीचे दबी हुई थी, लण्ड अंदर ठुका हुआ था.

करीब 3 – 4 मिनट इसी पोजीशन में रहने के बाद लण्ड बैठकर चूत से बाहर आ गया. वीर्य चूत से बाहर निकल कर चादर पर टपकने लगा. मैं बिन्दू के साथ लेट गया. कुछ देर बाद बिन्दू सीधी हुई, उसकी चूत का भरता बन चुका था, जो छेद पहले दिन खोलने से मुश्किल से दिखाई दे रहा था अब वह गुलाबी रंगत लिए हुए खुल चुका था.

मैंने बिन्दू से कहा- उठो और कपड़े पहन लो और अपने कमरे में जाओ.
बिन्दू शरारती लहजे में बोली- थक गए क्या? पहले दिन तो मुझे बड़े रौब से कह रहे थे कि मुझे धोखा नहीं देना, अब जब आपके सामने नंगी पड़ी हूँ तो कहते हो कपड़े पहन ले और कमरे में जाओ.
मैं- अच्छा चलो, बाथरूम जाकर चूत तो साफ करके आओ.

बिन्दू मेरी आँखों की ओर देखते हुए मुस्कराई और बड़ी अदा से उठती हुई अपनी गोरी गांड मटकाती हुई फिर बाथरूम चली गई और अंदर से शर्रर … शर्र … शर … पिशाब करने की आवाजें आने लगीं.
वह बाहर आई.

मैंने कहा- लेटो, एक बार और चुदाई करते हैं.
बिन्दू- नहीं, अब सुबह का डेढ़ बज गया है, मुझे इंस्टीट्यूट जाना है. कल रात को करेंगे.

मैंने बिन्दू को पानी के साथ एक गर्भनिरोधक गोली खिलाई और उससे कहा- यह गोली जब भी चुदाई करोगी तो याद से खानी है.
बिन्दू को मैंने बांहों में भर कर किस किया और उसे उसके कमरे तक छोड़ कर नीचे की सीढ़ियों के दरवाजा खोल दिया.

सुबह सब कुछ ठीक रहा. मैं यूनिवर्सिटी चला गया.

मित्रो, मुझे और बिन्दू की फ्रेश चुत का सेक्स मजा मिला. आपको भी यह कहानी पढ़कर मजा आया होगा, ऐसी मेरी आशा है.

फ्रेश चुत का सेक्स मजा अगले भाग में जारी रहेगा.

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