एक उपहार ऐसा भी-7

(Ek Uphar Aisa Bhi- Part 7)

संदीप साहू 2020-05-29 Comments

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नमस्कार दोस्तो, ये लंबी भूमिका बेवजह नहीं है, कहानी जब आगे बढ़ेगी तो सभी कैरेक्टरों के पूरे आनंद मिलेंगे।

मैंने नेहा से कहा- ज्यादातर जगहों में लड़कियां ही काम करती नजर आ रही हैं, ऐसा क्यूँ?
नेहा ने मुस्कुरा के कहा- सर यहाँ लड़के भी बहुत सारे कामों में लगे हुए हैं, पर आपको लड़कियां ही ज्यादा नजर आती हैं। वैसे यह बात सही है कि आजकल प्राइवेट सेक्टर में लड़कियों का जॉब बढ़ गया है।
मैंने कहा- और उसका कारण क्या है?
तो नेहा ने जवाब दिया- सीधा सा कारण तो ये है कि ज्यादातर जगहों पर मर्दों का ही आना जाना होता है. तो उन्हें महिला कर्मचारियों से आकर्षित और खुश करना पहला कारण है. दूसरी बात ये है कि महिलायें कामचोर नहीं होती, ड्यूटी सही करती हैं। छुट्टी या एडवांस कम लेती हैं. नशाखोर कम ही होती हैं. चोरी या बेइमानी के मामले में भरोसे के लायक होती हैं. और ग्राहकों से झगड़े की स्थिति कम बनती है, और बन भी गई तो कानून महिलाओं का साथ देता है जिसका फायदा कंपनी को मिलता है।

मैंने कहा- बस-बस मैं समझ गया, तुमको तो बहुत अच्छा नॉलेज है.
इस पर उसने मुस्कुरा के कहा- ऐसी कोई बात नहीं है सर!

फिर मैंने उसे उसकी पढ़ाई पूछी तो उसने मैंनेजमेंट कोर्स करना बताया.
मैंने कहा- तुम्हारी छुट्टी कब होती है?
उसने कहा- यहाँ ड्यूटी शिफ्ट में होती है सर! मैं अभी डे शिफ्ट में हूँ. नाइट शिफ्ट में दूसरे की ड्यूटी होगी.

मैंने चेहरा उतारने का नाटक करते हुए कहा- तो रात को मैं किसे बुलाऊंगा?
उसने हंसते हुए कहा- रात को मुझसे भी अच्छी लड़की ड्यूटी पर होगी।
मैंने कहा- मुझे कोई और नहीं चाहिए.

तो नेहा दुविधा में पड़ गई और कहा- ठीक है सर मैं नाइट शिफ्ट भी कर लेती हूँ,
मैंने कहा- नहीं इसकी जरूरत नहीं है, मैं तो मजाक कर रहा था. वैसे तुम रहती तो मुझे अच्छा लगता. पर मैं तो यहाँ तीन तारीख तक हूँ तुम्हें परेशान करने के लिए।
नेहा ने कहा- थैक्स फॉर बेस्ट कंपलीमेंट सर।

तभी खुशी का फोन आया और मेरे हैलो कहते ही कहा- तुम कबसे यहाँ आये हो और अब तक मुझसे मिले भी नहीं? यहाँ बहुत सी चुड़ैले हैं, तुम किसी चुड़ैल के चंगुल में तो नहीं फंस गये ना?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है. मैं तो आते ही तुमसे मिलना चाहता था. पर भाभी ने कहा कि तुम व्यस्त हो बाद में मिलोगी. तो भला मैं क्या करता?

खुशी ने कहा- वो तो ऐसी ही है. चलो जल्दी से मिलने आओ, मुझे भी तो तुम्हारे दर्शन करने हैं।
मैंने कहा- बस तुम आँखें बंद करो, मैं तुम्हारे सामने अभी हाजिर होता हूँ।

मैं बात करते हुए देख रहा था, नेहा का चेहरा कुम्हला सा गया है.
मैंने फोन रखते ही नेहा से कहा- तुमने लंच किया या नहीं?
नेहा ने जवाब दिया मैं कर लूंगी सर. आप चिंता ना करें।

मैंने उसे सॉरी कहा और कहा- यार खुशी के रूम तक छोड़ दो फिर तुम फ्री होके लंच करना।
उसने बड़ी विनम्रतापूर्वक ‘ओके सर आइये’ कहा और मुझे अपने पीछे पीछे ले गई।

हम खुशी के रूम में पहुंचे.
नेहा ने दरवाजा खटखटाया. अंदर से ‘आ जाओ’ की आवाज आई और नेहा आगे चली गई.
उसने कहा- मैम, सर आपसे मिलने आए हैं.
और फिर मैंने इशारा करके उसे वापस भेज दिया।

अब मैं थोड़ा आगे आ गया, हमें यहां तक आने में तीन मिनट से ज्यादा लगे होंगे.

पहले तो मैंने कुछ ही पलों में खुशी के सौम्य सौंदर्य, रूप लावण्य को नजरों में कैद करना चाहा.
फिर मैंने देखा कि खुशी ने सचमुच अब तक आँखें बंद रखी हैं.

मैंने खुशी से कहा- मैंने तो मजाक किया था और तुम सचमुच आँखे बंद करके बैठ गई।

अब खुशी कुछ कहती, इससे पहले ही उसके पास बैठी एक छोटी सुंदरी जो मुझे होटल पहुंचने पर सबसे पहले स्वागत करते हुए मिली थी, उसी चंचल बाला ने कहा- दीदी ने तो आपको आते देखकर आँखें मूंदी हैं।

अब खुशी का भेद खुल गया.

उसने तकिया उठाया और उस छोटी सुंदरी को मारते हुए कहने लगी- तू ना … दो मिनट चुप भी नहीं रह सकती?
तो वो छोटी सुंदरी भागने लगी.

खुशी उसे दौड़ाते हुए मेरे करीब तक आ गई और वहीं रूक गई. छोटी सुंदरी खुशी को चिढ़ाते हुए भाग गई।

अब खुशी ने कहा- ये मेरे चाचा की बदमाश बेटी पायल है.
मैंने तुरंत कहा- तो चाचा की शरीफ बेटी कौन है?
तो खुशी ने बिस्तर की तरफ इशारा किया- ये है ना आँचल!

उस शादीशुदा सभ्य महिला ने मेरा अभिवादन किया जिसका मैंने भी विनम्रता पूर्वक जवाब दिया।

अब खुशी मुझे चारों तरफ से घूम-घूम के देखने लगी. जैसे किसी सामान को चैक कर रही हो. और लड़का होकर भी मैं शर्म से पानी-पानी हुआ जा रहा था.
फिर खुशी ने कहा- तुम इतने हैंडसम हो यार … किसी की जान ले लोगे क्या!
यह कहते हुए उसने अपनी आँख में एक उंगली लगाई और वहाँ से काजल चुरा कर मेरे गालों पर लगा दिया।

उसकी इस हरकत पर मेरी आँखों में आँसू भर आये. अगर सामने उसकी बहन ना होती तो शायद छलक भी गये होते.
मैंने खुशी की आँखों का यही हाल देखा.

मैं खुशी से लिपटकर मन भर रो लेना चाहता था, अपनी बेचैनी को उसी समय जाहिर कर देना चाहता था. लेकिन खुद पर काबू रखना जरूरी था।

फिर मैंने बात को बदलने की कोशिश की और कहा- तुम झूठ बोलती हो, होटल वाली लड़की ने तो कहा था कि मैं अच्छा नहीं लग रहा हूँ।
इस पर खुशी का पारा चढ़ गया, उसने होटल के फोन से कॉल करके उसे तुरंत ऊपर बुला लिया, मैंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन मेरी सारी कोशिश नाकाम रही।

मुझे अब अहसास हो रहा था कि किसी की भी बात को इधर से उधर नहीं करना चाहिए, मैंने क्या सोच कर कहा था, और क्या हो गया था।

नेहा लगभग दौड़ती हुई आई और कहा- जी मैम आपने बुलाया?
मैंने खुशी को शांत करने की एक आखरी कोशिश की. मैंने कहा- यार, मैंने मजाक किया था, उसने कुछ नहीं कहा, मैंने झूठी कहानी बनाई।

पर खुशी ने कहा- मैं जानती हूँ तुम झूठ नहीं बोल सकते. तुम इसे बचाने की कोशिश मत करो।
और नेहा को देखकर कहा- तुमने कैसे कह दिया कि ये अच्छे नहीं लग रहे हैं? तुम्हें अच्छे बुरे के बारे में पता ही क्या है?

नेहा बार बार सॉरी मैम, सॉरी सर की रट लगाये हुए थी.
खुशी ने और कहा- क्या तुम लोगों को इतना भी नहीं पता कि खास मेहमान क्या होता है?
मैंने खुशी को फिर शांत होने को कहा तो उसने नेहा को आखिरी चेतावनी दी- दुबारा कोई भी शिकायत मिली तो अच्छा नहीं होगा, चलो जाओ यहाँ से!

नेहा ‘सॉरी मैम … अब कोई गलती नहीं होगी.’ करते हुए वहाँ से जाने लगी.

मैं इस समय कोई सफाई नहीं दे सकता था.

पर मैंने मुड़ कर देखा तो नेहा के निकलते ही नीचे लंच टाइम पर मिली लड़की प्रवेश कर रही थी.
शायद वो कुछ समय पहले आ चुकी थी और उसने बातें भी सुनी।

उसने डरे हुए स्वर में कहा- मैम आपने बुलाया था, मेहंदी लगवाने के लिए?
तब तक खुशी ने खुद को संयत किया और बिस्तर पर बैठी आँचल से कहा- दीदी, मैं मेंहदी आज लगवाऊं या कल लगवानी है?

आँचल ने कुछ सोचते हुए कहा- मम्मी और बुआ को आने दो, फिर पूछ कर लगवाना.
खुशी ने हम्म करके सर हिलाया फिर उससे कहा- मैं बाद में बताऊंगी.

फिर मेहंदी वाली जाने लगी तो खुशी ने कहा- अच्छा सुनो अभी तुम क्या करोगी?
जवाब मिला- कोई मेहंदी लगवाये तो ठीक है मैम. नहीं तो मैं खाली ही रहूंगी।

तो फिर खुशी ने मुझे देखा और कहा- संदीप तुम मेंहदी लगवाओगे?
मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- मैं?
फिर उस लड़की को देखते ही मेरे दिमाग की बत्ती जली और मैंने कहा- अच्छा ठीक है, अब तुम्हारी शादी है तो लगवा ही लेते हैं।

खुशी ने कहा- अच्छा तो ठीक है. जाओ तुम मेंहदी लगवा लो. और सुनो …
फिर मेरे पास आकर थोड़े धीरे से बोली- तुम वैभव के दोस्त और संदेशवाहक हो. तुम कभी भी कहीं भी आ जा सकते हो. तुम्हें शादी की सारी रस्मों में शामिल रहना है।
मैंने मुस्कुरा के हाँ कहा.

मैं आँचल से और ख़ुशी से विदा लेकर मेहंदी वाली लड़की के साथ अपने कमरे की ओर चल दिया।

यहाँ पर खुशी के चिड़चिड़े व्यवहार से मेरी तरह आप भी अचंभित होंगे. पर अमीर घरानों की लड़कियों का ऐसा व्यवहार स्वाभाविक ही होता है.
वैसे मेरी खुशी ऐसी नहीं है. उसका व्यवहार वैसा ही था जैसे कोई जानवर अपने नवजात शिशु की चिंता में असहज होता है।

खुशी की आँखों में मेरे लिए वही चिंता थी. लेकिन मेरी खुशी अपनी बेबसी के चलते कुछ कर भी नहीं सकती थी. इसलिए उसने ऐसा रूप धरा था.
खैर जो भी हो … नेहा के साथ बुरा हुआ था.
‘मैं अब उससे कैसे नजरें मिलाऊंगा’ सोच ही रहा था कि मेहंदी वाली से नजर मिल गई।

मैंने नजर मिलते ही मुस्कुरा के नाम पूछा तो उसने कहा- सर मेरा नाम हीना है।
मैंने नाम दोहराया- हीना! बहुत अच्छा नाम है!

बातें करते हुए हम कमरे में आ गए थे. मैंने हीना को पहले कमरे में जाने दिया. फिर पीछे से मैंने दरवाजा लॉक करके अंदर आया.
यकीन मानिए … मेरा इरादा गलत नहीं था. पर अनलॉक दरवाजे से भाभी अंदर आ गई थी. तबसे मैंने सोच लिया था कि ऐसी गलती मुझे बड़े संकट में डाल सकती है।

खैर हीना ने मुझे हाथ धोकर सुखा कर एक जगह बैठ जाने के लिए कहा.
तो मैंने बिस्तर पर एक तौलिया बिछाया जहां पर मेंहदी गिरने की संभावना थी. और मैं हीना के निर्देश का पालन करते हुए बैठ गया.
मेरे सामने हीना खुद भी बैठ गई.

उसने एक बैग साथ रखा था. जिसमें से उसने एक बॉक्स निकाला, उसमें मेंहदी और कुछ उससे संबंधित कुछ सामान रखे थे।

पहले उसने मुझे एक मेंहदी पुस्तक देखकर डिजाइन पसंद करने को कहा.
मैंने भी कह दिया- बिना पुस्तक देखे कोई अपने मन का डिजाइन बना दो. तब तो तुम्हारे हुनर का पता चलेगा।

उसने भी मुस्कुरा के जी सर कहा.

फिर मेरे हाथों पर कोई तरल चीज लगाई. फिर एक हाथ को एक कपड़े से पौंछा और मेंहदी लगानी शुरू कर दी।

उसके नर्म हाथों की छुवन मेरे हाथों पर निरंतर पड़ रही थी. उसके शरीर का स्पर्श मुझे उत्तेजित कर रहा था. वो तो मेंहदी लगा रही थी पर मुझे कोई काम ना था. इसलिए मैं बड़ी तसल्ली से उसे निहार रहा था. उसके अंग-अंग और हर कटाव को मैंने नजरों से नाप डाला।

जब हम साथ चल रहे थे तो उसकी ऊंचाई मेरे कंधों तक थी. शरीर बहुत ही कसा हुआ सुडौल, लेकिन हीना गदराये बदन की मल्लिका थी. लगभग 36 के स्तन और 38 के कूल्हों का अनुमान हो रहा था.
जब मैं उसे जी भर निहार रहा था, तब मैंने महसूस किया कि उसे भी मेरी इस हरकत का पता है।

मैं उससे बीच-बीच में बातें भी कर रहा था. उसके जॉब, घर, पढ़ाई, कंपनी सबके बारे में हमारी बातें होती रही.

अब वो मेंहदी लगाते हुए बारीक कारीगरी पर पहुंची तो उसने अपने दोनों पैर थोड़े पीछे कर लिये. वो सामने की ओर मेरे हाथों के करीब चेहरा लाकर झुक गई. जिससे मुझे उसके शामदार स्तन के दर्शन होने लगे।

वैसे उसने कपड़े सलीके से पहन रखे थे. फिर भी वो मेरे सामने जिस अवस्था में थी, उस अवस्था में मेरे सामने नजारा स्पष्ट हो गया।
उसका दूधिया रंग और नर्म बदन मेरे होश उड़ा रहा था, मेरे लिंग में तनाव आ चुका था, मेरा ध्यान भटकने लगा था.

मैंने उसे पहले पूछ चुके ही सवाल दोहराने शुरू कर दिये।
उसे अटपटा तो लगा. पर उसने जवाब देते हुए एक हाथ पर मेंहदी का काम पूरा कर लिया.

और तब वो सर को उठा कर ठीक से बैठी. लगभग आधा घंटा हो चुका था. इसलिए उसे कमर भी सीधी करनी थी.
उसने कमर सीधी की और मुझसे नजरें मिल गई. मैं अब भी बेशर्मों की तरह उसके उभार पर ही नजरें गड़ाया हुआ था।

मेरी इस हरकत पर वो हड़बड़ा सी गई उसने दुपट्टा ठीक करते हुए ऊपर तक ढक लिया.
मैंने उसे कह भी दिया- अब ढकने का क्या मतलब. मैंने सब कुछ देख ही लिया।
वो कुछ ना बोली और मुस्कुराते हुए मेरे दुसरे हाथ में मेंहदी लगाने लगी।

मैंने पहले हाथ की मेंहदी को देखकर कहा- सचमुच तुम्हारी बनाई मेंहदी बहुत खूबसूरत है, पर तुमसे ज्यादा नहीं!
मेरी बातों का असर बाहर से नहीं दिखा.

पर उसकी दबी हुई मुस्कुराहट बता रही थी कि अंदर तक असर हो रहा है।

फिर मैंने सोचा क्यों ना कुछ और बातों पर छेडूं. क्या पता मामला फिट हो जाए.
यही सोचकर मैंने कहा- हीना, एक पर्सनल बात पूछूँ?
हीना ने कहा- जी पूछ सकते हैं सर!

मैंने कहा- क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
हीना ने कहा- नहीं है सर!
मैंने तुरंत कहा- झूठ, तुम झूठ बोल रही हो।
हीना ने कहा- नहीं सर. मेरा यकीन कीजिए. मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।

मैंने कहा- यार ये कैसे हो सकता है कि कोई भी लड़का इतनी खूबसूरत लड़की के पास ही ना आये?
हीना ने अपना काम करते हुए ही कहा- मैंने ऐसा भी नहीं कहा सर. एक लड़का मेरे पास आया था. पर मेरे अब्बू बहुत गरीबी में मुझे पढ़ा रहे हैं. मैं बॉयफ्रेंड बनाती तो मेरी पढ़ाई बर्बाद हो जाती. यही सोचकर मैंने उसे बॉयफ्रेंड नहीं बनाया. और अपनी पढ़ाई से समय निकालकर ये पार्टटाइम जॉब कर रही हूँ।

मैंने बात पकड़नी चाही- बॉयफ्रेंड नहीं बनाया और करीब भी आया. मतलब तुम लोगों ने सेक्स किया था क्या?
अब उसने दो मिनट के लिए काम रोका और उठकर मुझसे नजरें मिलाकर देखा.
मुझे लगा कि अब डाँट ही देगी. लेकिन वो फिर झुककर काम में लग गई।

लेकिन मैं तो जैसे पीछे ही पड़ गया था. मैंने कहा- बता दोगी तो मैं तुम्हारे अब्बू को बताने नहीं चला जाऊंगा! और आजकल तो चलता है.
इस बार मैं हीना के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा था. पर कोई जवाब नहीं आया.
तब मैंने फिर दोहराया- तुमने उसके साथ सेक्स किया था या नहीं?

इस बार उसने झुके हुए ही सर हाँ मे हिलाया.
और मेरा लंड़ फुंफकार उठा.

मैंने फिर सवाल किया- अच्छा बताओ कितनी बार किया है?
अब उसने सर झुकाये ही कहा- प्लीज सर. ये सब मत पूछिये. नहीं तो मैं शर्म के मारे मर जाऊंगी।

मैंने भी रहम किया, कुछ देर शांत रहकर उसकी चुदाई के उपाय सोचने लगा और उसके बदन को निहारते रहा.

फिर मेरे आनंद के समापन का समय भी आ गया. मेरे दूसरे हाथ में भी मेंहदी लग चुकी थी.
मैंने हीना की जमकर तारीफ करते हुए कह दिया- दिल चाहता है तुम्हारे हाथ चूम लूँ।

उसने कहा- दिल तो बहुत कुछ चाहता है सर! पर दिल की सारी ख्वाहिशें पूरी करना मुनासिब भी तो नहीं है!
मैंने हम्म्म करते हुए कहा- लेकिन एक और प्राब्लम है. मुझे तुम्हारी बनाई मेंहदी तुरंत ही धोनी पड़ेगी।

तो हीना ने बेचैनी से पूछा- क्या हुआ सर, मेंहदी की डिजाइन पसंद नहीं आई क्या?
तो मैंने कहा- अरे ऐसी बात नहीं है, डिजाइन तो तुमने बहुत खूबसूरत बनाई है पर मुझे जोर सो शुशु लगी है, तो कपड़े खोलने से पहले मेंहदी तो धोनी पड़ेगी ना!

हीना का चेहरा एकदम से उतर गया. उसे अपनी पूरी मेहनत बर्बाद होती दिखी.

फिर मैंने उसकी आँखों में आँखें डाली और कहा- अगर कोई होता जो मेरे कपड़े उतार के शुशु करवा देता तो मुझे मेंहदी नहीं धोनी पड़ती।
वो चुप खड़ी रही जिसे मैंने मौन स्वीकृति समझा.

मैंने कहा- अगर तुम्हें कोई प्राब्लम ना हो तो मेरी इतनी मदद कर दो.
लेकिन हम दोनों एक दूसरे की आँखों में झाँकते हुए स्तब्ध खड़े थे जैसे हम भविष्य के सारे करार अभी ही कर लेना चाहते हों।

क्या हीना की चुदाई होगी? क्या मैं नेहा को मना पाया? जानने के लिए कहानी के साथ बने रहें. रोमांटिक कहानी जारी रहेगी.
आपको ये कामुक कहानी कैसे लग रही है, आप अपनी राय इस पते पर दे सकते हैं।

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