एक ही घर की सब औरतों की चुदाई -3

(Ek Hi Ghar Ki Sab Aurton Ki Chudai-3)

This story is part of a series:

मेरा नाम राज शर्मा है। यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई के परिवार की है.. जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं।

इस घटना में उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की दास्तान है.. जिसकी उम्र 23 साल की थी.. और उसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।

अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी।

रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी, यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।

रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछा- तुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है.. कुछ परेशानी है क्या उसे?
वो बोली- हाँ.. वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है.. पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है.. तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है।

मैंने बोला- तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले.. तो सास खुश हो जाएगी ना..

वो नीचे से चूतड़ को उछाल कर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- वो ही तो नहीं हो रहा है ना.. ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं.. पर कामयाबी नहीं मिल रही है।

मैंने मजाक में कहा- एक बार मैं कोशिश कर लूँ.. शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली.. अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले.. शायद उसका काम बन जाए।

वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ। मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोच कर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा.. फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?

मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझ से चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो इसका किसी को पता नहीं चला.. तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।

वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो.. मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो.. जोर से चोदो.. कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को.. तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता.. अब डाल भी दो न.. फाड़ डालो मेरी चूत को..

मैंने लौड़ा पेल कर उसको चोद दिया.. पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की।

अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी।

वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था।

मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है।
आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवा कर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए.. ताकि उसे शक ना हो।

फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियाँ व चूत सहलाई.. और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए.. ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शरमाए नहीं।
इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया।

अगले दिन वो वापस चली गई व ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई.. वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी।
अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबा कर चोदना चाहता था.. जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।

मेरा दोस्त वह मार्केटिंग का काम करता था.. इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था.. इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है.. इसका किसी को पता नहीं चलता था।

वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुला कर चोद चुका था। उस के घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।

मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी.. तो वो भी ‘हाँ’ बोले।

मैं जब भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूँगा.. तो हम फंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया।

मैंने भी 15 दिन की नाइट डयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा।

मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला।

वो बाहर ही मिल गई.. उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है।

उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियाँ मसलने लगा।
जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा।

मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शरमाना.. इन 15 दिनों के लिए समझना.. मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुल कर चुदोगी.. तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा।

वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हूँ।

मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ.. बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ.. कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं.. वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं.. वो भी कभी-कभी..

मैं बोला- तो अब देखो.. इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा.. बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसी लिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना.. मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं।

अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शरमा रही थी।

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कहानी जारी रहेगी…
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