तनु- मेरा पहला प्यार-2

(Tanu Mera Pahla Pyar- Part 2)

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फिर तनु की चूत के ज़ी-पॉन्यट को रगड़ने लगा।

तनु ने मस्त होकर अपनी आंखे बंद कर ली। मेरा लण्ड तनु की जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। तनु ने मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया और अपने हाथ में दबाने लगी। लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। तनु मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगी। मैं तनु की चूत मारने को बेताब हो रहा था।

मैंने तनु को कहा ‘प्लीज़! तनु! प्लीज़! बहुत मन हो रहा है। प्लीज़! हम कर लें क्या?’

तनु कुछ नहीं बोली। मैंने इसे ही तनु की हाँ समझ लिया।

मैं तनु के ऊपर लेट गया। तनु का नंगा जिस्म मेरे नीचे दबा हुआ था। वो मदहोश होने लगी और उसकी आंखें बंद होने लगी। मैं उसके बूब्स चूसने लगा। वो बस सिसकारियाँ ले रही थी।

मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी, वो मछली की तरह छटपटाने लगी और अपने हाथों से मेरा लण्ड टटोलने लगी। मेरा लण्ड पूरे जोश में आ गया था और पूरा खड़ा हो कर लोहे जैसा सख्त हो गया था।

वो मेरा लण्ड पकड़ कर जोर जोर से हिलाने लगी। फिर तनु मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगी। कुछ देर बाद तनु की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था।

अब मैंने उसकी टांगें चौड़ी की और अपने 8″ लम्बा और 3″ मोटे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर धीरे से उसकी चूत में घुसा दिया। वो चिल्लाने लगी ‘प्लीज़ इसे बाहर निकालो, मैं मर जाऊँगी!’

मेरा और तनु का यह पहला ही सैक्सपिरियन्स था और मैंने पढ़ भी रखा था और अपने कुछ सैक्सपिरियन्स दोस्तों से सुन भी रखा था कि पहली बार लड़की की चूत में लण्ड घुसाने से लड़की को बहुत दर्द होता है और खून भी निकलता है।
इसलिए मैं वहीं रुक गया और उसे प्यार से सहलाने लगा, उसके बूब्स चूसने लगा।

फिर मैंने तनु को अपनी बाँहो में भर लिया, अपने जलते हुऐ होंठ तनु के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए।

कुछ देर बाद उसका दर्द भी कम हो गया। मैंने फिर जोर से एक झटका मारा और मेरा लगभग 3′ लण्ड उसकी चूत के अंदर घुस गया। उसकी आंख से आंसू निकल आये थे।

मैं फिर रुक गया और उसे फिर से प्यार से सहलाने लगा। तनु सिसक रही थी। फिर थोड़ी देर बाद मैंने तीसरा और आखिरी धक्का दिया तो मेरा पूरा लण्ड तनु के कौमार्य को चीरता हुआ चूत में समा गया।

तनु के मुँह से जोर से आह निकली और वो जोर से चिल्लाई ‘आहह्ह, मर गई।’ और उसने अपने दोनों हाथों से बैड के गद्दों को पकड़ लिया।

मैं रुक गया और बोला ‘प्लीज़! तनु, अब दर्द नहीं होगा।’

उसने बैड के गद्दों को छोड़ कर मुझे अपनी बाँहो में से कस लिया। मैंने भी तनु को अपनी बाँहो में भर लिया। मेरा पूरा लण्ड तनु की चूत के अन्दर समाया हुआ था। जब थोड़ी देर में वो सामान्य हो गई तब उसने मुझे अपनी बाँहो में पूरी ताकत से कस लिया और हम एक दूसरे में पूरे तरीके से समा गए थे।

कुछ देर हम ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहे। तब मैं धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत में आगे-पीछे करने लगा। अब उसका दर्द भी खत्म हो गया था, वो जोश में आ रही थी और अपनी कमर हिलाने लगी थी।

उसकी चूत में से खून बाहर आ रहा था जो इस बात का सबूत था कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी थी और आज उसकी सील मैंने तोड़ी है। उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा लण्ड बहुत मोटा इसलिए बहुत मजा आ रहा था।

मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से तनु की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था।

फिर कुछ देर बाद तनु ने अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी। अब मेरा लण्ड तनु की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं तनु की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मार रहा था।

हम दोनों सैक्स के नशे में चूर हो रहे थे। तनु को भी मजा आने लगा था। वो जोर जोर से अपने चूतड़ हिला रही थी और मैं तेज़ तेज़ धक्के मार रहा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी।

उसने मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लिया। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स ऊपर-नीचे कर रही थी।

जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स पीछे खींच लेती।
मैं तेज-तेज धक्के मार कर तनु को चोदने लगा।

फिर मैं बैड पर हाथ रख कर तनु के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड तनु की चिकनी चूत में तेजी से आ-जा रहा था। तनु भी अब आँखें खोल कर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। वो मदहोश हो रही थी।

मैंने रुक कर तनु से पूछा,’तनु! अच्छा लग रहा है क्या?’

तनु बोली ‘हाँ बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज़! रुको मत। तेज-तेज करते रहो। ओर हा प्लीज़! मेरे अन्दर डिस्चार्ज मत होना। मुझे डर लगता है। कहीं कुछ हो ना जाये। इसलिये प्लीज़! जैसे ही तुम होने लगो तो इसे बाहर निकाल लेना और बाहर ही डिस्चार्ज हो जाना। प्लीज़! ध्यान रखना। कहीं मेरे अन्दर मत हो जाना। जैसे ही होने लगो तो इसे तुरन्त ही बाहर निकाल लेना। ओके। चलो अब रुको मत। और तेज-तेज करते रहो।’

तनु के मुँह से ये सुन कर मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। मैंने तनु के हिप्स को हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शाट मार कर तनु को चोदने लगा।

तनु के मुँह से मस्ती में निकल रहा था,’ओह्ह्ह होहोह सिस्स्स्स ह्ह्हह्ह हाहाह्ह आआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़! तेज-तेज करो।’

तनु ने अपने हाथों से मेरी कमर को जकड़ लिया और अपनी टांगें ऊपर की तरफ करके मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली।

मैं तनु के होंठों अपने होंठों से चूसते हुऐ उसे तेजी से चोदने लगा। मेरा लण्ड सटासट तनु की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं तनु की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मार रहा था।

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ने वाली थी, तभी हम दोनों एक साथ अकड़ गये। एक साथ जोर जोर से धक्के मारने लगे।
फिर अचानक तनु ने मुझे कस कर अपनी बाँहों में भर लिया। उसने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग करके एक जोर से आह भरी। मैं समझ गया कि तनु डिस्चार्ज हो गई है। मैं थोड़ा रुक सा गया।

तभी तनु मेरे कान में फुसफुसा कर बोली,’राज, मैं तो हो गई हूँ। प्लीज़! तुम भी जल्दी से हो जाओ। और हाँ प्लीज़! मेरे अन्दर मत होना। मुझे डर लगता है। जब तुम होने लगो तो इसे बाहर निकाल लेना और मेरे बाहर ही डिस्चार्ज हो जाना। प्लीज़! जैसे ही होने लगो तो इसे तुरन्त ही बाहर निकाल लेना। ओके। चलो अब रुको मत। ओर तेज-तेज करके जल्दी से हो जाओ।’

मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा। लगभग 1 मिनट तक तनु को तेज-तेज चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड तनु की चूत के बाहर खींच लिया और उसकी चूत के ऊपर डिस्चार्ज हो गया।

तनु की चूत के काले घुंघराले बालो में मेरे वीर्य की बून्दें लाल रौशनी में चमक रही थी।

फिर मैं उसकी बगल में लेट कर अपनी तेज चलती साँसों के सामान्य होने का इन्तज़ार करता रहा।

फिर मैंने अपने अन्डरवियर से तनु की चूत के ऊपर पड़े अपने वीर्य को साफ कर दिया और फिर तनु की बगल में लेट गया।

तनु भी मेरे साथ अपनी आँखें बंद करके लेटी हुई अपनी सांसों के काबू में आने का इंतजार कर रही थी।

फिर हमने उठ कर कपड़े पहन लिये। बैड की चादर पर तनु की चूत से निकला खून पड़ा था। मैंने तुरन्त डस्टिग़ वाला कपड़ा लेकर चादर से खून साफ कर दिया और पंखा चला दिया ताकि चादर जल्दी सुख जाए।

तनु घर जाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

फिर मैंने उससे कहा ‘प्लीज़! कुछ देर ओर रुको ना।’

वो अपना हाथ छुड़ाने लगी और बोली,’क्या करते हो? दीदी और अंकल-आन्टी आने वाले होंगे। मैं जा रही हूँ।’

वो जाने लगी। मैंने उसे धकेल कर दिवार से सटा दिया, उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के उपर से उसके स्तनों को दबाने लगा।

वो एकदम छिटक कर अलग हो गई और बोली,’क्या करते हो? बड़े गन्दे हो। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं है।’

उसने हाथ हिला कर बाय किया। फिर वो दरवाजा खोल कर तेजी से अपने घर जाने लगी। मैं उसे जाते देखता रहा।

मेरा तनु के साथ ये मेरा पहला और आखिरी सैक्सपिरियस था। इसके बाद हम चाहते हुऐ भी दोबारा सैक्स नहीं कर सके क्योंकि पहले तो बारहवीं के पेपर, फिर दोबारा इतने समय के लिये ना मिल पाना तथा पेपर के बाद तनु के पापा का जीन्द ट्रांस्फर हो जाना।

पेपर के बाद तनु अपने परिवार के साथ जीन्द चली गई। फिर चाहते हुऐ भी दोबारा नहीं मिल सके और हमारे प्यार की कहानी यहीं खत्म हो गई।

सो तनु आज तुम कहाँ हो। अगर तुम ये कहानी पढोगी, तो जरुर मुझे पहचान लोगी। और अगर पहचान लिया है तो प्लीज़! मुझे मेल करो…
तुम्हारा राज।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये सेक्स कहानी।
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