दोस्ती में फुद्दी चुदाई-4

(Dosti Mein Fuddi Chudai-Part 4)

This story is part of a series:

दोस्तो, एक बार फिर से मैं समर हाज़िर हूँ आपके साथ इस कड़ी की चौथा भाग लेकर!

मुझे यकीन है कि आप लोगों को मेरी पिछली कहानियाँ पसंद आई होंगी..

काफी लोगों ने मेरी कहानियाँ पसंद की उन सभी का धन्यवाद।

दोस्तो, मुझे काफी मेल्स आये, सबका जवाब देना तो मुश्किल है लेकिन यथासंभव मैंने कोशिश की है आपस बातें करने की…

तो अगर मैं कभी जवाब नहीं दे पाया हूँ तो माफ़ करें।ज्यादा वक़्त ना लेते हुए.. आइये कहानी में चलते हैं।

साक्षी और मेरी रासलीला यूँ ही जारी थी लेकिन अब तक साक्षी की चुदाई नहीं कर पाया था।

कहानी में ट्विस्ट आया जब साक्षी का बॉयफ्रेंड उससे मिलने आया।

एक रविवार साक्षी और उसका बॉयफ्रेंड मिले और जम के चुदाई की..

अगले सोमवार साक्षी ने मुझे बताया- समर, कल पूरा दिन मैंने अमित के साथ बिताया।

मैंने पूछा- सिर्फ बिताया या फिर कुछ किया भी.. ह्म्म्म?

साक्षी- सब कुछ किया, अब इतने दिनों बाद आया है तो इतना तो बनता ही है ना.. उसका।

‘अच्छा और मेरा फ़ायदा..?’ मैंने पूछा।

साक्षी- तुम तो रोज ही उठाते हो स्वीटू.. और क्या चाहिए मुझसे अब?

‘वही जो अब तक मिला नहीं है मेरी जान..’ मैंने हँसते हुए कहा।

साक्षी- वो तुम्हें नहीं मिल सकता.. क्योंकि उस पे किसी और का हक़ है.. अच्छा सुनो ना… सुनो ना.. मुझे कुछ चाहिए तुमसे।

उसकी बातें सुनकर झांटें तो सुलग गई थी.. क्योंकि अपनी पहली चुदाई से आज तक जिस लड़की की चाही थी ली थी, और यह रंडी चार जगह मुँह मारती है और मुझे मना कर रही है, लेकिन कुछ सोच कर चुप रहा।

साक्षी- मुझे आई-पिल ला दो ना प्लीज।

मैं बोला- मैं क्यों लाऊँ? जिससे चुदाया है उसी से मांगो.. कंडोम चढ़ा के चुदना था, वैसे भी 3 दिन मार्किट बन्द रहेगा।

साक्षी- ला दो ना प्लीज… वैसे उसने छुटाया तो बाहर ही था फिर भी सेफ्टी के लिए ला दो ना।

और उसने अपने बॉयफ़्रेंड को फ़ोन किया और मेरे कान में लगा कर पूछा- ..जानू तुमने अंदर तो नहीं डाला था ना?

उधर से आवाज़ आती है- नहीं बेबी, डाला था… अंदर पूरा गहराई तक डाला था, तभी तो तुम्हारी चीखें निकली थी.. हा हा हा।
साक्षी- मजाक मत करो, तुम्हें पता है कि मैं क्या पूछ रही हूँ, तुम्हारा वीर्य तो नहीं रह गया था ना मेरे अंदर।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

उधर से आवाज़ आती है- नहीं नहीं बेबी, बाहर निकाल लिया था तब तक।

मैं बोला- तो क्या जरूरत है लाने की तुम्हारी आई-पिल।

साक्षी- हाँ, लेकिन अगर गलती से ही सही, कुछ रह गया हो तो.. इसलिए।

मैंने बोला- नहीं लाता… मेरा क्या फ़ायदा इसमें? ऊपर से ट्रांसपोर्ट स्ट्राइक… तुम चुदो किसी और के साथ और तुम्हारे बच्चे पैदा होने से रोकू मैं.. समझ क्या रखा है?
मैंने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।

साक्षी- प्लीज ले आओ ना सैम.. तुम जो कहोगे मैं करूँगी.. तुम तो जानते हो ना, अगर बच्चा रह गया तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी।
मैं बोला- कुछ भी… जो भी… मैं कहूँ? सोच लेना? तू पीछे हट जाएगी एक बार तुझे लाकर दे दी तो।

साक्षी- नहीं बाबा.. मैं प्रॉमिस करती हूँ.. तुम जो कहोगे वो करुँगी.. पक्का वादा।

‘पक्का वादा.. अच्छा तो आ जा!’ फिर मैं बोला।

मेरे दिमाग में खुराफात जन्म ले चुकी थी, शाम के 4 बज चुके थे, कॉलेज बंद हो रहा था, साक्षी को मैं एक कोने में ले गया और साक्षी अपने आप मुझे खुश करने को मेरे होंठों को चूसने लगी।

लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और ही था.. मैंने अपने पैंट की ज़िप खोली, अपना तना हुआ लण्ड बाहर निकाला और एक कुटिल मुस्कान के साथ साक्षी से बोला- आज मेरे होंठों को तुम्हारी जरूरत नहीं, बल्कि थोड़ा नीचे है।
साक्षी ने पहले तो थोड़ा ना नुकुर किया लेकिन थोड़ा गुस्सा दिखाते ही मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर लौलीपॉप जैसे चूसने लगी।

मैं थोड़ा नीचे होकर बैठ गया और साक्षी की मोटी लटकती चूचियों को मसलने लगा।

जाहिर था कि साक्षी को लण्ड चूसना पसंद नहीं था इसलिए मैं अपना लण्ड उसका सर पकड़ के अंदर बाहर करने लगा।

थोड़ी देर में मेरे लण्ड ने साक्षी के मुँह के अंदर ढेर सारा वीर्य बहा दिया.. जिसे वो किसी तरह निगल गई।

मैंने साक्षी को चूमा और क्योंकि कॉलेज की छुट्टी थी तो उसे बोला कि लीव के लिए अप्लाई कर दे, कल लेने आऊँगा वही चल कर खा लेना आई-पिल ओके।

साक्षी भी रुआंसा मुँह बनाते हुए.. मज़बूरी में हाँ कर के जाने लगी।

मैंने साक्षी को रोका और बोला- अगर तू नहीं आना चाहती और कुछ नहीं करना चाहती तो मत कर, मैं तुझ पर दवाब नहीं डाल रहा… कल होस्टल दे जाऊँगा।

और चलने लगा।

इस पर साक्षी ने मुझे पीछे से जफ्फी डाली और मुस्कराते हुए बोली- कल मिलते हैं.. कल तुम्हारा लकी डे होगा।

मैंने पीछे मुड़ के देखा तो उसकी आँखों में आँसू की बूंद भी झलक आई थी..

पता नहीं क्यों यह देख कर मैंने उसे गले लगाया और घर चला आया।

अगले तीन दिन मार्किट बन्द रहने वाला था ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल की वजह से… इस वजह से मुझे रात में ही गर्भ-निरोधक और कंडोम्स लेने शहर की दवा मंडी आना पड़ा।

अगली सुबह मुझे रूम का जुगाड़ कर के साक्षी को लेने जाना था..
सुबह हुई तेज बारिश के साथ एक बार तो साक्षी की चूत मारने की पूरी योजना पर पानी फिरता नजर आया..
लेकिन इंद्र देव से मेरी यह बेताबी देखी नहीं गई, बारिश रुकी जरूर लेकिन बस कुछ देर के लिए।

मैं साक्षी को लेने कॉलेज पहुँचा ही था कि बारिश दुबारा आ गई।

थोड़ी देर की चुम्मा चाटी के बाद मेरा लण्ड मेरी जीन्स को फाड़ कर बाहर आने को आतुर था.. जिस पर साक्षी के कोमल मुलायम हाथ मसलते हुए मेरे लण्ड की बैचैनी बढ़ा रहे थे।

कॉलेज तो बन्द ही था, बस एक्का दुक्का गार्ड्स इधर उधर घूम रहे थे, मैंने अपना लण्ड बाहर निकल लिया और साक्षी को पकड़ा दिया और उसकी भारी चूचियों से खेलने लगा..

साक्षी जहाँ कई लण्डों को मसल चुकी थी, मेरे लण्ड के साथ भी खेल रही थी।
इधर मैं उसके नरम होंठों की प्यास बुझा रहा था।

मेरा लण्ड इतना गर्म था कि मैंने साक्षी से बोला कि ब्रा खोल ले !
और उसके कुर्ते को ऊपर तक उठा दिया और उसके चूचियों के बीच में रख कर अपना लण्ड ऊपर नीचे करने लगा।

साक्षी की भी सिसकारियाँ निकलने लगी और वो भी मुझे हवस भरी नजरों से देखने लगी।

मेरे लण्ड का टोपा साक्षी के होंठों पर लग रहा था.. जिसके जवाब में वो बार बार चूम लेती मेरे टोपे को..

कुछ देर में मेरे लण्ड ने पिचकारी मार दी साक्षी के खूबसूरत चेहरे पर।

बारिश चालू थी मेरे लण्ड ने भी बारिश कर दी थी।
अपना चेहरा धोने के बाद साक्षी मेरे गले लगी और आई पिल मांगी..
मैंने कहा- वो तो रूम पे है। चल अभी भीग भी जाएँ तो क्या फर्क पड़ता है, वैसे भी तेरे कपड़े तो उतरने ही हैं ना..

और मेरे होंठों पर एक कुटिल मुस्कराहट आ गई।

साक्षी भी मुस्कराते हुए मेरी बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गई।

मेरी पीठ पर साक्षी के भारी चूचे चिपके हुए थे, हर झटके पर पड़ने वाली रगड़ मेरे शरीर में सनसनी पैदा कर रही थी.. ऊपर से बारिश उसमे जैसे आग लगा रही थी।

हम पूरे भीग गए थे और रास्ते में साक्षी के झीने कपड़ों से झांकते हुए उसके जिस्म को हर राहगीर देख रहा था।

कुछ लड़के मेरी बाइक के पीछे ही चला रहे थे और मैं जानबूझ कर धीरे चला रहा था।

बाइक की पतली सीट पर साक्षी की मोटी गाण्ड नहीं समां पा रही थी..
जिसे देख कर एक कार में बैठा लड़का अपना लण्ड निकाल कर साक्षी को दिखाने लगा।

यह सब देख कर मेरा लण्ड भी तन चुका था.. मैं जल्दी से जल्दी रूम में पहुँच कर साक्षी को चोदना चाहता था।

दोस्तो, इसके बाद क्या हुआ, मैं अगले भाग में बताता हूँ..
एक और आपबीती के साथ।

आप अपने विचार मुझे मेल कर के बता सकते हैं।

 

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