जंगल में मेरी फुद्दी की चुदाई -1

(Jungle Me Meri Fuddi Ki Chudai-1)

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

आप सबने मेरी पिछली कहानी ‘भैया का दोस्त’ पढ़ी और उस कहानी को आप लोगों ने बहुत पसंद किया। मुझे बहुत अच्छा लगा। उसके लिए मैं आप सभी का आभार प्रकट करती हूँ

एक बार फिर मैं आप के सामने अपनी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हुई हूँ। आशा करती हूँ, आप लोगों को पसंद आएगी यह आपबीती।

मेरी पिछली कहानी ‘भैया का दोस्त’ जो मैंने लिखी थी। उसी के बाद जो हुआ, आज मैं यहाँ वहीं लिखने वाली हूँ। तो अब मैं अपनी कहानी शुरू करती हूँ।

उस चुदाई के बाद अगली सुबह प्रदीप ने ही अपनी कार मैं मुझे मेरे घर छोड़ा और जाते जाते उसने मुझे से मेरा मोबाइल नंबर लिया और वो चला गया। मैं भी घर आ गई।

उसके बाद प्रदीप अक्सर मुझे फ़ोन करने लगा और मैं घंटो घर में छुप कर उस से बातें करने लगी। कभी-कभी जब घर में कोई नहीं होता था तो मैं प्रदीप के साथ फ़ोन सेक्स भी किया करती थी। मुझे उससे बातें करना बहुत अच्छा लगता था। प्रदीप हमेशा मुझे कहता कि रोमा मुझे तुम से फिर से मिलना हैं, पर मैं हर बार उसे मिलने से मना कर देती थी।

एक दिन तो प्रदीप बहुत ज़िद करने लगा कि उसे मुझे से मिलना ही है। मैंने फिर उसे मना कि पर वो नहीं माना और कहने लगा कि कल वो आ रहा है और मैं उस से मिलूँ नहीं तो वो मेरे घर ही आ जाएगा।

मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और मैंने कहा- हाँ मैं कल तुम से मिलूंगी।

पर मैंने उसे यह साफ-साफ कह दिया कि मैं तुमसे आखिरी बार मिल रही हूँ। इसके बाद मैं तुमसे नहीं मिलूँगी और तुम मुझे मिलने के लिए मजबूर नहीं करोगे।

प्रदीप ने कहा- ठीक है।

मैंने कहा- मुझे प्रोमिस करो।

प्रदीप ने मुझसे वादा किया और फिर हमने अगले दिन मिलने का समय तय किया। प्रदीप ने मुझे कहा कि वो कल शाम 4 बजे मेरे ही घर के पास मेरा इन्तजार करेगा।

मैंने कहा- ठीक है, कल मिलते हैं।

अगले दिन मैं तैयार हुई और घर में मम्मी को कहा- मम्मी आज मेरी एक फ्रेंड का बर्थ-डे है। मैं उसके बर्थ-डे पार्टी में जा रही हूँ। आने मैं थोड़ी देर हो जाएगी !

तो मम्मी ने मुझे परमीशन दे दी, मैं घर से निकल गई और प्रदीप को फ़ोन किया कि वो कहाँ है?

उसने कहा कि वो मेरे घर के राईट साइड में जो चौराहा है, वो वहीं खड़ा है। मैं जल्दी जल्दी वहाँ पहुँची। प्रदीप की कार चौराहे के थोड़े साइड में खड़ी थी और प्रदीप भी कार के बाहर मेरा इन्तजार करते हुए खड़ा था। मैं जाकर उससे मिली, फिर हमारी थोड़ी बात हुई।

उसके बाद प्रदीप ने कहा- चलो रोमा कार में बैठो, हम कहीं लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।

मैं कार में बैठ गई। प्रदीप ने भी कार स्टार्ट की और वो कार चलाने लगा। प्रदीप मुझ से रोमांटिक बातें किए जा रहा था। कुछ ही समय बाद हमारी कार सिटी के बाहर आ गई थी।

मैंने प्रदीप से कहा- प्लीज़ प्रदीप, बताओ तो कि हम कहाँ जा रहे हैं?
प्रदीप कहने लगा- रोमा हम वहीं जा रहे हैं जहाँ कोई आता-जाता नहीं।

अब हमारी कार क्योंकि सिटी से बाहर आ गई थी, इसलिए अब प्रदीप की मस्ती चालू हो गई थी। उसका एक हाथ कार के स्टेयरिंग से हट कर मेरे सीने के ऊपर आ गया और वो बूब्स को दबाने लगा।

मैंने उसके हाथ हटाया और कहा- प्लीज़, तुम कार ठीक से चलाओ।

पर प्रदीप नहीं मान रहा था। कभी वो बूब्स को दबाता तो कभी मेरी जींस के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाता। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं बार-बार उसका हाथ हटाते जा रही थी पर वो नहीं मान रहा था। उसने कार चलाते-चलाते ही अपनी पैन्ट की ज़िप खोली, और लंड को बाहर निकाल कर मेरा एक हाथ पकड़ कर मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया।

प्रदीप का लंड मेरे हाथ में आते ही मेरे अंदर भी कुछ गर्मी सी आ गई और मैं उसका लंड सहलाने लगी।

प्रदीप ने अब कार को हाइवे से उतार कर एक कच्चे रास्ते पर डाल दिया जो जंगल के अंदर जा रहा था।

मैंने प्रदीप से पूछा- ये तुम कार को कहाँ ले जा रहे हो?

प्रदीप ने कहा- तुम चुपचाप बैठी रहो। हाइवे पर कार खड़ी करना ठीक नहीं होता। इसलिए हम कच्चे रास्ते से जंगल के अंदर जा रहे हैं। मैंने यह जगह देखी हुई है, बहुत अच्छी जगह है, यहाँ कोई आता-जाता नहीं है। यहाँ जंगल के अंदर ही एक छोटा सा झरना है। यह बहुत सुन्दर जगह है। तुम्हें पसंद आएगी।

मैं चुपचाप बैठी प्रदीप के लंड को सहला रही थी।

जंगल के अंदर कुछ दूर जाकर प्रदीप ने एक जगह कार को खड़ी किया और मुझे कहा- उतरो मैं तुम्हें ये जगह दिखाता हूँ।

मैं कार से उतरी तो देखा कि वहाँ पर एक छोटा सा झरना था। झरने से पानी नीचे गिर रहा था। नजारा बहुत सुन्दर लग रहा था। हमें वहाँ पहुँचने में लगभग आधा घंटा लगा था। उस टाइम 4:30 हो गए थे।

प्रदीप ने कहा- देखा रोमा, मैंने कहा था न, यह जगह बहुत सुन्दर है।

मैं उस झरने को देख रही थी कि तभी प्रदीप मेरे पास आया और मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मैंने भी उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

वो मेरी गर्दन को चूमने लगा। फ़िर उसने मुझे कार से टिका कर मेरी गर्दन को पकड़ कर अपने होंठों को मेरी होंठों पर रख कर उन्हें चूमने लगा। मैं भी उसका साथ दे रही थी।

अब उसके हाथ गर्दन से खिसक कर नीचे आने लगे थे। उसने अपने दोनों हाथों को मेरी कमर तक ले आया और मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर टी-शर्ट को ऊपर उठाने लगा।

उसने टी-शर्ट को मेरे बूब्स तक उठाया और बूब्स को दबाने लगा और साथ ही लगातार वो मेरे होंठो को भी चूमते जा रहा था।

कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह चूमते रहे। उसके बाद प्रदीप ने मेरी टी-शर्ट और ब्रा दोनों उतार दी और कार का पिछला गेट खोल कर मुझे उसने कार की पिछली सीट पर लिटा दिया।

उसने अपनी शर्ट उतार दी फिर वो मेरे ऊपर आ गया। मेरे एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को एक हाथ से दबाने लगा।

मेरे मुँह से अब कामुक आवाजें निकलने लगीं मैं जोर-जोर से ‘आह हह आआ अह ह’ करने लगी।

उसने मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा।
उसने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है तुम्हें रोमा?
मैंने अपनी आँखें मूँद कर धीरे से कहा- अच्छा लग रहा है, प्रदीप और जोर-जोर से चूसो इन्हें।

वो फिर मेरे उरोजों को चूसने लगा और मैं लगातार उस से बोले जा रही थी, “और जोर-जोर से चूसो, प्रदीप बहुत मजा आ रहा है।”

मेरे ऊपर एक नशा सा छा रहा था और मैंने प्रदीप को अपने दोनों हाथों से जकड लिया। अब प्रदीप ने अपने आप को मेरी बाँहों से छुड़ाया और मेरी जींस के बटन खोल कर मेरी जींस को उतारने लगा।

उसने मेरी जींस को पूरी उतार कर आगे की सीट पर रख दी और कहा- रोमा तुम तो आज इस पैन्टी में बहुत सेक्सी लग रही हो।

मैंने उस दिन काले रंग की पारदर्शी पैन्टी पहनी थी। उसने अपना हाथ मेरी चूत पर रखा और उसे पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।

उसने मेरी जाँघ के पास से पैन्टी को खींच कर अलग किया, जिससे मेरी चूत उसे दिखने लगी।
प्रदीप ने कहा- रोमा तुम्हारे ये चूत के बाल भी बहुत सेक्सी लग रहे हैं।

उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी तो मेरे मुँह से एक सीत्कार ‘अह्ह ह्ह्ह’ निकली फिर उसने अपना मुँह मेरी चूत के ऊपर रखा और चूत को चूसने लगा।

मैंने उत्तेजना के मारे उसके सर के बाल पकड़ लिए, उसके सर को अपनी दोनों जाँघों के बीच चूत पर दबाने लगी और जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी।

प्रदीप अपनी जुबान को मेरी चूत के छेद में डालने लगा और मेरी चूत से खेलने लगा।

मैं बहुत उत्तेजक हो गई थी और प्रदीप को कह रही थी, “प्रदीप चूसो मेरी चूत को, खा जाओ उसे।”

प्रदीप अब और जोर-जोर से मेरी चूत को चूसने लगा और मैं भी उसके सर को चूत पर दबाने लगी कुछ देर कि चूत चुसाई के बाद प्रदीप कार के बाहर निकला और अपनी पैन्ट और अंडरवेयर उतार कर कार की आगे की सीट पर रख दिए।

प्रदीप ने मुझे भी खींच कर कार के बाहर किया और कार से एक कुशन को निकल कर कार का गेट लगा दिया और खुद कार के गेट से चिपक कर खड़ा हो गया।

कहानी जारी रहेगी।
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