बोन्टा पार्क में माशूका की चुदाई

(Bonta Park Me Mashuka Ki Choot Chudai)

दीपक 2012-09-05 Comments

मेरा नाम दीपक है, देहली का रहने वाला हूँ। वैसे तो मैंने 35 से ज्यादा फ्रेश लड़कियों के साथ सेक्स किया है, मगर लिख आज पहली बार ही रहा हूँ…

अपने बारे में हर कोई तारीफ़ करता है मगर उस तारीफ़ के लायक कौन है, यह तो आप ही बता सकते हैं… मेरी लम्बाई 5’10” और लंड की लम्बाई साढ़े छः या सात इंच होगी क्यूंकि कभी नापा नहीं।

मेरा पहला प्यार जिसे मैंने प्यार भी किया और इस्तेमाल भी…

वैसे तो हम दोनों एक ही गली में रहते थे जिससे मेरा और उसका एक दूसरे के घर में आना जाना था, हमारी बात भी हो जाती थी और कुछ हरकते भीं।

मेरी माशूका की लम्बाई मुझसे थोड़ी सी कम थी, इतनी कि मैं बिना झुके उसको चूम सकता था। उसका फिगर गज़ब का था, उसके चूचे 34 या 36 होगे और कमर 26 और गांड तो बस ऐसे थी कि फुद्दी कम और गांड मारने का ज्यादा मन करता था…

एक दिन मैंने उसे सुबह सुबह स्कूल से पिक किया और बोंटा पार्क ले गया क्यूंकि मैंने सुना था कि वहाँ कुछ कारनामा भी कर सकते हैं।

हम 8:30 वहाँ पहुँच गए… पार्क में कम ही लोग थे जो जोगिंग कर रहे थे…

पहले मैं उसके साथ बैठे बैठे बात करता रहा फिर जब थोड़ी देर बाद देखा कि पार्क खाली हो गया है तो उसे थोड़ी झाड़ियों में ले गया…
मैंने उससे एक चुन्नी मंगवाई हुई थी, उसे मैंने ज़मीन पर बिछा दिया और उसे लेटने को कहा… वो मुझे बहुत प्यार करती थी इसलिए मेरी बात बिना कुछ बोले मान गई और चुपचाप लेट गई।

मैंने अपने कपड़े नहीं उतारे बस जींस की जिप खोली और उसने स्कर्ट तो पहना ही हुआ था इसलिए उसके कपड़े उतारने की ज़रूरत नहीं थी।

मैंने पहले दस मिनट उसके साथ चूमाचाटी की… जब उसके मुँह से आआह्ह आआ अह्ह्ह की आवाज़ें आने लगी तो मैंने उसकी शर्ट में अपना हाथ डाला और उसकी एक चुच्ची को ब्रा से बाहर निकाल कर दबाने लगा…
उसे मज़ा आ रहा था क्यूंकि वो मेरे बालों में अपना हाथ फेर रही थी…

अब मेरी बदन भी गर्म हो रहा था, मेरी साँसें तेज हो चली थी तो मैंने देर न करते हुए उसके चूचे को अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा जैसे कि वो मुझे दुबारा नहीं मिलेगी…

मैंने उसके स्तनों को इतना चूसा कि वो 2-3 मिनट में ही लाल हो गए और वो मुझसे बचने की कोशिश करने लगी।

थोड़ी देर चूचियाँ चूसने के बाद मेरा मन उसकी फुद्दी को देखने का किया तो मैं धीरे धीरे उसकी छाती से नीचे आने लगा और उसकी स्कर्ट को थोड़ा ऊपर कर दिया ताकि मुझे उसकी फुद्दी के दर्शन हो सकें, जिसके लिए मैं बेताब था…

उसने मेरा हाथ पकड़ने की नाकाम कोशिश की मगर जब शेर भूखा हो तो उसे कोई नहीं रोक सकता… मेरे थोड़ी ताकत लगाते ही उसकी स्कर्ट उसकी जांघों से ऊपर आ चुकी थी और मैं उसकी काली पेंटी के दर्शन आराम से कर सकता था…

उसकी पेंटी देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया मगर पार्क में होने की वजह से मैं उसकी फ़ुद्दी चाटने में वक्त बर्बाद नहीं कर सकता था… देर न करते हुए मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसकी फुद्दी के छेद पर रख कर जोर लगाया।

मगर पहली बार करने की वजह से लंड फिसल फिसल कर भाग रहा था।

मैंने थोड़ा थूक लगाया और जोर का झटका मारा जिससे आधे से ज्यादा लंड उसकी फुद्दी में घुस गया और वो एकदम से चिल्लाई- …दीपक, इस लोहे की डण्डे को बाहर निकालो… मुझे दर्द हो रहा है…

मैंने उसकी आँखों से निकलते आँसू चाटते हुए कहा- बेबी, अब आराम से करूँगा!

मगर उसके शायद ज्यादा ही दर्द हो रहा था क्यूंकि वो बस रोये ही जा रही थी… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं 5 या 7 मिनट ऐसे ही लेटा रहा बिना हिले… अब वो मुझे चूमने लगी थी शायद उसका मन कर रहा था अब चुदवाने का…

मैंने भी धीरे धीरे हिलना शुरु कर दिया। मगर हूँ तो लड़का ही, जब जोश आया तो झटके तेज तेज मारने लगा जिससे मेरा पूरा लंड उसकी फुद्दी में उतर गया…
अब वो चिल्ला कम रही थी और जोश ज्यादा दिला रही थी… उसकी आःह्ह्ह आआआअ की आवाज़ें मेरे कानों के अलावा दूसरे के कानों में भी जा सकती थी…
घास में लेटने की वजह से न तो कोई पोज बना सकता था और न ही आराम से कर सकता था…

10 मिनट झटके मारने के बाद फच फच की आवाज़ आने लगी… मैंने थोड़ा उठकर देखा तो उसकी फुद्दी में से खून निकल रहा था…

मैंने डर के मारे उसे कुछ नहीं बताया कहीं वो घबरा न जाए और मुझे काम भी न करने दे… मैंने फिर अंदर डाल कर झटके मारना शुरु कर दिया…

उसके मुँह से बस ‘आआअह्ह्ह्ह आःह्ह्ह ! फक मी ! ऊऊओ फक मी !’ की आवाज़ें ही आ रही थी और मैं उसकी ये आवाज़ें सुन कर इतने तेज तेज झटके मार रहा था कि मैं भूल ही गया था कि मैं पार्क में हूँ…

25-30 झटकों के बाद मैंने देखा कि मुझे शर्ट से किसी ने पकड़ा और ऊपर उठा दिया…

मैंने ऊपर देखा तो 4 पुलिस वालों ने मुझे घेरा हुआ था…

मैं कुछ बोलता, इससे पहले एक पुलिस वाले ने मेरे एक थप्पड़ मारा और बोला- साले इसे अंदर कर…

थप्पड़ की आवाज़ सुनते ही मेरी माशूका की आँख खुली और वो नजारा देखते ही वहाँ से उठकर भागी और थोड़ा दूर खड़ी हो गई…

मैंने डर के मारे जल्दी से अपना लंड अंदर किया… लंड अंदर करते ही मुझे पर थप्पड़ों की बरसात हो गई… कोई यहाँ से मारता तो कोई वहाँ मारता…

मैं थोड़ा सँभालते हुए बोला- अंकल रुको तो सही, कुछ बोलने का मौका तो दो…

यह सुनते ही वो रुक गए- बोलियो बाद में, पहले जेल चल…

यह सुनते ही मेरी गांड हवा ले गई… सारे पुलिस वाले एक एक करके प्रश्न पूछने लग गए…एक थप्पड़ और एक प्रश्न और थप्पड़ों के असर से मेरे मुँह से सच के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था…

सारी जानकारी लेने के बाद वो मुझे खींचने लगे ! अब मेरी गांड फट कर चार हो गई, मुझे लगा कि आज ये मुझे अपना दामाद बना कर ही छोड़ेंगे।

वे मुझे खींचते हुए ले ही जा रहे थे कि इतने में मेरी सहेली बोली- अंकल प्लीज इसे छोड़ दो… अब से यहाँ नहीं आयेंगे…

तभी पुलिस वाला बोला- जब सात साल के लिए अंदर जायेगा तो यहाँ कैसे आएगा…

अब मैंने ज्यादा देर न करते हुए सीधा बोल दिया- अंकल प्लीज पैसे लो और मुझे जाने दो…

10 मिनट ड्रामा करने के बाद उसने 300 रूपए लिए और तब मुझे छोड़ा…

वहाँ से निकलने के बाद मेरी गांड इतनी फट रही थी कि कार में भी अपनी माशूका से बात नहीं की और चुपचाप कार चलाकर घर ले आया और राहत की साँस ली…

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