पड़ोस के जवान लड़के से चुद गई मैं- 1

(Desi Chut ki Garmi ki Kahani)

डॉली चड्ढा 2020-10-19 Comments

मेरी देसी चूत की गरमी की कहानी में पढ़ें कि कैसे पति से अलग होने के बाद मेरी कामवासना उफान पर थी. मैं अपनी चुदाई के लिए बढ़िया लंड की तलाश में थी.

अंतर्वासना के सभी पाठकों को आपकी चुदक्कड़ दोस्त डॉली का नमस्कार।
दोस्तो, इसके पहले मैंने अपनी कहानी
चूत एक लंड अनेक
आप लोगों की सेवा में प्रस्तुत की थी।

इस कहानी के प्रकाशन के बाद मुझसे संभोग के इच्छुक लड़कों की तो जैसे बाढ़ सी आ गई।

अंतर्वासना के लगभग 3000 से भी अधिक पाठकों ने मेरे साथ संभोग की इच्छा जाहिर की है। लेकिन मैं सभी पाठकों से सविनय अनुरोध करती हूं कि ऐसा संभव नहीं है। कृपया बार-बार इसी बात को दोहरा कर अपना और मेरा समय न जाया करें।

आज मैं अंतर्वासना के पाठकों की फरमाईश पर चुदाई के अपने पुराने अनुभव … अपनी देसी चूत की गरमी की कहानी को आपसे शेयर करने जा रही हूं।

यह बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र लगभग 26 – 27 साल के आसपास की थी और मैं अपने पहले पति को छोड़ कर आ चुकी थी.
हालांकि उस समय हमारा तलाक नहीं हुआ था।

इस समय तक मेरी देसी चूत को लंड खाने की आदत पड़ चुकी थी।

वैसे मेरी चूत ने लंड का स्वाद तो मेरी शादी के पहले ही चख लिया था. लेकिन देसी चूत की गरमी के लिए चुदाई अब मेरे लिए जरूरी हो चुकी थी।

चुदाई ना हो पाने के कारण मैं इन दिनों बहुत बेचैन रहती थी. मैं अकसर अपनी चूत को सहला कर या किसी चीज को अंदर डालकर शांत करने की कोशिश करती थी.
लेकिन मैं अपनी चूत को अच्छे से संतुष्ट नहीं कर पाती थी।

जाहिर है, मेरी चूत लंड के लिए बेचैन थी और मैं भी बारिश की कुतिया की तरह लंड ढूंढ रही थी।

मैं कामकाजी लड़की थी इसलिए मैंने एक बिल्डिंग में फ्लैट किराए पर ले लिया जो कि सबसे ऊपर के माले पर था।
काम से लौटने के बाद मैं अपना अधिकतर वक्त ब्लू फिल्म देखने तथा घर में ही व्यतीत करती थी।

मेरे फ्लैट की एक बालकनी बाजू वाले फ्लैट से लगभग सटी हुई थी। यह बालकनी अक्सर मैं अपने कपड़े सुखाने के लिए इस्तेमाल करती थी. या फिर रात को कभी-कभार बोर होने से इसी बालकनी में बैठकर सिगरेट पी लिया करती थी।

काफी दिनों से यह फ्लैट खाली लगता था।

एक दिन मुझे साथ वाली बालकनी में एक हमउम्र सजीला आदमी दिखाई दिया। उसने मुझे बताया कि वह फ्लैट में नया शिफ्ट हुआ है।

मैंने उसे बताया कि मैं खुद भी कुछ ही समय पहले यहाँ शिफ्ट हुई हूं।

इसके बाद अक्सर यह युवक मुझे बालकनी में दिख जाता था।
इस युवक को देख कर मेरी चूत पैंटी में मुस्कुराने लगती थी।

बहुत बार मैं काल्पनिक रूप से अपने साथ इस युवक को महसूस करके अपनी चूत को सहला लिया करती थी।

पति से अलग रहने के कारण तथा मानसिक तनाव के कारण मेरा झुकाव इस युवक की तरफ स्वाभाविक तौर से हो गया था. मैं मन ही मन इस युवक से संभोग करने का मौका ढूंढ रही थी।

मैं अपनी बालकनी में कपड़े सुखाया करती थी।
एक दिन मेरी एक कुर्ती उड़कर बाजू वाले की बालकनी में जा गिरी।

अगले दिन उस युवक ने मुझे बालकनी से ही मेरी कुर्ती मुझे वापस दे दी।
मैंने मुस्कुरा कर इस युवक का धन्यवाद किया।

रात अचानक मेरे खुराफाती दिमाग में एक आईडिया आया इस युवक से पहचान बढ़ाने का और अपनी देसी चूत की गरमी का इलाज करने का!
मैंने अपनी एक सेक्सी वाली ब्रा उसकी बालकनी में फेंक दी, ताकि अगले दिन मैं उससे अपनी ब्रा वापस मांग सकूं।

मेरा आइडिया काम कर गया।

अगले दिन मैंने उस युवक से पूछा- मेरा कोई कपड़ा आपके बालकनी में आकर गिरा है क्या?
उसने मुस्कुराकर हां में सर हिलाया और अंदर जाकर मेरी ब्रा ले आया।

मैंने मुस्कुरा कर थोड़ा शरमाते हुए बालकनी के द्वारा ही हाथ बढ़ाकर उस युवक के साथ से अपनी ब्रा वापस ले ली।

इस घटना के बाद से हम लोग अक्सर बालकनी में एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिया करते थे।

धीरे-धीरे हम दोनों में परिचय भी हुआ।
मुझे मालूम हुआ उसका नाम रोहित है. वह शादीशुदा भी है लेकिन फिलहाल उसकी पत्नी गांव में उसके मां-बाप के पास रहती थी।

रोहित को इंप्रेस करने के लिए मैं बालकनी में अक्सर शॉर्ट्स या स्कर्ट जैसे छोटे कपड़े पहन कर उससे बात करती थी जिससे उसे मेरी शारीरिक बनावट और जांघों का अच्छा नज़ारा भी मिल सके।
लेकिन मैंने अपने बारे में रोहित को ज्यादा नहीं बताया था।
मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में किसी से भी बात नहीं करती थी।

एक दिन किसी कारण से शहर में किसी राजनीतिक दल द्वारा बंद का आह्वान किया गया था।
इस कारण से हम लोगों की छुट्टी थी.

लेकिन मुझे दिक्कत यूं हो रही थी क्योंकि मेरे घर में कुकिंग गैस खत्म हो गई थी। लिहाजा खाना बनाने के लिए मुझे दिक्कत होने वाली थी।

मैं खाने के लिए क्या जुगाड़ करूं यह सोचती हुई मैं थोड़ी चिंतित थी बालकनी में खड़ी थी कि रोहित मुझे दिखाई दिया।

औपचारिक कुछ बातों के बाद में रोहित ने मुझसे पूछा- डॉली, आप कुछ परेशान सी लगती हैं?
मैंने जवाब में रोहित को अपने परेशानी का कारण बताया तो वह हंसने लगा।

रोहित- क्या डॉली जी, इतनी सी बात पर कोई परेशानी होता है भला? हम पड़ोसी किस काम आएंगे? आइए आपका नाश्ता, सुबह की चाय, लंच सभी आप मेरे साथ करिए। मैं खाना बहुत अच्छा बनाता हूं।

उसके प्रस्ताव से मेरी परेशानी तो दूर हुई ही लेकिन मैं अंदर से बहुत खुश भी हुई; क्योंकि मुझे उससे घनिष्ठता बना बढ़ाने का एक जरिया जो मिल रहा था।

मैंने खुशी-खुशी रोहित का प्रस्ताव मान लिया और बोली- ऐसे नहीं, एक दिन मैं भी आपको अपने घर पर खाने के लिए बुलाऊंगी. और अभी आपके घर आकर आपका खाना बनाने में मदद करती हूं
यह बोलकर मैं रोहित के फ्लैट में चली गई।
मैंने इस समय भी एक छोटी सी शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन रखी थी।

रोहित ने अपने घर को बहुत साफ सुथरा रखा हुआ था मैंने इसलिए रोहित की बहुत तारीफ़ की।

नाश्ता बनाकर हम दोनों बालकनी में ही बैठकर नाश्ता करने लगे।

बातों बातों में रोहित ने मुझे अपनी पत्नी के बारे में बहुत सी बातें बताई।
फिर उसने जब मेरे पति के बारे में पूछा तो मुझे सकुचाते हुए रोहित को बताना पड़ा- मैं अपने पति से दूर रहती हूं और हम दोनों के बीच तलाक की कार्यवाही चल रही है।

मेरी बात सुनकर रोहित ने खेद प्रकट किया तो मैंने उससे कहा- अरे यार, इसमें तुम्हारा क्या दोष है जो तुम खेद प्रकट कर रहे हो?
खैर हम लोग फिर से इधर-उधर की बातें करते हुए नाश्ता करने लगे।

बाद में रोहित के साथ मिलकर मैंने हम दोनों के लिए लंच बनाया। निस्संदेह रोहित बहुत अच्छा खाना बनाना जानता था.
हम लोगों ने लंच बहुत अच्छे से इंजॉय किया।

मैंने भी बदले में शनिवार के दिन रोहित को अपने घर डिनर पर आमंत्रित किया जिसे रोहित ने सहर्ष स्वीकार स्वीकार कर लिया।

बहुत जल्दी शनिवार भी आ गया और क्योंकि मेरी छुट्टी थी इसलिए मैंने अपने घर को भी अच्छे से साफ किया और अपने शरीर को भी।

मैंने ब्यूटी पार्लर जाकर फेशियल वैक्सिंग आदि करके अपने आप को ठीक किया।
साथ ही मैंने अपनी चूत पर जो इक्का-दुक्का बाल थे उन्हें भी हटा कर चूत को एकदम चिकना कर लिया।

मेरा लक्ष्य था कि किसी तरह मैं रोहित को पटा लूं जिससे मेरा एकाकीपन खत्म हो और मेरी चूत को लंड निर्बाध रूप से मिलने लगे।

चूत को मैंने साफ करते वक्त सह लाते हुए मैंने अपनी चूत से बोला- मुनिया रानी, आज अगर किस्मत ने साथ दिया तो तुम्हारी भूख शांत करने के लिए शायद नया लंड मिल जाय।

शाम को रोहित के आने से पहले मैंने नहा कर एक हाल्टरनेक बैकलेस ड्रेस पहनी।
ड्रेस की लंबाई मेरे घुटनों से थोड़ा ही ऊपर थी और यह स्लीवलैस भी थी।

पूरा मेकअप करने के बाद मैंने अपने आपको आईने में निहार कर देखा तो मुझे ऐसा लगा कि आज रोहित मेरे जाल में फंस सकता है.
मैं भी इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी.
खैर …

रोहित को लगभग 8:00 बजे आना था लेकिन वह आधा घंटा पहले ही आ गया।
इससे मेरा यह विश्वास पक्का होने के रोहित भी मुझ में इंटरेस्ट ले रहा है।

रोहित अपने साथ एक चॉकलेट का पैकेट और फ्लावर बुके लेकर आया था जो उसने मुझे दिए।
बदले में मैंने मुस्कुरा कर उसका धन्यवाद किया।

रोहित ने मुस्कुराकर मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और मेरे मेकअप और ड्रेसिंग सेंस की तारीफ करते हुए बोला- आज तो पूरी कयामत लग रही हो। किस पर बिजली गिराने का इरादा है?

मैं खिलखिला कर हंस पड़ी और मैंने कहा- बिजली की यही तो विशेषता है कि वह कहां गिरेगी ऐसा किसी को अंदाजा नहीं रहता है, लेकिन हां जहां बिजली गिरती है, वह जगह अंदर तक खाक कर देती है। इसलिए तुम जरूर सतर्क रहना। कहीं बिजली की गिरफ्त में ना आ जाओ।

फिर मैं बोली- वैसे रोहित … मैं भी दुनिया को दिखाना चाहती हूं कि जिन लड़कियों के पति नहीं होते हैं, वह भी बन संवर कर खुश रह सकती हैं।

मेरी बात सुनकर रोहित ने मुझे समझाते हुए बोला- डॉली, अगर तुम्हारा पति तुम्हारे साथ नहीं है तो इसमें किस्मत उसकी खराब है जो वह तुम्हारे जैसी अच्छी पत्नी की कद्र नहीं कर पा रहा है। वैसे तुम खुशनुमा मूड में बहुत हॉट लगती हो।

फिर से मुस्कुराहट के साथ मैंने रोहित को धन्यवाद दिया रोहित आप मेरे फ्लैट के अंदर आ गया.

मैंने दरवाजा बंद कर दिया और उसे सोफे पर बैठने का इशारा करके मैं किचन की तरफ चली गई।
रोहित मेरे पीछे पीछे किचन तक आ गया और खाने की खुशबू की तारीफ करते हुए बोला- लगता है आज बहुत कुछ तैयारी की है। खाने की बहुत अच्छी सुगंध आ रही है. और मुझे तो जो़रों से भूख भी लगने लगी है.

मैं खुलकर हंसने लगी और बोली- वैसे तो गंध मुझसे परफ्यूम की भी आ रही है। तो कहीं तुम मुझे भी मत खा जाना।
मेरी बात सुनकर रोहित भी हंसने लगा और मैंने महसूस किया कि हम लोगों के आसपास के वातावरण जो थोड़ा सा बोझिल सा महसूस होने लगा था, वह अब सामान्य हो चला है।

सूप के बाद हम दोनों ने रात्रि का खाना खाया और इधर उधर की बातें करते रहे।

मेरी चूत में तो जैसे आग लगी हुई थी जो कि रोहित के लंड रूपी दमकल से बुझाई जा सकती थी, लेकिन पहल कैसे करूं यह समझ में नहीं आ रहा था।

अचानक रोहित ने मुझसे बोला- डॉली, अगर बुरा ना मानो तो एक बात पूछूं?
मैंने हंसकर रोहित से कहा- यार, अगर तुम्हें लगता है कि मैं बुरा मान जाऊंगी तो बिल्कुल मत पूछो, लेकिन हां यदि तुम्हें यह भरोसा है कि हम अच्छे दोस्त हैं तो अवश्य पूछो।

यह कहानी सुनें

दोस्तो, मेरी कहानी के अगले भागों में आपको खूब मजा आने वाला है.
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देसी चूत की गरमी की कहानी का अगला भाग: पड़ोस के जवान लड़के से चुद गई मैं- 2

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