कॉलेज गर्ल की इंडियन सेक्स स्टोरी-1

(College Girl Ki Indian Sex Story- Part 1)

This story is part of a series:

मेरा नाम मिनी है, मैं दिल्ली में रहती हूँ. मेरे घर में मैं और मेरा एक भाई ही हूँ. इधर दिल्ली में मैं अकेली ही रहती हूँ. मेरे परिवार वाले गांव में रहते है. मेरा फिगर 32-24-34 का है.. लम्बाई 164 सेंटीमीटर है और वजन 44 किलो है. मैं एक कमसिन लड़की हूँ. अक्सर लड़के मुझे देख कर लाइन मारा करते थे और कमेंट भी किया करते थे.

मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी पढ़ रही हूँ. आज मैं भी अपने जीवन की सच्ची घटना बता रही हूँ.

जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो मैं अपनी एक सहेली दिव्या के साथ एक कमरा किराए पर लेकर रहती थी. मेरी सहेली का एक बॉयफ्रेंड था और वो अपने बॉयफ्रेंड को बेबी कहती थी. वो अक्सर उसके साथ घूमने जाया करती थी.
मैं सेक्स के बारे में कुछ ख़ास नहीं जानती थी, ये सब नहीं सोचती थी कि स्टूडेंट्स की लाइफ में सेक्स जैसा भी कुछ होता है.

एक दिन की बात है कि मेरी सहेली गलती से मोबाइल ले जाना भूल गई. उसका मोबाइल मेरे पास रह गया था. उसमें बहुत एसएमएस आ रहे थे तो मैंने खोल कर देखा, जो उसके बॉयफ्रेंड के थे.

एसएमएस में जो लिखा था, वो बताती हूँ क्योंकि मैसेज पढ़ने के बाद मुझे शरारत सूझी और मैंने उसका रिप्लाई कर दिया था. वो बातें जिस तरह से हुईं, वो नीचे लिख रही हूँ. इस बातचीत में जहाँ अमित लिखा है, वो उसका बॉयफ्रेंड है और जिधर मैं लिखा है, वो मैं हूँ.

अमित- क्या कर रही हो.. तुम्हारी बहुत याद आ रही है.
मैं- हम्म..
अमित- बताओ ना.. क्यों परेशान कर रही हो. बहुत याद आ रही है.
अब मैं दिव्या बन के रिप्लाई करने लगी.
मैं- हाँ क्या है.. मैं थोड़ा बिजी थी क्या हुआ?
अमित- तुम्हारी याद आ रही थी.
मैं- क्यों क्या हुआ?
अमित- तुम कई दिनों से मुझसे मिली नहीं हो.. क्या कर रही हो?
मैं- कुछ नहीं बस मिनी (मैं) के घर वाले आए थे.. तो नहीं आ सकी.

अमित- एक बात बताऊँ.. अगर बुरा ना मानो तो!
मैं- नहीं.. बताओ ना, मैं भला बुरा क्यों मानूंगी.
अमित- मिनी बहुत सेक्सी है उसका बॉयफ्रेंड है कि नहीं?
मैं- नहीं है.
अमित- तो तुम बनवा दो ना.. मेरे बहुत दोस्त फ्री बैठे हैं.
मैं चुप रही.
अमित- बताओ.
मैं- नहीं.. वो नहीं बनाएगी.
अमित- अरे मेरी जान उससे कहो कि इस जवानी का मजा ले ले.. नहीं बेकार हो जाएगी.
मैं- उसमें बेकार क्या हो जाएगी?
अमित- और क्या उस जवानी का क्या फायदा, जिसमें एन्जॉय न किया जाए.
मैं- ऐसा नहीं है वो (मिनी) बहुत सीधी है वो इस सब में नहीं पड़ना चाहती है.

अमित- अरे यार तुम मेरी गर्लफ्रेंड नहीं होती तो उसे ही बनाता, वो तुमसे बहुत ज्यादा सेक्सी है.
ये सुन कर मुझे कुछ अच्छा लगने लगा था क्योंकि मेरी तारीफ हो रही थी.
मैं- उसमें ऐसा क्या अच्छा है? जो मुझमें (दिव्या में) नहीं है.
अमित- तुम में है सब कुछ.. बस वो नहीं है, जो उसमें है.
मैं- क्या है उसमें?
अमित- अरे यार उसका पूरा फिगर ही पूरा क़यामत है क़यामत.. यार पूछो मत उस पर तो दुनिया ही न्योछावर कर दूँ.
मैं कुछ रिप्लाई नहीं देती हूँ.

अमित- यार उसे एक बार गले लगा लूँ ना.. तो मुझे सारी दुनिया की ख़ुशी मिल जाएगी.
मैं चुप थी.
अमित- अच्छा तुम कोई जुगाड़ करो कि मैं उसे एक बार गले से लगा सकूँ.. बस केवल गले से लगाऊँगा.
मैं- अच्छा तुम मेरे बॉयफ्रेंड हो और तारीफ उसकी कर रहे हो और मुझसे ही उसे गले से लगाने की सिफारिश भी करवा रहे हो.
अमित- अरे तुम मेरी जान हो, तुमसे नहीं कहूँगा तो किससे कहूँगा?
मैं- अच्छा.. लेकिन मुझे क्या मिलेगा!
अब मेरा मन पता नहीं कैसा होता जा रहा था कि मैं उसी की बातों में खोती चली जा रही थी.

अमित- यार तुम्हें क्या चाहिए बताओ तो.. बस एक बार गले से लगवा दो.. उसके बाद सब कुछ दे दूंगा.
मैं- अच्छा ऐसी बात है.
अमित- हाँ.
मैं- इतना बेचैनी गले लगाने की?
अमित- हाँ..
मैं- गले लगाने का ये कब से सोच रहे हो?
अमित- जब से उसे देखा है, तब से ही.

मैंने हंसते हुए जवाब दिया- हा हा हा… अच्छा इतना प्यार तो कभी मुझे नहीं किया है और उसके लिए इतना बेचैन हो.
अमित- यार मेरे लिए बस एक बार गले लगवा दो बस.. बाद में जो कहोगी वो करूँगा.
मैं- ठीक है मैं कोशिश करूँगी लेकिन पक्का नहीं है.
अमित- ठीक है आई लव यू मेरी जान तुम बहुत अच्छी हो.

मैं- हाँ एक बात और मानोगे तो मैं ये काम करूँगी… बताओ मानोगे?
अमित- एक क्या.. सारी बातें मानूंगा. बताओ क्या बात है?
मैं- जो बात आज की है, वो फिर कभी इस बारे में मुझसे मत करना या पूछना, जब तक मैं इस बारे में ना कुछ कहूँ, ठीक है?
अमित- ऐसा क्यों?
मैं- बस ऐसे ही मुझे प्लान बनाने का टाइम चाहिए.
अमित- ठीक है.
मैं- कसम है तुम्हें, जो तुमने दुबारा कहा तो.
अमित- यार ठीक है.. मैं तुमसे दुबारा नहीं कहूँगा.. इसमें कसम की क्या जरूरत थी?
मैं- बस मेरी बात मान लो.
अमित- ठीक है नहीं कहूँगा पर भूलना मत.
मैं- ठीक है नहीं भूलूंगी, अब मैं जा रही हूँ ओके बाय बाय..
अमित- ठीक है बाय.

इतनी बात मैं दिव्या के बॉयफ्रेंड से करती हूँ तो पता नहीं मुझे क्या हो जाता है. मैं ये सोचने लगती हूँ कि आखिरकार ऐसा क्या है मुझमें कि वो मुझे गले से लगाना चाहता है बल्कि उसकी गर्लफ्रेंड है फिर भी?

मैं बहुत देर तक ये दूसरी बात सोचती रहती हूँ कि उसे गले से लगाकर मिलेगा क्या?

मैंने सोचा कि दिव्या आएगी तो पूछूंगी लेकिन एक डर सामने आ गया कि वो क्या सोचेगी और यही सोच कर मैं शांत बनी रही. मैंने पूरी बात चीत उसके फोन से डिलीट कर दी.

जब मैंने अमित (दिव्या का बॉयफ्रेंड) से उस दिन ऐसी बातें की, इसके बाद सोचते सोचते शाम हो गई. इसी तरह 2-3 दिन बीत गए और मैं इस बात को भूल गई थी.

उस दिन मैं तैयार हो रही थी कि दिव्या ने कहा- आज तुम तो क़यामत लग रही हो. उसके मुँह से क़यामत शब्द सुना तो अचानक मुझे वो सारी बातें ध्यान आ गईं और मैं फिर से सोच में पड़ गई.
इस बात पर मैंने दिव्या से कहा- क्या यार.. तुम भी मजाक करती रहती हो!
दिव्या- मजाक नहीं यार सच में तुम बहुत अच्छी लग रही हो.
मैं- क्या अच्छा लग रहा है??
दिव्या- क्या अच्छा नहीं लग रहा है.. पूरी परी लग रही हो. आज समझो एक दो लड़के तो गए काम से…
मैं- हा हा… तुम अपने अमित को बचा कर रखना कि कहीं वो भी ना चला जाए.
दिव्या- वो नहीं जाएगा.. वो मेरा है.
मैं- वो तो टाइम ही बताएगा कि…

मैं हंसने लगी और वो भी हंसने लगी. फिर हम दोनों तैयार हो कर कोचिंग चले गए और अब मुझे अमित की बातें ध्यान आने लगी थीं. बस फिर क्या था मेरा पढ़ाने में मन नहीं लगा और छुट्टी के बाद हम घर आ गए. रात को खाना खाने के बाद दिव्या सो गई, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी और मैं यही सोच रही थी कि अमित से बात करूँ क्या?

अब धीरे धीरे मेरे मन में भी अजीब अजीब से ख्याल आने लगे थे और यही सब सोचते सोचते काफी रात हो गई थी. दिव्या सो रही थी, तभी अमित का एसएमएस आया और पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि दिव्या को न जगा कर मैं ही एसएमएस खोल कर पढ़ने लगी. अमित ने एसएमएस किया था.

अमित- खाना खा नहीं चुकी हो क्या.. तुमने कितनी देर पहले कहा था कि खाना खाने के बाद बात करती हूँ और अभी तक इंतजार करवा रही हो.
मैं पढ़ ही रही थी कि दूसरा एसएमएस आ गया.
अमित- कुछ तो बताओ.. सो गई हो क्या यार?
मैंने रिप्लाई किया- नहीं सो नहीं रही हूँ बताओ.
अमित- कहाँ थी तुम?
मैं- खाना खा कर अभी आई हूँ.
अमित- कितनी देर हुई है, पूरे 2 घंटे हो गए हैं.
मैं- सॉरी.
अमित- ओके और बताओ क्या कर रही हो?
मैं- अब लेटी हूँ.

अब मुझे अमित से चैटिंग करना अच्छा लग रहा था, तो मैं करती जा रही थी बिना ये सोचे कि दिव्या क्या सोचेगी.

अमित- अच्छा और पढ़ाई कब करोगी?
मैं- थोड़ी देर में.
अमित- अच्छा पर मिनी तो कर रही होगी ना.
मैं अब सोच में पड़ गई कि क्या जवाब दूँ और मैंने कहा कि नहीं वो सो गई है.
अमित- काफी जल्दी सो गई है.
मैं- हां आज वो कह रही थी कि अच्छा नहीं लग रहा है.. इसलिए सो गई.

अमित- अच्छा कोई बात नहीं और तुम बताओ क्या कर रही हो.
मैं- मैं लेटी हूँ और क्या बताऊँ पूछो.
अमित- यार अपनी कोई फोटो दे दो मुझे ताकि जब याद आए तो देख लिया करूँ.
मैं- अच्छा ऐसी बात है तो ले लेना किसी दिन.
अमित- हां दे देना क्योंकि तुम वादा करके भूल जाती हो.
मैं- नहीं.. मैं नहीं भूलती हूँ बताओ कुछ भूला हो तो.
अमित- याद करो.

मैं- याद है मुझे, मिनी वाली बात है ना?
मैंने ये सोच कर कि अमित अभी कुछ और बताएगा ऐसा जानबूझ कर लिखा.
अमित- हाँ और क्या.
मैं- मैं भूली कहां हूँ याद तो है.
अमित- पर उसमें कुछ किया नहीं है.
मैं- अच्छा क्या कहा था, फिर से बताओ.
अमित- यार तुमने भी ना.. देखा नहीं और याद है बोल दिया.
मैं- नहीं तुम बताओ.. मैं कह तो रही हूँ.

अमित- मिनी को गले से लगवाने का वादा किया था तुमने.
मैं- हां याद है.. पर एक बात और तुम कभी मुझसे ऐसे भी नहीं कहोगे जैसे आज कहा है.. नहीं तो मैं नहीं करूँगी समझे.
अमित- हां ठीक है पर नहीं कहूँगा, तब तो पूरा करोगी ना?
मैं- हां तब पूरा कर दूंगी.
अमित- तो बताओ मुझे मिनी को गले से लगाने के लिए क्या करना होगा?
मैं- ज्यादा कुछ नहीं.. बस कुछ गिफ्ट मुझे दोगे कि नहीं.
अमित- दूंगा यार मांगो तो.
मैं- और मिनी को कुछ दे सकते हो कि नहीं?
अमित- दे दूंगा तुम जो कहो.
मैं- तो ठीक है अपनी मन की मुराद पूरी करने के लिए तैयार हो जाओ.

अमित से बात करते करते मैं ये सब कहती चली गई मतलब उससे गले लगने को राजी हो गई थी. एक प्रकार से लेकिन सीधे नहीं कहा था बस लेकिन मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं दिव्या से बता ना दे. उस डर से अलग मैं अमित की बातों में कहीं और ही खोई थी.
अमित- यू आर सो स्वीट मेरी जान कब पूरी होगी?
मैं- जब तुम कुछ मिनी को दोगे तब.

मुझे पता नहीं क्या हो गया था कि कुछ लेने के लिए मैं अमित से गले लगने को तैयार हो गई थी और खुद अमित से अपने लिए कुछ मांग रही थी.

अमित- क्या देना होगा ये तो बताओ?
मैं- एक शर्त है तब पूरी प्लानिंग बताऊँगी.
अमित- तुम्हारी सारी शर्तें मंजूर हैं, तुम बस बताओ.
मैं- ये बात तुम मुझसे भी या किसी से भी नहीं बताओगे, जब तक मैं नहीं कहूँगी. बताओ मंजूर है और हां मुझसे भी नहीं पक्का वादा करो तो बताऊँ.
अमित- हां बाबा मंजूर है.. अब बताओ भी!
मैं- तुम कितने रूपये तक का मिनी को कुछ दे सकते हो.. कम से कम और ज्यादा से ज्यादा.. पहले ये बताओ?
अमित- 5000 से 10000 तक दे सकता हूँ.

मैं इतने रूपये सुनकर चौंक सी गई कि केवल गले लगने के इतने रूपये क्यों देने को तैयार है. मैं सोचने लगी कि कुछ तो खास बात होगी मुझमें और मैं अपने आप में ही खुश होने लगी कि पहली बार किसी लड़के से मैं उपहार लूँगी. मैं इससे बेखबर थी कि मुझे गले से भी लगना पड़ेगा.. बस मैं तो यही सोच कर खुश थी कि मुझे उपहार मिलेगा और उससे भी ज्यादा कि मैं बहुत अच्छी हूँ, मुझमें कुछ खास है.
मैं- एक बार गले से लगने के लिए इतना बड़ा उपहार दे सकते हो..? कभी मुझे तो नहीं दिया.
अमित- तुम भी ले लेना जितने का मिनी को दूंगा, उससे दोगुना का तुम्हें दूंगा.. ओके.
मैं- ओके.

अमित- लेकिन मेरी भी एक शर्त है.
मैं- क्या?
अमित- वो कम से कम 5 मिनट तक गले से लगेगी.
मैं- इसकी ज़िम्मेदारी मैं नहीं लेती कि कितनी देर लगेगी पर लग जाएगी, ये पक्का है.
अमित- ठीक है.. पर क्या करना होगा मुझे?
मैं- तुम्हें ज्यादा कुछ नहीं करना है.
अमित- फिर भी.
मैं- मिनी के साइज़ की एक अच्छी सी ड्रेस लेना होगा और उसे देना होगा, जब मैं अगले सन्डे को घर जाऊँगी तो मैं उसे दे दूंगी.
अमित- ठीक है मैं लेकर दे दूंगा पर वो गले कैसे लगेगी?
मैं- वो मुझ पर छोड़ दो. हां और मेरे लिए.. जब मैं कहूँ तब कुछ लेना या इस टॉपिक पर बात करना या इशारा करना. नहीं तो सब गड़बड़ हो जाएगी, फिर मुझे मत कहना.

अमित ने मुझे अप्रत्यक्ष रूप से बता दिया था कि वो मुझे 5 मिनट के लिए गले से लगाएगा और मैं फिर भी राजी हो गई थी. मैंने एक कोशिश ये भी की थी कि वो दिव्या को ना बताए.

वो गुरुवार का दिन था जब मैंने ये बातें कि थी और मैंने सन्डे को वादा किया था कि गिफ्ट लाकर देना.

अमित- तो आज गुरुवार है यानि 2 दिन बाद.. वाऊ.. यू आर सो स्वीट माय जानेमन जी.
मैं- ज्यादा मत खुश हो ओके.
अमित- तुम रहोगी नहीं और मैं तुमसे इस बारे में कुछ पूछ भी नहीं सकता हूँ तो आज ही बता दो न कि उस दिन सब कैसे होगा?
मैं- तुम उसके लिए एक अच्छी सी ड्रेस लेना. सन्डे को 10 बजे हमारे रूम आना, तब मैं रूम पर नहीं हूँगी क्योंकि मैं घर जा रही हूँ, तुम वो ड्रेस उसे दे देना और कहना कि दिव्या के लिए है.
अमित- ठीक है और?
मैं- मिनी सन्डे को इस समय बहुत बिजी रहती है तो वो बाद में आने को जरूर आने को कहेगी. तुम थोड़ी देर बाद नहीं, दोपहर में 4 बजे के पास जाना क्योंकि वो उस दिन एक बर्थडे पार्टी में जाएगी और इधर मैं उससे यही ड्रेस पहनने को कह दूंगी. तुम उसे ये ड्रेस पहने देखना और उसे गले से लगाने की कोशिश करना. गले से लगने के बाद उससे सॉरी बोल देना कि मुझे लगा कि दिव्या आ गई है, वही इस ड्रेस को पहने है.. ओके!

अमित- वाऊ… मेरी रानी तुम बहुत अच्छी हो.. पर मिनी कहीं गुस्सा हो गई तो?
मैं- तो मैं हूँ ना.. परेशान क्यों हो वैसे भी गुस्सा नहीं करेगी, वो बहुत अच्छी है मुझे पता है.

मैं अपने आपको ही अमित के गले से लगने की प्लानिंग बता रही थी. अब आप लोग समझ सकते है कि मुझ पर क्या खुमार छाया था, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये गलत है या सही है और इससे आगे क्या प्रभाव पड़ेगा. चलिए फिर हाल ये तो बाद की बातें हैं कि मेरे साथ क्या हुआ मैं ये बताती हूँ.

अमित- थैंक्यू डिअर.
मैं- वेलकम.. हां पर ये सारी बातें जैसे भूल जाओगे कभी मुझसे भी जिक्र मत करना, जब तक मैं खुद न करूँ.. ये कर पाओगे कि नहीं?
अमित- मिनी के लिए तो कुछ भी कर दूंगा यार.
मैं- और मेरे लिए?
अमित- तुम तो हो ही मेरी रानी.
मैं- ठीक है अब सो जाओ ओके.
अमित- ठीक है मैं सो जाऊंगा पर एक बात बता दो कि सन्डे का पक्का ना?
मैं- हां तुम ऐसे ही करना, मैं कुछ बात करूँ तब तक.. या नहीं या मैं कहीं भी रहूँ ओके.
अमित- ओके.

इस तरह मैंने खुद को अमित के गले से लगने की प्लानिंग कर डाली और अमित से वादा कर लिया. अब बस अमित और मुझे दोनों लोगों को सन्डे का इंतजार था. अमित को मुझसे गले लगने का और मुझे पता नहीं किस बात का.

उससे इस तरह बातें करते करते 3 बज गए थे. मैंने सारे एसएमएस मिटाए और सोने के लिए लेट गई, पर मेरी आखों में नींद कहां थी.

दिमाग में बस दो तीन प्रश्न घूम रहे थे जैसे- आखिर मुझमें ऐसा क्या है? और मैं इतनी अच्छी क्या सच में हूँ कि लड़कों की नींद गायब कर सकती हूँ? अगर इतनी अच्छी हूँ तो मैं क्या करूँ और अमित क्यों चाहता है मुझे गले से लगना? उसे आखिर मुझसे केवल गले लग कर क्या मिल जाएगा?

ये सब सोचते सोचते मैं कब सो गई, पता नहीं चला और जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 9 बज रहे थे. दिव्या अमित से बात करते करते चाय बना रही थी

मैं जब जगी तो दिव्या ने कहा- मिनी, देखो चाय बन गई है. जल्दी से उठ कर फ्रेश हो जाओ, फिर साथ में चाय पीते हैं.
मैंने कहा- ठीक है फ्रेश होकर आती हूँ.
मैं फ्रेश होने चली गई.

जब मैं फ्रेश हो कर आई तो दिव्या चाय छान चुकी थी और मेरा इंतजार कर रही थी, उसने फ़ोन भी रख दिया था.

फिर हम चाय पी कर तैयार हुए और कॉलेज चले गए. शाम को मैं और दिव्या कोचिंग जा रही थे तो अमित रास्ते में आया और तब मैंने गौर किया कि अमित बातें तो दिव्या से कर रहा था लेकिन देख मुझे गौर से रहा था. थोड़ी देर बाद अमित चला गया और हम दोनों कोचिंग से होकर घर आ गए. फिर खाना खा कर मैं सो गई क्योंकि एक रात पहले मैं सही से नहीं सोई थी. दिव्या कब सोई मुझे नहीं पता चला.

इसी तरह दूसरे दिन शनिवार था और आज ही दिव्या को घर भी जाना था, तो वो हम कॉलेज गए, इसके बाद वो घर चली गई. मुझे कोचिंग अकेले ही जाना पड़ा, कोचिंग के बाद मैं घर वापस आ गई.
लेकिन मुझे अब ये बात परेशान कर रही थी कि कल क्या होगा, जब अमित आएगा. चलो ड्रेस देगा, वहां तक तो ठीक था.. पर शाम को गले से भी लगेगा! मैं कैसे सब करूँगी, यही सोचते सोचते मैं सो गई.

मैं उस दिन अलार्म 8 बजे का ही लगाया था. अलार्म बजते ही मेरी आँखें खुल गईं क्योंकि दिमाग में एक बात जो परेशान किए जा रही थी. फिर मैंने सोचा कि जब कह दिया ही है, तो क्या है.. जब आएगा तो देखा जाएगा कि क्या होगा. फिर मैं अपने काम में बिजी हो गई और इतना बिजी थी कि मुझे ध्यान से उतर गया कि क्या समय हुआ है.

मैं सुबह उठते ही अपने आपको थोड़ा मेकअप कर लेती थी. उस दिन भी ऐसा ही किया था कि अचानक दरवाजे की बेल बजी तो मुझे ध्यान नहीं था कि कौन आया होगा. लेकिन जैसे मैंने दरवाजा खोला है तुरंत जैसे मेरे पैरों के नीचे जमीन नहीं रही क्योंकि वो अमित ही था और उसके हाथों में एक गिफ्ट पैक था.

मैंने उसे देखा और पता नहीं मेरे मुँह से ऐसे ही निकल गया- आप यहाँ? दिव्या तो है नहीं.. बताया नहीं था क्या उसने?

उसने कहा- हाँ बताया था कि वो घर जा रही है. उसने आपके लिए ये गिफ्ट था लाने को कहा था, वही देने आया हूँ बस!

अब आगे तो मुझे सब पता ही था कि बात क्या है क्योंकि सारी प्लानिंग मैंने ही की थी इसलिए मैं भी नार्मल हो कर बात करने लगी- अच्छा ऐसी बात है आओ बैठो, चाय पी लो, फिर जाना.
अमित- चाय रहने दीजिये आप ये चैक कर लीजिये कि सब सही है कि नहीं.. बस फिर मैं जाऊं.
मैं- सॉरी अभी मैं नहीं चैक कर सकती हूँ क्योंकि मैं कपड़े धो रही थी. आप अपना मोबाइल नंबर बता दीजिये, मैं देख कर कॉल कर दूंगी
अमित- ठीक है लिख लीजिये. उसने अपना नम्बर बोल दिया.
मैं- ठीक है.
अमित- ठीक है ओके बाय.
मैं- बाय.

जो मैंने बताया था अमित से उसने वैसा ही किया. अब मैं ये सोच रही थी कि 4 बजे क्या होगा? फिर मैं दरवाजा बंद करके अन्दर आ गई और सारे काम छोड़ कर उस पैक को खोलने लगी और जब मैंने पैक खोल कर देखा तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि ड्रेस बहुत अच्छी थी.

अब ड्रेस ऐसी थी जैसा मैं सोचा करती थी कि ऐसी ही ड्रेस लूँगी. पता नहीं मेरी पसंद अमित को कैसे पता चल गई थी.. जबकि मैंने तो कुछ बताया नहीं था.

वह रेड कलर में एक वेस्टर्न ड्रेस थी और जैसे हॉलीवुड की हिरोईन पहनती थीं, ऊपर से और पीठ पर पूरी खुली थी मतलब स्लीवलेस एंड बैक लेस, नीचे घुटनों के ऊपर तक..

यार जब मैंने वो ड्रेस पहनी तो मेरे दोनों कंधे खुले थे, ऊपर केवल एक पट्टी लगी थी और पीठ मेरी आधी से ज्यादा खुली हुई थी, जैसे आयरनमैन मूवी में टोनी स्टार्क की गर्लफ्रेंड ने पहनी थी. लेकिन वो मुझे बहुत पसंद आई और सबसे ख़ास बात ये कि ड्रेस मुझे फिटिंग की थी. उस ड्रेस को पहन कर जब मैंने मिरर में देखा तो मेरी कमर थोड़ी और मेरा पेट और बूब्स (मेरी चूची) बंद थीं बस. अगर मैं वो ड्रेस पहन कर जमीन में बैठ जाती तो मेरी पूरी पैंटी दिखने लगती. फिर भी वो ड्रेस मुझे बहुत पसंद आई थी.

ड्रेस देख कर एक बार पहन कर देखने के बाद मैं खुश थी. पैकिंग के समय उसमें स्टीकर नहीं हटाया था और जब रेट देखा तो मैं हैरान हो गई क्योंकि वो ड्रेस 8999 की थी. मैं अब खुश थी कि पहली बार इतना महंगा गिफ्ट मुझे मिला था. तब मैंने सोचा कि मेरा क्या जाता है एक बार गले ही तो लगना है, लग लूँगी.. कुल 5 मिनट के लिए, उसका मन था तो 5 मिनट के लिए लग जाऊँगी. इसमें मेरा क्या घिस जाएगा.

मुझे गिफ्ट तो मिला ही है. बस यही सोच कर मैं आराम से अपने काम करने लगी. सारे काम मेरे 2 बजे ख़त्म हो गए और मैं नहाने चली गई.

मुझे पता था कि वो ड्रेस मेरी है तो मुझे किसी से पूछना तो था नहीं इसलिए मैंने तय किया कि वही ड्रेस पहन कर पार्टी में जाऊँगी. वो एक बर्थडे पार्टी थी और उसी में अमित से गले भी लग जाऊँगी.

मैंने नहाने के बाद पूरा मेकअप किया और क्लाउड स्टाइल में बालों को रखा. हल्की सी लिपस्टिक और पूरा मेकअप करके मैं 3:30 पर उसी ड्रेस में तैयार हो गई ताकि अमित आए तो मैं उसे गले से लगाने का वादा पूरा कर सकूँ.

अमित अपने सही टाइम से 10 मिनट पहले आया. मैं सच में अलग ही बिजी थी पर मैंने दरवाजा खोल दिया था ताकि अमित को सही लगे, नहीं वो गले कैसे लगाएगा. अमित आया और मेरे पीछे से गले लग गया, मैं चीख पड़ी.. फिर भी उसने छोड़ा नहीं और आगे घुमा कर कसके गले से लगा लिया. मेरा तो शरीर सुन्न सा हो गया, कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूँ. मैं शांत हो गई और मैं क्या बताऊँ ऐसे गले से लगाया था जैसे बरसों बाद लगाया हो. वो अपनी बांहों में मुझे दाबे जा रहा था, मेरी चूचियां दबी जा रही थीं, मेरे पैर जमीन पर नहीं लग रहे थे. वो मुझे थोड़ा उठाये था और मेरे नंगे या खुले कंधों पर अपने होंठों को रखे था.

लगभग 3-4 मिनट बाद प्लानिंग की तरह सॉरी बोलते हुए दूर हुआ और कहने लगा- सॉरी मिनी, मुझे लगा दिव्या है.

अब मैंने ही प्लानिंग बनाई थी कि मिनी गुस्सा नहीं करेगी.. तो मैं कैसे गुस्सा कर सकती थी, मैंने कहा- ठीक है, पर दरवाजा तो खटखटाया करो.
अमित- सॉरी भूल गया.

मेरा सर शर्म से झुका था मतलब समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ. मुझे उस टाइम अजीब सा लगा तो मैंने कहा- ठीक है पर इस समय तुम यहाँ कैसे और कुछ लोगे चाय या कॉफ़ी वगैरह?
अमित- सॉरी मिनी, पर तुम इस ड्रेस में बहुत ही अच्छी लग रही हो. कहीं पार्टी में जा रही हो क्या? बिल्कुल किसी बम की तरह लग रही हो.

मैं शरमा गई और पानी लेने चली गई और आकर कहा- हां एक सहेली की बर्थडे पार्टी है.
अमित- यार पहली बार मैंने किसी को इतना खूबसूरत देखा है. हां मैं बताना भूल गया, मैं यहाँ से सेक्टर 16 की तरफ जा रहा था तो सोचा देख लूँ कि दिव्या आ गई है या नहीं, पर मैं बहुत भाग्यशाली हूँ.. अगर ना रुकता तो एक परी को ना देख पाता.
मैंने हंस कर कहा- मैं इतनी भी अच्छी नहीं हूँ. दिव्या तो मुझसे बहुत अच्छी है और मुझमें क्या है… कुछ भी तो ख़ास नहीं है.
अमित- नहीं मिनी तुम दिव्या से बहुत अच्छी हो वो तुम्हारे सामने क्या है कुछ नहीं, पार्टी में सब तुम्हें ही देखेंगे.. कहां है पार्टी?
मैं- यहीं से थोड़ा आगे है.. चार बजे है और ये वही ड्रेस है, जो तुमने दिया है दिव्या को मैंने इस ड्रेस के बारे में फोन पर बताया तो उसने कहा कि ‘तुम पहन कर देखो’ तो मैंने पहन ली.

अमित- अच्छा चलो मैं छोड़ देता हूँ. मैं उधर ही जा रहा हूँ और वापस कितनी देर में आओगी? मुझे कॉल कर देना मैं आ जाऊंगा. मैं गाड़ी से आया हूँ और ये ड्रेस बहुत अच्छी लग रही है तुम पर है जैसे कि ये तुम्हारे लिए ही बनी है, इसे तुम ही रख लेना और दिव्या के लिए मैं दूसरी ले आऊंगा. जो आज हुआ उसके भी बारे में मत बताना, नहीं वो पता नहीं क्या सोचेगी.

मैं- ओके नहीं बताऊँगी, पर मैं ये ड्रेस कैसे ले लूँ.. महंगी होगी.
“अरे कोई महंगी नहीं है रख लो.”
मैं- ये मैं नहीं ले सकती हूँ.. मैं ड्रेस बदलती हूँ.. तुम मुझे छोड़ देना.. मैं उधर से आ जाऊँगी लेकिन अगर देर होने लगी तो तुम्हें कॉल कर दूंगी ओके.
अमित- मिनी, तुम ले लो, मेरी तरफ से एक गिफ्ट है.. ये समझ कर ले लो, मान लो गलती से गले लग गया, उसकी भरपाई है. पर तुम इसे ड्रेस को ही पहनना.. सच में बहुत अच्छी लगती हो.. क्या तारीफ़ करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
मैं- ठीक है ड्रेस ले लूँगी.. बस बस तारीफ करने का रहने दो. अब चलूँ.. नहीं तो कहीं ट्रेफिक जाम हुआ तो मुझे देर हो जाएगी..
अमित- हां चलो.

मैं दरवाजा बंद करके निकली तो अमित बहुत ही गौर से मेरी टांगों को और मेरे खुली हुई बैक यानि नंगी पीठ को, चूची के ऊपर के हिस्से को.. मतलब जितना अंग खुला था, खूब घूर घूर कर देख रहा था.

अमित- आओ आगे वाली सीट पर बैठो, मैं एक परी को पीछे थोड़ी बैठाऊंगा. अच्छा अगर कहो तो एक फोटो ले लूँ तुम्हारी?
मैं- ठीक है ले लो.. अब गिफ्ट दिया है तो इतना हक तो बनता ही है.
अमित ने मेरे आगे पीछे के तीन चार पोज में फोटो ले लिए और बाद में मुझे भी भेजे, जिसमें मैं सच में बहुत अच्छी लग रही थी.
अब धीरे धीरे मुझे भी लग रहा था कि मैं अच्छी हूँ, किसी को भी दीवाना बना सकती हूँ.. मेरा जिस्म ऐसा ही कयामत है.

अमित- ओके लेट्स गो..
अमित ने मुझे सहेली के घर पर छोड़ दिया. मैंने थैंक्यू कहा.

जब मैं अन्दर गई तो सभी मुझे ही घूर घूर कर देख रहे थे. अब मुझे शर्म सी लगने लगी थी लेकिन ये भी अच्छा लग रहा था कि मुझे ही सभी देख रहे हैं.

पार्टी ख़त्म होने पर दो लड़कों ने मुझसे कहा कि मैं आपको घर आपके छोड़ देता हूँ. इससे मुझे लगने लगा कि क्या मेरी वैल्यू बढ़ गई है. पर मैंने मना कर दिया और अमित को कॉल कर दिया. अमित आ गया और मुझे मेरे रूम पर छोड़ के वो अपने घर चला गया.

जब मैं रूम पर पहुँची तो मैं अपने आप को शीशे में देखने लगी कि आखिरकार मुझमें क्या ख़ास है.. पर मैं जान न पाई. पार्टी में मेरी सहेली ने भी मेरी बड़ी तारीफ़ करते हुए कहा था कि तू खुशनसीब वाली है जो इतना सेक्सी और हॉट जिस्म पाया है.

मैं ड्रेस बदल कर और सिंपल टॉप और लोअर पहन कर लेट गई और वही सब सोचते सोचते सो गई.

मेरी इंडियन सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है.. अपने विचार मुझे मेल से बताएं!
कहानी जारी है.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top