चरमानन्द परमानन्द

(Charamanand Paramanand)

दोस्तो, मेरी पहली कहानी
दिल्ली बस रूट न. 623
आप पाठकों द्वारा जबरदस्त पसंद की गई और ढेर सारे Email प्राप्त हुए, सभी पाठकों ने कहानी पढ़ कर मेरा जो उत्साह बढ़ाया उसके लिए शुक्रिया… उन पाठकों से क्षमा चाहता हूँ जिनको मैं मेल का जवाब नहीं दे सका।

और कुछ पुरुष पाठकों से भी क्षमा इसलिए चाहता हूँ कि मैं उनको उर्वशी का नंबर नहीं दे सकता। बेशक उन पुरुष पाठकों ने मुझे गालियों भरे मेल भेजे हैं नंबर न देने की वजह से, लेकिन वो गाली भरे इमेल मैंने सिर माथे लगा स्वीकार कर लिए।

खैर ज्यादा बात न करते हुए मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।

उर्वशी को चोदने के बाद रात 2 बजे मैं उर्वशी के घर से वापस अपने घर आकर सो गया।
सुबह उठा तो देखा उर्वशी की 5 मिस कॉल और कई Whatsapp मेसेज थे जिनमें लिखा था ‘आमोद, रात को तुम वापस क्यों गए?’ उत्तर में मैंने कहा- मैं घर कह कर नहीं आया था कि मैं वापस नहीं आऊँगा, इस लिए मुझे वापस आना पड़ा!

काफी देर हम Whatsapp पर बात करते रहे, उर्वशी ने पूछा- क्या आप मेरे साथ 2-3 दिन रह सकते हो?
मैंने उसको हाँ बोला और कहा- मैं रात 8 बजे तुम्हारे घर पर पहुँच जाऊँगा।
फिर उर्वशी ने कहा- ‘प्यारे लाल’ का मुण्डन करके चिकना बना लो!
मुझे उर्वशी के बिंदास और कोड भाषा पर हंसी आई और कहा- जो हुकुम मल्लिका-ए-हुस्न!

हमारी बातें खत्म हुई, मैं नहा कर तैयार हुआ और अपने काम पर चला गया।
शाम को वापस घर आया और अपना सामान पैक करने के बाद घर वालों को कहा- मुझे जरूरी काम से जयपुर जाना है, दो या तीन दिन में वापस आऊँगा।
और मैं घर से निकल गया।
लक्ष्मी नगर पहुंच कर उर्वशी को फोन किया- मैं आ रहा हूँ!
उर्वशी बोली- आ जाओ, तुम्हारे बिन दिल नहीं लग रहा।

मैंने मेडिकल स्टोर से 3 पीस वाले दो पैकेट ऑरेंज फ्लेवर #Score कंडोम लिये और दूसरी दुकान से कुछ खाने का सामान, सिगरेट और फिर वाइन शॉप से 4 बोतल बियर ली और बैग में रख कर उर्वशी के घर पहुँचा और उसके फ्लैट पर पहुँच कर घंटी बजाई।

उर्वशी ने दरवाजा खोला, उसने लाल रंग की पतली जालीदार नाईटी पहनी हुई थी और अंदर लाल ब्रा और पैंटी… उर्वशी के इस रूप को मैं दरवाजे पर खड़ा टकटकी लगा देख रहा था।
तभी वो बोली- अगर देख कर जी भर गया हो जनाब का, तो अंदर आने की ज़हमत करें।

मैं मुस्कुराया और अंदर आ गया।
और उर्वशी जैसे ही दरवाजा लॉक करके पलटी तो मैंने उसको पकड़कर गले लगा लिया और दरवाजे से सटाकर होंठों पर किस करने लगा और धीरे से उसकी नाईटी उसके कंधों से उतार दी।
उर्वशी लाल ब्रा और पैंटी में कामुक लग रही थी, मैं उसके गालों को, कान की लटकन को चूमते हुए गर्दन के रास्ते से होते हुए उसके कंधों तक पहुंच कर उर्वशी के कन्धे को चूमने लगा।

उर्वशी भी गर्म हो चुकी थी, तो उर्वशी भी मेरी पैन्ट, बेल्ट खोल कर उतारने लगी और मेरे लण्ड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़ कर सहलते हुए मेरे कान में बोली- आमोद, मैं हर तरह से सेक्स करना चाहती हूँ, जी भर के चोदना मुझे!

मैंने उसको पास रखी स्टडी टेबल पर बिठाया और उसके होठों से होंठ मिला कर स्मूच करने लगा, ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलते, निचोड़ते हुए उसके होंठों को चूसने लगा और अपनी उँगलियों को उसके पेट पर नाभि के चारों तरफ घुमाना शुरू किया और उसके जिस्म को चाटते हुए उसको तड़पने लगा।
उर्वशी अपनी अन्तर्वासना में डुबकी लगते हुए आहें भरने लगी और सिसकारने लगी, मेरे सिर के बालों को दोनों हाथों से पकड़ अपनी ओर खींच कर मेरे होंठों को अपने होंठों में दबोच कर चूसने लगी।
मैं पैंटी के ऊपर से उसकी चूत मसलने लगा, और पैंटी को साइड करके चूत में मैंने ऊँगली घुसाई तो उर्वशी उत्तेजनावश मेरे होंठों को अपने दांतों से काटते हुए जोर से चूसने लगी और अपनी बाँहों का नौलखा हार मेरे गले में पहना दिया।

मैं भी तेज़ी से उंगली चूत में अंदर बाहर करते हुए अँगूठे की मदद से उसकी चूत के दाने को मसलने लगा।
उर्वशी की बाँहों की जकड़ से निकल कर मैं उसकी चूत पैंटी के ऊपर से चाटने-चूसने लगा, पूरे कमरे में उर्वशी की मादक सिसकारियों व हल्की हल्की सी चीखों के स्वर से माहौल बहुत कामुक बन गया था।

उसकी पैंटी के इलास्टिक मे उँगलियाँ फंसा कर पैंटी उतारने लगा तो उसने अपने कूल्हों को ऊपर कर पैंटी उतरने में मेरी मदद की और पैंटी उतार कर उसकी चूत की होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया, जिससे उर्वशी का जिस्म गनगना गया।
चूत के लबों को चूसते हुए उर्वशी के बूब्स ब्रा के ऊपर से दबाने लगा और ब्रा ऊपर करके उसकी बाईं चूची बाहर निकाल ली और दबाने लगा।

दोस्तो मस्त, कड़क और टाइट चूची दबाने का आनन्द जो आता है उसको शब्दों में बयां करना कठिन है।

उर्वशी ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा कर अपनी चूत मेरे मुँह में भर दी। मैंने भी अपनी जीभ को नुकीला कर चूत के अंदर सरका दिया और जीभ से चूत चोदते हुए चूसने लगा, कभी जीभ से चूत के दाने को सहलाता, कभी चूत को होंठों में लेकर खींचता जिससे उर्वशी मचल उठती।

कुछ देर बाद उर्वशी ने मुझे टेबल से सटा कर खड़ा किया और खुद घुटनों के बल बैठ कर एक झटके से मेरा अंडरवियर उतार दिया और भूखी शेरनी की तरह लण्ड पर टूट पड़ी, कभी लण्ड चूसती कभी टोपे के चारों तरफ जीभ फिराती, कभी टोपे को दांतों से हल्के-हल्के काटते हुए चूसती।

फिर अचानक से लण्ड को छोड़ उठ कर रसोई में गई और लिक्वड चॉकलेट की बोतल ले आई और मेरे लण्ड पर डाल दी और पूरा लण्ड चॉकलेट से भरकर लण्ड से चॉकलेट चाटने, चूसने लगी।
लण्ड ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों की प्यासी हो।
मैं भी आँखें बंद करके लण्ड चुसवाने का आनन्द ले रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उर्वशी को खड़ी किया और उसको टेबल पर लिटा दिया और लिक्विड चॉकलेट उर्वशी के पेट पर और चूत पर गिरा कर हाथ से चॉकलेट मसाज करते हुए फ़ैलाने लगा।
कुछ देर बाद मैंने झुक कर उसकी नाभि की चॉकलेट जीभ से खोदना शुरू किया तो उर्वशी की सिसकारियाँ छूटने लगी, पेट पर चुपड़ी चॉकलेट मैंने चाट-चाटकर साफ़ कर दी और अपनी जीभ को उर्वशी के पेट से चाटते हो चूत की तरफ बढ़ने लगा, सबसे पहले चूत के होंठों पर से चॉकलेट चाट कर साफ़ की।

दोस्तो, बिन बाल की गोरी चूत के चारों तरफ चॉकलेट लगी हो और सिर्फ चूत के होंठों पर चॉकलेट न हो, तो कभी चूत के होंटों को खोल कर देखना वो अंदर का हल्की सी लाली लिए गुलाबी नज़ारा बड़ा दिलकश लगता है।
आप कभी अपने साथी के साथ करके देखना, बहुत खूबसूरत और दिल काश नजारा, जन्नत से कम नहीं लगेगा।

खैर हम दोनों ने एक दूजे के जिस्म पर लगी चॉकलेट चाट कर साफ कर दी, लेकिन जिस्म की चिपचिपाहट साफ नहीं हुई तो हम दोनों बाथरूम में गए और शावर चालू कर दिया। मैं उर्वशी के जिस्म पर बॉडी वाश लगा कर स्पंज से उर्वशी की चूचियों के बीच घाटियों से घूमते हुए उर्वशी की चूचियों को रगड़ने और साफ़ करते हुए स्पंज से उर्वशी के पेट को, नाभि को साफ़ करते हुए उसकी चूत तक बढ़ता रहा और उर्वशी की गर्दन पर और कान को चूसने लगा।

जब भी मैं उसकी गर्दन और कान पर चुम्बन करता, उर्वशी मचल उठती, उर्वशी पीठ मेरे सीने से लगाये, अपने दायें हाथ से मेरे लण्ड को मुट्ठी में भींच कर मुठ मारने लगी।
कुछ मैं लगातार उर्वशी की चूत को स्पंज से हल्के हल्के रगड़ रहा था।

तभी उर्वशी पलट गई और मेरे होंठों को चूसने लगी और लन्ड पर अपनी चूत पर रगड़ते हुए चूत में लेने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैं साबुन के झाग वाले स्पंज को उर्वशी की गांड पर रगड़ कर गांड मसलते हुए गांड साफ़ करने लगा, जिस्म पर गिरते पानी से सारा साबुन साफ़ हो गया तो उर्वशी बोली- आमोद, मत तड़फाओ… प्लीज़ फ़क मी!

मैंने उर्वशी को बोला- मेरी जान तुम्हारे जिस्म पर बियर डाल कर पीना चाहता हूँ।
उर्वशी बोली- इस वक़्त बियर कहाँ से लाऊँ, प्लीज़ एक बार मुझे रगड़ कर चोद दो, बियर बाद में डाल कर पीना!

लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं बाथरूम से बाहर आया और बैग से बियर की बोतल निकाल कर 3 बोतल फ्रीज में लगाई और चौथी बोतल ले कर बाथरूम में गया।
उर्वशी बोली- क्या क्या खुराफात दिमाग में चल रही है?

मैंने बियर की बोतल का ढक्कन अपने दांतों से खोला और बियर उर्वशी के बूब्स पर डाल कर उसके जिस्म पर से बहती हुई बियर चाटने लगा।
बियर की बोतल उर्वशी के हाथ में थमा दी तो उर्वशी बियर को अपने चूचियों पर उड़ेलने लगी और मैं बियर पीते हुए उसकी चूत तक पहुंच गया और नीचे बैठ कर उसकी चूत खोल, चूत को मुँह लगा कर बियर के साथ उसकी चूत चाटने लगा।

उर्वशी ने अपना पैर उठा लिया जिससे मुझे अपनी जीभ उर्वशी की चूत में अंदर डालने के आसानी हुई।
चूत चूसते हुए मैंने उर्वशी की तरफ देखा, उसकी चूचियों की घाटी से बहता बियर का झरना… और मस्ती में आँख बंद कर उर्वशी मदहोश सिसकारियाँ भर रही थी।

उर्वशी अपने होंठों को चबाते हुए मेरे मुँह में अपनी चूत भरने लगी और मेरे बाल पकड़ कर मुँह अपनी चूत पर दबा लिया, और न जाने क्या का बोलने लगी- आमोद, जोर से चूसो मेरी चूत को, खा जाओ इसे!
और न जाने क्या क्या बोलने लगी।

उसकी चूत चाटना बंद करके मैं उठा, बियर ख़त्म हो चुकी थी, हम दोनों ने अपने जिस्मों पर पानी डाला, फिर मैंने उर्वशी को गोद में उठाया और बैडरूम में आकर उर्वशी को बेड पीठ के बल लिटा दिया और उसके बदन पर पड़ी पानी की बूँदों को देखने लगा।
मेरी नज़र उर्वशी की नाभि में भरे पानी पर पड़ी और मैं झुक कर नाभी का पूरा जलाशय पी गया।
जैसे ही मेरे होंठ नाभि पर लगे, उर्वशी की सिसकी निकल गई और उर्वशी ने दोनों मुट्ठियों में बेडशीट भर ली, मैं भी उर्वशी की दोनों चूचियों को मसलते हुए उर्वशी के नाभिक्षेत्र को चूमने, चाटने और चूसने लगा।

तभी उर्वशी मुझे अपने होंठों पर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी, मुझे पलट कर मेरे ऊपर आई और मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए मेरे लण्ड तक पहुंच गई, मेरे लण्ड को पकड़ लिया और मेरे होंठो को चूसते हुए लण्ड को मुठियाते हुए मेरा नत्थू लाल सिरफ़टे को बाहर निकाल कर लण्ड के छेद को अंगूठे से मसलने लगी, लण्ड को जीभ से चाटने लगी और चूसने लगी।

मस्ती में मेरी आँखें बंद हो गई लेकिन उर्वशी लण्ड को आइसक्रीम की तरह चूस और चाट रही थी।
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मेरा लण्ड फूल कर सख्त रॉड जैसा हो गया था, मैंने किसी तरह उर्वशी के कब्ज़े से लण्ड को छुड़वाया और खड़ा हुआ, बैग से कॉन्डोम निकाल कर लण्ड पर चढ़ाया, उर्वशी को बैड पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया, उर्वशी के पैर ऊपर करके खोल दिए और उर्वशी के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसते हुए मैंने चूत के होठों में लन्ड फंसाया और एक झटके में पूरा लण्ड उर्वशी की चूत में पेल दिया जो सीधा उसकी बच्चेदानी से टकराया।

उर्वशी की जोर की चीख निकली और मेरे मुँह में घुट गई। उर्वशी की आँखों में आँसू आ गए और उर्वशी ने अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ कर पीठ को नोच लिया।
मैं बिना रुके लण्ड को तेज़ी से अंदर बाहर करते हुए उर्वशी को चोदने लगा, कुछ देर बाद उर्वशी भी अपने कूल्हे चला कर मुझे ऊपर की तरफ चोदने लगी।

मैं उर्वशी की जांघों को पकड़ कर उसके घुटने उसकी चूचियों से मिला कर चोदने लगा, हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे, कभी उर्वशी मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसती, कभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डालती, और मैं उर्वशी की जीभ चूसते हुए अपने मुँह में अंदर तक खींचता, उर्वशी को चुदाई और जीभ चुसाई दोनों क्रियाओं में हल्का दर्द देते हुए चोदने लगा।

उर्वशी दर्द और उन्माद के नशे में मुझे अपने अंदर समाने के लिए अपनी ओर खींचने का भरसक प्रयास करने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उर्वशी की जीभ चूसना बंद किया, उसने एक आह भरते हुए जोर की सांस ली और मुझे अपनी और खींच कर मेरी गर्दन को अपने होठों और दाँतों से काटते हुए चूमने लगी।

मैं भी उसकी गर्दन पर अपने होंठ चलने लगा और उर्वशी के कान पर जीभ फिराते हुए मैं उर्वशी के कान को चूसने लगा जिससे उर्वशी जल बिन मछली की तरह तड़पते हुए मेरे कान की लटकन को अपने दांतों के बीच लेकर काटते-काटते चूसने लगी और मैं पूरा लण्ड बाहर निकाल कर तेज धक्के के साथ चूत की गहराई तक डाल कर चोदने लगा।

कुछ देर बाद उर्वशी के ऊपर से हटा और उसको घोड़ी बना कर चूत में पीछे से लण्ड डालकर चोदने लगा, उर्वशी भी मेरे साथ ताल से ताल मिला कर अपने चूतड़ चलाने लगी।
मैं भी उसको चोदते हुए उसके चूतड़ चांटे मार कर लाल करने लगा, लण्ड बाहर खींच कर चूत के अंदर डालता और चटाक से गांड पर थप्पड़ मारता, उर्वशी को चूत चुदाई और गांड पिटाई का दोहरा मजा देते हुए जोर से चोदने लगा।

कुछ देर बाद मैं और उर्वशी अलग हुए, पलंग पर बैठ कर मैंने उर्वशी को अपनी गोद में खींच लिया और उर्वशी ने लन्ड पकड़ कर चूत पर सेट किया और पूरा लन्ड चूत में फिट करके मेरी गोद में बैठकर चुदने लगी। मेरे होंठों को चूसते हुए उर्वशी ने मुझे लिटा दिया और मेरे सीने पर हाथ रख कर ऊपर नीचे होती हुई चूत चुदवाने का मजा लेते हुए जोर जोर से सिसकारियाँ भरते हुए लन्ड पर कूदने लगी और अपनी चूचियों को खुद ही मसलते हुए अपने निप्पलों को खींचने लगी।

10-15 झटके मार कर उर्वशी झड़ गई और मेरे सीने पर सर रख कर हांफने लगी।
उर्वशी की चूत से निकल सैलाब मेरे लन्ड और जांघों पर फ़ैल गया, मैं उर्वशी को अपनी बाँहों में लेकर खड़ा हो गया, बिना चूत से लन्ड निकाले और गोद में उठाये उर्वशी खड़े खड़े चोदने लगा और उर्वशी की चूचियों को दबाते हुए मैंने अपने मुँह में भर लिया और निप्पल खींचते हुए चूसने काटने लगा।

उर्वशी फिर से जोश में आ गई और बोली- आमोद, आज मत रुकना, चोदो मुझे!
मैंने उर्वशी को पलंग के कोने पर लिटाया और उसकी जांघों को पकड़ कर चौड़ा किया और तेज़ तेज़ धक्के मारते हुए उर्वशी की चूत की गहराई में लन्ड उतार कर चोदने लगा।

उर्वशी मेरे हर धक्के का स्वागत करते हुए नीचे से धक्के मरते हुए बोली- आमोद, मैं झड़ने वाली हूँ!
और कुछ धक्कों को ही बर्दाश्त कर सकी और एक चीख के साथ झड़ गई।

मेरे लन्ड ने भी हथियार डाल दिए चूत के मैदान में और मैं भी 20-25 तेज़ तेज़ धक्के मारकर उर्वशी की चूत की तह में लन्ड गाड़ कर झड़ गया और उर्वशी की चूचियों पर पसर गया।

उर्वशी मेरे होंठों पर अपने होंठों को रखकर कर चूमने लगी और मुझे अपनी बाँहों में समेट कर मेरे सिर के बालों में उंगलियाँ चलाते हुए बोली- आमोद, तुम से चुद कर मैंने चरमानन्द पाया है आज कई महीनों बाद!
मैं बोला- उर्वशी चुदाई में ‘परमानन्द’ और पूर्ण सन्तुष्टि के बिना मजा नहीं आता।

फिर हम उठे और मैंने कॉन्डम लन्ड से उतारा और अख़बार में लपेट कर पलँग के नीचे रख दिया और हम दोनों खुद को बाथरूम साफ़ करने के लिए घुसे और बाहर आये और घड़ी देखी तो पता चला कि हम दोनों ने 2 घंटे चुदाई कबड्डी खेली।

अब हम दोनों को भूख लग रही थी तो हम खाना खाने बाहर चले गए और घर वापस आ कर फिर से बिस्तर में घुस कर लण्ड चूत की कबड्डी शुरू करी।

उर्वशी को उस रात मैंने 3 बार चोदा और उसकी चूत का पुर्ज़ा पुर्ज़ा हिला दिया।

सब फड़कती चूतों के ईमेल के इंतज़ार है, चूत चोदने के लिए लण्ड तैयार है।
आपका
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