ट्रेन में मिली हॉट लड़की की चुदाई- 2

(Beautiful Girl Sex Kahani)

नवीन नरुका 2021-05-09 Comments

ब्यूटीफुल गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि ट्रेन में लड़की पटाने के बाद मैं उसकी चुदाई का मौका देख रहा था. वो मेरे फ़्लैट में कैसे आयी, मेरा लंड उसकी चूत में कैसे गया?

दोस्तो, मैं आपको ट्रेन में मिली जवान लड़की की चुदाई की कहानी बता रहा था।
इस ब्यूटीफुल गर्ल सेक्स कहानी के पहले भाग
ट्रेन में सेक्सी लड़की के साथ सेक्सी मस्ती
में मैंने आपको बताया था कि कैसे स्मृति नाम की लड़की से मेरी मुलाकात हुई।

मैंने सफर के बाद उसको अपने फ्लैट पर बुलाया लेकिन उसने आने से मना कर दिया.

मैं उसके पास उसकी दोस्त की शादी में पहुंचा और वहां उसको किस किया. फिर अगले दिन का प्रोग्राम उससे पूछा तो वो बोली कि मैं सोचकर बताऊंगी।

अब आगे की ब्यूटीफुल गर्ल सेक्स कहानी:

रिमी की शादी हो चुकी थी और सारे मेहमान भी जाने लगे थे।
इधर स्मृति ने भी अपनी पैकिंग की और अंकल आंटीजी से मिलकर चलने लगी।

वो बाहर ही निकली होगी तब ही मेरा फोन बजा।

मैंने देखा तो स्मृति का कॉल था, उसने पूछा कि होटल कौन सा ठीक रहेगा रुकने के लिए?
मैंने स्मृति को बोला- होटल क्यों? मेरे फ्लैट पर रुक जाओ?

पहले तो वो मना करने लगी मगर फिर थोड़ी ना नुकुर करने के बाद वो मान गई।

उससे मैंने पूछा- कहां पर हो तुम अभी?
उसने बताया कि वो यमुना बैंक के पास है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं 35 मिनट में वहा पहुँच जाऊँगा. जब तक टोकन लेकर अंदर आ जाओ।

मैंने बाई को पहले को बोल दिया था कि मेहमान आएंगे तो कुछ नाश्ता बना देना।

फिर मैं 35 मिनट में वहां पहुँच गया और स्मृति को फोन किया।
फ़ोन उठाकर उसने बोला कि वो कस्टमर केयर कैबिन के पास खड़ी है।

मैं नीचे गया और उसके पास जाकर उसे हैलो बोल कर विश किया।
उसके पास ज्यादा कुछ सामान नहीं था।

हम ऊपर प्लेटफॉर्म पर आ गये. थोड़ी देर में मैट्रो आ गई थी तो हम दोनों उसमें बैठ गए।

मैट्रो खाली थी तो हमें सीट भी मिल गई।

मैंने स्मृति से बात करना शुरु किया तो उसने बताया कि कैसे उसने शादी में एन्जॉय किया.
हम दोनों यही कोई 35 मिनट बाद में राजौरी गार्डन पहुँच गए।

वहां पर मैंने स्मृति को कॉफ़ी ऑफर की। वो कॉफ़ी के लिए मान गई और फिर हम वहीं कॉफ़ी शॉप पर कॉफ़ी पीने चले गए. मैंने कॉफ़ी पीते पीते स्मृति के हाथों पर हाथ रख दिए. उन पर हल्के हल्के अपनी उंगली फिराने लगा।

वो अपने बारे में बता रही थी कि उसका क्या बनने का सपना है।
मैं उसकी आंखों में आंखे डालकर कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा।
स्मृति ने पूछा कि क्या देख रहे हो तो मैंने भी बोल दिया कि आपकी आंखें झील सी गहरी हैं और बहुत नशीली भी।

वो शर्मा गई और हंसने लगी। फिर हमने कॉफी खत्म की और मेरे फ़्लैट पर आ गये। मैंने फ्लैट पर आते समय रास्ते से एक स्ट्राबेरी का पैकेट ले लिया।

स्मृति ने पूछा- कोई और नहीं रहता क्या यहाँ?
मैंने बोला- नहीं यहाँ सिर्फ मैं रहता हूं।

भीतर जाकर मैंने स्मृति को बोला कि जाकर चेंज कर लो और फ्रेश हो लो।

मैंने उसका सामान रूम में रखा और दोपहर के खाने का प्लान करने लगा।

थोड़ी देर में स्मृति भी आ गई.
मैंने स्मृति से खाने का पूछा कि क्या खाओगी तो उसने बोला कि कुछ भी खा लेगी।

बाई सुबह ही आलू के पराँठें बना कर गई हुई थी और दही मैं रात को लेकर ही आ गया था।
मैं अंदर रसोई में गया और 2 प्लेट में नाश्ता लगाकर आया। साथ में 10-12 स्ट्राबेरी भी एक प्लेट में लेकर आया.

हमने नाश्ता किया और टीवी देखने लगे।

मैं धीरे धीरे स्मृति के पास आता जा रहा था।
उसे अपनी बातों से हल्के हल्के मदहोश किये जा रहा था।

मैंने अब स्मृति के बिल्कुल करीब आकर उसकी जांघों पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगा।

मैं स्मृति की आँखों में आंखें डाल कर तारीफ़ किये जा रहा था।
स्मृति की झील सी आंखों में एक अजीब सा नशा सा था। दिल तो कर रहा था कि मानो उनमें ड़ूबकर गोते लगाऊं।

स्मृति के होंठ मानो एक दम गुलाब की पँखुड़ी थे। स्मृति का यौवन जैसे उसके कपड़ों से बाहर आने को मचल रहा था।

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिये और उन्हें चूसने लगा।

मैं स्मृति को उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
वो किस करने के साथ साथ मदहोश हुए जा रही थी।

अब मैं अपने हाथों से स्मृति के बूब्स मसल रहा था और साथ साथ उसकी बूब्स की निप्पल्स को अपने अंगूठे व उंगली से मसल रहा था।
ऐसा करने से वो सेक्स के लिए मचल सी रही थी।

उसके परफ्यूम की खुशबू से मैं उसका दीवाना हुआ जा रहा था। स्मृति को अपनी आग़ोश में लेकर उसके होंठों को चूसने लगा.

अब हम दोनों इस तरह एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे कि मानो कितने जन्मों के प्यासे हों!

मैं धीरे धीरे उसके कपड़ों को उतार कर अलग करने लगा।
उसक़ी ब्रा के ऊपर से ही स्मृति के बूब्स एक हाथ से मसलने लगा। अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों के साथ साथ अपनी जीभ भी लड़ा रहे थे।

धीरे धीरे मैंने स्मृति के सारे कपड़े उतार दिए और उसे बिल्कुल नंगी कर दिया।

फिर मैं भी अपने कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा हो गया।
मेरा लण्ड अब स्मृति के सामने था।

लण्ड देख कर एक प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई, वो बोली- कितना बड़ा है तुम्हारा!
मैंने भी उसे अपनी ओर खींचते हुए बोला- तुम्हारे लिए ही है।

स्मृति ने अपने एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और उसे अपने हाथ से हल्के से दबाने लगी।

अब मैं दोबारा स्मृति से लिपट गया। अब मैं स्मृति के शरीर के हर हिस्से को चूम रहा था।

मैंने स्मृति को सोफ़े के ऊपर बिठाया और मैं खुद घुटनों के बल बैठकर उसकी चूत को देखने लगा।

स्मृति ने शायद दिल्ली आने से पहले ही सफाई की होगी अपनी चूत की। दिखने में स्मृति की चूत एकदम गुलाबी रंग की थी।

मैंने बिना देर किये उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया। तब मैंने एक हाथ से प्लेट में रखी स्ट्राबेरी में से 1 स्ट्राबेरी उठाई और स्मृति की चूत पर उसे मसल कर उसका रस टपकाया।
अब मैं स्मृति की चूत को चाटने लगा। स्ट्राबेरी के रस ने स्मृति की चूत का टेस्ट और बढ़ा दिया था।

स्मृति की चूत के होंठों को अपने होंठों में दबा कर उन्हें हल्के से खींच कर उनका रस चूस रहा था मैं!
वो अपने एक हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाये जा रही थी, दूसरे हाथ से वो अपने बूब्स मसल रही थी।

मेरा एक हाथ स्मृति के बूब्स पर था. मैं स्मृति के बूब्स की निप्पलों को अपने अंगूठे और उंगली से हल्के हल्के मसल रहा था।

अब स्मृति मदहोश हुए जा रही थी और बोल रही थी- प्लीज़ आदित्य … मुझे और ज्यादा न तड़पाओ … मुझे चोद दो … प्लीज!
मैं उसे अभी तड़पाना चाह रहा था।

अब मैंने अपनी जीभ से उसके भग्नासा को टच किया और अपने होंठों से उसे हल्का सा दबा कर उसे हल्का सा खींचा।

इससे स्मृति की सिसकारी निकल गई और वो अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी।
वो अब लगातार आह्ह … आह्ह … जैसी मस्त आवाजें कर रही थी।

अब वो अपनी गांड उठा कर ज्यादा मजा लेने लगी थी।
फिर चुसवाते हुए स्मृति की चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने उस पानी को अपनी जीभ से साफ किया; स्मृति के होंठों से होंठ लगा कर स्मृति को उसके चूतरस का स्वाद देने लगा।

फिर मैं सोफ़े पर बैठ गया और स्मृति को लण्ड चूसने के लिए कहा।
अब स्मृति सोफ़े से उठ कर नीचे बैठ गई; वो बड़े प्यार से लण्ड को पकड़ कर मसलने लगी.

फिर स्मृति ने भी एक स्ट्राबेरी ली और मेरे लण्ड पर उसका रस टपका कर उसे चूसने लगी और मेरे लंड पर किस करने लगी.

उसके बाद स्मृति मेरे लंड को ऊपर से नीचे तक किस करने लगी. स्मृति कभी अपनी जीभ को लंड के अगले हिस्से पर घुमाती तो कभी नीचे गोलियों पर।

फिर स्मृति ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
स्मृति बड़े मज़े से मेरे लंड को चूस रही थी. मानो कोई लॉलीपॉप चूस रही हो।

धीरे धीरे स्मृति मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर ज्यादा से ज्यादा ले रही थी.
मेरे मुँह से ‘ओह … आह … अस्स …’ की आवाज़ें निकल रही थीं.

अब स्मृति खड़े होकर मेरी गोदी में आकर बैठ गई। अब मैंने स्मृति के बाल पकड़ कर उसके सिर को ऊपर किया और उसकी गर्दन को चूमने लगा।

अब मैंने एक स्ट्राबेरी लेकर मेरे होंठों में दबा कर स्मृति के होंठों को चूसने लगा। उसके बूब्स पर 2-3 स्ट्राबेरी को मसल कर बूब्स को हल्के हल्के मसलने लगा।

मैं अपने होंठों से स्मृति के बूब्स को हल्के हल्के लव बाईट करने लगा और नीचे से लण्ड स्मृति की चूत पर रगड़ने लगा।

अब मेरे मुह में स्मृति के बूब्स थे और मैं स्मृति के निप्पल्स पर अपनी जीभ फिरा रहा था।

उसे मैंने वहीं सोफ़े पर लिटाया और स्मृति को चूमते हुए नीचे की तरफ आ रहा था. मैं अब स्मृति की कमर के आसपास चूमने लगा। एक उंगली उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा।

स्मृति के मुंह से आह … आहह … करके सिसकारी निकल रही थी.
अब मैंने स्मृति के दोनों पैरों के बीच में आकर अपने लण्ड को स्मृति की चूत पर लगाया और हल्का सा अंदर को धक्का लगाया।

लण्ड का अभी टोपा ही अंदर गया था कि स्मृति दर्द से चिल्ला उठी और कहने लगी- आह्ह मर गयी, बहुत दर्द हो रहा है।
उसने शायद पहले चुदाई नहीं करवाई थी. सिर्फ़ उंगली से ही अपनी हवस को शांत किया होगा।

मैं स्मृति के होंठों पर होंठ रखते हुए उन्हें चूसने लगा।
इतने में ही मैंने एक जोर का धक्का लगा कर लण्ड उसकी चूत में आधा पेल दिया।

स्मृति लण्ड के अंदर घुसते ही छटपटाने लगी। मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ाने लगी।
थोड़ी देर मैं बिना धक्के लगाये उसके होंठों को चूसता रहा और बूब्स को हल्के हल्के मसलता रहा।

मैं निप्पल्स को हल्के हल्के अंगूठे और उंगली से मसल कर उसे नॉर्मल करने लगा।

जब उसे कुछ राहत मिली और वो अपनी गांड उठा कर चुदने का इशारा करने लगी।

अब मैंने भी उसकी चुदाई चालू कर दी। उसके लेटी लेटी के नीचे मैंने सोफ़े वाला तकिया उसकी गांड के नीचे लगाया जिससे उसकी चूत और ऊपर उठ गई।

लण्ड अब आराम से पूरा अन्दर जा सकता था।

अब मैंने एक धक्का और लगाया तो स्मृति की चूत में मेरा लण्ड पूरा का पूरा अन्दर समा गया।

मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा और साथ ही बूब्स मसल कर होंठों को भी चूसने लगा।
अब स्मृति भी अपनी गांड उठाकर चुदने में अपना सहयोग देने लगी।

मैंने अब धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी से जाकर लगने लगा।

अब स्मृति को भी चुदाई का मजा आने लगा; वो अब खुलकर चुदने लगी।
वो मुझे गाली देते हुए चुदने लगी- आह्ह … चोद साले … आह्ह फाड़ दे।
मैं भी उसको ऐसे ही गाली देते हुए चोदने लगा।

स्मृति के मुंह से मस्त सिसकारी निकल रही थी ‘ओह … आह … अस्स …’ ऐसे करके वो मस्ती में चूत को चुदवा रही थी।
वो जोर जोर से अपनी गांड उठा कर चुदने लगी।

लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद स्मृति झड़ने लगी. अब उसके पैर टाइट होने लगे और वो मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ाने लगी।
वो झड़कर ढीली पड़ गई।

मेरा माल भी अब निकलने वाला था।
मैंने कहा- कहां गिराऊं?
वो बोली- मेरी चूत प्यासी है। मेरी चूत को ही पिला दो अपना माल।

मैंने 7-8 धक्के लगा कर उसकी चूत में ही अपना सारा पानी निकाल दिया।
उसकी चुत मेरे लंड के पानी से भर गई थी और साथ ही उसका पानी भी उसकी चूत से निकल रहा था।

अब हमने एक दूसरे को किस किया और थोड़ी देर ऐसे ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।

मैंने टाइम देखा तो घड़ी में 1 बज रहा था। अब मैं उठा और स्मृति को अपनी बांहों में उठाकर बाथरूम में लेकर गया।

हमने शावर लिया और एक दूसरे को वहीं नहलाया भी।

अब हम दोनों का मूड दोबारा बनने लगा तो मैं वहीं बाथरूम में बैठकर स्मृति की चूत को चाटने लगा।
थोड़ी देर चूत चाटने के बाद स्मृति को लण्ड चूसने के लिए बोला।

मेरे कहने पर वो नीचे घुटनों के बल बैठकर लण्ड चूसने लगी।

फिर हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते हुऐ कमरे में आये और बेड पर आकर लेट गए।

हमने एक बार फिर चुदाई की। इस बार हमारी चुदाई काफी देर तक चली।

चुदाई करने के बाद हमने 3 बजे लंच किया जो कि हमने ऑनलाइन ऑर्डर करके मंगवाया था।

लंच के 30 मिनट बाद हमने एक बार और चुदाई की। इस बार चुदाई खाने की टेबल पर की।

चुदाई करने के बाद हम उठे और सोफ़े पर जाकर एक दूसरे से चिपक कर लेट गए। चुदाई की थकान की वजह से थोड़ी देर हम वहीं सो गए।

अब स्मृति को दिल्ली भी घुमाना था। टाइम भी 5 बजे का हो गया था।

हम दोनों दोबारा बाथरूम में गए और फ़्रेश होकर कपड़े पहने।

मुझे स्मृति ने एक जोर का हग किया और आई लव यू बोल कर होंठों को किस करने लगी।

फिर हम दोनों बाहर घूमने चले गए क्योंकि स्मृति का इंटरव्यू अगले 2 दिन बाद था।

हम पहले अक्षरधाम गए। वहाँ हमने नाईट का शो देखा और फिर हम रेस्टोरेंट गए।
वहाँ हमने खाना खाया और उसके बाद हम घर आ गये।

इस तरह से मैंने स्मृति को पटाकर चोदा।

दोस्तो, कहानी में चुदाई की ये पहली घटना थी। इसके आगे भी कहानी में मैंने कई बार उस सुंदर लड़की की चुदाई की।
उसकी चुदाई की अगली कहानी मैं जल्द ही लिखूंगा।

आपको ये ब्यूटीफुल गर्ल सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे इस बारे में जरूर बताएँ, मुझे आप लोगों के मैसेज का इंतजार रहेगा। मुझे मेरी ईमेल पर अपनी राय भेजें।
धन्यवाद।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top