बहू के साथ शारीरिक सम्बन्ध-4

(Bahu Ke Sath Sharirik Sambandh- Part 4)

This story is part of a series:

थोड़ी देर बाद मुझे एक हलचल सी महसूस सी हुई, मैंने हल्की सी अपनी आँखें खोली, देखा कि सायरा उठकर बैठी, अपने बालों का जूड़ा बनाया, मुझे ऊपर से नीचे देखा.
फिर उसकी नजर मेरे लंड पर जाकर ठहर गयी और खुद से बात करने लगी- हाय पापा, आपका लंड तो सोनू के लंड से दुगुना लम्बा और मोटा है, सोनू का लंड तो मेरे हथेली के अन्दर आकर गुम हो जाता है. पर आपका लंड है कि हथेली में समाता ही नहीं है। सोनू का लंड मेरी चूत को छूने से पहले झर जाता है और आपका लंड जब तक मेरी चूत को जब तक मसल नहीं देता तब तक छोड़ता ही नहीं है।

इतना कहने के साथ ही साथ दो-तीन बार उसने मेरे लंड को चूमा और सुपारे पर अपनी जीभ चलाने लगी.

मेरी नजर अभी भी सायरा की हरकतों पर थी, उसने अपने अंगूठे को सुपारे पर फिराया और अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने के बाद चाटने लगी और फिर चटकारे लेते हुए बोली- पापा थैंक्यू, मुझे अपने निर्णय पर पछतावा नहीं है।

इसके बाद वो उठी और बाथरूम की तरफ चल दी। मैं अभी भी अधखुली आँखों से सायरा की हर हरकत पर ध्यान रख रहा था।

कोई दो-तीन मिनट बाद सायरा वापिस पलंग पर आकर बैठ गयी और मेरे लंड को निहारने लगी और साथ ही अपनी चूत अपर हाथ फेर रही थी। फिर वो मेरे लंड पर झुकी, पर एक बार उसने मुझे फिर देखा, मैंने तुरन्त ही आँखें बन्द कर ली।
शायद सायरा इस बात को देखना चाह रही थी कि मैं सो रहा हूं या जाग रहा हूं।

मैं अपनी आँखों को मूंदे हुए था पर दिमाग को खुला रखाकर सायरा की हिलने डुलने को समझ रहा था.

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि एक बार सायरा का पूरा ध्यान मेरे लंड पर है। मैंने फिर अपनी आंख को थोड़ा खोला और फिर से देखने लगा. सायरा अभी भी मेरे लंड पर झुकी हुई थी।
फिर एकाएक मुझे लगा कि सायरा के होंठों का स्पर्श मेरे लंड के सुपारे पर है, शायद उसने मेरे लंड को चूमा था।

एक बार फिर सायरा मेरे पास से हटकर शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने जिस्म को निहारने लगी, अपनी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मसलते हुए अपने हाथ को अपनी चूत की तरफ ले जाकर, फिर अपनी टांगों को फैलाकर चूत को जोर-जोर से रगड़ते हुए लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी।
चूत को अच्छे से मलने के बाद वो अपनी दोनों हथेलियों को चाटने लगी.

इधर अपनी बहू की कामुकता भरी हरकतों को देखकर मेरा लंड हिलौरें मारते हुए टनटना चुका था. सायरा ने जब मेरा लंड चूमा था, तभी से वो खड़ा था लेकिन अब चमड़ी को फाड़कर सुपारा बाहर आ चुका था और 90 डिग्री पर सेट हो गया।

सायरा की नजर मेरे लंड पर पड़ी. तने लंड को देखकर समीप आकर उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कैद किया और सुपारे पर अपनी जीभ चलाते हुए बोली- पापा, आप भले ही सो रहे हों लेकिन आपका लंड मानने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब आपको जगाकर परेशान थोड़े ही करूँगी. पर आपके लंड को तब तक प्यार करूँगी, जब तक इसका मन होगा.
कहकर वो मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे टट्टों के साथ खेलने लगी.
बीच-बीच में वो मुझे देख लेती और फिर अपने काम में जुट जाती.

सायरा के लगातार ऐसा करने से मेरे जिस्म में अकड़न सी शुरू हो चुकी थी, मेरे चूतड़ आपस में मिल चुके थे. सायरा मस्त होकर अपने ससुर के लंड को चूसे जा रही थी. उसको मेरे जिस्म में होने वाले हलचल की कोई खबर न थी.

बस इसी एक पल का मैंने फायदा उठाते हुए अपने जिस्म की अकड़न को खत्म किया, इसके परिणाम स्वरूप मेरा वीर्य सायरा के मुंह के अन्दर छूट गया. अचानक मेरे लंड से निकलते हुए वीर्य की वजह से सायरा हड़बड़ा गयी और मेरे लंड को मुंह से निकाल दिया.

मेरे वीर्य से उसका पूरा चेहरा गीला हो चुका था पर सायरा ने मेरे लंड को छोड़ा नहीं वो मेरे सुपारे को चाटती रही.
उसके बाद एक बार फिर शीशे के सामने खड़े होकर चेहरे पर पड़ी मेरी मलाई से अच्छे से अपने चेहरे को मला, फिर अपनी चूची में लगाया और फिर चूत पर मलने के बाद मेरे पास आकर बैठ गयी.

मेरी बहू मेरे बालों को सहलाते हुए बहुत ही धीमी आवाज में बोली- पापा, आप बहुत अच्छे हो। आज आपने मुझे कली से फूल बना दिया. पर …
अब मेरे कान खड़े हो गये, सायरा क्या कहना चाह रही थी?

“पर पापा … मैं क्या कहूं, कैसे बोलूं, मुझे अच्छे से प्यार कीजिए, मैं आपके लंड को खुल कर चूसना चाहती हूं लेकिन आपके जागते हुए … आपको मजा देते हुए!”
“हम्म!” मैं अपने मन में ही बोल पड़ा- सायरा मेरी बहू, मैं भी तुम्हारी चूत को चाटना चाहता था तुमसे अपना लंड चुसवाना चाहता था, पर तुम बुरा न मान जाओ, इसलिये नहीं किया, लेकिन कल तुम्हें खूब मजा दूंगा।

फिर मैंने करवट बदल लिया। सायरा भी मुझसे चिपक गयी। उसके जिस्म की गर्मी को बर्दाश्त करते हुए मैं सो गया।

सुबह सायरा ने मुझे जगाया, उसने पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। पीली छोटी बिंदी, पीली लिपस्टिक, पीली चूड़ियाँ बहुत सुंदर दिख रही थी।
उसके हाथ में चाय का कप था- पापा उठिये, चाय!

मैंने उठकर चाय उसके हाथ से ली, सायरा तुरन्त ही झुककर मेरे पैर छुये, मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- दूधो नहाओ, पूतो फलो।
मुसकुराते हुए बोली- अब मैं पूतों से फल जाऊंगी क्योंकि अब आपके दूध का आशीर्वाद मिल गया है।

उसकी बात काटते हुए बोला- सोनू का फोन आया था?
“हां पापा-रात तक आ जायेंगे। पापा, आप नहा धो लो, मैं तब तक आपके लिये नाश्ता बना देती हूं!”
कहकर वो उठी और रसोई की तरफ चल दी।

सायरा के सुबह के व्यवहार को देखकर मैं रात की बात सोचने लगा कि किस तरह सायरा ने मुझे और मेरे लंड को संतुष्ट किया.
अभी मैं सोच ही रहा था कि सायरा ने मुझे झकझोरा और फ्रेश होने के लिये बोली.

मैंने सायरा को ऊपर से नीचे तक देखा, हुस्न भी उसके सामने इस समय फीका लगता.

एक बार फिर सायरा ने मुझे झकझोरा और बोली- क्या सोच रहे हैं पापा?
मैंने अपनी गर्दन न में हिलायी और फ्रेश होने के लिये बाथरूम में घुस गया।

नहाने धोने के बाद तौलिया ही लपेटे बाहर आया, सायरा अभी भी रसोई में ही थी, उसने अपने साड़ी के पल्लू को कमर में खोंस रखा था. अपनी जवान बहू की चिकनी कमर देख कर मेरे और मेरे लंड महराज को नशा सा छाने लगा। सायरा की पीठ मेरी तरफ थी और वो अपने काम में मशगूल थी।

मैं दबे पांव रसोई के अन्दर गया और सायरा की कमर को सहलाते हुए उसको पीछे से कस कर पकड़ लिया।
बड़ी सहजता के साथ बोली- पापा जी, नहा चुके है आप?
“हां नहा तो चुका हूं!” मैं उसकी चूची को उसके ब्लाउज के ऊपर से दबाते हुए बोला.
“तो फिर मैं नाश्ता लगा देती हूं।”

मैंने सायरा को गोद में उठाया और अपने रूम में लाकर पलंग पर लिटाते हुए कहा- नाश्ता कहां भागा जा रहा है, बस मेरी प्यारी गुड़िया एक बार मुझे प्यार कर ले तो नाश्ता भी जमकर खा लूंगा.
“और हां …” उसके बगल में लेटते हुए कहा- अब तुम ही मुझे प्यार करोगी, मैं कुछ भी नहीं करूंगा।

थोड़ा सा झिझकने का नाटक करते हुए मेरी पुत्रवधू बोली- पापा, मैं?
“हाँ तुम!” मैंने भी अपनी बातों में जोर देते हुए कहा- पर एक शर्त और भी है, मुझे मजा आना चाहिये।
“पापा मैं कैसे करूंगी?”
“क्यों, क्या हुआ? आजकल की लड़की हो, तुम्हें तो पता होना चाहिए कि मर्द को कैसे अपने वश में किया जाता है।”

थोड़ी देर वो मुझे ऐसे ही देखती रही।

मैंने सायरा को अपने ऊपर खींचा और उसके चेहरे को ढक रहे बालों को एक तरफ करते हुए कहा- सायरा, यह मत सोचो कि मैं क्या सोचूंगा। बस तुम मुझे ऐसा प्यार करो कि मैं तुम्हारा गुलाम हो जाऊं.
इतना कहने के साथ ही मैंने उसके होंठों को चूमा और फिर उसके उत्साह को बढ़ाने के लिये बोला- सायरा, एक बात कहूँ, तुम इस पीली साड़ी और मेकअप में बहुत ही सेक्सी लग रही हो।

एक बार फिर सायरा ने शर्माने का नाटक किया लेकिन कुछ ही देर बाद वो मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे होंठ पर एक बहुत ही छोटी लेकिन मिठास से भरी हुई पप्पी दी।
दो-तीन बार तक सायरा ने ऐसा ही किया।

मैंने चुपचाप अपने हाथ पैर सब खोल दिये थे।

अभी तक सायरा मेरे होंठों को पप्पी दे रही थी पर अब चूसना शुरू कर दिया। फिर अपनी जीभ के मेरे मुंह के अन्दर डालती, मेरे होंठों पर चलाती और अगर मैं भी अपनी जीभ बाहर निकालता तो मेरे जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसती।
अब उसके ऊपर कामवासना हावी होने लगी थी।

सायरा ने मेरे दोनों गालों को कसकर पकड़ा और मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी। फिर नीचे की तरफ खिसककर मेरे निप्पल को चूसती और काटती और इससे भी मन नहीं भरता तो अपनी उंगलियों के बीच में फंसाकर मेरे निप्पल को जोर-जोर से मसलती।
सायरा की आँखें बता रही थी कि उसे क्या चाहिये।

फिर वो मेरी जाँघों के पर बैठ गयी और अपनी साड़ी का पल्ले को हटाकर अपने ब्लाउज के हुक को खोलकर ब्लाउज को अपने जिस्म से अलग किया।
अरे वाह … उसने मैचिंग ब्रा भी पहनी हुई थी.

जल्दी से उसने अपनी ब्रा को अपने जिस्म से अलग किया और अपने थन को उसने आजाद कर दिया और मेरे निप्पल को अपने निप्पल से चूमाचाटी करवाने लगी। फिर अपनी दोनों चूचियों को हाथ से पकड़कर मेरी छाती पर खासतौर से निप्पल पर रगड़ने लगी और फिर बारी-बारी से अपनी चूची मेरे मुंह में भर देती और मैं उसे चूसता।

कहानी जारी रहेगी.
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