बहन की सहेली संग दोस्ती और चुदाई

(Bahan Ki Saheli Sang Dosti Aur Chudai)

राज ठाकुर 2016-06-26 Comments

यह बात हमारे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की की है.. उसका नाम अवनी था। वो दिखने में एकदम मस्त माल थी.. मेरी नज़र शुरू से ही उस पर थी। साली चलती भी तो ऐसे थी कि उसके चूतड़ हिलते थे.. जैसे मानो बोल रहे हों.. आओ मेरी गाण्ड मारो..

वैसे हुआ था यूँ कि मेरी जॉब में टूरिंग काफ़ी रहता है.. तो ऐसे ही एक दिन मैं बाहर गया हुआ था। मेरे मोबाइल पर किसी अनजान नंबर से फोन आया।
मैंने उठाया तो कोई लड़की बात कर रही थी।

मैंने पूछा- कौन?
तो उसने कहा- आवाज़ नहीं पहचानते?
मैंने कहा- नहीं..
फिर उसने बताया- मैं अवनी बोल रही हूँ और तुम्हारी बहन तुमसे बात करना चाहती है।
‘ठीक है कराओ..’

उसने फोन मेरी बहन को दिया और मेरी सिस्टर ने मुझे बोला- मेरा मोबाइल खराब हो गया है.. उसे कहाँ पर रिपेयर कराऊँ?
तो मैंने कहा- मैं आकर रिपेयर करवा दूँगा।

बहन से बात होने के बाद फोन अवनी ने ले लिया।
अवनी ने बोला- यह मेरा नंबर है.. इसे सेव कर लेना।

उस दिन के बाद उसके मैसेज आने शुरू हो गए, मैं भी कभी-कभी उसको मैसेज भेज देता था।
एक बार मैंने उसे मैसेज किया कि मुझे तुमसे मिलना है।
तो उसका रिप्लाई आया कि मैं भी तुमसे मिलना चाहती हूँ।

बात जम गई.. तय वक्त पर हम मिले और मैंने उसे बताया कि मैं उसे लाइक करता हूँ।
तो वो शर्मा गई.. फिर उसने भी कहा कि वो भी मुझे लाइक करती है।

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने उसे झट से अपनी बाँहों में भर लिया और बोल दिया- आई लव यू..
वो भी मेरी बाँहों में समा गई और बोली- आई लव यू टू..

उसके बाद तो मैं और वो बहुत मिलते और कभी-कभी एक-दूसरे को किस भी करते।

फिर एक दिन मैंने उससे बोला- मेरे दोस्त का फ्लैट खाली है.. क्या तुम वहाँ मेरे साथ चलोगी?
तो उसने कहा- हाँ..
मैंने अपने दोस्त को फोन करके बोला- मैं आज अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर आ रहा हूँ.. सब तैयारी करके रखना।

हम वहाँ पहुँचे और चाभी से दरवाजा खोला।
अन्दर जाते ही मैंने जैसे ही दरवाजा अन्दर से बन्द किया.. अवनी मुझसे लिपट गई..

मैं तो तैयार ही था, मैंने कसके उसको गले से लगा लिया, फिर धीरे-धीरे उसे किस करने लगा।
हम वहीं हॉल में ही खड़े-खड़े एक-दूसरे को चूमते रहे।

फिर हम दोनों बेडरूम में गए और एक-दूसरे को किस करने लगे।
उसने मुझे बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई।
मैं तो खुश हो गया कि वाह क्या मस्त माल मिला है।

वो मुझे होंठों पर किस कर रही थी और फिर उसने मेरे गले पर किस करना चालू किया।
फिर मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और उसके ऊपर खुद आ गया.. उसके गले पर किस करने लगा।

मेरा एक हाथ उसके बड़े से चूचों पर चल रहा था, वो सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी साँसें गर्म हो रही थीं।
फिर धीरे-धीरे हम दोनों ही नंगे हो चुके थे और मैं उसके रसीले चूचे पी रहा था।
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मैंने अपने एक हाथ से उसकी चूत को टटोलना चालू किया और एक उंगली उसमें घुसा दी और उसकी चूत में उंगली करने लगा।

फिर धीरे-धीरे उसकी चूत तक अपनी जुबान को ले गया। उसकी चूत से एक मादक सी खुश्बू आ रही थी.. तो मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल के उसे गुदगुदाना चालू किया।
वो मेरा सर अपनी चूत में दबाए जा रही थी और बोल रही थी- अहह.. पी जाओ राज.. मेरी चूत का सारा पानी.. आह्ह.. आज पी जाओ.. कब से मैं तुम्हारे प्यार के लिए तरस रही थी.. आज जाकर मुझे तुम्हारा प्यार मिला है।

फिर वो खड़ी हुई और मेरा लंबे लंड को मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगी.. जैसे लॉलीपॉप चूस रही हो। मैं तो मानो जन्नत में आ गया था।

मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और उसने मेरा सारा पानी पी लिया।
अवनी ने फिर चूस-चूस कर मेरे लंड को खड़ा कर दिया।
मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच में आ गया, वो चूत पसारते हुए चुदास भरे स्वर में बोली- आओ राज.. मेरी चूत को आज अपने लंड से पेल दो।

इतना सुनते ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और थोड़ा पुश किया.. तो चूत टाइट होने के कारण सुपारा फंस गया।
अवनी की आँख में आँसू आ गए.. पर मैंने उसकी परवाह किए बिना एक दूसरा झटका लगा दिया और मेरा आधा लंड उसकी चूत के अन्दर घुसता चला गया.. वो चिल्ला उठी।

फिर मैं थोड़ा रुक गया और उसके मम्मों से खेलने लगा। फिर जब वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए। अचानक से मैंने एक ज़ोर का झटका मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया।

अवनी की आँखें फटी की फटी रह गईं। अब मैं लग गया.. धकापेल चुदाई करने में।
अब वो भी बोले जा रही थी- चोदो मुझे राज.. और ज़ोर से चोदो.. आज तुमने मुझे औरत बनाया है.. मैं हमेशा तुमसे ही चुदवाऊँगी.. तुम्हारे लंड को मैं सलाम करती हूँ। आज उसने मेरी सील तोड़ी है। हाय राज.. तुम्हारा तो पूरा बच्चेदानी तक अन्दर जाता है.. अया.. अया.. उम्म्म्म.. ठोको राज बना लो मुझे अपनी रंडी.. बना लो.. आज से मैं तुम्हारी रंडी हूँ.. मुझे जैसे चाहे.. जब चाहे चोदना.. मुझे तुम्हारे लंड से प्यार हो गया है।

वो सब मस्ती में बोल रही थी। लम्बी चुदाई के बाद जब मैं झड़ने वाला था.. तो उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
वो बोली- मेरी चूत में ही झड़ो.. मैं तुम्हारा पानी अपनी चूत में लेना चाहती हूँ।

फिर 15-20 धक्कों के बाद मैं झड़ने लगा।
इसी चुदाई के दौरान वो भी झड़ चुकी थी।
हम दोनों पूरे पसीने में लथपथ हाँफ रहे थे।

उसके बाद मैंने अवनी की बहुत बार चुदाई की.. उसकी गाण्ड भी मारी। अब उसकी शादी हो गई है और वो अपने संसार में सुखी है। वो आज भी हमारे पड़ोस में अपने घर पर आती है तो मुझसे मिलती है और हम चुदाई का आनन्द उठाते हैं।

मेरी कहानी कैसी लगी.. कृपया मुझे मेल करें।
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