अजीब दास्ताँ है ये-2

(Ajeeb Dastan Hai Ye- Part 2)

कहानी का पहला भाग: अजीब दास्ताँ है ये-1

मैंने सोचा कि मैं उससे ही पूछता हूँ कि अगर वो मेरे साथ सेक्स करने को तैयार है तो मैं उसके पास जाऊंगा और उसे चोद दूँगा। भैनचोद मेरी बेटी थोड़े ही है; मेरे लिए तो सिर्फ एक फुद्दी है, एक कुँवारा जिस्म।
फिर सोचा ‘नहीं यार … मैं उसको बर्बाद क्यों करूँ!’ चलो उसने मेरी लिखी कहानियाँ पढ़ ली, मुझसे बात भी कर ली, मगर इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं उसके भोलेपन का फायदा उठाऊँ।

खैर मैंने एक दिन उस से पूछा- मान लो अगर एक दिन मैं तुमसे मिलने आता हूँ, तुम भी मुझसे मिलने मेरी बताई हुई जगह पर आती हो और मैं तुम्हारे सामने एक प्रस्ताव रखता हूँ कि मैं तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ। यहाँ हम दोनों अकेले हैं, कोई हमे देख नहीं रहा। पूरी आज़ादी है हमें; तो तुम क्या करोगी?

उसने मेल भेजा- मुझा नहीं पता पापा। मैं अभी तक ये सब सोच नहीं पाई कि अगर आपने मेरे सामने ऐसी कोई बात कही तो मैं क्या करूंगी।

मैंने फिर मेल की- देखो बेटा, यह कोई पक्का नहीं है, हो सकता है मैं तुमसे मिलने कभी भी आऊँ। मगर अब जब तुमसे मैंने सेक्स के ऊपर इतनी बात करी है, हमने आपस में सेक्स पर एक दूसरे को सब कुछ बताया है। कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि मैं तुम्हें अपने सामने नंगी देखना चाहता हूँ, तुम्हारे इस कुँवारे जिस्म को भोगना चाहता हूँ। तब तुम क्या सोचती हो, तुम क्या करोगी?
उसने मेल भेजा- पापा, मैंने आपसे अपने दिल की हर बार की है। यह सच है कि मैं सेक्स करना चाहती हूँ मगर मुझे ये लगता है कि अभी मेरी इतनी उम्र नहीं हुई है कि मैं ये सब करूँ। मुझे आपसे बात करना बहुत अच्छा लगता है, आप सेक्सी बातें भी करते हो, मुझे कोई दिक्कत नहीं, मैं आपको अपना बहुत अच्छा दोस्त मानती हूँ, जिसके सामने मैं इतना खुल कर बोल सकती हूँ, जितना मैं अपनी किसी खास सहेली से भी नहीं करती। मैंने कभी सोचा नहीं कि मैं आपसे सेक्स करूंगी, पर यह भी नहीं सोचा कि हमारे बीच ये नहीं हो सकता। पता नहीं, होगा या नहीं, मुझे कुछ नहीं पता।

अब उसकी इस बात ने मेरे सामने और समस्या पैदा कर दी। मतलब वो मेरे साथ सेक्स करने को तैयार है भी और नहीं भी। कभी कभी तो मैं उसे सेक्स के लिए तैयार करता, उसे समझाता और वो भी कह देती- ठीक है, जब मिलेंगे तो कर लेंगे।
मगर कभी कभी मैं सोचता ‘अरे छोड़ यार, क्यों लड़की को बहका रहा है। एक बार उसे सेक्स के आदत पड़ गई तो फिर तो वो अक्सर सेक्स चाहेगी। तू तो उसे एक बार चोद कर आ जाएगा, उसके बाद उसका क्या होगा, वो तो पता नहीं; फिर अपनी इस अधूरी इच्छा को पूरा करने के लिए किस किस से चुदेगी। वो तो एक डॉक्टर बनना चाहती है और तू उसे एक गलत राह पर धकेलना चाहता है।’
मैं तो जैसे किसी चक्रव्यूह में फंस गया था।

फिर मैंने सोचा, यार माँ चुदाए दुनियादारी; अगर वो मेरे पास आने को तैयार है तो मैं उसे चोदूँगा, और मुझे कुछ नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ उसकी गुलाबी कुँवारी फुद्दी में अपना लंड डालना है। बस उसके बाद मैंने उस से हमेशा ही सेक्स और सिर्फ सेक्स करने की ही बातें करने लगा।

और धीरे धीरे मेरी मेहनत रंग लाई और एक दिन उसने भी कह दिया- ठीक है पापा, अब जब हमारा रिश्ता ही ऐसा है, तो कोई बात नहीं। अगर आप मुझसे मिलने आते हो और मुझे सेक्स के लिए कहते हो तो मैंने आपको अपना सब कुछ सौंप दूँगी। आप मेरे जिस्म के साथ कुछ भी कर लेना। मुझे कोई ऐतराज नहीं है।
मैं तो खुशी से उछल पड़ा ‘अरे यार, ये तो चुदने को मान गई!’

उसके बाद मैं तो मन में न जाने क्या क्या सपने बुनने लगा।

फिर एक दिन मैंने उससे मिलने का प्रोग्राम बनाया। मेरी कोई इतनी दिक्कत नहीं थी क्योंकि मैं तो अपने ऑफिस का काम कह कर घर जा सकता था, मगर उसके लिए दिक्कत थी। तो करीब इस सेटिंग को एक महीने से भी ऊपर का समय लगा। उसने मुझे एक दिन बताया जिस दिन वो मुझसे मिल सकती थी। उस दिन उसके पास सिर्फ 3 घंटे थे जिसमें वो घर से बाहर रह सकती थी।

मैंने अपने केमिस्ट दोस्त से पहले सेक्स के बाद लड़की को होने वाले दर्द, रक्तस्राव और बुखार (यदि हो जाए तो) उस सबकी दवाई ले ली। पहले तो मैंने सोचा कि वो तो पहली बार सेक्स करने जा रही है, और उसने बताया था कि वो पॉर्न नहीं देखती. तो इसका मतलब उसके पास सेक्स का जो भी ज्ञान है, वो सिर्फ सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर ही आया है। तो मैंने अपने लिए भी एक दवा ले ली। *** ताकि मौके पर लंड धोखा न दे जाए। कहीं उसके सामने मेरे मन में छुपा बैठा एक बेटी का बाप जा जाए और मेरे खड़े लंड को बैठा दे ‘नहीं नहीं … बाप को नहीं जागने देना। शैतान को ही जगाए रखना है।’

हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी पिक्स तो बहुत पहले से दिखा रखी थी तो पहचान में कोई दिक्कत नहीं थी। मैंने अपने किसी वाकिफ की सिफ़ारिश से होटल का एक कमरा उसके शहर में पहले से बुक करवा लिया था। मैं अपनी ही गाड़ी ले कर गया। सुबह करीब 10 बजे मिलने का प्रोग्राम था मगर मैं तो 9 बजे ही पहुँच गया।

होटल में पहुँच कर मैंने रूम की चाबी ली और अपने कमरे में जा कर बैठ गया। हम दोनों के पास के दूसरे का फोन नंबर नहीं था तो हमारी बात ईमेल की जरिये ही होती थी। मैंने रूम में पहुँचते ही उसे ईमेल किया कि मैं पहुँच गया हूँ, तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ।
उसका भी जवाबी मेल आया- मैं अभी तैयार हो रही हूँ, बस थोड़ी ही देर में घर से निकल रही हूँ।

मैं कमरे में बैठ कर उसका इंतज़ार करने लगा और टीवी देखने लगा।
करीब सवा दस बजे उसका फिर से मेल आया- पापा मैं आ रही हूँ।
मैंने उसे अपने होटल का नाम और रूम नंबर बता दिया।

करीब 20 मिनट बाद मेरे रूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया, मैंने उठ कर दरवाजा खोला।
सामने तो जैसे हुस्न की देवी खड़ी हो!
मेरा कद 6 फीट है, तो वो भी 5 फीट 5 इंच के करीब होगी। खूबसूरत चेहरा, पतला सा नाज़ुक सा बदन। खूबसूरत लहंगे में लिपटी ऐसी लगी जैसे भगवान ने मुझे कोई नायाब गिफ्ट इस सुनहरे लिबास में लपेट कर दिया हो।

“हैलो पापा!” वो बड़े प्यार से मीठी आवाज़ में बोली।
मैंने भी कहा- हैलो माई चाइल्ड।
मैंने दरवाजा खोला तो वो अंदर आ गयी। मैंने दरवाजा बंद किया।

एक बार तो दिल किया इसे अभी अपनी बांहों में भर लूँ! मगर नहीं अभी सब्र!

उसके पर्फ्यूम से सारे कमरे में खुशबू फैल गई। वो जाकर बेड पर ही बैठ गई; मैं भी जाकर उसके पास बैठ गया।
“कैसी है मेरी प्रिंसेस?” मैंने खुश होकर पूछा।
वो भी हंस कर बोली- एकदम मस्त!
मैंने भी कहा- ज़बरदस्त!

हम दोनों हंस पड़े तो मैंने अपनापन सा दिखने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखा। नर्म सा कंधा, सच में उसे छूकर ही मेरे मन का शैतान जाग गया ‘हाय … कितनी प्यारी लड़की है, क्या आज मैं इस मासूम कली के जिस्म को अपनी मर्दानगी से मसलूँगा?’ मैंने सोचा।

उसके बाद हम दोनों काफी देर इधर उधर की बातें करते रहे। मैं कुछ समान अपने साथ लेकर आया था। मैंने उसे खाने पीने को दिया। हम दोनों ने साथ में खाया भी और पिया भी।

कुछ देर बाद मैंने सोचा के अब मुद्दे पर आना चाहिए। मैंने पूछा- अच्छा बेटा अब ये बताओ, जो बात हमने ईमेल पर करी थी, उसके बारे में तुम्हारा क्या विचार है?
वो बोली- कौन सी बात पापा?
मैंने कहा- हमने ये बात करी थी कि अगर हम कभी मिलेंगे, और अगर इस तरह किसी प्राइवेट जगह पर मिलेंगे, तो हमारे बीच कुछ और भी होगा.
मैंने जानबूझ कर सेक्स शब्द का प्रयोग नहीं किया।

वो बोली- हाँ, आपने कहा तो था, तो क्या अब आप मेरे साथ सेक्स करोगे?
मैंने कहा- नहीं, मैं तुम्हारे साथ सेक्स नहीं करूंगा, हम दोनों आपस में सेक्स करेंगे।
वो बोली- एक ही तो बात है।
मैंने कहा- नहीं बेटा, एक ही बात नहीं, मैं तुमसे सेक्स करूंगा, इसमें तुम्हारी मर्ज़ी शामिल नहीं। हम दोनों सेक्स करेंगे, मतलब हम दोनों अपनी अपनी इच्छा से वो सब कुछ करेंगे, जो हम सोच कर यहाँ आए हैं।
वो बोली- देखो पापा, मैंने आज तक कभी ऐसा कुछ नहीं किया है, इसलिए मुझे नहीं पता कि ये सब कैसे होता है। आप तो शादीशुदा हो, आप अपनी पत्नी के साथ वो सब कुछ रोज़ ही करते होंगे, आप जानते हो। मेरे लिए तो यह ऐसे है जैसे बिना पढ़े कोई पेपर देना। आपकी कहानियाँ पढ़ कर ही मुझे थोड़ा बहुत ज्ञान है। सच में सेक्स कैसे होता है, मुझे कुछ नहीं पता। आगे आपकी मर्ज़ी … आप जो चाहो कर लो।

मैं अब और भी बड़ी उलझन में फंस गया। जिस लड़की को मैं इतने दिन से चोदने के सपने देख रहा था, वो मेरे सामने बैठी थी और उसने अपनी तरफ से मुझे यह छूट भी दे दी थी कि मैं उसके साथ जो चाहे कर लूँ। मैं सोचने लगा कि क्या करूँ, क्या ना करूँ।
तो मैंने सोचा करके ही देखते हैं।

मैंने उसको उठाया और अपनी गोद में बैठा लिया। मेरी जांघ पर वो ऐसे आराम से बैठ गई जैसे उसे इसमें कोई दिक्कत न हो।
क्यों … क्योंकि वो अपने पापा की गोद में बैठी थी और मैं अपनी बेटी के कोमल जिस्म को घूर रहा था; सोच रहा था शुरुआत कहाँ से करूँ।

मैंने उसे अपनी और झुकाया तो उसने मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया। इतना विश्वास, वो भी एक अंजान आदमी पर जिसे वो आज पहली बार मिली और उसकी गोद में बैठकर अपना सर उसके कंधे पर रख, उसे कुछ भी करने की इजाज़त दे दी। मैंने बहुत सेक्स किया है, मगर आज तक मेरी हालत इतनी खराब नहीं हुई थी। मेरे 47 साल की सारी दुनियावी समझ को एक 18 साल की लड़की ने आज चैलेंज कर दिया था। उसने अपना तन मन सब मुझे सौंप दिया था, अब मेरे ऊपर था कि मैं उसके इस विश्वास का मान रखूँ या इस विश्वास को तोड़ कर मैं उसके जिस्म से खेलूँ।
मैंने अपने मन को समझाया- अरे पागल मत बन, भावुक मत हो। तू यहाँ इसे चोदने आया है, इसकी फुद्दी मार और चलता बन, इसने कौन सा मना करना है। आई तो ये भी चुदवाने के लिए ही है। और तूने भी तो इसे साफ शब्दों में समझा दिया था कि मिलने पर चुदाई होगी। तो फिर … बस इसे चोद और चलता बन।

मगर मैं दूसरी तरफ अपने कंधे पर सर रख कर आराम से टीवी देखती उस लड़की के साथ कैसे ये सब शुरू करूँ। कोई रंडी या गश्ती होती तो अभी तक तो मैं उसको कबका नंगी करके खुद भी नंगा हो चुका होता। या इस वक़्त तक वो मेरा लंड चूस रही होती, मैं उसके सारे बदन को सहला चुका होता और बस अब अपने लंड पर कोंडोम चढ़ा कर उसे चोदने वाला होता।

जवान लड़की की सेक्स कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: अजीब दास्ताँ है ये-3

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