पत्नियों की अदला बदली

(Wife Swapping : Biwiyon Ki Adla Badli)

पत्नियों की अदला बदली, मल्टी यूजर ऑफ़ वाइव्स, शेयरिंग आफ वाइव्स का खेल जो अब तक हाई प्रोफाइल सोसायटी/परिवारों या अमीरों का फंडा माना जाता रहा है, अमीरों के इस शौक ने अब ग्रामीण क्षेत्र, वो भी ठेठ हरियाणा के परिवेश में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। पत्नी को अपने साथियों के साथ शेयर करने के कम से कम तीन दिलचस्प मामले भिवानी में सामने आये हैं।

हालांकि किसी वजह से इन मामलों की पहचान उजागर नहीं की जा रही है, लेकिन वुमन प्रोटकशन सेल में आई इन शिकायतों पर गौर करने पर साफ तौर पर कहा जा सकता है कि ये मामले सीधे-सीधे शेयरिंग आफ वाइव्स के साथ पत्नी उत्पीड़न से भी जुड़े हैं।

भिवानी की महिला सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि एक मामले में पति ने शादी के तुरंत बाद पत्नी पर अपने मित्र के साथ सोने के लिए दबाव डाला जाने लगा। आखिर कब तक झेल पाती और बना दी मल्टी यूजर !

शिकायत के मुताबिक भिवानी निवासी एक व्यक्ति की शादी एक साल पहले ही हुई है। वह अपनी पत्नी से कह रहा है कि तुम्हें उसके दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाने होंगे। पत्नी ने मना किया तो उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। पत्नी को न चाहते हुए भी गैर मर्द के साथ हम बिस्तर होना पड़ा। वहीं उसका पति अपने दोस्त की पत्नी से हम बिस्तर हो रहा था। आखिर उसने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा दिया।

दूसरे मामले में हालात लगभग मिलते जुलते ही हैं। दूसरे मामले की पीड़िता की शादी को चार साल हो गए। शादी के दो साल बाद पति ने दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह उनके दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाए। विरोध पर उसे पीटा गया। उनका मामला भी अदालत पहुँचा। वहाँ उसने पति की करतूत पर जुबान खोल दी। उसने बताया कि उसके पति ने दोस्त की मर्जी से उसकी पत्नी के साथ इस शर्त पर संबंध बनाए कि वह उसे भी पेश करेगा।

आपने सुना तो होगा पर के मामले हमने हाईप्रोफाइल परिवारों के बारे में तो सुने थे, लेकिन उनकी ओर से भी कभी शिकायत नहीं आई। मगर ये तीनों युवतियां तो मध्यमवर्गीय परिवारों से संबंधित हैं। आखिर लोग अपनी पत्नियों और उनकी भावनाओं की कद्र क्यों नहीं कर रहे यह बात समझ से परे है। इसके लिए पीड़ित महिलाओं को समय रहते सही जगह पर शिकायत करनी होगी। वहीं पीड़ित महिलाये नहीं चाहती कि उनकी समस्या लोगों के सामने जाएं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो समाज में इस तरह की प्रवृत्ति कम होने की बजाय और बढ़ेगी। इसलिए इन पर अंकुश लगाने के लिए पीड़ितों को खुद आगे आना होगा।
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