मेरा सच्चा प्यार भाभी के साथ

(Mera Saccha Pyar Bhabhi Ke Sath)

मैं कोटा का रहने वाला हूँ. कहानी 4 साल पहले की है. हमारे पड़ोस में एक भाभी रहा करती थीं, वे मेरे समाज की नहीं थीं. उसका पति कोटा में नौकरी करता था. उसकी सास को में मौसी कहके बुलाता था. उनका घर पर ठीक ठाक था. भाभी की एक ननद थी, जो मुझे भैया कहती थी. हमारे परिवारों में सब कुछ अच्छा चल रहा था.

मेरी जो भाभी थीं, मैं उनसे प्यार नहीं करता था. हम फेसबुक पर व्हाट्सैप पर बात करते रहते थे. धीरे धीरे हमारी दोस्ती हो गई. हम दोस्त बन गए. अब हम दोनों को रोज फेसबुक पर और व्हाट्सैप पर घन्टों बात करते रहने की एक आदत सी पड़ गई थी. उसी दौरान मेरा बर्थ-डे भी आया. किसी ने मुझे विश नहीं किया. लेकिन उसने मुझे विश किया, जिससे मुझे एक दोस्त की कमी महसूस नहीं हुई.

यूं ही दिन निकलते गए. मुझे ऐसा लगने लगने लगा था, जैसे मुझे जिन्दगी में कोई अपना ही मिल गया था. जिस दिन भाभी से मेरी बात नहीं होती, उस दिन मुझे लगता था, जैसे कोई बहुत दूर चला गया हूँ.

मुझे याद है कि 21/09/2015 को मेरी दीदी को लड़का हुआ, बदले में उसने मुझसे कहा कि मुझे मिठाई खानी है.

मैंने एक दोस्त से मिठाई मंगा कर उसको मिठाई खिलाई. वो बहुत खुश हो गई थी. उसने मुझे धन्यवाद कहा, तो मेरे दिल को जैसे सुकून सा मिल गया.

दिन निकलते गए, बात होती रही. एक दिन वो किसी प्रोगाम में गई हुई थी. हम रोज कि तरह फेसबुक पर व्हाट्सैप बात करते हुए काम चला रहे थे. मैं भाभी से प्यार का इजहार करने से डरता था. मुझे लगता था कि कि कहीं एक अच्छा दोस्त ना खो दूँ.

फिर मेरे दिल ने मुझसे कहा कि जो दिल में हो, उसे बता देना चाहिये. बता देने से दिल हल्का हो जाता है. मैंने उस दिन उसको आई लव यू बोल दिया. जवाब में मुझे उसकी तरफ से भी ‘आई लव यू टू..’ आया.
मेरी बांछें खिल गईं.

फिर हम रोज बात करने लगे. हम दोनों घंटों बात करने लगे. अब तो फेसबुक और व्हाट्सैप से कॉल भी करने लगे. दिन मस्ती से निकलने लगे. हमारा प्यार धीरे धीरे बढ़ता गया. अब हालत ये हो गई थी कि हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे.

फिर भाभी अपने मायके चली गईं. तब बहुत बुरा लगा. मेरी उसके बिना नहीं रहने की एक आदत सी हो गई. मेरा दिल नहीं माना, तो अपने दोस्त को लेकर कुछ काम का बहाना करके उससे मिलने चला गया. उस समय रात का वक्त था. मैं उसे बाजार में मिला. उससे मिलने के बाद दिल को सुकून सा मिला.

फिर मैं उसको उसके घर तक छोड़ कर अपने घर वापस आ गया. उसके बाद मैंने उससे किस करने के लिए बोला.
वो बोली कि कुछ समय रुको.

उन दिनों दीपावली के दिन पास थे. अचानक वो मेरे घर आई. मैं रूम में कुछ कर रहा था. घर में सब अपने काम में व्यस्त थे. वो मेरे पास आई. उसने मुझको अपनी तरफ खींचा. मैं उसकी तरफ खिंचता चला गया.

उसने मुझे खींच कर अपने करीब किया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर किस करने लगी. उस समय मैं अपने कंट्रोल में नहीं था. मुझे ऐसे लगा, जैसे किसी ने मुझे बिजली का झटका दे दिया हो. मेरा शरीर मेरे कंट्रोल में नहीं था. हम दोनों किस करते हुए पलंग पर गिर गए. पलंग पर देखने वाला कांच रखा हुआ था. हमारे गिरने से वो टूट गया. अच्छा ये हुआ कि लगा किसी को नहीं.

यह मेरी लाइफ का पहला किस था. जिसको मैं अपनी पूरी दुनिया मान चुका था. उस दिन से मैंने उसको नया नाम दिया ‘जान..’
दीवाली के दिन चल रहे थे, मेरी दुनिया वो थी, उसकी दुनिया मैं था. हमारी दुनिया में तीसरा आने वाला कोई नहीं था.

दीवाली के दिन मेरी दुकान में लक्ष्मी पूजा थी. वो मेरे घर आई मेरी दिल को को बहुत सुकून मिला. बस हम दोनों एक दूसरे को प्यार से देख कर दिल को तसल्ली देते रहे.

दिन निकलते गए, हमारा प्यार दिनों-दिन बढ़ने लगा. दीवाली के बाद वो फिर से अपने मायके चली गई. जब वो कहीं जाती, तो मुझे बोल कर जाती. यानि ये मान लीजिएगा कि मैं कब क्या करता हूँ, कब सोता हूँ, कब जागता हूँ, कहां जाता हूँ, वो मेरा सब ख्याल रखती थी. वो सब कुछ, मेरी जिन्दगी बन गई थी.

कुछ दिनों के बाद के बाद मेरे दोस्त की सगाई का प्रोग्राम था. उसमें मैं उस दोस्त के गांव में गया.. उसी गांव में भाभी का मायका भी था. उस दिन वो मेरा वेट कर रही थी. मैं जब अपने गांव से चला, तो वहां पहुंचने तक भाभी मुझे 15 कॉल कर चुकी थी.

जब वो मुझे बाजार में मिली, मैं उसको लेकर घुमाने लेकर गया. वो मेरा साथ पाकर बहुत खुश थी. क्योंकि आज पहली बार वो मेरे साथ घूमने जा रही थी. हम दोनों नहर के पास एक सुनसान जगह पर चले गए.

जनवरी के दिन थे, हम वहां बैठे, प्यार की बातें करने लगे. साथ में किस भी किया, हग भी किया. मैंने उसका दूध भी पिया. कोई 30 मिनट रूकने के उसके बाद हम दोनों वहां से आ गए. उसको उसके घर छोड़ कर मैं अपने दोस्तों के यहां पार्टी में चला गया.

आज वो बहुत खुश थी. हर पल हमारी जिन्दगी का अहम पल होता था. जैसे उसकी जन्दगी में मैं था. मेरे जिन्दगी खुशनुमा हो गई थी.

फिर मैं उससे मिल कर वापस अपने गांव आ गया. वो अपने मायके में जो पहले 15-20 दिन रहा करती थी, अब उसको पांच दिन भी वहां रहने में दिल नहीं लगता था. वो मेरे लिए सोचती थी कि उसकी जान अकेली होगी, मैं क्या कर रहा होऊंगा, क्या नहीं कर रहा होऊंगा. मेरे साथ जीने की उसको लत सी लग गई थी. वो मुझे देखे बिना एक पल भी नहीं रह पाती थी.

जब मैं दुकान में होता, तब अपनी छत से मुझे हर बार देखने आती थी. उठने से लेकर सोने तक का मेरा ध्यान रखती थी.

जब वो गांव से वापस आई, तब तक सर्दी बहुत बढ़ चुकी थी. मेरे पास पहनने को स्वेटर नहीं था. या यूं कह लो कि उस वक्त मेरे पास कड़की चल रही थी और मेरे पास स्वेटर खरीदने को पैसा नहीं था. वो मेरे लिए कोट खरीद कर लाई. वो मेरी लाइफ का मेरे लिए पहला तोहफा था. उसे लेने के लिए जहां उसने मुझे बुलाया, मैं वहां गया. मैं उसे लेकर आ गया. कोट का मूल्य मुझे नहीं मालूम था. उसके लिए तोहफा मायने रखता था, कीमत नहीं. मैंने उससे नहीं पूछा कि कितने का है. मैंने उसका तोहफा समझ कर कोट रख लिया. मैं उसे रोज पहनने लगा.

अब हम दोनों में मिलन की आग लगने लगी थी. जो हम दोनों को ही बेचैन कर रही थी. ये उस दिन से ज्यादा भड़कने लगी थी. जब मैंने उसी के गांव में नहर के किनारे उसके दूध पिए थे. उस समय जगह और समय का तोड़ा (कमी) था, नहीं तो उसी दिन खेल हो जाता.

खैर अब हम दोनों ने सेक्स करने का प्लान बनाया. घर पर हम मिल नहीं सकते थे, तो किसी काम के बहाने बाहर जाकर ही ये हो सकता था. मैं किसी काम का बहाना करके निकल गया. मैं उसे भी साथ लेकर निकल गया. शाम का टाइम था, अंधेरा हो गया था, सर्दी भी लग रही थी. मैंने एक सुनसान जगह पर जाकर गाड़ी को रोका. गाड़ी को रोकने के बाद हमने 10 मिनट तक किस किए. मैंने उसके मम्मों को खूब मसला और बहुत देर तक चूसा. हम दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था. फिर मैंने उसकी चुत को किस किया, तो वो तड़प सी गई. उधर अंधेरा बहुत था और डर भी लग रहा था कि कोई हमें देख ना ले.

मैंने अपनी गाड़ी की डिक्की से दरी निकाल कर उस पर उसे लेटा दिया. हम दोनों खुले आसमान के नीचे दरी पर एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हो गए. जब मैंने अपना लंड उसकी फुद्दी में घुसाया, तो हमारे अन्दर आग सी लग गई. उसने मेरे लंड को खा लिया था और टांगें उठा कर मुझसे पूरा अन्दर आने को कह रही थी. हम दोनों बिंदास सेक्स कर रहे थे. हमें किसी की परवाह नहीं थी. कुछ देर बाद मैंने उसके अन्दर ही अपने रस को छोड़ दिया. कुछ पल के लिए हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लम्बी सांसें लेने लगे.

फिर हमने लम्बी सी किस की और एक दूसरे को देख कर बहुत खुश हुए. इसके बाद मैं उसको उसके घर छोड़ कर अपने घर आ गया. ये वो पल थे, जब मैंने अपनी लाइफ में पहली बार सेक्स किया था. ये मेरी लाइफ का पहला सेक्स था.

फिर आया हमारे प्यार का हसीन पल. जिसे सब वैलेंटाइन डे का नाम देते हैं. हमने बस वैलेंटाइन डे का वो दिन मनाया, जो एक पति पत्नि या एक गर्लफ्रेन्ड या बॉय फ्रेन्ड वैलेंटाइन डे मनाते हैं, यानि 14 फरवरी के दिन को ही हम दोनों ने एक दूसरे को दिल से विश किया. वो पल मेरे लिए बड़े हसीन पल थे.

उसके बाद आई होली, होली का दिन मेरी लाइफ का सबसे अच्छा दिन रहा या ये कहूँ कि उसकी लाइफ का सबसे बुरा दिन रहा. दिन तो पूरा अच्छा था, लेकिन मैं रात में उससे एसएमएस से बात कर रहा था. अचानक उसको नींद आ गई. मुझे नहीं मालूम था कि उसका पति घर आया हुआ है.

उस दिन उसका मोबाइल उसके पति के हाथ लग गया. वो मुझसे बात करता रहा. मुझे पता नहीं चला कि उसका पति मुझसे बात कर रहा है. हम वैसे भी एसएमएस पर हर तरह की बात कर लिया करते थे. जैसे सेक्स, लव सब कुछ.

उस रात उसके पति ने उसको बहुत मारा. उसने पूरा इलजाम अपने ऊपर ले लिए. मेरे लिए उसने बहुत मार खाई.
जब मुझे पता चला तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे दिल पर किसी ने वार किया हो. उस दिन ना मुझसे खाना खाया गया, ना पानी पिया गया. मेरा दिन जैसे रूक सा गया था. उसने खुद सजा पा ली थी लेकिन अपनी जान को गलत साबित नहीं होने दिया था. क्योंकि उसको पता था कि मैं उसे कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा. उसको ये भी पता था कि उसके बिना मैं भी नहीं जी सकता था. फिर वो मेरा साथ कैसे छोड़ देती.

ये झंझावत मानो जैसे हमारी लाइफ में कोई बुरा वक्त आया था, फिर वो भी चला गया. उसका पति फिर कोटा चला गया था.

अब हमें किसी का डर नहीं था क्योंकि हमारे ऊपर प्यार का भूत सवार था. हमें प्यार के अलावा कुछ नहीं दिखता था. फिर हम वापस मिलते रहे, हमारा प्यार पहले जैसा चलता गया. हम बहुत खुश थे, फिर हम महीने में एक बार मिलने चले जाते थे. हमने लाइफ में बहुत कुछ किया जो एक पति पत्नि या एक गर्लफ्रेन्ड और बॉयफ्रेन्ड ही करते हैं.

फिर हमने हमारे प्यार को एक यादगार पल बनाने के लिए एक दिन डिसाइड किया. वैसे हम दोनों सेक्स तो बहुत बार कर चुके थे. जब भी वो अपने मायके वाले गांव जाती थी, तब मैं उससे मिलने चला जाता था. जब मैं उससे मिलने जाता, वो इतना खुश होती कि मानो वो वर्षों से मेरा वेट कर रही हो. जैसे मैं उसके लिए बना था और वो मेरे लिए.

वो दिन आ गया, जिसका हमें इन्तजार था. फिर 25 मई 2016 बुधवार को उस दिन मैं उसके मायके वाले घर गया था. उसके मायके के घर पर कोई भी नहीं था. मैं उसकी पसन्द की मिठाई नमकीन और एक बियर लेकर गया था. मेरे लिए तैयार हो कर मेरा इन्तजार कर रही थी. उस दिन उसने ब्ल्यू कलर का गाउन पहन रखा था. उस गाउन में वो बहुत सेक्सी लग रही थी. उसके गोल गोल चुचे बहुत अच्छे लग रहे थे. उसने मेरे लिए उसने मेरी पसन्द का खाना बनाया था. हम दोनों ने खाना खाया. उसके बाद मैंने उसको मिठाई खिलाई और हम दोनों ने बियर पी ली. हम दोनों हल्के नशे में हो गए थे. फिर हम दोनों से ही इन्तजार नहीं हो रहा था.

हम दोनों खाना खाने के बाद बिस्तर पर आ गए. उस दिन उसने मुझसे वादा किया था कि आज मैं आपको एक पति के रूप में देखना चाहती हूँ. आप मेरी मांग में सिंदूर भरो. उसे पता था कि उसकी जान उसका साथ कभी नहीं छोड़ेगा. मुझे भी उस इतना भरोसा था कि वो मेरा लाईफ में कभी मेरा साथ नहीं छोड़ेगी. उसने हमेशा की तरह एक वादा किया कि चाहे दुख हो सुख हो, वो मेरा हमेशा इस भरी दुनिया में मुझे हारने नहीं देगी, टूटने नहीं देगी.

मैंने भी वादा किया. फिर मैंने उसकी मांग में सिंदूर भर के उसे अपना बना लिया. वो बहुत खुश थी जैसे उसे दोबारा नई जिन्दगी मिली हो. मैं भी उसके साथ बहुत खुश था. मैं उसे किस करने लगा. वो मुझे किस कर रही थी. हम दोनों एक दूसरे को बेताबी से किस करते हुए प्यार कर रहे थे.

हमने उस दिन बहुत सारी किस की. उसकी सांसें तेज हो रही थीं, वो काफी गर्म हो चुकी थी. वो मेरे कान में फूंक मारने लगी. मुझे गुदगुदी होने लगी. हमारी सांसें तेज होने लगीं, किस करते हुए मैं उसकी जांघों को सहलाने लगा. साथ में उसके मम्मों को दबाने लगा. उसकी मादक सिसकारियों से पता चल रहा था कि अब वो लंड लेने के लिए तैयार है. मैं उसके मम्मों के चूचुकों पर मुँह लगाकर उसके मम्मों को दबाने लगा, चूचुकों को पीने लगा, चूसने लगा.

वो मेरा सर पकड़ कर उसको अपने मम्मों दबा रही थी. हम दोनों को पता नहीं चला कि कब हमारे कपड़े उतर गए. हम दोनों किस करते हुए बस बेसुध हुए पड़े थे. उसने मेरे सारे शरीर पर किस किए. मैंने भी उसके सारे नंगे शरीर पर किस किए. फिर उसने मेरा लंड चूसा. क्या मजे से वो मेरा लंड चूस रही थी. मानो बहुत दिनों से वो मेरे लंड की प्यासी हो. वो भूखी शेरनी की तरह 20 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही. मेरा सारा पानी उसके मुँह में भर गया. वो पूरा पानी अपने अन्दर पी गई.

फिर मैं उसकी चुत में उंगली करने लगा. उसकी चुत में उंगली करने के साथ साथ मैं उसके मम्मों को भी खा रहा था. उसकी गुलाबी रंग की चिकनी चुत … क्या कयामत चुत थी. एक भी बाल नहीं था. उसने आज ही चूत साफ की थी.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे की जीभ को चूसते हुए किस करना शुरू किया. मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.

वो मेरे लंड इस तरह से चूस रही थी कि मैं जन्नत का मजा ले रहा था. मैंने उसके पूरे शरीर पर किस किया. उसकी फुद्दी पर किस किया. उसकी फुद्दी पूरी तरह से गीली हो रही थी. मैं उसको किस करते हुए तड़पा रहा था. वो जोर जोर से चिल्ला रही थी.

मैंने थोड़ा सा उसके पैरों को ऊपर उठाते हुए फैलाया और उनकी चूत के मुँह में लंड का टोपा लगा दिया. अभी वो कुछ सम्भलती कि मैंने सीधे एक बार में पूरा लंड घुसेड़ दिया.
उसके मुँह से बहुत तेज ‘आह आहह.. मर गई..’ की आवाजें आने लगीं. वो चूत में लंड जाने से इतने तेज दर्द से कराह रही थी.. जैसे ना जाने कब से ना चुदी हो. शायद उसके पति ने उसको चोदना छोड़ दिया था.

फिर मैं ऐसे ही ज़ोरदार धक्के लगाता रहा और फिर 15 मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा. पूरे कमरे में सिर्फ़ हमारी कामुक सीत्कारियों की आवाज़ आ रही थी.

कुछ ही पलों बाद उसकी गुलाबी चूत ने कामरस छोड़ दिया था, जिस वजह से रूम में फच्छ फ़च्छ.. की आवाजें आने लगी थीं. कुछ ही समय बाद वो फिर से गरम हो गई और मेरा साथ देने लगी. लेकिन जल्दी ही वो दुबारा से झड़ने वाली थी. उसका शरीर फिर से कड़ा होने लगा था. उसने अपनी गांड को उठाते हुए मुझसे कहा- आह और ज़ोर से चोद मेरी जान.. आज फाड़ दे मेरी चूत को!

उसकी गरम बातों को सुन कर मुझे भी जोश आ गया. मैं भी पूरी ताकत से उसकी चूत में लंड लेकर पिल पड़ा. थोड़ी देर बाद मैंने उसके पेट पर अपना वीर्य छोड़ दिया. उसने भी कुछ नहीं बोला. फिर उसने मेरे लंड में लगे वीर्य को मुँह में लेकर साफ किया.

उसके बाद मैं ऐसे ही कुछ देर तक ऐसे ही रहा. लेकिन कुछ ही पलों में मेरे लंड में फिर से जोश आ गया. अब मैंने अपनी उसको कुतिया के अंदाज में चोदा. इस बार भी मैंने अपना रस उसकी पीठ पर गिरा दिया. मुझे लगता था कि इसके पति की गैरमौजूदगी में यदि ये पेट से हो गई, तो हमारा प्यार बदनाम हो जाएगा. लेकिन तब भी जब भी मैं अपना वीर्य उसके अन्दर नहीं गिराता था तब वो एक दर्द सा महसूस करती थी. उसके चेहरे से लगता था कि वो कुछ कहना चाहती है, लेकिन वो कुछ नहीं कह पाती थी.

खैर.. उस दिन हमारे प्यार में वो सुर्खी थी कि मैंने अपनी जान को उस दिन 4 बार चोदा. पर हर बार मैंने अपना रस बाहर ही छोड़ा.

इसके बाद हमार प्यार बढ़ता चला गया. मेरी जब इच्छा होती, उससे मिलने चले जाता. यूं ही समय बीतता चला गया. हमारी लाईफ ठीक ठाक चल रही थी. वो जहां बोलती, मैं उसे घुमाने ले जाता. हमारी लाईफ में हमें रोकने वाला कोई नहीं था. हम दोनों बहुत खुश थे.

हम रोज घंटों बातें करते. जिस दिन मेरी बात नहीं होती, उस दिन मेरा दिल दिमाग काम नहीं करता था.

हम कभी लड़ते झगड़ते नहीं थे, हमें बस प्यार के अलावा दूसरा कोई शब्द याद ही नहीं था. वो मेरी जिन्दगी थी, मैं उसका मानो अंश था.

मेरे प्यार की बाक़ी की कहानी मैं अगले भाग में लिखूंगा. आप चाहें तो मेल कर सकते हैं.
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