लॉकडाउन में पुरानी क्लासमेट डॉक्टर से सेक्स- 1

(College Friend Sex Kahani)

कॉलेज फ्रेंड सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी पुरानी क्लासमेट मेरे सामने वाले घर में किराये पर आयी. उसकी शादी हो चुकी थी. एक बार मैं उसके घर गया तो मैंने क्या देखा?

हैलो फ्रेंड्स, मैं संजीव कुमार आपको लॉकडाउन में अपनी फ्रेंड और कॉलेज फ्रेंड सेक्स कहानी सुना रहा हूँ.
ये एक सच्ची घटना है.

बात 2020 वर्ष के जनवरी महीने की है, मैं जब शाम को ऑफिस से घर लौटा, तो देखा कि मेरे सामने वाले घर में कोई रहने आया है.
उनका पूरा सामान मंजिल पर बिखरा हुआ पड़ा था और मजदूर आकर एक एक करके सामान घर में लेकर जा रहे थे.

मैं उस सामान के बीच में से जैसे तैसे बचता हुआ अपने दरवाजे तक आया और चाबी से दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया.

मेरी मंजिल पर सिर्फ दो ही रूम हैं, तो दोनों के दरवाजे आमने सामने हैं.

जब मैं दरवाजा बंद कर रहा था … तब मेरी नजर सामने वाले घर में चली गयी.
मैंने देखा तो कोई औरत एक छोटे बच्चे को लेकर खड़ी थी. शायद कोई परिवार रहने आया था.

मैंने दरवाजा बंद किया और फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होकर चाय पीने बैठा ही था कि किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई.
दरवाजा खोला तो देखा मेरी स्कूल कॉलेज की दोस्त प्राची जो कि अब डॉक्टर बन चुकी थी … वो अपने छोटे से बच्चे के साथ सामने खड़ी थी.
मुझे समझने में देर नहीं लगी कि प्राची ही सामने वाले घर में रहने आयी है.

वैसे तो स्कूल खत्म होने के बाद हमारी व्हाट्सएप पर बात होती थी लेकिन उसकी शादी होने के बाद तो बातें ना के बराबर ही थीं.

मैंने उसको अन्दर आने का निमंत्रण दिया, तब तक मां भी अन्दर से आ गईं.
आजकल मेरी मां मेरे साथ ही रहने आई हुई थीं.

मेरी स्कूल फ्रेंड होने की वजह से मेरे घर में उसे सब जानते थे.

उसे, उसकी बेटी को सुलाना था … तो मां ने उसे बच्चे को लेकर अन्दर के रूम में ले जाने को कहा.
फिर तो उसका और उसके पति मनीष का रात का खाना हमारे ही घर में बना.

प्राची के मेरी फ्रेंड होने की वजह से अब उसका मेरे घर पर और मेरा उसके घर पर आना जाना शुरू हो गया.
मनीष के साथ भी मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी थी.

ऑफिस से आने के बाद मैं उसकी बेटी के साथ खेलने भी चला जाता, तो कभी छुट्टी के दिन उसके पति के साथ गप्पें लड़ाने बैठ जाया करता था.

ऐसे ही दिन गुजरते गए.
मेरी मां, पापा के पास होली के लिए गांव गई थीं.
जाते वक्त मां प्राची को बोल कर गई थीं कि वो मेरा ध्यान रखे.

उसके दूसरे ही दिन मनीष को भी किसी काम की वजह से उसके गांव जाना पड़ा, वो दो दिन बाद लौटने वाला था.
लेकिन उसके गांव जाने के एक दिन बाद ही पूरे देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया.
उसी वजह से मेरे मां, पापा के साथ रह गईं … और मनीष भी उसके गांव में ही फंस कर रह गया.

उसी रात मनीष का मुझे फोन आया और प्राची और बच्ची का ध्यान रखने के लिए बोला.

मैं यही बात प्राची को बताने के लिए उसके घर गया, तो घर का दरवाजा खुला ही था.
तो मैं सीधे उसके बेडरूम में चला गया और जो नजारा मैंने देखा, उसके बाद तो मेरा प्राची को देखने का नजरिया ही बदल गया.

मैंने इसके पहले कभी भी प्राची के शरीर के बारे में सोचा नहीं था … ना कभी उसको उस नजर से देखा था.

मैं आपको प्राची के बारे में बता देता हूँ प्राची एक 27 साल की लड़की है, जिसकी दो साल पहले ही शादी हुई थी और उसको अब एक छह माह की छोटी बच्ची है.
प्राची की लंबाई लगभग पांच फुट दी इंच है. सफेद गोरा रंग, काले लंबे बाल, 34 इंच के दूध से भरे उरोज. 28 इंच की कमर और 36 इंच की मस्त गदरायी हुई गांड है.

प्राची अपनी कमीज़ निकाल कर बेड पर टिक कर बैठी थी. उसकी आंखें बंद थीं वो अपने कानों में हेडफोन्स लगाए हुए थी और उसने अपने दूध भरे उभारों पर मिल्क सकिंग पंप लगाया हुआ था, जिससे बोतल लगभग भरने ही वाली थी.

कसम से उसको इस अवस्था में देख कर मेरे शॉर्टस में तंबू बन गया. मेरा साथ इंच का लंड सलामी देने लगा.
मैंने मौके का फायदा लेते हुए प्राची की इस स्थिति में कुछ तस्वीरें खींच लीं.

फिर जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं, ऐसा दिखावा करते हुए मैं प्राची को आवाज लगाते उसके बेडरूम में घुस गया.

मुझे इस प्रकार सीधे अन्दर आते देख प्राची ने बाजू में रखी हुई कमीज़ अपने उभारों पर ओढ़ ली और मैं भी आंखें बंद करने का नाटक करते हुए उसको कमीज ठीक से पहनने के लिए बोलकर बेडरूम से बाहर निकल आया.

प्राची भी अपने दुधारू मम्मों से पंप निकाल कर कमीज डालकर बाहर आ गयी.
वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी.

लेकिन अब यही मौका था प्राची से खुलकर कर बात करने का … और मैं ये मौका गंवाना नहीं चाहता था.

इसलिए मैं जानबूझ कर जोर से हंसने लगा और उससे पूछने लगा- ये क्या कर रही थी तुम?
थोड़ी देर तक तो वो कुछ भी नहीं बोली लेकिन थोड़ी ही देर में नीचे देखते हुए शर्मा कर मुस्कुराने लगी.

फिर मैं भी थोड़ा फ्लर्ट करते हुए उसके मदमस्त उभारों की तारीफ करने लगा.

वो झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाते हुए मुझे चुप होने के लिए बोलने लगी.

फिर भी मैंने उसकी तारीफ जारी रखी और उसको बूब्सपंप के इस्तेमाल करने का कारण पूछा.
तो उसने बताया कि उसके स्तन दूध ज्यादा मात्रा में तैयार करते है … और उतना दूध उसकी छह महीने की बच्ची नहीं पीती है.

स्तनों में दूध ज्यादा होने के कारण वो निप्पलों से रिसता रहता है और उसके टी-शर्ट के ऊपर निप्पलों के पास धब्बे बना देता है.

मुझे एक और सवाल सताए जा रहा था कि प्राची निकाले हुए दूध का क्या करती है.

उसके बारे में पूछने पर उसने बताया कि वो दूध को फ्रिज करके रखती है और इस प्रकार फ्रीज़ किया हुआ दूध लगभग तीन महीने से अधिक वक्त तक खराब नहीं होता.
ये सब सुनते हुए मेरी नजरें कमीज से बाहर आने को बेबस हुए जा रहे प्राची के उभारों पर थीं.

मैं सब सुन तो रहा था … लेकिन उसके दूध से भरे हुए उभार देखकर मेरे शॉर्ट्स में लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.
जो प्राची को भी नजर आ रहा था और वो अब मुझपर हंसने लगी थी.

मैंने हंसने का कारण पूछा, तो बोली- मेरे उभारों को देख लिया हो … तो अपने चूहे को काबू में कर लो वरना चूहा शॉर्टस से बाहर आ जाएगा.

ये कह कर वो फिर से जोर जोर से हंसने लगी.

मैंने भी मौके पर चौका मारते हुए बोला- तुम्हारे उभार दिख ही कहां रहे हैं. तुमने तो उन्हें कमीज के अन्दर छुपा कर रखा है.

प्राची की दिमाग में आज कुछ अलग ही चल रहा था. उसने मुझे सीधे सीधे पूछ लिया कि एक शर्त पर मेरे उभार देखने मिलेंगे, अगर मंजूर है तो बोलो!
अब अगर वो जान भी मांगती तो भी मैं दे देता.

मैंने कहा- शर्त मंजूर है लेकिन क्या शर्त है … वो तो बताओ!
तब उसने कहा कि मुझे भी तुम्हारा लंड देखना है.

ये कहते उसने अपनी कमीज उतार दी.

अहा … उसके दूध से भरे हुए दूध के ही रंग के दो अमृत कलश जिनका साइज मैंने पहले ही बताया है कि ये 34 साइज़ के रहे होंगे.
उन पर दस रुपये के सिक्के जितना हल्के गुलाबी रंग का एरोला था. उसके ऊपर आधे इंच के खड़े निप्पल, जिसमें से बीच में ही दूध की एकाध बूंद निकल रही थी. उसके मदमस्त स्तन मेरे सामने खुले थे.

मैं तो उसे देखता ही रह गया. मेरे मुँह में पानी भी आ रहा था और मेरा गला भी सूख रहा था.
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी उसके गुलाबी निप्पलों को मुँह में लेकर उसका दूध पीना शुरू कर दूं.

मैं अपने होंठों पर जुबान फिराते हुए उसके उभार देख रहा था.

तभी प्राची बोल पड़ी- चलो अब तुम्हारा नम्बर है … अपना लंड दिखाओ.

उसके मुँह से ऐसे शब्द मुझे और उकसा रहे थे.
मैंने प्राची को बोला- तुम खुद ही देख लो.

उसने कोई विलंब न करते हुए मेरे शॉर्ट्स को नीचे कर दिया और मेरा सात इंच का लंड उसके सामने फनफनाने लगा था.

खड़े लंड को देखते ही उसके मुँह से निकल पड़ा- बापरे … इतना बड़ा, मनीष का तो इससे आधा भी नहीं है.

प्राची के मुँह से ये निकला तो मेरे लंड से एक फिर से फनफना कर दिखा दिया.

तभी प्राची के निप्पल से दूध की एक बूंद गिरने वाली थी, उसको पकड़ने के लिए मैंने हाथ आगे कर दिया.

तो प्राची ने मुझे रोक लिया और कहने लगी- बात सिर्फ देखने की हुई थी.
तो मैंने कहा- कम से कम दूध का स्वाद तो चखने दो.

उसने बेडरूम में जाकर अभी निकाले हुए दूध की बोतल लाकर मुझे दे दी और इठला कर बोली- लो चख लो स्वाद.

मैंने भी बोतल में से पूरा दूध पी लिया. रोजाना के दूध की तरह ये दूध पतला नहीं था बल्कि क्रीमी था और हल्की सी मिठास भी थी. बोतल से आखरी बूंद तक मैंने पी ली.

फिर प्राची ने पूछा- तो कैसा था स्वाद?
मैं बोल पड़ा- सौ मिलीलीटर दूध से क्या स्वाद पता चलेगा.

इस पर उसने दूसरी भी बोतल मुझे लाकर दे दी. मैं वो भी गटक गया, पर मेरा तो मन ही नहीं भर रहा था.
और भरता भी कैसे! सामने दो अमृतकलश नग्न थे और मैं बोतल से दूध पी रहा था.

प्राची ने फिर से स्वाद के बारे में पूछा, तो मैंने कहा- स्वाद तो ठीक ठाक था लेकिन सीधे अगर अमृतकलशों से पीने मिलता, तो मजा आ जाता.

उसने मुझे थोड़ा नाराजगी से देखा और घर जाने के लिए कहा.
मैं भी अपनी शॉर्टस को ऊपर करके अपने घर पर आ गया.

घर आकर मैंने प्राची की मोबाइल से वो फोटो देख कर मुठ मारी और सो गया.

सुबह प्राची के ही डोरबेल बजाने से मेरी नींद खुली.
सुबह सुबह मानो कामदेवी के दर्शन हो गए थे.

वो सफेद रंग की पारदर्शी टी-शर्ट में थी. जिसमें से उसके दोनों उभारों का आकार साफ़ साफ़ नुमाया हो रहा था. उसके ऊपर के कड़क निप्पल भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.
उसने नीचे काले रंग की शॉर्ट्स पहना था, वो उसकी आधी जांघों तक भी नहीं आ रहा था.

मैं तो बस उसे देखने में ही मग्न हो गया था और मेरी शॉर्ट्स में मेरा लंड उफान मचाने लगा था.

पता नहीं प्राची के दिमाग़ में क्या चल रहा था. उसने मेरे लंड को शार्टस के ऊपर से ही अपने हाथों में पकड़ कर खींचा और कहा- अपने चूहे को बोलो कि उसे कुछ मिलने वाला नहीं है. जल्दी से नहा कर नाश्ता करने आ जाओ.

मैंने सुबह की सब क्रिया खत्म की और प्राची के घर चला गया.
प्राची बेडरूम में बच्ची को दूध पिला रही थी, उसने अन्दर से ही आवाज देकर किचन में रखा हुआ नाश्ता और दूध लेने के लिए कहा.

मैंने किचन में जाकर देखा, तो एक बर्तन में केलॉग्स और दो बोतल दूध निकाल कर रखा हुआ था.

मैं बोतल देखकर ही समझ गया कि प्राची ने अपना दूध निकालकर रखा है.

आज किचन में प्राची के मम्मों का दूध निकला देखा, तो मेरे मन में फिर से उत्तेजना सवार होने लगी.

इस कॉलेज फ्रेंड सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको डॉक्टर प्राची के साथ चुदाई की कहानी लिखूंगा. आपको मेरी सेक्स कहानी में कैसा लगा, प्लीज़ मेल जरूर लिखें.

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कॉलेज फ्रेंड सेक्स कहानी का अगला भाग: लॉकडाउन में पुरानी क्लासमेट डॉक्टर से सेक्स- 2

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