स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर

मैंने जब स्नातक में दाखिला लिया तो मेरे कई सारे नये दोस्त बन गये थे. इसका कारण था कि मैं टीचर के सवालों के जवाब दे देता था और सबकी नजरों में होशियार था. स्टूडेंट मुझसे सवाल पूछने आते थे जिनमें एक लड़की स्नेहल भी थी. उसकी छुई मुई जवानी पर मैं मोहित हो गई. उसके बाद हम दोनों में क्या-क्या हुआ?

स्नेहल के कुँवारे बदन की सैर -8

सुबह जगने पर देखा कि स्नेहल की चूत सूजी पड़ी थी। मैंने उंगलियों से चूत खोल कर देखना चाहा तो वो जाग गई। वो कराह रही थी दर्द से, मैने उसके बदन की मालिश की। फ़िर उसके बाद चूत चुदाई तो होनी ही थी…

स्नेहल के कुँवारे बदन की सैर -7

मैंने पहले उसके नाजुक से शरीर पर अपने हाथों से मोरपंख को घुमाया जिससे उसके पूरे बदन में एकदम से सिहरन सी दौड़ गई। जैसे ही मैं मोरपंख उसके चूतड़ों की दरार में से नीचे की ओर ले जाने लगा उसने अपने चूतड़ एकदम से सटा लिए और मोरपंख को अपनी दरार में फंसा लिया।

स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -6

स्नेहल की कुंवारी चूत की पहली चुदाई के बाद अब मेरा मन उसकी कुंवारी गांड मारने का कर रहा था। मेरे मन मे ख्याल आया और मैंने परीक्षा की तैयारी के बहाने उसे अपने घर में बुला लिया।

स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -5

मैंने उसे कहा- आज के दिन प्यार से कर रहा हूँ, बाद में तुम्हें बहुत दर्द दूँगा मैं! उसने कहा- तुम्हारा दिया हुआ दर्द भी मुझे मीठा लगता है। और आज से मैं तुम्हारी हूँ, तुम्हें मेरे साथ जो करना है, वो तुम कर सकते हो।

स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -4

थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैंने अपने होठों से उसके होंठों को आजाद छोड़ कर उसे कहा- स्नेहल, रो मत, जो दर्द होना था हो गया अब और दर्द नहीं होगा अब तो तुम्हें सिर्फ जन्नत की सैर करनी है।

स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -3

उसके तन-बदन में तो पहले से ही इतनी आग लगी हुई थी तो वो भला कैसे मना कर पाती, उसने अपनी स्वीकृति सिर्फ गर्दन हिलाकर दी और अपने हाथ फैलाकर मुझे आलिंगन देना चाह रही थी।

स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -2

मैं अभी तक अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया था. तभी स्नेहल के जन्मदिन पर मैंने कुछ अलग करने की सोची और अपने प्यार का इजहार तो करना ही था... इस भाग में पढ़ें!

स्नेहल के कुंवारे बदन की सैर -1

वो मेरी क्लास में थी, सादी, भोली, शर्मीली, कम बोलने वाली! वो मुझे भा गई थी, मैं मन ही मन उसे चाहने लगा था लेकिन संकोच वश उससे बात भी नहीं करता था! एक दिन...

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