लौड़े की तकदीर

मैं पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ गया हुआ था. मेरे तीन दोस्त भी बन गये थे. दोस्तों की गर्लफ्रेंड थीं और मैं सूखा का सूखा। फिर एक दोस्त की गर्लफ्रेंड एक बार हमें मिलने के लिए पठानकोट बुलाया. वहां पर जाकर मेरे लंड की तकदीर खुली या नहीं?

लौड़े की तकदीर-2

वो दिन मैं कभी नहीं भुला सकता.. उस दिन मैंने एक लड़की कहूँ या औरत को.. वो कहा.. जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। वो फोन था निहारिका का था.. और वो बात आज भी मुझे शब्द दर शब्द याद है। वो- आशु.. मैं बताऊँ.. क्या हुआ था उस दिन.. दरअसल तुम्हारा दोस्त सेक्स के काबिल ही नहीं है।

लौड़े की तकदीर-1

मेरे दोस्त कुलदीप.. राहुल.. पुनीत तीनों की गर्लफ्रेण्ड थीं.. साले आते-जाते फोन पर ही चिपके रहते थे। वहीं मज़ाक-मजाक में मैं उनको छेड़ देता था.. फोन छीन लेता था.. ज़ोर से कहता कि देख वो तेरी वाली जा रही है.. इस सब में मुझे बहुत मज़ा आता..

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